Category: दैविक साधना

  • ok yogini sadhana – प्राचीन योगिनी साधना विधि विधान सहित ph.8528057364

    yogini sadhana – प्राचीन योगिनी साधना विधि विधान सहित ph.8528057364

    yogini sadhana - प्राचीन योगिनी साधना विधि विधान सहित ph.8528057364
    yogini sadhana – प्राचीन योगिनी साधना विधि विधान सहित ph.8528057364

    yogini sadhana – प्राचीन योगिनी साधना विधि विधान सहित ph.8528057364 नारी का प्रत्येक स्वरूप मधुर होता है, प्रत्येक स्वरूप की जीवन में एक निश्चित अर्थवत्ता व महत्वपूर्ण स्थान होता है। चाहे वह मां का स्वरूप हो, बहन का हो या वह पुत्री के रूप में हो चाहे वह पत्नी हो अथवा प्रेमिका या मित्र के रूप में ही क्यों न हो।

    स्वरूपों में भिन्नता हो सकती है. किन्तु गहन दृष्टि से देखें, तो प्रत्येक स्वरूप ममत्व की किसी अन्तःसलिला का प्रवाह लेकर ही गतिशील होता है, आप्लावित कर देने की चेष्टा में ही निमग्न होता है, क्योंकि ऐसा करना प्रत्येक स्त्री का मूल धर्म होता है, लेकिन इन सभी स्वरूपों से कुछ पृथक, जो स्वरूप विशिष्ट ही नहीं विशिष्टतम होता है, उसी एक स्वरूप का नाम है योगिनी !

    योगिनी एक नाटी देह में आबद्ध होते हुए, नारी मन की समस्त कोमल भावनाओं को एकत्र कर उपस्थित होते हुए भी अन्ततोगत्वा शक्ति का एक पुंज ही होती है, जो नाटी देह का आश्रय लेकट सम्मुख आती है, क्योंकि शक्ति का आश्रय स्थल सदैव से ही नाटी को स्वीकार किया गया है। केवल साधक ही नहीं, प्रत्येक सामान्य मनुष्य के जीवन में भावनाएं होती है, जो उसे सहज प्रवाह दे सकती हैं। जीवन से यदि भावनाओं को ही निकाल दिया जाए, तो मनुष्य व यंत्र में अंतर ही क्या रह जाएगा? किन्तु मनुष्य यंत्र नहीं हो सकता।

    1 को एक पहले ही इस युग की सभ्यता’ ने मनुष्य यंत्र बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है जिसके परिणाम की अधिक व्याख्या या वर्णन की आवश्यकता नहीं है। जो सम्मुख है, वह है एक यंत्रवत् जीवन जिसमें न किसी के प्रति कोई ममत्व है, न अपनत्व, न उछाह न वेग, न प्रेम और न ही फिर इन भावनाओं के अभाव में जीवन के प्रति कोई लक्ष्य ही।

    किसी भी व्यक्ति से पूछ कर देखिए, कि उसके जीवन में जो आपाधापी चल रही है या जिस आपाधापी का न केवल उसने सृजन कर लिया है वदन् जिसका वह निरन्तर पोषण भी करता जा रहा है, उसका अर्थ क्या है? क्यों वह सदैव इतना उद्विग्न बना रहता है?

    इसके मूल्य पर उसे क्या प्राप्त हो जाएगा? किसी के पास भी इसका निश्चित उत्तर नहीं होगा, क्योंकि इन बातों का कोई निश्चित उत्तर हो भी नहीं सकता। भावनाएं जो जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि हो सकती हैं, जब उसी का अभाव हो गया, उसी का हनन् करके कुछ निर्मित करने की चेष्टा की, तो भूल तो वहीं से प्रारम्भ ही हो गयी।

    और इसी बिन्दु पर आकर योगिनी साधना का महत्व स्वयमेव स्पष्ट हो जाता है, क्योंकि योगिनी साधना का अर्थ ही है- भावनाओं की साधना, अपनत्व व ममत्व की साधना, जीवन में जो कुछ विस्मृत हो चला हो, जो कुछ टूट गया हो या जो कुछ रिक्त रह गय हो, उन सभी को अर्जित कर लेने या पुनः प्राप्त कर लेने की साधना यह तो भावनाओं का ही बल होता है कि जीवन में कोई भी व्यक्ति वह सब कुछ कर जाता है, जो अन्यथा उसके सहज बल से सम्भव नहीं था और यहां यह ध्यान रखने की बात है, कि बल का तात्पर्य शरीरिक बल से नहीं होता है।

    यह तो मानसिक बल होता है, जो एक नर को पुरुष बनने की ओर तथा पुरुष को पुरुषोत्तम बनने की ओर उत्प्रेरित करता है और इसके मूल में होती हैं वे भावनाएं, जिनके मूल में होता है प्रेम! (यह कहना शायद पुनरोक्ति हो। जाएगा कि प्रेम का आधार होती है स्त्री) जो अपनत्व का भाव पत्नी के रूप में अधिक स्पष्टता से सामने आता है, प्रेमिका के रूप में वही भाव इस रूप में किंचित परिवर्तित हो जाता है, कि वह अपने प्रिय को सभी रूपों में केवल श्रेष्ठ ही नहीं श्रेष्ठतम देखना चाहती है. क्योंकि सामाजिक शिष्टाचार के अन्तर्गत एक प्रेमिका से अधिक पत्नी को अपनी मनोभावनाएं प्रकट करने की छूट होती है।

    अंतर केवल सामाजिक बंधनों का ही होता है, अन्तर्मन का नहीं और यही जीवन में सर्वाधिक संतोष और संतोष से भी कहीं अधिक एक अनोखी सौ तृप्ति का कारण बन जाता है। कोई मेरे लिए भी चिंतायुक्त बना रहता है, कोई |

    कहे-अनकहे रूप में मुझ पर अपना प्रेम बरसाता ही रहता है, कोई मेरे बारे में भी सोचता रहता है और सबसे बड़ी बात तो यह कि कोई मेरे सारे अस्तित्व पर अपना अधिकार मानता है होती हैं

    ये तो जीवन की बड़ी अनोखी सी आश्वस्तिया जिनके ताने-बाने में बुना जीवन ही सही रूप में गतिशील होता हुआ पूर्णता की ओर अग्रसर हो सकता है। क्योंकि ऐसी आश्वस्ति मिल जाने का अर्थ होता है. एक प्रकार का सुरक्षा बोध मिल जाना और भावनाओं के आधार पर मिली आश्वस्ति ही वास्तविक सुरक्षा बोध दे सकती है अन्यथा व्यक्ति इसी को प्राप्त करने की चेष्टा में पता नहीं कहां-कहां भटक आता है।

    जीवन एक निरपेक्ष घटना नहीं होती है। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी पद प्रतिष्ठा अथवा आर्थिक स्थिति का क्यों न हो. अपने जीवन का ताना-बाना किसी व्यक्ति या और अधिक विशद रूप में कहें तो किसी भावना से जोड़ कर ही बुनना चाहता है। सामान्यतयः व्यक्ति अपने जीवन को या अपनी अस्मिता को अपने परिवार से जोड़ कर जीवित रखना चाहता है। इसमें कोई अनुचित बात भी नहीं है।

    परिवार जैसी सामाजिक संस्था के निर्माण के पीछे उद्देश्य ही यही रहा है, किन्तु निरन्तर बढ़ते हुए आर्थिक एवं अन्यान्य दबावों के बाद क्या आज यह सम्भव रह गया है. कि व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों से कुछ अलग हट कर अपने जीवन को आहलाद व मधुरता देने वाले क्षणों के विषय में चिंतन तक कर सके ?

    जीवन में ऐसी स्थिति आ जाने पर जिस प्रवाह की आवश्यकता होती है, वह किसी गणित की अपेक्षा केवल साधनाओं से ही उपलब्ध हो सकती है, क्योंकि प्रत्येक साधना स्वयं में शक्ति का एक-एक अजरा प्रवाह ही तो होती है। और यही तथ्य योगिनी साधना के विषय में भी पूर्णतयः सत्य है।

    आज समाज में योगिनी शब्द को लेकर क्या धारणा है, इसको कदाचित विस्तार से बताने की आवश्यकता नहीं अनेक व्यक्तियों की दृष्टि में भैरवी व योगिनी के मध्य भी कोई भेद नहीं होता। यूं भैरवी की प्रस्तुति ही कहा प्रासंगिक रूप में सम्भव हो पायी है?

    किन्तु योगिनी इतना हल्का शब्द नहीं होता। योगिनी स्वयं में शक्ति तत्व की एक विशिष्ट प्रस्तुति व स्वरूप होती है, जिसकी साधना सम्पन्न करना प्राण तत्व को संचेतन कटने का एक उपाय होता है। यह सत्य है कि योगिनी की प्रस्तुति एक प्रेमिका रूप में होती है।

    किन्तु यह आवश्यक नहीं कि प्रेमिका शब्द से सदैव वासनात्मक अर्थ ही अभिप्रेत हो क्या प्रेमिका शब्द से एक महिला मित्र का अर्थ अभिप्रेत नहीं हो सकता है?

