Author: gurumantrasadhna.com@gmail.com
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ok Muslim tantra शक्तिशाली मुस्लिम तंत्र का रहस्य विस्तार इस्लामिक तंत्र Muslim tantra
Muslim tantra शक्तिशाली मुस्लिम तंत्र का रहस्य विस्तार इस्लामिक तंत्र guru mantra sadhna में आप सबका फिर से स्वागत है मैंने तंत्र के ऊपर बहुत सारे प्रकाशित कर चुका हूं ठीक है और आज का जो विषय है मुस्लिम तंत्र के बारे में रहेगा वैसे तो तंत्र हर धर्म के अंदर मौजूद है हर एक धर्म के अंदर तंत्र मौजूद है जैसे इस्लाम में है में है ठीक है धर्म के अंदर भी है तिब्बतियों में भी है बध में भी है जैनियों में भी है सभी धर्मों के अंदर तंत्र मौजूद है ठीक है जो आज का जो विषय रहेगा मुस्लिम तंत्र के बारे में रहेगा ठीक हैजो मुस्लिम तंत्र है ठीक है यह सबसे ज्यादा फेमस है ठीक है और इसके बारे में जो जानकारियां है बहुत कम उपलब्ध है तो इसीलिए मैं आज आपको मुस्लिम तंत्र के बारे में बताने वाला हूं देखिए मुस्लिम तंत्र में तीन से चार तरीके का होता है ठीक है एक होता है नूरी इलम होता है ठीक है दूसरा सिफल इल्म होता है तीसरा शैतानी इल्म होता हैपहले मैं बात करूंगा नूरी इल्म के बारे में जो नूरी इल्म होता है ठीक है इसके अंदर जो साधना पीर पैगंबरों की साधनाए होती है ठीक है परियों की साधना होती है ठीक है मुवक्किल की साधना होती है ठीक हैउसके बारे में बात करूंगा मकली की साधना होती है ठीक है मुवक्किल दरअसल एक फरिश्ता होता है ठीक है जैसे आप देवदूत मान सकते हैं देवता मान सकते हैं उसी तरीके से होता है हर एक आयत का अलग-अलग मव मुवक्किल होता हैइसके बारे में मैं बात करूंगा बाद में ठीक है तो मव कलीन हो गए ठीक है और परिया हो गई और नेक जिन होते हैं कुछ ठीक है अच्छे वाले जो पांच वक्त की नमाज भी अदा करते हैं ठीक हैमुवक्किल साधना हो गई तो यह साधना आती नूरी इल्म है नूरी इल्म के अंदर दूसरे नंबर के ऊपर आता है शैतानी इल्म ठीक है शैतानी इल्म के अंदर भी परियों की साधना आती है ठीक है जिन्नो की साधना आती है ठीक है और भी जो चीजें हैं उनकी साधना आती है तो यह शैतानी इल्म हो गया ठीक हैतीसरा है तीसरे इल्म के बारे में मैं बात करूंगा जो तीसरा इल्म है सिफली इल्म है ठीक है सिफली इल्म के अंदर टोटल जितनी भी साधनाए हैं कब्रस्तान से जुड़ी हुई साधना होती है टोटल तामसिक साधना होती है ठीक है जिनको हम गंदी साधना कहते हैं मैली विद्या कहती है तो ये मैली साधनाए को हम सिफली इलम बोलते हैं ठीक है जो सिफली इलम है सबसे फास्ट काम करता हैइसके ऊपर मैंने अलग से वीडियो बना रखा है ठीक है सिफली इलम के बारे में अलग से वीडियो बना है वह आप पढ़ सकते सुन सकते हैं ठीक है तो बेसिकली यह होता है इन मुस्लिम तंत्र के अंदर अब आगे हम बात करेंगे हिंदू धर्म के अंदर जैसे यंत्र होते हैं ठीक है वैसे ही मुस्लिम धर्म के अंदर नक्श होते हैं ठीक है जैसे कि हिंदू धर्म के अंदर वैदिक मंत्र होते हैं ठीक है उसी तरीके से इस्लाम के अंदर जो कुरान के अंदर आयतें होती हैं ठीक हैउनको मंत्र को कुरान क के अंदर जो मंत्र होते हैं उनको आयत बोला जाता है ठीक है यह इनका डिफरेंस है मुस्लिम तंत्र और हिंदू तंत्र के अंदर ठीक है और दूसरी चीज होती है जैसे हिंदू धर्म के अंदर यंत्र होते हैं तो मुस्लिम तंत्र के अंदर नक्श होते हैं ठीक है तो यह भी एक डिफरेंस है तो आगे जैसे हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म के अंदर बहुत सारी दो चीजें सिमिलर है ठीक हैजैसे हिंदू धर्म के अंदर शाबर मंत्र होते हैं बिल्कुल उसी तरह मुस्लिम तंत्र के अंदर भी शाबर मंत्र होते हैं ठीक है मुस्लिम में भी शाबर मंत्र होते हैं तो यह दोनों की सिमिलरिटी है बेसिकली अगर हम बात करें हिंदू धर्म के जो तंत्र की ठीक इसमें जो वैदिक मंत्र होते हैंवोह कलित होते उसका उत्कीलन करना बहुत जरूरी है ठीक है जो वैदिक मंत्र होते भी है तो उनमें कर्मकांड बहुत ज्यादा है हृदय न्यास कर न्यास ठीक है आचमन बहुत सारी उत्कीलन बहुत सारी प्रक्रिया होती है कर्मकांड होता है पर इनके अंदर कोई भी कर्मकांड नहीं हैयह है इनके अंदर सिस्टम जहां पर हिंदू धर्म के अंदर देसी घी का दीपक जलाया जाता है तो उनके अंदर भी तेल का दीपक ज्यादातर चलाया जाता है ठीक है यह भी एक डिफरेंस है ठीक है जो कुरान की आयतें होती हैं इनका कुछ भी उत्कीलन करने की जरूरत नहीं है डायरेक्ट काम करते हैं और इनके जो साबर मंत्र है वह भी डायरेक्ट काम करते हैंइनके अंदर कोई भी उत्कीलन का झंझट नहीं है ठीक है डायरेक्ट काम करती हैं चीजें ठीक है कोई कर्मकांड नहीं कुछ नहीं तो ज्यादातर जो उनके मंत्र हैं ठीक है ईशा की नमाज के बाद किए जाते हैंउनके सात्विक साधना ईशा की नमाज के बाद ही की जाती है तो वही जो हिंदू धर्म के अंदर वैदिक मंत्रों की साधनाए हैं प्रात काल में करने का विधान बताया गया है हालांकि जो शवर मंत्र की साधना है उसका अलग से विधान है यह डिफरेंस है हिंदू तंत्र और मुस्लिम तंत्र के ठीक है इसके अलावा और भी अंतर है बहुत सारे ठीक है और इनमें क्या है जी मुस्लिम तंत्र के अंदर चीजें बहुत जल्दी सिद्ध होती है ठीक है क्योंकि उत्कीलन करना है नहीं डायरेक्ट चीजें काम करती हैउसका यह सबसे बड़ी चीज है जो एक आयत का एक्सपर्ट होता है ठीक है जैसे मान लो मैं कोई आयत की सिद्धि कर रहा हूं आयतल कुर्सी ही है ठीक है और उस जो आयत है ठीक उस हर आयत का एक मवकलीन होता है ठीक है हर आयद का मवकलीन होता हैतो जैसे कि हर हर एक आयत जो होती है उसका अलग मवकलीन होता है आयतुल कुर्सी का अलग है दरूद इब्राहिम का अलग है ठीक है सभी आयतों का अलग-अलग मवकलीन होता है ऐसा नहीं है कि हर एक आयत ठीक है तो हर एक आयत का अलग मवकलीन होता हैतो उसी तरीके से काम करता है मुकली होते हैं एक फरिश्ते की तरह होते हैं देवदूत की तरह होते हैं यह गलत काम कोई भी नहीं करते मव कलीन के ऊपर मैंने अलग से वीडियो बना रखा है तो आप वो वीडियो वाच कर सकते ठीक हैमुस्लिम तंत्र में ज्यादातर जो नूरी इलम है सूफी इलम भी इसको बोला गया सबसे बेस्ट माना गया है ठीक है क्योंकि इसमें कोई भी ज्यादा साइड इफेक्ट नहीं है ठीक है और जल्दी सिद्ध हो जाता है ठीक हैइसको भी मुस्लिम तंत्र में आगे बढ़ना है तो पीरों पैगंबरों की साधना करेंमवकलीन की साधना करें आप बहुत जल्दी ही आगे बढ़ो ठीक है तो आज के लिए बस इतना ही अगर आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो आप कमेंट बॉक्स में जरूर लिखेगा जय श्री महाकाल जय श्री महाकाल -