    वस्तुत योगिनी का वर्णन प्रेमिका रूप में होने के जो है वह है कि भारतीय समाज इतना की मान्यताओं में महिला मित्र की कभी कोई ही नहीं रही. लेकिन जो भावगत है वह सदैव से यही रहा है। साथ ही प्रेमिका का तात्पर्य होता है, ऐसी स्त्री, जो अपने प्रिय पर अपना सावरकर देने में ही अपना सुख मन हो और न केवल विलक्षण सौन्दर्य के मेंट इस रूप में भी योगिनी की कोई भी उभी करने में असमर्थ ही होगी।

    जीवन को भावनाओं के आधार पर पुनः निर्मित करने व योगिनी के रूप में एक वास्तविक प्रेमिका प्राप्त करने के को घटित होने वाली ‘योगिनी एकादशी के अवसर पर एक विशिष्ट साधना पद्धति प्रस्तुत की जा रही है, जिसे सकर वे अपने भावनाशून्य हो रहे जीवन में हास्य, विनोद व मधुरता जैसे कुछ नये पृष्ठ जोड़ पाने में समर्थ हो सकते हैं।

    योगिनी साधना विधि 

    इस साधना में प्रवृत्त होने वाले साधकों के लिए आवश्यक है कि वे ताम्रपत्र पर अंकित ‘योगिनी यंत्र’ व सफेद हकीक की माता को साधनात्मक उपकरण के रूप में प्राप्त कर लें। यह साधना उपरोक्त दिवस (योगिनी एकादशी) के अतिरिक्त किसी भी शुक्रवार को सम्पन्न की जा सकती है।

    साधना में वस्त्र आदि का रंग श्वेत होना चाहिए तथा दिशा उत्तर मुख होनी चाहिए। इस साधना में किसी विशेष विधि-विधान को सम्पन्न करने की आवश्यकता नहीं है। यंत्र व माला का सामान्य पूजन करने पश्चात् दत्तचित्त भाव से निम्न मंत्र की ग्यारह माला मंत्र जप सम्पन्न करें- खिलता हुआ गोरा रंग भरा भरा सा पुष्ट मांसल बदन, अंडाकार चेहरा, खंजन पक्षी की भांति नयन और उन नयनों की एक-एक चपलता में झिलमिलाते प्रेम के कई कई सदिश योगिनी तो स्वयं में एक उपमा है, उसकी उपमा दें भी तो किससे दें विक प्रेमिका  अवसर पर ही है,

    योगिनी मंत्र

     

    यह एक दिवसीय साधना है तथा साधना सम्पन्न करने के दूसरे दिन यंत्र ६ माला को किसी स्वच्छ जलाशय में या निर्जन स्थान पर विसर्जित कर देना चाहिए। जैसा कि प्रारम्भ में कहा, योगिनी शक्ति तत्व का ही एक विशिष्ट प्रस्तुतिकरण होती है, अतः यह स्वाभाविक ही है, कि इसे मनोयोग पूर्वक सम्पन्न करने वाले साधक को जीवन के प्रत्येक पक्ष में अनुकूलता मिलने की क्रिया स्वयमेव |

    प्रारम्भ हो जाए, चाहे वह धन सम्बन्धी पक्ष हो, स्वास्थ्य की समस्या हो सौन्दर्य प्राप्ति की कामना हो या गृहस्थ जीवन के किसी भी पक्ष को स्पर्श करता कोई भी पक्ष क्यों न हो। प्रस्तुत साधना की एक अन्य गुहा विशेषता यह साधना भी है। अनुभवों को भी है कि यह प्रबल पौरुष प्राप्ति की साधना सम्पन्न करने के उपरान्त अपने गोपनीय ही रखें।

  • ok काल भैरव प्रत्यक्षिकरण साधना | भैरव को बुलाने का मंत्र सहित ph.85280 57364

    काल भैरव प्रत्यक्षिकरण साधना | भैरव को बुलाने का मंत्र सहित ph.85280 57364

    काल भैरव प्रत्यक्षिकरण साधना | भैरव को बुलाने का मंत्र सहित ph.85280 57364
    काल भैरव प्रत्यक्षिकरण साधना | भैरव को बुलाने का मंत्र सहित ph.85280 57364

    काल भैरव प्रत्यक्षिकरण साधना | भैरव को बुलाने का मंत्र सहित ph.85280 57364 भैरव को भगवान् शिव का प्रधान सेवक तथा उन्हीं का प्रतिरूप कहा गया है । वे भगवान शिव के अन्य अनुचर भूत-प्रेतादि गणों के अधिपति हैं। उनकी उत्पत्ति भगवती महामाया की कृपा से हुई है । अतः वे भगवान् भूतनाथ महादेव एवं भगवती महादेवी के अनुरूप ही शक्ति तथा सामर्थ्यवान् हैं । भैरव के अनेक स्वरूपों का वर्णन पुराणों में किया गया है। यथा – बटुक भैरव, काल भैरव आदि ।

    गुरु गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित नाथ सम्प्रदाय में भैरव – पूजा का विशेष महत्त्व माना गया है और इस संसार की उत्पत्ति, स्थिति एवं प्रलय का आदिकरण भी भगवान् भैरव तथा भगवती भैरवी को बताया गया है ।

    भगवान् भैरव प्रसन्न होकर अपने साधक भक्तों को अभिलषित वर एवं वस्तुएँ प्रदान करने में समर्थ हैं, इसीलिए हमारे देश में भैरव पूजन की प्रथा भी सहस्रों वर्षों से प्रचलित है । आज भी भारतवर्ष के विभिन्न स्थानों में भैरव के मन्दिर पाये जाते हैं, जहाँ उनकी नियमित रूप से पूजा तथा उपासना की जाती है ।

    प्राचान तन्त्रशास्त्रों में भैरव साधन की विविध विधियों का उल्लेख पाया जाता है तथा अर्वाचीन ग्रंथों में लोकभाषा के माध्यम से भी भैरव -सिद्धि के अनेक उपाय कहे गये हैं ।

     

    साधन विधि – इस मन्त्र को कालरात्रि अथवा सूर्य ग्रहण की रात्रि में सिद्ध करे। त्रिखूंटा चौका देकर दक्षिण की ओर मुँह करके बैठ जाय तथा एक सहस्र मन्त्र का जप करे । तदुपरान्त लाल कनेर के फूल, लहू, सिन्दूर, लौंग का जोड़ा तथा चौमुखा दीपक जलाकर श्रागे रक्खे एवं दशांश हवन करे । जिस समय भैरव ययंकर रूप धारण कर सामने आवे, उस समय उससे भयभीत न हो, अपितु पुष्पों की माला को उनके कण्ठ में तुरन्त डालकर, सामने लड्डू रख दे। इस विधि से भैरव साधक पर प्रसन्न हो जाते हैं तथा वर माँगने के लिये कहते हैं । उस समय साधक को चाहिये कि वह उनसे त्रिवाचा भरवाकर सदैव वशीभूद रहने का वचन ले ले । तदुपरान्त मन की जो भी अभिलाषा हो, उसे भौरव से कहे । भैरव साधक की उस अभिलाषा को तुरन्त पूरा कर देते हैं तथा भविष्य में भी साधक के वशीभूत बने रहकर, साधक जब भी जिस कार्यं के लिये कहता है, उसे पूर्ण करते रहते हैं ।

  • ok योगिनी पत्नी रूप में सिद्धि Secret of Yogini Siddhi ph.8528057364

    योगिनी पत्नी रूप में सिद्धि Secret of Yogini Siddhi ph.8528057364

    योगिनी पत्नी रूप में सिद्धि Secret of Yogini Siddhi ph.8528057364
    योगिनी पत्नी रूप में सिद्धि Secret of Yogini Siddhi ph.8528057364

    योगिनी पत्नी रूप में सिद्धि Secret of Yogini Siddhi ph.8528057364 हमारे टेलीग्राम चैनल के हमारे एक सब्सक्राइबर है उन्होंने हमको एक क्वेश्चन किया कि आचार्य जी कि योगिनी देवी को पत्नी रूप में हमको सिद्ध करना है तो मैंने कहा कि ठीक है तो फिर उन्होंने कुछ और क्वेश्चन किया कि इस देवी को सिद्ध कैसे किया जाता है

    योगिनी देवी को  पत्नी बनाने का क्या क्राइटेरिया रहता है क्या हिसाब किताब रहता है कृपया इसके ऊपर थोड़ा प्रकाश डाले तो आजकल youtube योगिनी कामेश्वरी योगिनी मधुमती योगिनी बहुत प्रकार की योगिनी है जिन की साधना आजकल इंटरनेट में और youtube लोग 90 पर लोग जो लोग नए हैं youtube में या फिर प्रेमिका रूप में सिद्ध कर ले तो जब वोह लोग सिद्ध करने जाते हैं तो तीन चार चीजें होती है सबसे पहला चीज होती है

    साधना सफल नहीं होती है उन्होंने किसी चैनल से एक्सेट एक्सेट चैनल से उन्होंने माला सिद्ध माला सिद्ध यंत्र आदि के नाम पर हजारों रुपए फुक वा दिए होते हैं और उन सभी यंत्र को ले आकर घर में इकट्ठा करके उसके ऊपर साधना करने लगते हैं ना साधना में अनुभव होते हैं ना कुछ होता है ना कोई चीज उनको हाथ लगती है यह पहला सिचुएशन होता है

    दूसरा सिचुएशन होता है उनको कुछ छोटी मोटी चीजें सपने वगैरह में या फिर उनके साथ घटित हो जाता है और उस से उनके जीवन में नकारात्मकता का प्रवेश होने लगता है और वह लोग फिर बहुत प्रकार के इशू से सफरिंग करने लगते हैं यह दो चीजें होती है उसके बाद वो लोग बोलते हैं कि योगिनी साधना हमने किया सिद्ध हुआ नहीं देने वाला गलत है विधान गलत है

    सामान या फिर जो भी सामान वगैरह हमने मंगवाया था जिसे वही गलत है फिर क्या गलत है तो सबसे पहले मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूं कि योगिनी साधना करने का क्राइटेरिया क्या होता है जो साधक का मूलाधार चक्र जागृत हो और योग विद्या में जो साधक पारंगत हो तो वही साधक जाकर योगिनी साधना को करता है वह अलग बात है कि कोई विशेष मनोकामना लेक आप किसी योगिनी देवी की साधना कर रहे तो वह मनोकामना तो अवश्य पूरी हो ही जाती

    है मनोकामना को लेकर योगिनी साधना कोई भी कर सकता है उसमें कोई क्राइटेरिया नहीं होता लेकिन योगिनी को प्रत्यक्ष सिद्ध करना है अपने साथ रखना है चाहे मित्र पत्नी माता किसी भी रूप में तो फिर आपका मूलाधार से आपका ऊर्जा उठ जाना चाहिए मूलाधार चक्र पूर्ण रूप से जागृत होना चाहिए साधक को योग विद्या का ज्ञान होना चाहिए फिर यो विद्या का ज्ञान होना चाहिए साधक योग पारंगत होना चाहिए अर्थात जो साधक है

    वह यम नियमा आसन प्राणायाम ध्यान धारणा समाधि को अच्छे से जानने वाला तथा योग स्वभाव का होना चाहिए फिर योगिक साधना हों को संपन्न करने वाला होना चाहिए लगभग अपने जीवन में गुरु सानिध्य में वह पा से 10 साल रहा हो

    तंत्र विद्याओं का काफी प्रैक्टिस किया हो योग विद्या में महारथ हासिल हो ऐसे साधक योगिनी को अपने साथ रखने में योग्य हैं क्योंकि आप खुद सोचिए एक योगिनी देवी हैं साक्षात जगदंब की एक अंश शक्ति वो अंश शक्ति आपको क्यों पत्नी रूप में सिद्ध होगी आपके अंदर क्या क्वालिफिकेशन ऐसा है

    जो आपको वह पत्नी रूप में सिद्ध होगी आप ना अपना ब्रह्मचार्य मेंटेन कर पाते हो ना अपना मनों का भाव आप मेंटेन कर पाते हो ना आपकी जिंदगी किसी भी योग्य साधक की तरह है ना आपके जीवन में गुरु है ना आपके जीवन में सही मार्गदर्शन है

    आपने मुंह उठाया किसी किताब से किसी बुक से या फिर किसी पत्नी बनाया जा सकता है और आप लग गए पत्नी बनाने के लिए ना आपने उन देवी के बारे में जाना कि वह देवी कैसी है कहां से उत्पन्न हुई है किधर से उनका स्थान है हजार चीजें होती है

    योगिनी साधना में ना उन विषय में आपने कभी ध्यान दिया और आप सीधा चले गए योगिनी साधना को या फिर योगिनी देवी को पत्नी बनाने के लिए फिर क्या होगा किसी चैनल से आपको तो पता नहीं है कि योगिनी देवी का यंत्र कैसा है कौन सी माला है किस माला प जाप करनी जाती है कहां पर करना होता है ना इधर तक लोग होते हैं

    जो लोग मैसेज करते हैं कि योगिनी को इस रूप में में सिद्ध करना उस रूप में सिद्ध करना है उनको जब साधारण रूप से पूछा जाता है कि क्या आपको आसन बंधन आते हैं दिग बंधन आते हैं निशान बंधन आते हैं कि आप जहां पर साधना करेंगे चाहे आप अपने घर में करें अपने स्थान में करें या फिर कहीं प भी करें

    तो वैसी परिस्थिति में उस स्थान के देवी देवताओं को आपको भोग लगाना आता है क्षेत्रपाल बली आती है कि कम से कम स्थान देवता क्षेत्र देवता आदि को आपको बलि देना आता है कि उनसे कैसे परमिशन लिया जाता है वो आपको आता है क्या बोलते हैं नहीं यह तो हम ने कभी नहीं जाना अगर आप लोग यह सब नहीं जानते हैं तो फिर आप कैसे योगिनी शक्ति को जागृत करेंगे सामान्य सी कोई भी पूजा जिन पूजा में आप बैठते हैं

    सामान्य सी साधना हों में पहले उस साधना को चालू करने से वभ स्थान देवता क्षेत्र देवता वास्तु देवता आदि से आज्ञा लेनी होती है उसके बाद अगर आपके स्थान संरक्षिका सक्ति है जिसको ग्रामीण देवता या फिर ग्राम देवता के नाम से जाना जाता है उनसे आज्ञा लेनी पड़ती है कि हम आपके इस एरिया में साधना करें आप हमको आज्ञा दीजिए

    बोलके इन सभी आज्ञा को दिए बिना आप कैसे योगिनी साधना कर सकते हैं ऊपर से और एक सबसे बड़ा प्रॉब्लम लोग घर में साधना करते हैं योगिनी साधना सबसे पहला नियम है कि योगिनी आदि की साधना घर में कभी की नहीं जा सकती और घर में की जाए तो वह साधना कभी जिंदगी भर में सिद्ध नहीं होगी इस साधना के लिए वन अरण्य या फिर आप मान लीजिए किसी पर्वत का शिखर किसी गुंफा या फिर कोई ऐसा जगह जहां पर जो सर्दी का ऋतु ज्यादा प्रभावी हो उस जगहों पर जाके योगिनी देवी की साधना को किया जाता है

    या फिर किसी सिद्ध क्षेत्र शक्ति पीठ आदि में जाके योगिनी देवी को जागृत किया जाता है अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो कहां से योगिनी साधना सिद्ध होगा अगर सिद्ध नहीं हुआ तो फिर आप बोल देते हैं कि यह तंत्र साधना वगैरह फ्रॉड है यह सब एक ढकोसला है कुछ नहीं है बस मन का एक विकार है सब कुछ होता है आप गलत काम करेंगे और बोलेंगे कि यह हो गया वह हो गया योगिनी साधना करते करते कई बार ऐसा होता है स्थान देवता क्षेत्र देवता का आज्ञा ना लेने के कारण

    योगिनी देवी के मंत्रों के माध्यम से कई प्रकार की नकारात्मक शक्तियां खींची चली आती हैं क्योंकि योगिनी शक्ति का जब मंत्र जपा जाएगा उसका ऊर्जा तो प्रोड्यूस होगा और वो ऊर्जा को देखते हुए कई प्रकार की नकारात्मक शक्ति आप घर में घु सेंगे फिर फिर घर में ऊपर से और नेगेटिविटी का इशू हो जाएगा जो तो पहले था जीवन में जो वस्त व्यस्तता थी

    जिसकी वजह से आप साधना कर रहे तो वो अलग चीज है किंतु जब आप और उग्र साधना को उसमें इंक्लूडेड करोगे तो और शक्तियां बाहर से खींच जाएंगी वो आपको इशू करने लग जाएंगी फिर आप बोलते हो कि योगिनी साधना करने के बाद हमारे घर में तबाही मचना चालू हो गया है बिल्कुल मचेगा

    इन सभी साधना हों को किसी उचित गुरु के सानिध्य में किया जाता है जिस गुरु ने योगिनी साधना को जागृत कर रखा हो वही जाक ग साधना को करवा सकता है इनफैक्ट कम से कम वह गुरु को दो से तीन महाविद्याओं की जागृति होनी चाहिए दो से तीन महाविद्याओं की प्रॉपर ओरिजिनल ऑथेंटिकेटेड परंपरा से दीक्षित होके और उन्होंने साधना कर लेनी चाहिए उसके बाद उनके गुरु सानिध में उन्होंने अगर वो योग नहीं किया हो तो वही व्यक्ति आपको उस योगिनी की दीक्षा या फिर मंत्र आदि दे सकता है यह नियम है

    इस साधना का ऊपर से योगिनी मुंह उठाकर चयन नहीं किया जाता है कि आप बोल रहे हो आप मान लेते हैं कोई बहुत सारे साध तक आते हैं और बोलते हैं हमको कामेश्वरी योगिनी करना है कामेश्वरी योगिनी श्री कुल की शक्ति है आपकी इष्ट अगर काली मां है तो आप कामेश्वरी योगिनी नहीं कर पाओगे कुल का भेद हो जाएगा आपके कुल के अकॉर्डिंग आपको कौन सी योगिनी करनी चाहिए

    आपके इष्ट के अकॉर्डिंग आपको कौन सी योगिनी करनी चाहिए ये सारी चीजों के बारे में आपको गुरु बताता है और गुरु को भी उतना नॉलेज होना चाहिए और आजकल के गुरु तो पता नहीं किस हिसाब से हैं मैं ऐसे कुछ टिप्पणी करना नहीं चाहूंगा लोग तो आजकल ऐसे-ऐसे हैं कि योगिनी साधना के नाम प पूरा एजन खोल दिए हैं कि हां हमारे इस वेबसाइट पर जाओ या फिर हमारे इस जगह पर जाओ और उधर जाके 200 300 में वो योगिनी का पीडीएफ परचेस कर लो और बैठो घर में साधना करते हुए ना ऑथेंटिकेटेड आपका परंपरा है ना आपको खुद पता है

    कि आपकी परंपरा की योगिनी कौन है किन शक्ति आपकी परंपरा को सुरक्षित रखती है कुछ नहीं पता ना शिष्य को पता है कि आसन बंधन दि बंधन दिशा बंधन कैसे होता है यहां तक योगिनी देवी आए तो योगिनी देवी से क्या बोला जाता है क्या बोलक उनको बिठाया जाता है उनका जो अर्घ्य प्रधान है वह अर्घ्य प्रधान कैसे किया जाता है वह यहां तक नहीं पता सही बताए तो योगिनी साधना में एक अर्घ्य बैठता है उस अर्ग को कैसे बिठाया जाता है

    वहां तक उनको नहीं पता कि उस अर्ग में कौन-कौन सी देवी देवताओं का स्थापना किया जा कौन सी कलाओं का पूजा किया जाता वह कुछ नहीं पता यह चलते हैं और ऐसे लोग बोलते हैं कि हां इतना गुरु मंत्र आप कर लीजिए एक सेटन मात्रा उसके बाद योगिनी को आप जाइए पत्नी रूप में सिद्ध करिए ऐसे ऐसे लोग आजकल समाज में घूम रहे हैं तो जरा बचिए उचित गुरु परंपरा में जाइए उचित जग और उचित मार्गदर्शन लीजिए जहां से आपको पता चले कि योगिनी साधना प्रॉपर किस तरह से किया जाता है

    उस तरह से आप उनके पास जाके उचित मार्गदर्शन में उनसे ज्ञान लेके योगिनी साधना को करें और सबसे बड़ी चीज बिना गुरु के सानिध्य में रहे योगिनी साधना को नहीं करना चाहिए व योगिनी बहुत हानिकारक होगी क्योंकि आप खुद की मौत को आप बुलावा दोगे अगर योगिनी साधना अगर आप बिना गुरु मार्गदर्शन के कर रहे हैं दूसरी चीज यह है कि अगर आप योगिनी साधना कर रहे हैं किसी के अंडर में रह के कहीं पे भी कुछ कर रहे हैं

    तो वैसी परिस्थिति में आपको यह ध्यान देना चाहिए कि जहां पर भी कर रहे हैं वह जगह पूरा सेफ्टी हो वहां पर कोई भी इंसान अपने साधना के दरमियान या फिर जो आप जितना दिन का आपका साधना रहेगा उसके दरमियान उधर कोई आना नहीं चाहिए क्योंकि अगर वह आ गया योगिनी साधना को देख लिया आप कुछ कर रहे हैं बोलके वो साधना खंडित हो जाती है इसलिए यह साधना घर में नहीं की जाती है कोई पहाड़ या फिर कोई अरण्य आदि में यह जाकर साधना को संपन्न किया जाता है गुप्त जगहों में जहां पर इंसान नहीं जाते हैं

    उस जगह पर रहकर साधना को संपन्न करें हिमाचल साइड में जो लोग उनके लिए तो सर्वश्रेष्ठ है अगर आप फिर भी अगर आप कहीं पर करना चाहते हैं तो आप कामाख्या आदि जो महापीठ है जहां पे भगवती का खुद बास होता है शक्तिपीठ आदि में जाके आप यह साधना को संपन्न करें और उचित गुरु के मार्गदर्शन में यह साधना को संपन्न करें