ok shamshan kali sadhna प्राचीन शक्तिशाली शमशान काली साधना shamshan kali sadhna
shamshan kali sadhna labh शमशान काली साधना के लाभ गुरुमंत्र साधना कॉ में आप सबका फिर से स्वागत है । मैंने साधना के ऊपर बहुत सारी वीडियो अभी तक डाल चुका हूं और बहुत सारे साधक इन साधना से लाभ प्राप्त कर चुके है । आज का जो हमारा विषय है । शमशान काली साधना के बारे में है । आज मैं आपको बताऊंगा शमशान काली साधना के क्या लाभ है । और इसकी सिद्धि से आप क्या-क्या कर सकते है । और इसकी साधना भी बताने वाला हूं देखिए जो शमशान काली है । यह महाकाली का सबसे शक्तिशाली स्वरूप है ।
अगर कोई साधक इनकी साधना कर लेता है । दुनिया का कोई भी ऐसा काम नहीं जो आप ना कर पाओ असंभव से असंभव काम आप कर सकते कुछ ऐसे तरीके भी है । ं जिससे आपको साधना करने की जरूरत नहीं है ।
केवल आप इनका भोग प्रसाद लगा दीजिए देवी आपके सब काम करेंगे साधना सिद्धि करने की तो जरूरत ही नहीं है । अगर आप केवल भोग प्रसाद लगा दोगे तब भी काम हो जाएगा अगर आप इसके साथ ही अगर आप साधना कर दोगे तो वह काम तेजी से होगा तो काम 40 दिन में होगा तो वह काम आपका दो चार दिन में हो जाएगा कभी-कभी एक एक घंटे में भी कुछ साधकों के काम होते है ।
उस लेवल तक पहुंचने के लिए खैर आपको मेहनत करनी पड़ेगी तब आप एक घंटे के अंदर-अंदर भी बड़े से बड़ा काम ले सकते हो शमशान खाली एक ऐसी तगड़ी शक्ति है । जो बड़े से बड़ा काम कर सकती है । अगर आप इसकी सिद्धि कर लेते हो एक बार साधना कर लेते हो तो कोई भी असंभव से संभव काम चुटकी में कर लोगे मारण वशीकरण उच्चाटन सब क्रियाए बहुत तेजी से होंगे सुपर फास्ट कोई भी शायद इतनी तेजी से कोई देवी देवता काम नहीं करता होगा।
जितनी जल्दी यह करके मेरे पास एक क्लाइंट आए थे उनका जो एक लड़का था उसको जेल हो गई थी जमानत नहीं मिल पा रही थी और मैंने इधर से भोग प्रशाद लगाया एक घंटे के अंदर अंदर रही उसको जमानत मिल गई इतनी तेजी से य चीजें काम करती है । ठीक है ।
इन शक्तियों का आप इस्तेमाल कर सकते हो कोई भी आपका काम है । कभी रुकेगा आपके जो क्लाइंट के काम है । वो भी नहीं रोकेंगे ठीक है । तो ये महाकाली का सबसे शक्तिशाली स्वरूप है । अगर आप इसकी साधना करना चाहते हो तो मैं नीचे लिंक दे दूंगा
आप उस लिंक के ऊपर क्लिक करके पूरी साधना विधि विधान हासिल कर सकते हो पर मैं फिर आपको एक चीज कहूंगा बिना गुरु के मार्गदर्शन से कोई साधना करोगे तो कोई नुकसान होगा तो मेरी उसमें कोई गारंटी नहीं है । पहले बता देना जरूरी है । भाई तो आप अपने ही गारंटी के ऊपर साधना करिएगा ठीक है । तो आज के लिए बस इतना ही जय श्री महाकाल
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ok apsara vashikaran sadhna अप्सरा वशीकरण साधना रहस्य ph 85280 57364
apsara vashikaran sadhna अप्सरा वशीकरण साधना रहस्य ph 85280 57364
apsara vashikaran sadhna अप्सरा वशीकरण साधना रहस्य ph 85280 57364 गुरुमंत्र साधना कॉ में आप सब का स्वागत है मैंने तंत्र के ऊपर बहुत सारी साधना बना चुका हूं कुछ साधकों का यह प्रश्न था कि हम अपसरा साधना करते हैं और उसमें ना तो कुछ अनुभव हो रहे हैं ना तो प्रत्यक्षीकरण हो रहा है साधना भी विधिवत तरीके से की जा रही है फिर भी उसमें सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है
इस विषय के बारे में बताएं ऐसा हमें बहुत सारे मैसेज प्राप्त होते हैं बहुत सारे फोन कॉल आते हैं कि हमार हमें यह समस्या का सामना करना पड़ रहा है अपसरा कोई भी हमें प्रत्यक्ष नहीं हो रही है
हम कई बार सवा सवा लाख के अनुष्ठान कर चुके हैं फिर भी वह शक्ति हमारे सामने उपस्थित नहीं हो पा रही है तो ऐसे में हम क्या करें तो उन साधकों के लिए मैं एक चीज बोलूंगा अगर कोई शक्ति आपके सामने प्रत्यक्ष नहीं हो पा रही है प्रत्यक्षीकरण नहीं हो रहा है तो आप उस शक्ति का वशीकरण करो एक वशीकरण एक बेटर सलूशन हो सकता है
किसी भी शक्ति को अगर हम वश में कर ले तो वह हमारे मुताबिक ही काम करती है आप किसी भी चीज को वश में कर सकते हो वशीकरण का यह फायदा होता है आपके अधीन रहते हुए सब कार्य करती है
उसको मजबूर होकर ही आपके सामने उपस्थित होना पड़ेगा क्योंकि वह शक्ति आपके वश में है वशीकरण आकर्षण विद्या जो है अप्सराओं के ऊपर के ऊपर की जा सकती है
जिससे वह जल्दी आपके सामने उपस्थित होंगे वशीकरण विद्या आकर्षण विद्या अप्सरा के ऊपर की जा सकती है जिससे आपके सामने वो जल्दी उपस्थित हों और आपके सभी कार्य करेंगे
किसी शक्ति का वशीकरण की विद्या जो है बहुत कम साधकों को पता है किस तरीके से वशीकरण करना है शक्ति का तो बहुत कम साधक इन चीजों के बारे में जानते हैं अगर कोई साधक कर लेता है तो उसके सामने वह शक्ति उपस्थित होगी इसमें कोई भी दोराय नहीं है कैसे भी शक्ति क्यों ना हो अफसरा हो यनी हो उसको आना ही पड़ेगा
आपके सामने तो यह साधना जो है आकर्षण वाली मैं तो आपको करवा सकता हूं अगर कोई साधक करना चाह रहा है तो दिए गए नंबरों के ऊपर कांटेक्ट कर सकते तो आप इस साधना को कर सकते हैं देखो जो वशीकरण वाली किसी विद्या को वश में करने वाली जो साधनाए होती है थोड़ी कठिन होती हैं पर इनका रिजल्ट बहुत ही अच्छा मिलता है
उस शक्ति को विवश होकर आपके सामने आना ही पड़ेगा दुनिया की कोई ताकत नहीं उसको रोक पाएगी ठीक है दूसरी चीज क्या है इसमें दूसरी चीज के ऊपर बात करते हैं
कुछ लोग कहते हैं कि हम क्रोध भैरव की शक्ति चलाएंगे जिसके माध्यम से शक्ति को आपके सामने आना पड़ेगा तो मैं आपको यही कहूंगा क्रोध बैरव की जो साधना है किसी शक्ति के ऊपर चलाने से व शक्ति आपसे बिगड़ सकती है ठीक है हो सकता है वो शक्ति जबरदस्ती वाला काम होता है ठीक है
आप किसी को जबरदस्ती अपने पास ला रहे हो ठीक है तो शक्ति तो आ जाएगी पर उसमें कहीं पर भी कोई भी गलती होगी तो शक्ति आपको छोड़ेगी नहीं ठीक है तो इसीलिए क्रोध बैरव की जो शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए शक्ति के ऊपर ठीक है शक्ति तो आती है पर दूसरी बात यह हो जाती है तो आपको साइड इफेक्ट देकर जाती है
तो क्रोध भैरव की जो साधना करवाने वाला साधक आपको आसानी से मिलेगा भी नहीं करवाते हैं तो आधी अधूरी चीजें करवाते हैं तो उसमें आपको प्रॉब्लम हो सकती है तो इसीलिए सजेशन मैं यह देता हूं कि आप वशीकरण की विद्या का इस्तेमाल करते हुए अप्सरा को वश में करो और अपने कार्य करवा यह तरीका बेस्ट है ठीक है दूसरे तरीके क्या है जबरदस्ती वाले वह फायदेमंद नहीं है
उसमें साइड इफेक्ट हो सकते हैं पर इसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं क्योंकि आप उसको प्रेम से आकर्षण से उसको अपने वश में कर रहे हो तो यह चीज बुरी नहीं है प्रेम से ही किसी शक्ति को पाना चाहिए तो व प्रेम क्या है
वशीकरण विद्या से आप वशीकरण विद्या का इस्तेमाल करते हुए उस साधना को कर सकते हैं अगर आपका कोई भी सवाल है इस साधना के संबंधित तो आप दिए गए नंबरों के ऊपर कॉल कर सकते हैं जय श्री महाकाल
मधुमती विद्या – साधना सबसे बड़ी आकर्षण वशीकरण की साधना ph.8528057364
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ok सिफली इल्म क्या है सिफली इल्म क्या है- सिफली इल्म रहस्य ph 8528057364
Sifli ilm jadu tona सिफली इल्म क्या है- सिफली इल्म रहस्य ph 85280 57364
https://www.youtube.com/watch?v=Jx2JoVrFPd0Sifli ilm jadu tona सिफली इल्म क्या है- सिफली इल्म रहस्य ph 8528057364 आज मैं आप सब लो सब लोगों को सिफली इल्म के बारे में बताने वाला हूं यह सिफली इल्म क्या होता है या सिफली जादू जिसको बोला जाता है यह क्या चीज है इसी विषय के बारे में आज हम बात करेंगे तो देखिए जैसे कि एक तंत्र है ठीक है तंत्र के अंदर अंतर्गत दो तरीके से चीजें होती है एक सात्विक एक तामसिक तरीके से ठीक है जो हम सात्विक तरीके से करते हैं कोई चीज वह साम्य तंत्र के अंतर्गत आने वाली चीजें होती हैएक तामसिक तरीके से करते हैं तो कोल तंत्र के अंतर्गत आने वाली चीजें होती है ठीक है यह दो कांसेप्ट हो गए बिल्कुल इसी तरह से जो मुस्लिम तंत्र है उसमें भी यह चीज होती जो सात्विक तरीके से किया जाता है उसको नूरी इलम बोला जाता है जो तामसिक तरीके से किया जाता है उसको हम बोलते हैं सिफली इलम नूरी इलम और सिफली इलम ठीक है य दो तरीके के इलम हैअब आपको क्लियर हो गया होगा कि सिफली इलम किसको बोलते सिफली इल्म की जितनी भी साधना यह कब्रिस्तान के अंदर की जाती है ठीक है कब्रिस्तान के अंदर की जाती है शराब मीट अंडा सब चलता है इसके अंदर यहां तक कि इसमें बली पशुओं की बली भी दी जाती है ठीक है और यह बहुत तीव्र तंत्र होता है ठीक है थोड़ी सी भी गलती होने के ऊपर भारी नुकसान हो सकता हैजिस भी के ऊपर यह सिफली इल्म करवाया जाता है उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है ठीक है तो सिफली इलम की का क्या है सिफली इलम से ही की जाती है यह भी एक बात है सिफली इलम से ही सिफली इलम की काट होती है अब नूरी इलम से सिफली इलम की काट नहीं कर सकते केवल कुछ समय के लिए उसको रोका जा सकता है पर उसको काटना संभव नहीं है ठीक है सिफली इलम को सिफली इलम से ही काटा जा सकता हैलोहे को लोहा काटता है ठीक है बिल्कुल उसी तरह ही सिफली इलम से ही इसको काटा जा सकता है कोई दूसरा उपाय नहीं है तो यह चीज हो गई ठीक है दूसरी चीज यह है अगर कोई व्यक्ति मेलड़ी मसानी का साधक है तो किसी भी शक्ति को वह काट सकता है ठीक है चाहे वह शक्ति नूरी इलम की हो चाहे वह शक्ति सिफली इलम की हो चाहे वह ब्लैक मैजिक की हो कोई भी तरीके की कोई चीज हो उसको काट सकता है ठीक है यह सिस्टम हैअगर और अधिक जानकारी चाहिए तो मैंने नंबर दे रखे हैं तो आप फोन कर सकते हो बहुत ही कम समय में मैंने आपको पूरी जानकारी दी है आज के लिए बस इतना ही जय श्री महाकाल -
ok sifli ilm ke lakshan सिफली इल्म लक्षण क्या है पूरा रहस्य ph.85280 57364
sifli ilm ke lakshan सिफली इल्म लक्षण क्या है पूरा रहस्य ph.85280 57364
sifli ilm ke lakshan सिफली इल्म लक्षण क्या है पूरा रहस्य sifli ilm ke lakshan सिफली इल्म लक्षण क्या है पूरा रहस्य gurumantrasadhna.com में आप सबका स्वागत है आज मैं आपको सिफली इल्म के बारे में बताऊंगा ठीक है पहले भी वैसे मैं बता चुका हूं सिफली इल्म के बारे में ठीक है पर इस post लेख में मैं आपको जिन लोगों के ऊपर सिफली इल्म हो चुका है ठीक है तो उसके कुछ लक्षण बताऊंगा जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आप भी सिफली इलम के शिकार है या नहीं ठीक है देखिए अगर आपके ऊपर भी सिफली इलम होता है ठीक है
कुछ भी करने का मन नहीं करता है सिर दर्द रहता है ठीक है और बैठे बैठे ही आपको आल आलस पड़ा रहता है ठीक है शरीर में ऐसे लगता है कोई आप बीमार हो आप थर्मामीटर में चेक करेंगे तो आपका बुखार भी नॉर्मल आएगा ठीक है
उसके अलावा कभी-कभी शरीर के अंदर ऐसी बीमारियां पैदा होती है ठीक है शरीर में दिक्कत आती है जब आप अल्ट्रासाउंड वगैरह करवाते एमआरआई करवाते हैं तो उसमें कुछ भी नहीं आता है ठीक है अगर मेडिकल रिपोर्ट में भी कुछ ना आए तो समझ लेना चाहिए कि आपके ऊपर कुछ किया गया है ठीक है तो इसके अलावा और भी बहुत सारे लक्षण है
चेहरे के ऊपर जो चमक होती है वह खत्म हो जाती है ठीक है चेहरा कमजोर सा हो जाता है बुरे बुरे रात को सपने आते हैं तो समझ लेना चाहिए क्या आपके ऊपर भी कुछ किया गया है ठीक है और भी इसके अलावा कुछ कारण है जैसे किसी काम के लिए जाना और काम का ना बनना ठीक है यह भी इसका कारण है ठीक है
अगर किसी के ऊपर मारने के मकसद से इसका प्रयोग किया गया हो तो उस व्यक्ति को अचानक से अटैक आएगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी तो यह भी एक कारण है ठीक है उसको हालांकि कोई दिल का कोई रोग नहीं होगा फिर भी उसकी मृत्यु हो जाएगी और उसके कारण उसकी उसकी डेथ हो जाएगी ठीक है यह भी एक कारण है ठीक है सिफली इलम का तो यह समझ लेना चाहिए कि सिफली इलम किया क्या है ठीक है