  • ok चंडी शाबर मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र काले जादू को खत्म करने वाला मंत्र

    चंडी शाबर मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र काले जादू को खत्म करने वाला मंत्र

    चंडी शाबर मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र काले जादू को खत्म करने वाला मंत्र
    चंडी शाबर मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र काले जादू को खत्म करने वाला मंत्र

     ब्लैक मैजिक को वापस भेजने का मंत्र के साथ काले जादू से मुक्त हो जाओगे । चंडिका या चंडी देवी पार्वती का उग्र रूप है जिन्होंने चण्ड और मुंड का वध किया था। चंडी शाश्वत समय का प्रतीक है।

    चंडी प्रकृति में परिवर्तन और बदलने की देवी है। चंडी  चेतना है – अतिप्रवाहित आनंद जो ब्रह्मांड को प्रवाहित करता है, बनाए रखता है और वापस लेता है।

    और उसके विनाश का दोहरा पहलू है, वह एक नए जीवन को जन्म देती है क्योंकि पुराना मृत्यु के अंधेरे में दूर हो जाता है।

    इस चंडी शाबर मंत्र का उपयोग काले जादू, काला जादू, मूठ, तंत्र, बुरी नज़र और मुस्लिम काला इलम को उलटने के लिए किया जाता है। यह शाबर मंत्र साधना के 14 दिनों का है।

    शाबर मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के बाद कोई भी साधक इसका उपयोग काले जादू को हटाने या किसी भी व्यक्ति से काले जादू को उलटने के लिए कर सकता है।

    इस चंडी शाबर मंत्र का उपयोग करने की विधि या प्रक्रिया केवल गुरुजी से ही मांगी जा सकती है।

    रिवर्स काला जादू चंडी शाबर मंत्र का जाप कैसे करें

    • चंडी शाबर मंत्र 14 दिनों का मंत्र साधना है।
    • मंत्र साधना की शुरुआत चांद या अमावस्या से की जा सकती है।
    • स्नान करें और उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले रंग का वस्त्र धारण करें।
    • ऊर्जावान से पहले अपनी इच्छाओं या ‘संकल्प’ का उच्चारण करें
    • चंडी यंत्र या चंडी का चित्र।
    • चंडी शाबर मंत्र की 11 माला का जाप करें और हकीक माला का जाप करें।
    • 15वें दिन चंडी शाबर मंत्र की सिद्धि मिलेगी।

     

    Chandi Chandi MahaChandi Aavat Mooth Kare NavKhandi. Ashtaa Dash Bhuja ShastrDhari Haakini Daakini Gher Mari Jadu Tona Totka Mohe Na Satave Jahan Se Aaya Vahin Ko Jaaye Jis Ne Bheja Us Ko Khaaye Chale Mantra Fure Vaacha Dekhoon Main Chandike Tere Eelam Ka Tamasha

     

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    chandi sadhana rahasya चंडी साधना रहस्य ph.85280 57364 gurumantrasadhna.com में आप सबका स्वागत है मैंने अभी तक बहुत सारी साधना  के ऊपर चर्चा की है आज एक ऐसी साधना के ऊपर चर्चा करने वाला हूं जिस साधना का आपने कभी जिक्र सुना नहीं होगा वह साधना है चंडी की साधना जो चंडी है उसमें और देवी दुर्गा में फर्क है बहुत बड़ा फर्क है तो अब फर्क क्या है वह मैं आपको यहां नहीं बताऊंगा

     

    आप मेरे को कमेंट बॉक्स में बताओगे ठीक है मैं यह जानना चाहता हूं कि आप लोगों की नॉलेज क्या है ठीक है यह अब अपने विषय की ओर आता हूं जो यह साधना है सबसे शक्तिशाली साधना है चंडी की साधना को देवताओं ने भी करा और दैत्यों ने भी करा दोनों ही इसके उपासक रहे हैं बड़े लेवल के उपासक रहे जो व्यक्ति चंडी की साधना को कर लेता है

     

    उसको जिंदगी में कुछ और करने की जरूरत ही नहीं पड़ती सबसे खतरनाक और प्रभावशाली साधना में से एक है यह साधना फुल सात्विक साधना है इसके लिए गुरु का निर्देश और गुरु की कृपा होना आपके ऊपर अनिवार्य है उसके बगैर तो य साधना की ही नहीं जा सकती है

    अगर आपने यह साधना कर ली उसके बाद जिंदगी में कुछ और करने की जरूरत ही नहीं ऐसी साधना है जो आपको शक्तिशाली बना देगी शक्ति संपन्न बना देगी जो चाहोगे वैसा ही होगा आपके जितना गुण ज्ञानी कोई नहीं होगा दुनिया में आपके जितना शक्तिशाली कोई नहीं होगा आपके जितना बुद्धिमान कोई नहीं होगा सारा कुछ आपको प्राप्त हो जाएगा आप शक्ति संपन्न हो जाओगे

    दुनिया में आप के समक्ष कोई टिक नहीं पाएगा शक्ति संपन्न हो जाओगे बुद्धि की ओर से भी एक शक्तिशाली व्यक्ति के पास तीन चीजें होती है और फिर आप उस बंदे के हाथ में उ बुद्धि होती है फिर ऐश्वर्य सुख समृद्धि होती है दो चीजें होती हैं तीसरी चीज होती है शक्ति होती है

    समर्थ्य होता है तो ये तीन चीजों से ही एक शक्तिशाली आदमी बनता है जिसके पास तीन चीजें हैं वो शक्तिशाली है जिसके पास बुद्धि नहीं है तो दो चीजें हैं तो उस चीज का गलत इस्तेमाल करेगा फिर उसका विनाश निश्चित है अपना विनाश तो करेगा और लोगों का भी विनाश करेगा इसीलिए बुद्धि भी होना बहुत जरूरी है बुद्धि नहीं है तो शक्ति का कैसे इस्तेमाल करना है

    यह नहीं पता चलेगा बुद्धि नहीं है तो लक्ष्मी को भी आप डब दो लक्ष्मी को ऐश्वर्य को आप खत्म कर दोगे रावण के पास भी वही था ना ज्ञान भी था शक्ति भी थी और ऐश्वर्य भी था भाई सोने की लंका थी ऐश्वर्य की क्या कमी थी एक चीज की कमी थी जो थी बुद्धि नहीं थी तो इसीलिए क्या है कि सारा कुछ नष्ट हो गया कुछ नहीं बचा कुछ भी नहीं बचा भाई तो बुद्धि होना बहुत जरूरी है नहीं तो आप अपना पूरा साम्राज्य खत्म कर दोगे तो ये चंडी साधना की बात हो रही थी तो

    उसमें आपको सारा कुछ प्राप्त हो जाएगा ए टू जेड जो चाहोगे बुद्धि चाहोगे बुद्धि मिल जाएगी तीन चीज प्राप्त होगी कोई आपके सामने टिक नहीं पाएगा चंडी के दूसरे नंबर पर क्या है कि ये अब लोग बहुत सारे लोग बोलेंगे कि ये सात्विक साधना है तामसिक यह फुल सात्विक साधना रहेगी इसमें लहसुन प्याज नहीं खाना है खुद ही खाना बनाना है खुद ही खाना है

    तो यह चीजें भी है उसके बाद जब चंडी प्रचंड हो जाती है कहने का मतलब जब आप इस साधना को करोगे तो इतना ज्यादा क्रोध आएगा तो आप किसी की भी हत्या कर सकते हो इस लेवल तक उसको बोला जाता है चंडी प्रचंड हो गई है क्रोध बहुत आएगा उस चंडी को शांत कैसे करना है वह आपको गुरु ही बता सकता है जो

    आपके अंदर चंडी तत्व है को शांत कैसे करना कौन बताएगा गुरु बताएगा तो गुरु ही बताएगा आपको इसको कैसे शांत करना है किस टाइम पर क्या करना चाहिए एक व्यक्ति जब इस साधना को कर रहा था उससे एक हो गई गलती भाई जब ये साधना की जाती तो आगे तलवार रखी जाती है तलवार ही चंडी का रूप माना गया है

    अब बहुतों को यह पता ही नहीं होगा तलवार रखी जाती है और उसके सामने उसकी पूजा की जाती है चौकी पर रख के और उसके आगे प्रतिमा रहती है अब कुछ लोगों को यह बात भी हजम नहीं होगी कि यह तो नहीं बात हो गई

    पर आप लोगों ने किसी उच्च लेवल के साधक की शरण में नहीं रहे ना इसीलिए आपको पता नहीं है इन चीजों का जो गलत कमेंट भी कर रहे हैं तो उनको भी क्या पता है विचारों का जितनी बुद्धि है उतना इस्तेमाल करेंगे ना अगर बड़े लेवल के साधकों के बीच में उठना बैठना होगा तो वैसी ही बुद्धि हो जाएगी तो नहीं पता है भाई तो मैं क्या करूं अगर आपको नहीं पता है

    तो तो फिर मैं अपनी बात पर आता हूं तो आगे तलवार रखी जाती है तो बंदा वो साधना कर रहा था उससे कोई गलती हुई तलवार हवा में घूमने लगी अब उसको पता चल गया कि मेरा अंत है फिर उसके गुरु भी सम्रत थे तो उन्होंने बोल दिया फटाफट अपना ब्रह्म कवज का पाठ शुरू करते फटाफट अगर बचना है तो शुरू कर दिया और धीरे धीरे धीरे धीरे तलवार शांत हो गई और वहीं पर स्थापित हो गई ऐसा भी होता है

    तो साधना उच्च लेवल की साधना है तो ये सब कुछ हो सकता है तो इस साधना के लिए आपके पास परफेक्ट गुरु होना बहुत जरूरी है बिना गुरु के तो बहुत ज्यादा खतरनाक हो जाएगा आपके लिए साधना करना दूसरे तरीके से आपके अंदर सात्विकता होनी चाहिए सात्विकता ऐसी चाहिए विचारों की सात्विकता चाहिए शारीरिक रूप में सात्विकता चाहिए यह चीजें चाहिए तो ये चीजें होनी चाहिए

    आपके अंदर तभी आप इस चीज को कर पाओगे या चंडी प्रचंड होती है तो उसको शांत कैसे करना यह भी आना चाहिए यह गुरु बताएगा आपको जिस दिन य 40 दिन की साधना होती है 40 में दिन आगे चंडी प्रत्यक्ष हो जाती है प्रत्यक्ष हो जाती है तो कुछ कमी बचती ही नहीं है बहुत कुछ प्राप्त हो जाता है साधक को बहुत कुछ पर उससे पहले भी परीक्षा होती है