उसके अलावा और क्या है कि अचानक से जो कोई आप काम कर रहे हैं उसमें क्या होता है काम बनते बनते बिगड़ने शुरू हो जाते हैं ठीक है तो यह भी एक सिफली इलम का ही समझ सकते हो आप अचानक से आपकी आपको डिप्रेशन के शिकार होना यह भी एक लक्षण है आप डिप्रेशन के शिकार हो जाओगे और अपने आप को मारने की कोशिश करोगे तो यह भी एक सिफली इलम का ही एक लक्षण है ठीक है
सिफली इलम वाला क्या है अगर कोई व्यक्ति बिल्कुल सात्विक हो ठीक है अचानक से शराब पीने लगे गलत काम करने लगे तो समझ जाना चाहिए उसके ऊपर कोई दूसरी शक्ति हावी हुई है उसी कारण ही वह यह सारा कुछ कर रहा है तो ये भी एक सिफली इलम का एक कारण हो सकता है ठीक है
कई तरीके से सिफली इलम किया जाता है कभी तो किसी को मारने के लिए किया जाता है किसी को बीमार करने के लिए या किसी का उच्चाटन करने के लिए वो उसका मनो चाट हो जाए और अपने आप को खुद ही खत्म कर ले तो यह कुछ कारण होते हैं ठीक है यह कुछ लक्षण होते हैं जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपके ऊपर कुछ सिफली इलम किया गया है
अच्छा इसका जो निवारण है वो भी सिफली इलम से ही संभव है ठीक है कोई दूसरे तरीके से आप इसका निवारण भी नहीं कर सकते अगर कोई व्यक्ति बोले कि भाई मैं इसको पूजा पाठ करूंगा तो वो ठीक हो जाएगा पर ऐसा नहीं है ठीक है
इलम की काट इलम से ही होती ये भी एक मैं आपको बता देता हूं ठीक है कितने भी आप पाठ कर लो तो नहीं होगा ठीक है पाठ करने से क्या होगा थोड़े टाइम के लिए वो चीज आपसे दूर हो जाएगी और जब आप पाठ को बंद कर दोगे फिर वो चीज उपस्थित हो जाएगी ठीक है तो ये सिस्टम होता है
क्योंकि वो जो भी खिलाया पिलाया होता है वो बॉडी के अंदर ही होता है और वो इतनी जल्दी निकलता नहीं है ठीक है तो भाई सिस्टम होता है ऐसा आदमी आपको ढूंढना है जो सिफली इलम जानता हो तो वही उसको ठीक कर सकता है ठीक है नहीं तो बहुत मुश्किल है
किसी व्यक्ति का बचना इस से कि बहुत सारे ऐसे लोग भी हमारे पास आते हैं जिनके कारोबार अच्छे चल रहे होते हैं अचानक ही कारोबार बंद हो जाता है कस्टमर ही नहीं आता है फैक्ट्री बंद हो जाती है या उसकी दुकान चलना बंद हो जाती है तो समझ लेना चाहिए कि कुछ किया गया है ठीक है तो ये सब चीजों से निजात पाने के लिए या कुछ जानने के लिए तो मैंने नंबर दे रखा तो आप फोन कर सकते है
दूसरी चीज क्या है भाई हर चीज के निवारण के लिए कुछ चार्जेस लगते हैं ठीक है ऐसा तो है नहीं फ्री में ही कोई काम होता है क्योंकि हमें भी उन चीजों को रिमूव करने के लिए बहुत सारी चीजें करनी पड़ती है और अपनी मेहनत के हिसाब से हम पैसा मांगते हैं ठीक है अगर कोई व्यक्ति पेड़ सर्विस चाहता है तो नंबर दे रखे हैं तो आप कॉल कर सकते हैं ठीक है तो फ्री वाले तो कृपया दूर ही रहे तो ज्यादा अच्छा है जय श्री महाकाल जी
Krityaa Sadhna कृत्या साधना रहस्य विस्तार सहित ph.85280 57364
सिफली इल्म क्या है सिफली इल्म क्या है- सिफली इल्म रहस्य ph 8528057364
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Krityaa Sadhna कृत्या साधना रहस्य विस्तार सहित ph.85280 57364
Krityaa Sadhna कृत्या साधना रहस्य विस्तार सहित ph.85280 57364 Krityaa Sadhna कृत्या साधना रहस्य विस्तार सहित गुरुमंत्र साधना डॉट कॉम में आप सबका फिर से स्वागत है आज हमारे साथ हैं अशोक कुमार चंद्रा जी ठीक है जो हमें बताएंगे कृत्या साधना के बारे में य कृत्या कौन होती है कितने प्रकार की होती है और इस साधना का हमारी जिंदगी में इस साधना के क्या फायदा है तो चीज बताएंगे अशोक कुमार चंद्रा जी अशोक कुमार जी आपका फिर से बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस वेबसाइट पर जी बहुत-बहुत धन्यवाद रुद्रनाथ जी आपने यह बहुत अच्छा प्रश्न किया कि कृत्या क्या होती है
कृत्या क्या होती है
पहले तो हमें इस बारे में ही जानना है क्योंकि मेरे को तो पता है ठीक है जो बहुत सारे लोग हैं उनको नहीं पता है साधक ठीक है अब मैं उनके ही प्रश्न आपके समक्ष रखूंगा जो जो वो सोच सकते हैं ठीक है तो आप सबसे पहला प्रश्न है कृत्या क्या होती है जी ये जो कृत्या है ये एक तरीके से एक देवीय शक्ति होती है बिल्कुल नाम से ही आपको महसूस हो रहा होगा देव्य नाम जैसे एक होता है स्त्री का बिल्कुल ये एक देव्य शक्ति होती है और सभी देवी देवताओ की अपनी एक की कृत्या होती है
बिल्कुल जैसे हर देवता के अपने भैरव होते हैं उसी हिसाब से इन सबकी कृत्या अलग होती है तो इसमें होता क्या है कि कृत्या जो है एक तरीके से समझ लीजिए इतना तीव्र वर्क करती है मन की गति से बहुत अच्छा मेरे को एक चीज बताओ कितने प्रकार की होती है क्योंकि मेरे को वन बाय वन सबके प्रश्नों के उत्तर देने पड़ेंगे कृत्या जो है जो भगवान शिव के द्वारा जिस का वर्णन मिलता है
उनकी जो भी लीलाए घटनाए घटित हुई है भूतकाल में तो उस हिसाब से तीन प्रकार की कृत्या होती है ठीक है इनका जो निर्माण है माता महाकाली माता महालक्ष्मी माता महारा सरस्वती महा सरस्वती के रूप में मिलकर हुआ है
बिल्कुल और इनको भगवान शिव ने जब भी जरूरत पड़ती है सृष्टि संहार की या कुछ भी का काम होता है तो या कोई कहीं भी जरूरत पड़ती है तो इनको जो है उत्पन्न किया जाता है
मेरा दूसरा प्रश्न अब और है जो उसका साधक होता है तो उसको क्या बेनिफिट है यह बहुत अच्छा सवाल है देखए बेनिफिट पहले है ना बाकी सब चीज बाद में जी देखिए ऐसे मैं एक उदाहरण देता हूं अगर कोई जैसे जंगल का शेर या कोई चीता बाग या लियो कोई भी ऐसा जानवर खतरनाक जानवर अगर किसी गांव के अंदर आ जाता है तो आप समझ सकते हैं गांव की क्या स्थिति हो जाती है
बिल्कुल तो ऐसी कृत्या साधक होता है यदि जिस साधक के पास कृत्या शक्ति होती है तो उसके प्रतिद्वंदी की उसके शत्रुओं का क्या हाल हो सकता है आप समझ सकते हैं
इस उदाहरण से बिल्कुल वो जो है उससे बचकर भागेंगे कि उसकी निगाह ना पड़ जाए उसके कृत्या साधक उनके ऊपर बिल्कुल यह बहुत खतरनाक शक्ति होती है