    जब बंद आंखों में आप साधना करते हो तो आपको ऐसा लगता है कि बड़े-बड़े गोड़े व जंगल का माहौल पूरा जंगलों में के अंदर माहौल होता है युद्ध का माहौल होता है पूरा घड़ों की आवाज हाथियों की आवाज जैसे देवी का युद्ध नहीं हुआ था

    उस टाइम  महिषासुर के साथ तो कैसे कैसे जानवरों की आवाज आती थी बहुत ज्यादा जैसे घोड़े दौड़ रहे हो युद्ध का मैदान हो तो उस तरीके से आपको पूरा आभास होता है बंद आंखों में आपको यह लगता है कि मैं किसी जंग के मैदान में इसको पढ़ रहा हूं पर आपको घबराना नहीं है पढ़ते जाना है पढ़ते जाओगे

    तभी कामयाब होगे डर के आगे ही जीत है अक्षय कुमार का डायलॉग है ना कि डर के आगे जीत है ये साधनाए ऐसी नहीं होती खतरों का खिलाड़ी बनना पड़ता है हर चीज में खतरा है अब लोग खतरे को देख के तो डर जाते हैं पर प्राप्ति भी देखो क्या हो रही है प्राप्त क्या हो रहा है प्राप्ति के बारे में कुछ सोचता ही नहीं डर लगता है

    सबका भाई डर भी जरूरी है पर जब डरो ग तो फिर करोगे कैसे अगर ऐसे ही डरते रहोगे जिंदगी खराब हो जाएगी सामान निकल जाएगा फिर करोगे कब फिर अब आप यह सोच लिया करो कि अपनी समस्याओं के बारे में सोच लिया करो जब आपको डर लगता है क्या वह डर जो है आपकी समस्या से ज्यादा खतरनाक है आपको जवाब मिल ही जाएगा कि आपको कैसी समस्याए रोज फेस करनी पड़ती है कितना ज्यादा आपको रोज बेजत होना पड़ता है

    कैसी जिंदगी है अब क्या अच्छी जिंदगी है आज भी अच्छी जिंदगी नहीं है अब अच्छी जिंदगी करने के लिए तो कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा ना कुछ ना कुछ करना पड़ेगा तो परीक्षा तो देनी पड़ेगी ना अब कोई बंदा कहे कि बिना परीक्षा के ही मेरे को आईपीएस ऑफिसर बना दो वैसा कि संभव है कि बिना परीक्षा के ही बिना किसी मेहनत के आप आईपीएस ऑफिसर बन जाओ हर चीज में मेहनत है ना हर जीज में परीक्षा है ना प्राप्ति भी देखो ना फर क्या हो रही है

     

    एक आईपीएस ऑफीसर को क्या प्राप्त होता है यह देखो ना आप प्राप्ति को तो आप बोलही जाते हो बस खतरों को आप याद रखते हो अब कुछ लोग बोलेंगे कि अब मैं तो खतरा उठाने के लिए तैयार हूं पर क्या मेरे परिवार भी को खतरा होगा आपके परिवार को खतरा क्यों होगा गलती आप करो

    तो आप आपके परिवार को सजा थोड़ी मिलेगी सजा तो आपको मिलेगी इस चीज में परिवार को कोई खतरा नहीं होगा ठीक है आपको भी कोई खतरा नहीं होगा वैसे तो अगर आप गलती नहीं करते हो बहुत ध्यान से चीजों को करते हो तो क्या खतरा है भाई अगर आप जानबूझ के कोई बड़ी गलती कर रहे हो

    तो फिर तो खतरा तो हो ग क्योंकि यह चीजें कभी क्षमा नहीं करती है ठीक है देवी का क्रोध का स्वभाव है देती है तो बहुत कुछ देती है जब लेती है तो बहुत कुछ ले लेती है ठीक है लेने से मतलब यही है कि थोड़ा मानसिक रूप में परेशान हो जाओगे आपको दंडित करेगी लेती तो कुछ नहीं है ये आपको दंडित जरूर करेगी

    अगर आप गलती करते हो तो अगर आप गलती नहीं करते हो तो फिर किस चीज किस लिए आप डरते हो अगर आपके अंदर सच्चाई है तो फिर तो आपको डरना नहीं चाहिए ठीक है डरता वही है जो गलत होता है ठीक है सच्चाई के साथ करोगे फिर तो कोई दिक्कत नहीं आप लोगों से बात करके ना मेरे को बहुत अच्छा लगता है जो आप लोगों के साथ मैं ज्ञान शेयर करता हूं ना अपना तो मेरे ही ज्ञान की वृद्धि हो रही है मेरे को ऐसा लगता है

    तो बातें करनी मेरे को अच्छी लगती है पर समा हो गया है कुछ लोगों की शिकायत यह होती है भाई क्या आप बहुत लंबा वीडियो बना देते हो हमें परेशानी होती है अगर दो घंटे की किसी को मूवी देखनी हो तो फिर कोई परेशानी नहीं है दो घंटे ऐसे बर्बाद कर देते मूवी में ठीक है वहां पर कोई परेशानी नहीं हो रही है य वीडियो देखने में परेशानी हो रही है

    वहां पर तो आपको कुछ सीखने को मिलता नहीं यहां पर तो मैं आपको फ्री में कितना कुछ सिखा रहा हूं आपको पता ही नहीं है यह ज्ञान ऐसे नहीं मिलाए बड़े-बड़े साधकों के बीच में रह कीय बातें पता चलती है ठीक है ये चीजें ऐसे फालतू नहीं है

    इसीलिए तो आप परेशान हो क्योंकि आपने तो इन चीजों को छोड़ दिया है अच्छा एक बात आप नोट करना जिस आदमी ने ऋषि मुनियों की परंपरा को छोड़ा है घर में तो वह लोग कितने परेशान है आपको पता चल जाएगा ठीक है बहुत ज्यादा परेशानी आती है

    आज उनको पता नहीं लगेगा आने वाले टाइम में जरूर पता लगेगा तो ऋषि परंपरा थी जिस तरीके का खाना था जिस तरीके के नियम थे आज उन सब नियमों को अंग्रेज लोग मानते हैं पहले योगा मेडिटेशन को कोई नहीं जानता था आज इंटरनेशनल लेवल पर योगा मेडिटेशन को जाना जाता है योगा किया जाता है

    पहले किसी को पता नहीं था कुंडलिनी क्या चीज होती है अब बड़े-बड़े वैज्ञानिक मान चुके हैं कि इस भौतिक शरीर के अलावा अंदर भी कुछ बहुत कुछ छिपाए जो किसी को पता नहीं है ठीक है तो हर चीज को अंग्रेज लोग मान रहे हैं पर हम लोग मूर्ख हैं उनके पीछे भागे जा रहे हैं

    अब संस्कृत को हमने छोड़ा अब नासा में संस्कृत पढ़ाई जाती है अमेरिका में पढ़ाई जाने लगी है नासा में कोडिंग के रूप में संस्कृत का यूज हो रहा है कोडिंग के रूप में कोड लिखे जाते हैं

    यह विज्ञान है तो यह कोई फालतू की बातें नहीं है यह ज्ञान है ज्ञान आपको ऋषि मुनियों का ज्ञान आप इसको आप सेप्ट ऐसे नहीं करोगे जिन अंग्रेजों के पीछे आप लगे पड़े हो तो वह इस चीज को मानेंगे तब उनको देख के आप उस चीज को मानोगे अब यह सिस्टम है तो आज तो वीडियो थोड़ा लंबा हो गया बस आज के लिए बस इतना ही जय श्री महाकाल

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    कामदेव मंत्र साइड इफेक्ट्स Kaamdev Mantra Side Effects and Who is Kaamdev दोस्तों आज के इस वीडियो में हम आपको कामदेव के बारे में बताएंगे जो मनुष्यों को कामुक बनाते हैं दोस्तों पुरातन कल की कथाओं के अनुसार कामदेव श्री नारायण और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं जिनका विवाह रती  नाम की देवी से हुआ था जिन्हें प्रेम और आकर्षण की देवी माना जाता है
    वहीं कुछ कथाओं में ये भी बताया गया है की कामदेव स्वयं ब्रह्मा जी के पुत्र हैं और इनका संबंध भोलेनाथ से भी है कुछ स्थान पर धर्म की पत्नी श्रद्धा से उत्पत्ति मणि जाती है दूसरा प्रेम के देवता जैसे की पश्चिमी देशों के क्यूपीआईडी और यूनानी देशों में यूरोस को प्रेम का प्रतीक माना जाता है वैसे ही सनातन धर्म  में कामदेव को प्रेम और आकर्षण का देवता कहा जाता है नाम से भी जाना जाता है
    इसके अलावा उन्हें अर्थ देव या गंधर्व भी कहा जाता है जो स्वर के वीडियो में कामाख्या उत्पन्न करने के लिए उत्तरदाई होते हैं और तो और कहीं-कहीं कामदेव को यक्ष की संज्ञा भी दी गई है चौथा कामदेव का स्वरूप इसी के साथ ही हम आपको बताते हैं कामदेव का स्वरूप कैसा है उनका वर्णन सुनहरे पंखों से युक्त एक सुंदर नवयुक  की तरह किया गया है
    जिनके हाथ में धनुष और बढ़ है ये तोते के रथ पर मकर के चिन्ह अंकित लाल ध्वज लगाकर भ्रमण करते हैं इसके साथ ही कुछ शास्त्रों में हाथी पर बैठे हुए भी बताया गया है पांचवा कामदेव के धनुष और बढ़ प्रभु का धनुष मिठास से भरे गाने का बना हुआ है जिसमें मधुमक्खियां के शहर की रस्सी लगी हुई है
    उनके धनुष का बढ़ अशोक के पेड़ के खुशबू दर फलों के साथ ही सफेद नीले कमल चमेली और आम के पेड़ों पर लगने वाले फूलों से बने होते हैं तो देखने में काफी आकर्षक लगता है कामदेव के पास खासतौर से पंच प्रकार के बढ़ है
    उनके नाम हैं मारन स्तंभन  छठ करम  कामदेव मंदिर असम का खजुराहो मंदिर मदन कामदेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है वहां की महत्वपूर्ण आकृतियों खजुराहो के मंदिर का स्मरण करती है कम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति की कथा आज भी सभी के मैन में बसी हुई है ये मंदिर गाने जंगलों के अंदर वर्षों से छुपा हुआ है
    ऐसा कहते हैं की हम सबके आराध्या भगवान शंकर द्वारा अपने तृतीया नेत्र खोलने पर कामदेव भस्म हो गए द और इसी स्थान पर उनका punarjan तथा उनकी पत्नी रति के साथ पुनः मिलन हुआ था सत्व कामदेव की रितु बसंत दोस्तों बता दें की हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव को पूजा जाता है वसंत कामदेव भगवान का मित्र हैं इसीलिए कामदेव का धनुष फूलों से बना हुआ है इस धनुष की कमान सर्व विहीन होती है
    जिसका अर्थ है की जब कामदेव कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज़ नहीं आती है मित्रों कामदेव को आनंद भी कहा जाता है जिसका अर्थ है की बिना शरीर के ये प्राणियों में बसते हैं वहीं एक नाम मैन है यानी की ये इतने मारक हैं की इनके बाद का कोई कवच नहीं है इसीलिए वसंत रितु को प्रेम का रितु माना जाता रहा है आठवां यहां रहता है
    कामदेव का वास मुंढाल पुराण की माने तो कामदेव का वास युवान स्त्री सुंदर फूल गीत परगना या फूलों का रस पक्षियों की मीठी आवाज़ सुंदर बाग बगीचों वसंत रितु चंदन kamvasnaon में लिप्त मनुष्य की संगति छुपे हुए अंग सुहागनी और मंद हवा रहने के सुंदर स्थान आकर्षण वस्त्र और सुंदर गहने धारण किए शरीरों में रहता है
    इसके साथ ही कामदेव स्त्रियों के शरीर में भी वास करते हैं श्रीकृष्ण और कामदेव पौराणिक कथाओं की माने तो श्री हरि के आठवें अवतार श्री कृष्ण को भी कामदेव ने अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश की थी कामदेव ने प्रभु गोपाल से यह शर्त लगाई थी की वो उन्हें भी स्वर्ग की अप्सराओं से भी सुंदर गोपियों के प्रति आकर्षित कर देंगे नंदलाल ने कामदेव की सभी शर्त स्वीकार की
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    कामदेव मंत्र साइड इफेक्ट्स