इसको अच्छा एक चीज तो हम समझ गए किय शत्रुओं का नाश करते दूसरा फायदा क्या है देखिए दूसरा फायदा यह होता है जैसे बड़ी से बड़ी दुष्ट आत्मा होती है जो शरीर छोड़ के नहीं जाती जिन जिन्ना होती नहीं है उनको उनको बुरी तरह से लह लुहान कर देती है
उनके अंग भंग कर देती है उनके टुकड़े टुकड़े कर देती है उनको पूर्ण रूप से उनका अस्तित्व नष्ट कर देती है
जब कोई ऐसी शक्ति किसी पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आ जाती है जैसे किसी के शरीर में जिन्नात आ गया और वो नहीं निकल पा रहे हैं तब शिव कृत्या का आवाहन करके उसको अंदर के अंदर टुकड़े कर करके खत्म किया जाता है यानी उसको पूर्ण रूप से उस सक्रिय ऊर्जा को निष्क्रिय ऊर्जा में बदल दिया जाता है
इसके क्या फायदे हैं दो फायदे तो हो गए इसके इसका एक बीमारी में उपयोग किया जाता है यदि किसी को लंबे समय से कोई बीमारी है तो उसका उच्चाटन किया जा सकता है बक उसम बीमारी में यह होता है जैसे किसी को कोई सा भी रोग पीड़ित है और रहस्य में बीमारी है दवाइयों से भी ठीक नहीं हो रहा है और काफी समय हो चुका है तो जब कृत्या का आवान करके उसको जल दिया जाता है पीने के लिए या उसके नाम से हवन किया जाता है या तर्पण होता है मार्जन होता है तो वह जो रोगी है वह ठीक होने लगता है एक तरीके से चमत्कार होता है
उसमें बिल्कुल रोगी ठीक हो जाता है हां वह 100% पर सही होता है ठीक ठीक ठीक आजकल यह ज्यादा चल रहा जैसे किसी के पैरों में दर्द हाथों में दर्द कमर में दर्द कंधे में दर्द यानी कि जो 30 साल से ऊपर की उम्र के स्त्री पुरुष है उनको य दिक्कत बांधा आ जाती है तो उनको वास्तविकता पता नहीं चल पाती है कि क्यों होती है समस्याए तो इस तरह की चीजों का कृत्या से निवारण बहुत अच्छा होता है अभी मेरे प एक केस था देहरादून का था तो वो बंदे को 5 साल से सिर में दर्द था
दुनिया भर के एमआरआई करा लिए मशीनों से जांचे करवा ली ब्लड टेस्ट नसो का टेस्ट ने क्या क्या करवा लिया वो कभी ठीक ही नहीं हुआ जब एक दिन उसको ज्यादा दर्द उठ जब किसी ने बताया होगा तो वो फिर मेरे से उसने कांटेक्ट किया तो मैंने उसके 15 मिनट लिए 15 मिनट में पूरा मैटर क्लोज कर दिया परमानेंटली लाइफ टाइम के लिए आज लगभग छ सात साल हो गए अभी तक उसे कोई दर्द नहीं उठा तो व ऐसी चीज थी जैसे एक छोटा सा जिन उसके दिमाग के अंदर बैठा हुआ था
वह उसको पीड़ा देता था जब भी धूप निकलती थी तो वह धूप से उसको कुछ क्रिया करता था और उसको दर्द करना शुरू कर देता था इसमें मैंने कृत्या शक्ति से उसको काट कर तो उसको अंदर के अंदर उसको निष्क्रिय कर दिया खत्म कर दिया उसको शक्ति ने तब जाके वो बिल्कुल ठीक हो गया मैंने कहा कोई नहीं आएगी बिल्क और कृत शक्ति में एक विशेषता और होती है कि यह मन की गति से चलती है और जो भी शत्रु होते हैं ना जो हम प्रयोग करते हैं हमने कृत्या मैंने जब उस लगभग मेरे को 10 साल हो गए
तो मैंने जब य कृत्या सिद्ध की थी उस समय तो मेरे को उस समय अजीब सा लग रहा था कि पता नहीं कुछ काम होगा या नहीं होगा लेकिन जैसे-जैसे फलीभूत होती गई वैसे-वैसे कार्य बहुत तीक्षण होते गए जल्दी जल्दी काम होते गए किसी को दिक्कत है बांधा है मंत्र पढा मानसिक रूप से आज्ञा चक्र में जो भी कार्य है वह संपन्न कराया उधर वहां पर संपन्न हुआ थड़ाई पर उधर वो बंदा ठीक हो गया तो यह ऐसे बहुत पावरफुल काम करती है
हलक सबसे ज्यादा जो लोग इसका दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं मारण प्रयोग में मार सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है लेकिन ऐसे लोगों के पास यह शक्ति नहीं रुकती है यह शक्ति तभी रुकती है जब आप अच्छा काम करते है अगर आप को और विस्तार सहित जानकारी चाहिए तो नीचे वीडियो दे रहा हु अंत तक सुने हमारा वीडियो अंत तक सुने
apsara sadhna अप्सराएं साधना जो आपको अमीर बन सकते
Shodashi Mahavidya Sadhana षोडशी महाविद्या साधना रहस्य ph.8528057364
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apsara sadhna अप्सराएं साधना जो आपको अमीर बन सकते
apsara sadhna अप्सराएं साधना जो आपको अमीर बन सकते apsara sadhna अप्सराएं साधना जो आपको अमीर बन सकते गुरु मंत्र साधना। कॉम में स्वागत है आज मैं आपको ऐसे अप्सरो के बारे में जानकारी जो आप को धन और समृद्ध बना देगी किसी भी प्रकार की कमी नहीं होगी आप आपार धन दौलत हासिल कर सकते हो कुछ एतिहासिक तथ्य भी प्रदान करुगा जिसे आपको मोटिवेशन भी प्रपात होगा।
apsara sadhna अप्सराएं साधना जो आपको अमीर बन सकते कौंन है अप्सरा जो आपको समृद्ध बना सकती है उर्वशी अप्सरा ,रतनमाला अप्सरा , नाभि दर्शना अप्सरा यह अप्सरा को सिद्ध कर आप करोड़पति बन सकता है इस के इलावा और भी अप्सरा जो आपको समृद्ध बना सकती है पर इतहास में यह अप्सरा का ही जिक्र है।
उर्वशी अप्सरा साधना को विश्वामित्र के बाद उन के शिष्य भूरिश्रवा, चिन्मय, देवसुत,गन्धर, और यहां तक कि देवी विश्रा और रत्नप्रभा ने भी उर्वशी सिद्ध कर आपार धन दौलत को प्रपात कर जीवन के सम्पूर्ण भोगों का भोग किया।
इतिहास साक्षी है कि स्वामी शंकराचार्य ने उर्वशी अप्सरा साधना को सम्पन्न कर अपने शिष्य पद्मपाद को अतुलनीय वैभव का स्वामी बना।
नाभि दर्शना साधना से महाकवि कालिदास जी एक राजापुरष की तरह अपना जीवन जीते थे ऐश्वर्य, विलास, उमंग, ओज, प्रभाव, वर्चस्व, कला आदिराज़ अप्सरा साधना ही थी नाभि दर्शना अप्सरा साधन से ही उन को धन दौलत प्रपात होता था राजा भोज भी इस रहस्य को भली भाँती जानते थे
रतनमाला अप्सरा इस अप्सरा को मैंने अपने शिष्य गौरव को करावा था जिस को सिद्ध कर वो आपार धन दौलत को प्रपात करा इन साधना को बारे में मैंने वीडियो बना रखा है इन सब साधना की जानकारी के वीडियो के लिंक नीचे मिल जायेगा आज के लिए बस इतना ही जय श्री महाकाल
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ok तंत्र में उपयोगी साधन और उनकी वैज्ञानिक उपयोगिता Instruments used in Tantra and their scientific utility
तंत्र में उपयोगी साधन और उनकी वैज्ञानिक उपयोगिता Instruments used in Tantra and their scientific utility