    इस के मंत्रका गलत प्रयोग करने पर पराई पर करने से और उनके  से साथ भोग करने से आप के घर में ख़ुसरा पैदा हो सकता है इसका गलत  प्रयोग करने से व्यक्ति पागल हो सकता है इया आप किसी कोर्ट केस में भी फस  सकता है। इसका प्रभाव आप की संतान पर भी हो सकता है वो गलत काम में पड़ सकती है जिसे आपको समाज में शर्मिंदा होना पड़  सकता है । पति पत्नी में अनबन हो सकती है या तलाक हो सकता पूरा परिवार बिखर सकता है 

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  • okलक्ष्मी कुबेर मंत्र धन प्राप्ति lakshmi kuber mantra dhan prapti ph.85280 57364

    लक्ष्मी कुबेर मंत्र धन प्राप्ति lakshmi kuber mantra dhan prapti ph.85280 57364

     

    लक्ष्मी कुबेर मंत्र धन प्राप्ति lakshmi kuber mantra dhan prapti ph.85280 57364
    लक्ष्मी कुबेर मंत्र धन प्राप्ति lakshmi kuber mantra dhan prapti ph.85280 57364

     

    लक्ष्मी कुबेर मंत्र धन प्राप्ति lakshmi kuber mantra dhan prapti हिन्दू धर्म में धन को देवता माना गया है, और इसका सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है कुबेर देव. इनके तीन मंत्रों का जाप करने से जीवन में धन की वृद्धि होती है और दरिद्रता दूर होती है. इस लेख में, हम जानेंगे कुबेर के मंत्रों के महत्व को और इन्हें कैसे अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं.

     

    कैसे करें इस मंत्र जाप का जाप: दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके 108 बार इस मंत्र का जाप करें. जाप करते समय धनलक्ष्मी कौड़ी को अपने पास रखें. बेल के पेड़ के नीचे बैठकर इस मंत्र का 1 लाख बार जप करने से सभी आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं. तीन महीने तक लगातार इस मंत्र का जाप करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है.

    अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र

     

    कैसे करें इस मंत्र जाप का जाप: इस माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का मंत्र है. इस मंत्र का सच्चे मन से जप करने से जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और पद, प्रतिष्ठा, सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शुक्रवार की रात को इस मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना गया है.

    धन प्राप्ति हेतु कुबेर मंत्र

     

    कैसे करें इस मंत्र जाप का जाप: किसी भी पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सभी भौतिक सुख प्राप्त होते हैं. उसके जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है. धन प्राप्ति के लिए कुबेर देव के मंत्र का नियमित जाप करने वालों को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है.

    माध्यमिकता का रूप – धन और धरोहर

    हमारे जीवन में कुबेर मंत्रों का आत्मगत समर्पण करने से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि हमारे सार्वभौमिक स्तर पर भी एक सकारात्मक परिवर्तन होता है. ये मंत्र हमें आर्थिक सफलता की सीधी राह में मार्गदर्शन करते हैं, साथ ही हमें आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी प्रेरित करते हैं.

    सामाप्ति

    कुबेर मंत्रों का नियमित जाप करना हमें धन, समृद्धि, और आर्थिक स्थिति में सुधार प्रदान कर सकता है. इन मंत्रों के अद्भुत फलों को अनुभव करने के लिए इसे नियमितता से अपने जीवन में शामिल करें.

    5 अनूतित सामान्य प्रश्न (FAQs)

    1. क्या ये मंत्र सिर्फ धन के लिए ही हैं?
      • नहीं, इन मंत्रों का जाप करने से न केवल धन बढ़ता है, बल्कि आपका जीवन समृद्धि और सुख-शांति से भरा रहता है.
    2. क्या ये मंत्र वास्तविकता में कारगर हैं?
      • हाँ, अनेक लोगों ने इन मंत्रों के जाप से सकारात्मक परिणाम देखे हैं और इन्हें अपने जीवन के सफलता का एक अहम हिस्सा माना है.
    3. क्या ये मंत्र सभी के लिए हैं?
      • हाँ, कोई भी इन मंत्रों का जाप कर सकता है, चाहे वह युवा हो या बुजुर्ग.
    4. क्या हर मंत्र का अलग महत्व है?
      • हाँ, प्रत्येक मंत्र का विशिष्ट महत्व है और व्यक्ति को उसके लक्ष्य के अनुसार चयन करना चाहिए.
    5. क्या इन मंत्रों का नियमित जाप करने से सभी समस्याएं हो जाती हैं?
      • इन मंत्रों का नियमित जाप करने से व्यक्ति को अनेक समस्याएं दूर हो सकती ह

    Goga jaharveer sadhna प्राचीन नाथपंथ की गोगा जाहरवीर साधना ph. 8528057364

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    kuber sadhana कुबेर साधना धन और समृद्धि प्रपाती की साधना ph.85280 57364

     

    1. परिचय: kuber sadhana कुबेर साधना

    kuber sadhana कुबेर साधना धन और समृद्धि प्रपाती की साधना कुबेर वह हैं जिन्हें इस ब्रह्मांड  पर मौजूद सभी धन के  देवता कहा जाता है। उनकी पूजा और उपासना विशेषकर तेजी से धन प्राप्ति, लॉटरी के माध्यम से अनायासी धन की प्राप्ति, और समृद्धि के लिए की जाती है। यहां तक कि भगवान विष्णु भी मानते हैं कि कुबेर kuber अमित धन और समृद्धि की आधारशिला हैं।

    महान तांत्रिक रावण ने भी कुबेर kuber की सहायता ली थी जब उन्होंने सोने की नगरी, लंका, बनाने का इरादा किया था। वास्तव में, कुबेर थे जिनका लंका को स्वामित्व था, और उनकी शक्तियों से यह प्रशांत नगर बना था।

    3.kuber sadhana कुबेर साधना के लाभ: सफलता का स्रोत

     

    1. साधक को सामग्री सफलता और धन से आशीर्वाद मिलता है।

    2. ऐसे साधक की जीवन में अचानक धन प्राप्ति की संभावना में वृद्धि होती है।

    3. ऐसे व्यक्ति की धन और समृद्धि कभी भी घटता नहीं है, चाहे वह जितना भी खर्च करें।

     

    4. kuber sadhana कुबेर साधना साधना  विधि 

     

    कुबेर साधना के लिए कुबेर यंत्र, कमलगट्टा माला, और 108 लाल गुलाबों की आवश्यकता है। इस साधना को करने का सबसे शुभ दिन धन त्रयोदशी है, हालांकि इसे किसी भी अमावस्या रात या किसी भी रविवार को भी प्रयास किया जा सकता है।

    1. सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
    2. पीले रंग के कपड़े पहनें और उत्तर की ओर मुख करके पीले चटाई पर बैठें।
    3. एक लकड़ी की पट्टी लें और उसे भी ताजगी से पीले कपड़े से ढ़ंग से ढ़कें।
    4. गुरुदेव की तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें।
    5. तेल की दीपक और एक धूपबत्ती जलाएं।
    6. फिर क्रिस्टल माला के साथ एक दौरा गुरु मंत्र का जप करें और सफलता की कामना करें।
    7. अब एक प्लेट लें और उस पर चावल का ढेर बनाएं। कुबेर यंत्र को इसके ऊपर रखें और नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए एक गुलाब का फूल अर्पित करें।

    kuber sadhana mantra कुबेर साधना मंत्र 

     

    इस साधना से यह सुनिश्चित होता है कि कुबेर भगवान स्थायी रूप से आपके घर में रहते हैं। इस रीति को पूरे वर्ष के सभी महीनों के अमावस्या रात्रियों पर दोहराना सुनिश्चित करता है कि कोई भी कमी इस साधक के जीवन में नहीं बनी रह सकती है। यह साइकिल अगले धन त्रयोदशी को पूरा होती है।

    **ध्यान दें: साधना या किसी अन्य दीक्षा करने से पहले पूज्य गुरुदेव से गुरु दीक्षा प्राप्त करना अनिवार्य है। कृपया guru mantra sadhna ,  से ईमेल, व्हाट्सएप, फ़ोन या अनुरोध से संपर्क करें और पवित्रीकृत-ऊर्जा से समृद्धि और मंत्र-सिद्धि युक्त साधना सामग्री और आगे के मार्गदर्शन के लिए संपर्क करें।ph.85280 57364

    समापन: 

    कुबेर साधना एक उच्च प्रभावी और सीधे साधना है जो धन और समृद्धि की दिशा में अद्वितीय मार्ग प्रदान करती है। इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से मात्र, यह आपके जीवन को सुखमय और समृद्धिपूर्ण बना सकता है।

    FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

    Q1: क्या कुबेर साधना से वास्तविक में धन मिलता है?

    A1: हाँ, कुबेर साधना से साधक को वास्तविक और स्थायी धन की प्राप्ति हो सकती है।

    Q2: कौन-कौन से सामग्री आवश्यक हैं साधना के लिए?

    A2: साधना के लिए कुबेर यंत्र, कमलगट्टा माला, और गुलाबों की संख्या में १०८ आवश्यक हैं।

    Q3: साधना कब और कैसे करें?

    A3: सबसे शुभ दिन धन त्रयोदशी है, लेकिन इसे किसी भी अमावस्या रात या रविवार को भी किया जा सकता है। साधना को सुबह के समय करना आवश्यक है।

     

     

  • ok कामाख्या सिंदूर क्या है – क्या लाभ है – कैसे प्राप्त करे What is Kamakhya Sindoor – What are its benefits – How to get it ph.85280 57364

    कामाख्या सिंदूर क्या है – क्या लाभ है – कैसे प्राप्त करे What is Kamakhya Sindoor – What are its benefits – How to get it ph.85280 57364

     

     

    कामाख्या सिंदूर क्या है – क्या लाभ है – कैसे प्राप्त करे What is Kamakhya Sindoor – What are its benefits – How to get it ph.85280 57364 गुरु मंत्र साधना में आपका स्वागत है तो एक प्रश्न यह आया है कि आखिर कामाख्या सिंदूर होता क्या है। देखिए दोस्तों हिंदू धर्म में हर विवाहित स्त्री अपनी मांग में पवित्र सिंदूर लगाती है. ऐसा उसके सुहाग की रक्षा के लिए वह करती है।  (कामाख्या सिंदूर के फायदे ,कामिया सिंदूर कैसे प्राप्त करें ,कामिया सिंदूर कहां मिलेगा ,कामिया सिंदूर की कीमत, कामिया सिंदूर का मंत्र,)

    • कामाख्या सिंदूर के फायदे
    • कामिया सिंदूर कैसे प्राप्त करें
    • कामिया सिंदूर कहां मिलेगा
    • कामिया सिंदूर की कीमत
    • कामिया सिंदूर का मंत्र
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    कामिया सिंदूर कहां मिलेगा

    यह बड़ी ही प्राचीन मान्यता है कि स्त्री जब अपनी मांग सिंदूर से सुहांग  की उम्र बढ़ती है। तो उसके सुहाग की रक्षा होती है। मां कामाख्या देवी गुवाहाटी असम एक ऐसा शक्तिपीठ है जहां एक चमत्कारी सिंदूर प्राप्त होता है ,और इसी सिंदूर को कामाख्या सिंदूर कहा जाता है। 

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    कुछ लोग इसे कामया  सिंदूर भी कहते हैं ,तो कामाख्या सिंदूर देवी कामाख्या देवी का शुभ प्रसाद है। यह सिंदूर बहुत ही पवन बहुत ही पवित्र और बहुत ही चमत्कारी होता है। जो केवल और केवल कामाख्या मंदिर गुवाहाटी असम भारती असम में ही प्राप्त होता है। 

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    केवल जून के महीने में पूरे वर्ष में केवल एक बार ही मिलता है।  अब ऐसा क्यों होता है चलिए आगे जानते हैं।  विवाहित स्त्रियों के लिए देवी कामाख्या का सिंदूर बेहद खास होता है। तो यह सिंदूर कामरूप कामाख्या क्षेत्र में ही पाया जाता है। 

    दूसरी किसी और जगह पर यह नहीं मिलता है यहीं पर इसका निर्माण होता है यहीं पर यह बनता है और सबसे बड़ी बात आप इसे आसानी से प्राप्त नहीं कर सकते हैं क्योंकि इसकी प्रति विशेष तरीके से होती है और इसे सिद्ध करना होता है 

    कामाख्या सिंदूर के फायदे

    लेकिन इसे सिद्ध करने के बाद में विवाहित महिलाएं इसका इस्तेमाल अपनी समस्त मनोकामनाओं के लिए कर सकती है तो यह बड़ी ही प्राचीन परंपरा है बड़ी ही प्राचीन मान्यता है जो सदियों से चली आ रही है कि जो भी कोई कामाख्या सिंदूर का प्रयोग करता है उसे पर मां कामाख्या देवी की कृपा 

    मां कामाख्या देवी की कृपा हमेशा बनी रहती है इस सिंदूर का प्रयोग लोग वशीकरण के लिए करते हैं जादू टोना के लिए करते हैं गृह क्लेश को दूर करने के लिए इस सिंदूर का प्रयोग किया जाता है कारोबार में बाधा आने पर इसका प्रयोग किया जाता है विवाह या फिर प्रेम की समस्या हो या फिर किसी भी तरह की भूत प्रेत की बाधा या समस्या हो इन सारी समस्याओं को दूर करने के लिए कामाख्या सिंदूर का प्रयोग किया जाता है

    कामिया सिंदूर का मंत्र

    अभी इसका प्रयोग किया जाता है इस सिंदूर को चांदी की डब्बी में रखकर उपयोग से पहले हर बार मां कामाख्या के मंत्र का 108 बार जाप करके इसे अभिमंत्रित करने के बाद ही इसका उपयोग लेना चाहिए। 

     

    तभी यह प्रभावशाली होता है मंत्र आपको स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है यदि आप इस सिंदूर का प्रयोग करना चाहते हैं तो हर बार इस मंत्र का 108 बार जाप करके इसका प्रयोग सिंदूर का प्रयोग करना चाहते हैं तो हर बार इस मंत्र का 108 बार जाप करके इसका प्रयोग कीजिए 

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    यह बहुत ही शक्तिशाली हो जाता है वैसे कामाख्या सिंदूर ठोस रूप में प्राप्त होता है एक चट्टान के टुकड़े के रूप में प्राप्त होता है और आप इसे पीस कर  पाउडर बनाते हैं तो यह पाउडर के रूप में परिवर्तित हो जाता है और इसे पाउडर बनाकर ही आप इसका उपयोग कर सकता है 

     

    ठोस रूप कामाख्या सिंदूर के असली होने का प्रतीक है क्योंकि कोई भी व्यक्ति चट्टान में कुछ मिला नहीं सकता है तो यह सिंदूर मां कामाख्या के तीन दिवसीय उत्सव आयोजन के बाद भक्तों को वितरण किया जाता है कहता है कि जून के महीने में मां कामाख्या 3 दिनों के लिए राजसविला होती है

     

     राजसूला यानी कि पीरियड्स में होती है एमसी में होती है और इन तीन दिनों में माता का मंदिर माता के मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस मंदिर में माता की योनि भाग का ही पूजन होता है जी हां इसकी एक अलग कहानी है जिसे हम और किसी पोस्ट में आपको अलग से बिस्तार सहित बताएंगे तो इस मंदिर में माता की योनि भाग का पूजन होता है और इसी यानी भाग से तीन दिनों तक रक्तस्राव होता है जी हां सचमुच में ऐसा होता है यह कोई बनावटी बात नहीं है

     

    तो 3 दिन मंदिर बंद रहता है इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे अंबुबाची मेले के नाम से जाना जाता है इस मेले में लाखों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं लाखों की संख्या में लोग भाग लेते हैं और यही कारण है कि यह मेल पूरे विश्व में प्रसिद्ध है तीन दिनों के बाद जब मंदिर खुलता है तब आप माता के प्रसाद के स्वरूप यहां माता का कपड़ा प्राप्त कर सकते हैं जो की रक्त से भीगा हुआ होता है 

     

    सना हुआ होता है और इसके साथ ही आप इस कामाख्या सिंदूर को भी प्राप्त कर सकते हैं यह पूरी दुनिया के तांत्रिकों के लिए काला जादू करने वालों के लिए पंडितों के लिए एक बहुत ही चमत्कारी सिंदूर होता है और इसे प्राप्त करने के लिए यहां लाखों की संख्या में तांत्रिक काला जादू करने वाले लोग यहां आते हैं इस मेले में आते हैं 

     

    यह सिंदूर सचमुच चमत्कारी होता है जिस पुरुष अपने मस्तक पर तिलक के रूप में लगाते हैं तिलक के रूप में लगाने पर यह वशीकरण का कार्य भी करता है माता कामाख्या का यह सिंदूर कोई साधारण सिंदूर नहीं होता है और यह कई तरह से फायदा पहुंचता है 

     

    कामाख्या सिंदूर में एक अलग ही आकर्षण शक्ति होती है और इसीलिए यह आपके जीवन के सभी प्रकार के सुखों को धन को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है यदि आप कामाख्या सिंदूर का तिलक लगाते हैं यह व्यक्ति को आकर्षित मानता है

     

     दूसरे लोगों को आकर्षित करने की शक्ति उसमें पैदा हो जाती है और इससे आप अपने आपसी रिश्तों को सुलझा सकते हैं उलझे हुए रिश्तों को सुलझा सकता है दुश्मनों को शांत कर सकते हैं झगड़ों को दूर कर सकता है 

     

    जब आप इसे मां कामाख्या के मंत्र के द्वारा अभिमंत्रित कर लेते हैं और फिर उपयोग करते हैं तो यह और अधिक शक्तिशाली हो जाता है और आपकी इच्छा को पूरा करने लगता है 

     

    लेकिन अलग-अलग समस्याओं के लिए सिंदूर को अलग-अलग मित्रों से अभिमंत्रित करना होता है कामया सिंदूर अपनी अद्भुत जादुई शक्ति के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है

    लोग अपनी समस्याओं को हल करने के लिए व्यक्तिगत समस्याओं के लिए व्यवसायिक समस्याओं के लिए जीवन में सफलतापानी के लिए कामाख्या सिंदूर का प्रयोग करता है लेकिन एक बात का ध्यान रखिए कभी भी इस सिंदूर का प्रयोग वशीकरण करके किसी के बुरे करने के लिए मत कीजिएगा 

    ऐसा सोचिए गा भी मत क्योंकि ऐसा सोचने मात्र से ही आप स्वयं का अनिष्ट कर बैठेंगे जी हां कामाख्या सिंदूर का गलत प्रयोग सोचने मात्र से ही इसके विपरीत प्रभाव देखे गए हैं