तंत्र में उपयोगी साधन और उनकी वैज्ञानिक उपयोगिता Instruments used in Tantra and their scientific utility तन्त्र में उपयोगी साधन और उनकी वैज्ञानिक उपयोगिता Instruments used in Tantra and their scientific utility तन्त्र में उपयोगी साधन और उनकी वैज्ञानिक उपयोगिता यह हम पहले बता चुके हैं-तन्त्र में सभी प्राकृतिक उपयोगी साधनों से उनके गुण, धर्म एवं के आधार पर यथा समय सहायता ली जाती है।
इसके साथ ही हमने ‘तम्ब शक्ति’ ग्रन्थ में यह भी स्पष्ट किया था कि ‘किसी भी कार्य की सिद्धि के लिये बिजली के तारों की तरह पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश इन पांच तत्त्वों में से कुछ . का मिश्रण करने पर ही वस्तु की प्रयोगात्मकता सिद्ध होती है।’
और यह भी सत्य है कि सत्त्व, रजस् एवं तमस्’ रूप तीन गुणों के मिश्रण से ही सृष्टि होती है, किसी एक से नहीं केवल उनकी न्यूनाधिकता से वस्तु में गुण-धर्म आदि बदल जाते हैं और उसमें कार्य करने की शक्ति आ जाती है।
यही बात वेदान्त के ‘पञ्चीकरण- सिद्धान्त’ में बताई गई है । अतः तन्त्र में भी उसकी सिद्धि के लिए अनेक सहायक तत्त्वों का वैज्ञानिक दृष्टि से सहयोग प्राप्त किया जा सकता है, जिनका निर्देश इस प्रकार है-
(१) आध्यात्मिक तत्त्व साधना के लिये शरीर, मन एवं अन्यान्य इन्द्रियों का सहयोग सबसे पहले अत्यावश्यक है। स्थिर शरीर स्वस्थ हो, स्वच्छ हो, कार्य करने में समर्थ हो और द्वन्द्व- शीत, गर्मी, वायु आदि के सहन करने में सक्षम हो; क्षुधा, तृषा, आसन और मल-मूत्रादि के वेगों को धारण करने में शिथिल न हो। मन – चंचलता, व्यर्थ चिन्तन और अनुत्साह से मुक्त होकर एका- ग्रता का अभ्यासी हो ।
इन्द्रियाँ – वासना – वृत्ति के प्रति उदासीन, संयमशील तथा अपने-अपने स्वभाव के प्रति आवश्यकता से अधिक लोलुप न हों । इनके साथ ही चित्तवृत्ति की निर्मलता और अहंकार का सर्वतोभावेन त्याग साधक के कार्य को बहुत ही सरलता से आगे बढ़ाते हैं । आत्मा सभी इन्द्रियों का अधिष्ठाता है। उसी के प्रकाश से सभी इन्द्रियाँ कार्य करती हैं। इनके साथ ही आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का प्रयास ही उपासना का अर्थ है। इस प्रकार की उपासनाओं में तन्त्र द्वारा की जाने वाली उपासना भी एक महत्त्वपूर्ण उपासना है।
जब कोई किसी प्रकार की साधना द्वारा किसी सिद्धि को प्राप्त करना चाहता है तो उसे आध्यात्मिक दृष्टि से अपने मन को स्थिर बनाना चाहिये । मन की स्थिति से ही अन्य इन्द्रियाँ सुस्थिर होती हैं और उसका प्रभाव यह होता है कि सभी प्रकार से साधक का लक्ष्य एकांगी हो जाता है और जिसे ‘ह्वील पावर’ आत्मशक्ति कहते हैं, उसके द्वारा जप, तप, तान्त्रिक विधि आदि की मिश्रित रूप से सिद्धि मिलती है ।
(२) आधिदैविक तत्त्व आत्मबल के साथ-साथ देवबल भी किसी साधना में परम आवश्यक है । देवता को अनुकूल बना लेने से दैवी तत्त्व से युक्त वस्तु अपने. वास्तविक स्वरूप में फलवती होती है। तन्त्रसाधना में अनेक वस्तुएँ ऐसी प्रयोग में लाई जाती हैं, जिनके आधार पर उनके गुण-धर्मों का फल प्राप्त किया जाता है। इस तत्त्व को जगाने के लिये दो तरह के प्रयास किये जाते हैं – १. कार्य साधक देव के मन्त्र का जप और
२. वस्तु को अभिमन्त्रित करना । जैसे किसी वृक्ष की जड़ (मूल) का प्रयोग करना है, तो पहले लक्ष्मी प्राप्ति का लक्ष्य हो तो -लक्ष्मी के मन्त्र का जप करना चाहिए तथा फिर उस वृक्षमूल की सिद्धि का मन्त्र जप करें। इसके साथ ही यदि लक्ष्मी प्राप्ति के लिये शिव, विष्णु, गणपति, हनु- मान आदि देवताओं से कामना करनी हो, तो इनमें से किसी एक के मन्त्र का जप भी करना चाहिए।
(३) श्राधिभौतिक तत्व ‘पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश’ ये पाँच तत्त्व आधिभौतिक कहलाते हैं । तन्त्र-प्रयोग में इनका सहयोग बड़ा ही महत्त्वपूर्ण है । तान्त्रिक कार्यों में सिद्ध मन्त्र को पृथ्वी पर या सोना, चाँदी, ताँबा और लोहे पर लिखकर उसकी पूजा की जाती है। पृथ्वी में गड्ढा खोद कर यन्त्र गाड़ दिये जाते हैं। वृक्ष के पांचों अंग-मूल, शाखा, पत्र, पुष्प और फल या बन्दे को अभिमन्त्रित कर, प्रयोग में लिया जाता है।
अनेक विध वनस्पति से प्राप्त सामग्री द्वारा कर्मों के अनुसार हवन होता है। जल को अभिमन्त्रित कर, रोग-निवृत्ति के लिए पिलाया जाता है । जल में देवी-देवताओं का आवाहन करके उनकी पूजा की जाती है तथा जल में हाजरात के प्रयोग भी देखे गये हैं । अग्नि में धूप और हवन का विधान है। धूप के तन्त्र-प्रयोगों में अष्टांग धूप, षडंगधूप और गूगल, राल, लोबान आदि प्रमुख हैं। वायु की तन्मात्रा गन्ध है । सुगन्धित पदार्थों से देवताओं की पूजा और मन्त्र जपकर फूंक मारने का प्रयोग भी प्रसिद्ध है ।
आकाश तत्त्व का सम्बन्ध शब्द से है। शब्द की ध्वनि, उच्चारण, जप, पाठ, प्रार्थना आदि सभी तान्त्रिक साधना में परम उपयोगी हैं। इस तरह स्थूल रूप से उपर्युक्त पांचों तत्त्वों में सभी का समावेश हो जाता है ।
ये तत्त्व साधक के द्वारा पूर्ण रूप से आत्मसात् किये जाएँ, यह वाञ्छनीय है, किन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि यदि पूर्ण- रूपेण पालन न किया जा सके, तो कोई साधना ही न करे। हाँ, इतना अवश्य है कि इस ओर प्रवृत्ति रहनी चाहिए और जहाँ तक सम्भव हो, कालिक प्रभाव में न आकर स्थिर मन, स्थिर विचार और स्थिर विश्वास से कार्य करें, अवश्य सिद्धि होगी ।
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ok shiv tantra शिव तंत्र शास्त्र आधुनिक विज्ञान और तंत्र ph. 8528057364
shiv tantra शिव तंत्र शास्त्र आधुनिक विज्ञान और तंत्र ph. 8528057364
shiv tantra शिव तंत्र शास्त्र आधुनिक विज्ञान और तंत्र ph. 8528057364 shiv tantra शिव तंत्र शास्त्र आधुनिक विज्ञान और तंत्र ph. 8528057364 आधुनिक विज्ञान और तंत्र प्रत्येक बुद्धि-सम्पन्न व्यक्ति के मन में सदैव एक यह तर्क रहता है कि – “आज विज्ञान जितना विकसित हो गया है और हमारे जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, उसी तरह तन्त्र से भी पूर्ति सम्भव है क्या ?”
अथवा “जब विज्ञान ने सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के उपकरण उपस्थित कर दिए हैं, फिर तन्त्र और उनकी साधनाओं से क्या लाभ है ?” इन दोनों प्रश्नों का समाधान हम इस प्रकार कर सकते हैं— “विज्ञान जिन साधनों से हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, वे साधन क्रमशः एक-दूसरे के अधीन हैं, अर्थात् वे परापेक्षी हैं, उनका उप- योग स्वतन्त्र रूप से नहीं हो सकता, जबकि तन्त्र-साधना द्वारा स्वतन्त्र रूप से सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।
विज्ञान की सिद्धि कुछ समय तक ही लाभप्रद होती है, किन्तु तन्त्र द्वारा प्राप्त सिद्धि चिर स्थायी हो सकती है। विज्ञान बाह्य रूप से सहयोगी बनता है, जबकि तन्त्र हमारे आन्तरिक मस्तिष्क को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करते हैं। इसलिए परतन्त्रता की अपेक्षा स्वतन्त्रता ही श्रेयस्कर है ।
वैसे विज्ञान के लक्ष्य भौतिक कार्यों की उपलब्धि तक ही सीमित हैं, जबकि तन्त्र का उद्देश्य इस लोक की सुख-सुविधाओं की पूर्ति के साथ-साथ जीव को शिवस्वरूप बनाना भी है। जीव और शिव की व्याख्या ‘कुलार्णव तन्त्र’ में इस प्रकार दी गई है—
अर्थात् घृणा, लज्जा, भय, शंका, जुगुप्सा-निन्दा, कुल, शील और जाति ये आठ पाश कहे गए हैं, इनसे जो बंधा हुआ है, वह जीव है । इन्हीं पाशों से छुड़ाकर (तन्त्र जीव को) सदाशिव बनाते हैं। इस तरह दोनों के उद्देश्यों में भी पर्याप्त अन्तर है और विज्ञान से तन्त्रों के उद्देश्य महान् हैं।
तन्त्रों की इस स्वतन्त्र वैज्ञानिकता के कारण ही प्रकृति की चेतन- अचेतन सभी वस्तुओं में आकर्षण – विकर्षण उत्पन्न कर, अपने अधीन बनाने के लिए कुछ देवी तथ्यों का आकलन किया गया है।
जैसे विज्ञान एक ऊर्जा शक्ति से विभिन्न यन्त्रों के सहारे स्वेच्छानुसार रेल, तार, मोटर, बिजली आदि का प्रयोग करने के द्वार खोलता है, वैसे ही तन्त्र- विज्ञान परमाणु से महत्तत्त्व तक की सभी वस्तुओं को आध्यात्मिक एवं उपासना-प्रक्रिया द्वारा उन पर अपना आधिपत्य जमाने की ऊर्जा प्रदान करता है।
अनुपयोगी तथा अनिष्टकारी तत्त्वों पर नियन्त्रण रखने की शक्ति पैदा करता है तथा इन्हीं के माध्यम से अपने परम तथा चरम लक्ष्य की सिद्धि तक पहुँचाता है। मन्त्र जप एवं तान्त्रिक विधानों के बल पर मानव की चेतना ग्रंथियां इतनी जागृत हो जाती हैं कि उनके इशारे पर बड़ी से बड़ी शक्ति से सम्पन्न तत्त्व भी वशीभूत हो जाते हैं।
तान्त्रिका साधना निष्ठ होने पर वाणी, शरीर तथा मन इतने सशक्त बन जाते हैं कि उत्तम इच्छाओं की प्राप्ति तथा अनुत्तम भावनाओं का प्रतीकार सहज बन जाता है । भारत तन्त्रविद्या का आगार रहा है। प्राचीन काल में तन्त्र- विज्ञान पूर्ण विकास पर था, जिसके परिणाम स्वरूप ही ऋषि-मुनि, सन्त-साधु, यती-संन्यासी, उपासक आराधक अपना और जगत् का कल्याण करने के लिए असाध्य को साध्य बना लेते थे
। ‘मन्त्राधीनास्तु देवताः’ इस उक्ति के अनुसार देवताओं को अपने अनुकूल बनाकर छायापु रुष, ब्रह्मराक्षस योगिनी, यक्षिणी आदि को सिद्ध कर लेते थे और उनसे भूत-भविष्य का ज्ञान तथा अतर्कित- अकल्पित कार्यों की सिद्धि करवा लेते थे ।
पारद, रस, भस्म और धातु-सिद्धि के बल पर दान-पुण्य, जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति, बड़े-बड़े यज्ञ योगादि के लिए अपेक्षित सामग्री की प्राप्ति आदि सहज हो कर लेते थे और सदा अयाचक वृत्ति से जीवन बिताते थे ।
यह सत्य है कि सभी वस्तुओं के सब अधिकारी नहीं होते हैं और न सभी लोग सब तरह के विधानों के जानने के ही। साधना को गुप्त रखने का तन्त्रशास्त्रीय आदेश भी इसीलिए प्रसिद्ध है- और- गोपनीयं गोपनीयं गोपनीयं प्रयत्नतः । ‘Hold fast silence what is your own lest icy fingers be laid upon your lips to seal them forever.” ( प्रयत्नपूर्वक मौन रखिये ताकि आपके होठ सदा के लिये बन्द न हो जायँ ।)
अतः सारांश यह है कि ऐसी वस्तुओं को गुप्त रखने में ही सिद्धि है । तन्त्र योग में शरीर और ब्रह्माण्ड का जितना अद्भुत साम्य दिखाया गया है, वैसा अन्यत्र कहीं भी ब्रह्माण्डे’ (जैसा पिण्ड-शरीर में, वैसा ही दुर्लभ है। ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्ड में) इस उक्ति को केवल पुस्तकों तक ही सीमित न रखकर प्रत्येक वस्तु को उसके गुणों के अनुसार पहचानकर उसका उचित तन्त्र द्वारा विनियोग करते हुए प्रत्यक्ष कर दिया है।
तन्त्र के प्रयोगों में भी एक अपूर्व वैज्ञानिकता है, जो प्रकृति से प्राप्त पञ्चभूतात्मक पृथ्वी, जल, तेज, अग्नि, वायु और आकाश- वस्तुओं के सहयोग से जैसे एक वैज्ञानिक रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा नवीन वस्तु की उपलब्धि करता है वैसे ही-नई-नई सिद्धियों को प्राप्त करता है।
तन्त्रों ने प्रकृति के साथ बड़ा ही गहरा सम्बन्ध स्थापित कर रखा है। इसमें छोटे पौधों की जड़ें, पत्ते, शाखाएँ, पुष्प और फल सभी अभि- मन्त्रित उपयोग में लिए जाते हैं। मोर के पंख तान्त्रिक विधान में ‘पिच्छक’ बनाने में काम आते हैं तो माष के दाने कुछ प्रयोगों में अत्या- वश्यक होते हैं। सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में तान्त्रिक साधना का बड़ा ही महत्त्व है।
श्मशान, शून्यागार, कुछ वृक्षों की छाया, नदी-तट आदि इस साधना में विशेष महत्त्व रखते हैं। स्नान, गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती और पुष्पांजलि आदि पूजा पद्धति की क्रियाएं तन्त्रों के द्वारा ही सर्वत्र व्याप्त हुई हैं । इस तरह तन्त्र विज्ञान और विज्ञान तन्त्र का परस्पर पूरक है, यह कहा जाए तो कोई अत्युक्ति नहीं है।
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Shodashi Mahavidya Sadhana षोडशी महाविद्या साधना रहस्य नमस्कार, नमस्कार, आज हमें बहुत हर्ष के साथ साझा करना है कि श्री वर्धि ज्योतिष ने एक बार फिर दस महाविद्या में तीसरी महाविद्या माँ त्रिपुर बाला (त्रिपुर सुंदरी) की कथा आपके सामने प्रस्तुत की है। आइए जानते हैं कैसी हैं माता त्रिपुर सुंदरी।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद में स्थित त्रिपुरा बलमा का शक्ति पीठ त्रिपुरा सुंदरी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और देशभर से श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं। भारतीय और सनातन पद्धति के अनुसार हर साल चित्रा मास की चतुर्थी के मौके पर देवबंद स्थित शक्ति पीठ में बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्हें एक बार महर्षि परशुराम के शिष्य ऋषि “सुमेधा” द्वारा रचित त्रिपुरा रहसिम में वर्णित किया गया था। पुस्तक में भगवान परशुराम,दत्रात्रे और हयग्रीव और अगस्त्य मणि द्वारा संवादात्मक तरीके से भगवती के प्रकट होने की कहानी और महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है।
वह कहानी जो उनके मूल से प्रचलित है। उनके अनुसार जब यह कथा भगवान शिव की तीसरी आंख से प्रचलित होती है। उनके अनुसार जब कामदेव को भगवान शिव की तीसरी आंख ने खा लिया और माता गोरा ने कम्पीड के शरीर की राख को इकट्ठा किया और उसका पुतला बनाया और भगवान आशुतोष से कहने लगे कि हे स्वामी, इस पुतले में अपने प्राणों की आहुति दे दो क्योंकि गणपति का कोई मित्र नहीं है। तो यह हमारे गणपति हैं जो उनके साथ खेलेंगे।
मां जगदम्बा के आग्रह पर योगेश्वर भगवान महाकाल ने इस पुतले में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी, लेकिन शिव के क्रोध के कारण इस राख में तमुगन के परमाणु थे। वह दुबले-पतले आदमी के रूप में जीवित हो उठा, लेकिन राख में तमोगोना होने के कारण वह असुर बन गया। इस राख के पुतले में जो जीव आया वो महालक्ष्मी का नौकर था जिसका नाम “माणिक्य” शेखर था और घटना कुछ इस तरह थी।
एक समय था जब देवी लक्ष्मी गंगा के तट पर घूंट भरकर आंखें बंद करके माता त्रिपुर सुंदरी का ध्यान कर रही थीं। उसने अपने नौकर माणक्य शेखर से कहा कि मेरी गर्मी में भीगना मत। यह कहकर कि आप मेरी रक्षा करें, लक्ष्मी ध्यान में लगी हुई हैं ?