    कामिया सिंदूर कैसे प्राप्त करें

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    वैसे कामाख्या सिंदूर मिलना कोई आसान कार्य नहीं है इसके लिए आपको कामाख्या माता के दरबार में हाजिरी लगानी होगी तीन दिनों तक आपको अंबुबाची मेले में जाना भी होगा मगर फिर भी आजकल कुछ लोग इसे कुछ लोग नहीं बल्कि बहुत सारे लोग इसे ऑनलाइन बेच रहे हैं कुछ लोग फेक सिंदूर नकली सिंदूर को कामाख्या सिंदूर के नाम से बेच रहे हैं

     

    लेकिन आपको चाहिए कि आप यदि ऑनलाइन बाजार से कामाख्या सिंदूर खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले जिन लोगों ने पहले खरीदा है उनके रिव्यूज जरूर से देखिए कि उनके अनुभव कैसे रहे हैं और यदि आप ऑनलाइन बाजार से यह सिंदूर खरीदना ही चाहते हैं  तो हम से संपर्क करे

  • ok श्री विद्या क्या है – क्या लाभ है – श्री विद्या दीक्षा रहस्य What is Sri Vidya – What are the benefits – Sri Vidya Diksha ph. 85280 57364

    श्री विद्या क्या है – क्या लाभ है – श्री विद्या दीक्षा रहस्य What is Sri Vidya – What are the benefits – Sri Vidya Diksha Rahasya ph. 85280 57364

     

    श्री विद्या क्या है -क्या लाभ है – श्री विद्या दीक्षा रहस्य श्री विद्या shree vidya भोग कैसे देती है  है उनकी व्याख्या कहीं भी आपको नहीं मिलेगी आप गूगल के ऊपर जाइए गूगल के ऊपर आप सिर्फ इतना टाइप कीजिए जहां-जहां आपको श्री विद्या shree vidya के इनफार्मेशन मिलेगी वहां-वह आपको एक ही चीज मिलेगी श्री विद्या shree vidya भोग और सुख्य देती है परंतु आपको कोई भी एक्सप्लेन नहीं कर सकेगा किसी श्री विद्या shree vidya भोग कैसे देती है श्री विद्या shree vidya मोक्ष कैसे देती है  ( श्री विद्या shree vidya दीक्षा , श्री विद्या shree vidya साधना के लाभ,श्री विद्या shree vidya का बीज मंत्र ,श्री विद्या shree vidya स्तोत्र, श्री विद्या shree vidya मंत्र,श्री विद्या shree vidya क्या है)

    दूसरी बात श्री विद्या shree vidya जब यह शब्द सामने आता है तब लोगों के सामने श्री यंत्र आता है ललिता त्रिपुर सुंदरी का फोटो आता है और पंचदर्शी का मंत्र आता है अब मुझे आप बताइए मित्रों की अगर श्री  यंत्र घर में रखने से यंत्र अगर घर में कोई रख देता है या 5 10 ऐसे श्री यंत्र घर में कोई रख देता है तो क्या देवी ऊपर से आकर आपको श्री विद्या shree vidya नॉलेज दे देंगे नहीं हो सकता

    मित्रों काफी लोगों के पास पंचदर्शी का मंत्र है आप गूगल के ऊपर डाल दीजिए आपको ऐसे ही पंचदर्शी का मंत्र मिल जाएगा किसी के  जाने की भी जरूरत नहीं है परंतु ऐसा मंत्र लेकर और उसका जाप करके क्या देवी सच में आपके सामने प्रकट होकर

    वह श्री विद्या shree vidya का नॉलेज देगी क्या नहीं दे सकती श्री विद्या shree vidya एक ऐसा शब्द है वर्ल्ड में की इसके पीछे इसके आकर्षण में हजारों लोगों ने लाखों रुपए खर्च किए हैं पैसा बर्बाद किए हैं कुछ लोगों ने तो टिकट लगाए हैं  टिकट लगाए हैं 25000 50000 के श्री  विद्या की दीक्षा लेने के लिए और आगे के लाइन में बैठ जाते हैं आधा दिन भजन करते हैं और आधा दिन मेडिटेशन करते हैं

    मित्रों श्री विद्या shree vidya का मेडिटेशन कैसे करना होता है इसका भी नॉलेज नहीं है श्री विद्या shree vidya भोग कैसे देते हैं इसका भी ज्ञान नहीं और मोक्ष कैसे देती इसका भी ध्यान नहीं है तो यह श्री विद्या shree vidya है क्या काफी लोगों के मन में इंप्लांट किया जाता है कि श्री विद्या shree vidya की जो परंपरा है वह दत्तात्रेय जी ने श्री विद्या shree vidya र्थी की है परशुराम जी ने श्री विद्या shree vidyaर्थी की है कुबेर सूर्य मनु इन्होंने श्री विद्या shree vidya की है अगस्त की मुनि लोप मुद्रा ने श्री विद्या shree vidya की है

    परंतु मित्रों एक साइड आप देखते हैं कि  इन्होंने श्री विद्या shree vidya की है परंतु दत्तात्रेय जी ने श्री विद्या shree vidya कहां से ली कौन से प्रकार से लिया उन्होंने कितनी उम्र अपनी कितने जीवन की आयु अपने गुरु के पास  में निकाली  वह सीखने के लिए परशुराम जी किस  माहौल से आए थे उनके पास क्या था और कब जाकर उन्होंने  श्री विद्या shree vidya धारण की किसी को भी पता नहीं है। यह सब गुरु के मार्गदर्शन से प्राप्त होगी। 

     

    श्री विद्या shree vidya क्या है  विस्तार सहित What is Shri Vidya with details

    हम आपको बताएंगे किसी विद्या साधना क्या है या श्री विद्या shree vidya क्या है और यह साधना करने समय क्या तंत्र विद्या का हिंदू संप्रदाय ललिता सहस्रनाम में उनके एक सहस्रनामों के वर्णन है ललिता सहस्रनाम में श्री विद्या shree vidya के संकल्पनाओं का वर्णन है श्री विद्या shree vidya संप्रदाय आत्मा अनुभूति के साथ-साथ भौतिक समिति को भी जीवन के लक्ष्य के रूप में स्वीकार करता है 

    श्री विद्या shree vidya के भैरव है अनंत नाम और अनंत रूप है और इनका परम रूप एक तथा अभिन्न है त्रिपुरा उपासकों के मत अनुसार ब्रह्म यदि देवगन त्रिपुरा के उपासक है और उनके परम रूप इंद्रियों तथा मां के अगोचर है एक मात्र मुक्त पुरुष इनका रहस्य समझ पाते हैं 

    यह पूर्ण अंतर रूप तथा सूर्य है देवी का परम रूप वासना आत्मक है सूक्ष्म रूप मंत्रा आत्मक है और स्थूल रूप कर चरण आदि विशिष्ट श्री विद्या shree vidya की उपासकों में प्रथम स्थान काम का है मनमत का है यह देवी वह विद्या प्रवर्तक होने के कारण विशेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है और देवी के 12 मुख और नाम प्रसिद्ध है 

    श्री विद्या shree vidya साधना के लाभ और हमारे जीवन में क्या महत्त्व है Benefits of Sri Vidya and what is its importance in our life

    श्री विद्या shree vidya की साधना से अपने अधिकार के अनुसार पृथक फल प्राप्त किया है श्री विद्या shree vidya साधना व एकमात्र सर्वोच्च साधना है जो अपने उपासक को समस्त भौतिक सुख और भोग प्रदान करते हुए धर्म अर्थ काम और मोक्ष से परिपूर्ण करती है यही इसका लाभ है 

    विद्या की चारों शक्तियों को साधना हुआ धर्म अर्थ काम और मोक्ष को प्राप्त करता है ,तो बेसिकली श्री विद्या shree vidya मनुष्य के जीवन में संतुलन स्थापित करती है।  सृष्टि के प्रारंभ कल से ही श्री विद्या shree vidya साधना जीवन के प्रत्येक क्षेत्र जैसे कि धन्य धन विद्या बुद्धि यश कीर्ति रोजगार संतान साधना सिद्धि और समस्त भोग और मोक्ष की प्राप्ति में साधक को पूर्ण सफलता प्रदान करता है। 

    यह साधना व्यक्ति के बुद्धि विकास में सहायक है प्रत्येक युग में श्री विद्या shree vidya की साधना ही शक्ति के प्रत्येक युग में श्री विद्या shree vidya की साधना ही शक्ति के समस्त रूपों में बुद्धि शक्ति सफलता दैविक भौतिक और आर्थिक समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति का साधन रही है 

    आर्थिक समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति का साधन रही है मनुष्य के जीवन में सुख और दुख का चक्र तो चलता रहता है लेकिन अंतर यह है किसी विद्या के साधक़  की आत्मा वह मन मस्तिष इतने शक्तिशाली हो जाते हैं  कि ऐसे कर्म ही नहीं करता कि उसे दुख उठाना पड़े किंतु फिर भी यदि पूर्व जन्म के संस्कारों कर्मों के परिणाम स्वरुप जीवन में कोई दुख संघर्ष का समय आता है तो साधक उन सभी विपरीत परिस्थितियों से आसानी से मुक्त हो जाता है वह अपने दुखों को नष्ट करने में सक्षम  हो जाता है 

    श्री विद्या  दीक्षा – अत्यंत आवश्यक है क्यों है  और बिना दीक्षा साधना के नुकसान Shri Vidya Diksha – why is it very important and the disadvantages of doing sadhna without initiation

     

    सर्व  श्रेष्ठ उन्नति प्राप्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ साधन है किंतु विधिवत दीक्षा लिए बिना इस साधना को कदापि नहीं करना चाहिए अन्यथा साधना को प्रारंभ में मानसिक विक्षिप्त तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है 

    तथा बहुत समय बीतने पर अल्प लाभ ही मिल पाता है बिना गुरु के मार्गदर्शन के श्री विद्या shree vidya साधना खाते नहीं करना चाहिए नहीं तो इसके फिर दुष्परिणाम हो जाते हैं श्रेष्ठ गुरु के मार्गदर्शन में विधवत  दीक्षा लेकर की गई श्री विद्या shree vidya साधना बिना किसी दुष्प्रमण के मंत्र 3 से 5 दिन बाद से अपना प्रभाव देना शुरू कर देती हैऔर आप 41 दिन में आप पूर्ण तरह से इसका जो परिपक्व परिणाम होता है वह आपको हासिल हो जाएगा और फिर यह परम कल्याणकारी उपासना करना मानव के लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है