और माणिक्य शेखर पहरा देता रहा, उसी समय एक सुंदर स्त्री “अलकनंदा” नदी में स्नान करने आई। अंदर गोते लगाते हुए उसका पैर फिसल गया और वह डूबने लगी और वह उसकी मदद के लिए रोने लगी, उसकी चीख सुनकर मनक्या शेखर भाग जाता है और इस रमणी की जान बचाता है, इस रमणी की खूबसूरत जवानी देखकर मनकिया शेखर के दिल में काम आ जाता है। माणिक्य शेखर का घटिया रवैया इस तरह देखकर माता लक्ष्मी की शरण में आ गई ?
रोते हुए रमानी ने उचित घटना जानने के बाद मां लक्ष्मी ने मांक्य शेखर को असुर के जंगल में जाने का श्राप दे दिया। तभी इस माणिक्य शेखर की आत्मा इस पुतले में उतर आई।
इस तरह वह असुर बन गया और कुछ दिनों बाद वह असुर ी भावनाओं को दिखाने लगा और उसने गणेश का अपमान किया ? और कार्तिकेय से युद्ध शुरू हुआ?
अंत में, उन्होंने धन, महिमा, वीरता और शक्ति प्राप्त करने के लिए 10,000 वर्षों तक गंगा के तट पर ध्यान किया। जब भगवान शंकर उसकी गर्मी से प्रसन्न हो गए तो वह उनसे पहले पहुंचे और उनसे आशीर्वाद लेने को कहा, तब इस दैत्य ने वरदान के रूप में जीवन का उपहार मांगा अर्थात उसने अनंत काल की इच्छा व्यक्त की, लेकिन ईश्वर उसे अमर करने में असफल रहे, इसलिए वह निराश हो गया और वापस गर्मी में चला गया और इससे संतुष्ट होकर एक लाख वर्षों तक ध्यान किया।
भगवान आशुतोष ने उन्हें तीनों लोकों और देवों पर शासन करने के लिए कहा, उन्होंने सभी असुर ों, मनुष्यों आदि को जीतने का आशीर्वाद दिया। लेकिन उन्होंने ब्रह्मादि देवताओं को अपने अधीन नहीं रखा, न ही अमरता का वरदान दिया। असुर इससे संतुष्ट नहीं हुआ और फिर गर्म हो गया। उपर्युक्त व्यक्ति ने दो मिलियन वर्षों तक गंभीर गर्मी को सहन किया, उसकी महान गर्मी के कारण, अंदर के सभी देवताओं के सिंहासन हिलने लगे और पृथ्वी पानी से भर गई।
इस प्रकार संपूर्ण ब्राह्मण अर्थव्यवस्था का विनाश देखकर भगवान आशुतोष ने आश्वासन दिया कि देवताओं, नए मनुष्यों, अद्वितीय जानवरों, पेड़-पहाड़ों, हिरणों, सांपों, पक्षियों, क्रेते की पतंगों आदि यज्ञ, गंधर्व, विद्याधर, किन्नर, पेश, वर्मा, विष्णु और महेश और प्रसिद्ध अस्त्र-शस्त्रों से असुर की मृत्यु नहीं होनी चाहिए। बस इस आशीर्वाद के प्रभाव में, इस असुर ने खुद को अमर साबित कर दिया और देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया और अंदर की सारी दुनिया पर अपना शासन प्राप्त कर लिया।
एक बार ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिदेवियों पर विजय पाने की इच्छा से वह उनके घरों की ओर बढ़ा, इस असुर को अपनी ओर आता देख त्रिदेव को उसके घर के साथ दर्शन नहीं हो सके। कुछ समय बाद उसी असुर का रवैया इंद्राणी की तरफ आकर्षित हो गया इसलिए इंद्राणी को जानने के बाद वह अपने पिता बेर के साथ कैलाश पर्वत पर माता पार्वती की शरण में रहने लगी। जब असुर को पता चला कि इंद्राणी ने कैलाश की शरण ली है तो वह अपनी सेना के साथ कैलाश की ओर चला गया, लेकिन जब गणेश ?
मुझे पता चला कि मेरा भाषण मित्र आ रहा था। इसलिए वह खुशी-खुशी उसका स्वागत करने आया। लेकिन इस राक्षस में उन्होंने गणेश जी द्वारा दिए गए सम्मान मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जाओ और अपने पिता शंकर से कहो कि इंद्राणी के साथ मेरी शरण में चलो, उसके अपमान जनक शब्दों को सुनकर श्री गणेश को गुस्सा आ गया और दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया।
असुर की इस हरकत पर श्री भगवान महाकाल क्रोधित होकर त्रिशूर लेकर उनकी ओर दौड़े, तब भगवती परवानी ने भगवान आशुतोष को रोकते हुए कहा, “हे प्रभु, यह असुर आपके आशीर्वाद के कारण बहुत गर्व महसूस कर रहा है।
तो इसे आपके हाथों से नहीं मारा जा सकता है, तब माता जगदंबा ने त्रिशूल को अपने हाथ में उठाया और उसे “भिंड” कहकर संबोधित किया और कहा कि यदि तुम मेरु पर्वत की कैलाश चोटी पर आओ तो तुम्हारा सिर सौ टुकड़ों में टूट जाएगा, उसी दिन से उसका नाम भांडासुर पड़ा। भांडसौर ने दस दिशाओं को पालकी वाहन बनाया और शक्ति की शक्ति से भंडारा ने सौ ब्राह्मणों पर अधिकार प्राप्त कर लिया।
तारक सूर नाम का एक असुर था, वह पांच ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करता था, उसने अपनी बेटी का विवाह भांडसौर से किया और पांच ब्राह्मणों को भंडासुर को दान कर दिया, इसलिए भांडसौर एक सौ पांच ब्राह्मणों का शासक बन गया और देवताओं पर गंभीर अत्याचार करने लगा। इसके बाद देवताओं ने त्रिपुर सुंदरी भगवती का महायज्ञ शुरू किया, शिव, विष्णु आदि सभी देवता यज्ञ में उपस्थित थे।
इस यज्ञ में देवगुरु बृहस्पति ने पूर्ण यज्ञ किया, उनके पूर्ण यज्ञ से एक विशाल ज्वाला निकली, जिसमें से योग्या और भगवती त्रिपुर सुंदरी का उदय हुआ, जिसके बाद देवी ने नारद को शांति दूत बनाकर भेजा, लेकिन इस राक्षस ने भांडसौर पर विश्वास नहीं किया और माता जगदंबा से युद्ध करने के लिए तैयार हो गए, जिसके बाद उन्होंने मां भवानी के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने युद्ध में भयंकर युद्ध लड़ा, अंत में भगवती के हाथों बचाए जाने के बाद वह अपने घर में बच गए। रूप।
भांडसौर का उद्धार प्राप्त करने के बाद, देवता इंद्राणी सुंदर होने लगीं। यह देवी मुक्ति मुक्ति प्रदायिनी है। इनके नाम अन्यत्र हैं- षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लिलैशी, राजराजेश्वरी। इनकी चार भुजाएं और तीन आंखें हैं।
सदाशिव पर कमल के आसन पर विराजमान इनके चारों हाथ फेक्शन, कर्ब, धनुष-बाण से सुशोभित हैं। यह देवी दयालु है जिसके प्रति मनुष्य इस देवी की शरण पाता है। उसमें और देवताओं में कोई अंतर नहीं है।
इन्हें पच्चावतंत्र कहा जाता है यानी जिनके पांच मुख होते हैं। चूंकि वे चार दिशाओं में चार हैं और शीर्ष पर एक हैं, इसलिए कहा जाता है कि उनके पांच चेहरे हैं।