भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना bhairav pratyaksh darshan sadhana ph.85280 57364
भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना bhairav pratyaksh darshan sadhana
भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना bhairav pratyaksh darshan sadhana भैरव साधना भैरव तंत्र के प्रमुख देवता हैं ये शिव के स्वरूप हैं तथा अमित शक्ति के भण्डार भी हैं। काल भैरव, बाल भैरव (वटुक भैरव) श्मशान भैरव, स्वर्ण भैरव आदि अनेक रूप हैं इनके । सात्विक, राजस और तामस रूप मे इनकी विभिन्न प्रयोजनों से इनकी साधना की जाती है।
भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना
भैरव को बुलाने का मंत्र
bhairav pratyaksh darshan sadhana
प्राचीन भैरव मंत्र
भैरव साधना के लाभ
कलियुग सर्वाधिक प्रतिष्ठित देव हैं तथा शंकर के अंश होने के कारण शीघ्र प्रसन्न होने वाले भी हैं। माना भैरव शान्त स्वरूप भी हैं, किन्तु उनकी स्वाभाविक रूप राशि भी इतनी उम्र रहती है कि सामान्य साहस जवाब दे जाता है।
सिंह कितना भी सोम्य हो, विकराल सर्प कुछ भी न कहे किन्तु उनका सौन्दर्य इतना उत्कट होता है कि भय जनक बन जाता है और जब तक उससे निकटस्थता न हो भय बना ही रहता है।
मेरा अपना विचार है कि ” धनदा रति प्रिया यक्षिणी” या ‘कर्ण “पिशाचिनी’ जैसे प्रयोगों को अपेक्षा भैरव का प्रयोग किया जाए तो वह अधिक अच्छा रहता है । यक्षिणी या पिशाचिनी के प्रयोग आखिर अपने गुण और प्रभाव से प्रभावित करते हो हैं ।
कर्णं पिशाचिनी वालों को मैंने देखा है, उनका बुढ़ापा पहलवान के बुढ़ापे जितना कष्ट कर हो जाता है। वे अपनी व्यथा को खुद ही भोगते रहते हैं । वैसे भी कर्ण पिशाचिनी से भूत और वर्तमान की बता कर लोगो को चमत्कृत करने और पैसा पैदा करने के सिवा कुछ नहीं किया जाता।
यह दूसरी बात है कि कोई अत्यन्त समझदार व्यक्ति उसका दूसरा हितकर और स्थायी प्रयोग कर ले।’ भैरव की साधना घर मे नहीं करनी चाहिए। यद्यपि घर में साधना करने में कोई तात्त्विक बाधा नहीं है । एकान्त कमरे में की जा सकती है।
फिर भी एतियात के तौर पर किसी एकान्त स्थान में करना उचित रहता है। वाकला भैरव का प्रिय भोजन है बाक्ला उबले हुए चोले को कहते हैं । अगर उनका रूप अधिक भयावह लगे तो उनको नैवेद्य माल्य अर्पित करके ।
‘शान्ताकारं भुजगशयनं … इस मंत्र से प्रार्थना कर ले । मन में यह विश्वास रखे कि भगवान भैरव भक्त रक्षक हैं, वे सदा अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। तंत्र में ऐसे प्रयोग हैं जो बड़े सरल हैं और जिनसे अनेक कष्ट सिद्ध किए जा सकते हैं ।
bhairav sadhana vidhi भैरव साधना विधि
– गाय के गोबर से तिकोना चौका (लीप कर) देकर दक्षिण के तरफ मुख करके बैठे । काल रात्रि (वर्ष में तीन काल रात्रियों मानी जाती हैं जिन में शिव रात्रि, प्रमुख है) मे अथवा जिस दिन सूर्य ग्रहण हो उस रात्रि में यह प्रयोग करना चाहिए। एक ही आसन पर अविचल उक्त मंत्र का एक हजार जप करे।
पूजा सामग्री में लाल कनेर के फूल, सिन्दूर, लड्डू और लोंग का जोड़ा रखे। चार मुख का दीपक (बड़े दीपक में चारों ओर जलती हुई चार बत्तियों वाला दीपक) जलाये । दीपक में तिल्ली ( या सरसों) का तेल जलाया जाय। फूलों का गजरा पास मे रखे ।
एक हजार जप करने के बाद तिल और चीनी व घी मिलाकर इसी मंत्र से एक सौ आहुति देकर हवन करे । हवन करते समय या समाप्ति पर भैरव प्रकट हों तो निर्भीक भाव से फूलों की माला उनके गले में पहना दें नैवेद्य अर्पित कर दे । साष्टांग उनको प्रसन्न करे फिर जो कुछ भी उससे मांगे वही मिलेगा ।
इच्छा पूर्ति गणेश मंत्र – गणेश जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र ph.85280 57364
इच्छा पूर्ति गणेश मंत्र – गणेश जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र
इच्छा पूर्ति गणेश मंत्र ganesh icchapurti mantra ओम नमः शिवाय दोस्तों गुरु मंत्र साधना में आपका हार्दिक स्वागत है दोस्तों कोई भी ऐसा हम कार्य करते हैं जो शुभ कार्य हो किसी की शादी हो पूजा हो पाठ हो कोई साधना हो चाहे कोई भी ऐसा शुभ कार्यऔ में गणेश का वंदन करते हैं। भगवान गणेश का नाम लेते हैं हर कार्य में भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। ताकि उसे कार्य में आने वाले विघ्न को भगवान गणेश हर सके इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है।
भगवान गणेश का जो नाम है वह चाहे पंडित हो चाहे वह तांत्रिक हो चाहे वह अघोरी हो चाहे ,वह सात्विक साधना कर रहा हो, चाहे वह तांत्रिक साधना कर रहा हो बिना गुरु और बिना गणेश पूजन के कोई भी साधना कोई भी साधना पूर्ण नहीं होती।
भगवान गणेश का आवाहन भगवान गणेश का पूजन करना ही पड़ता है ,और आज मैं आपके सामने ऐसा मंत्र लेकर आया हूं। भगवान गणेश की साधना बहुत ही दुर्लभ साधना है बहुत अच्छी साधना है और ब्रह्मांड का सबसे उच्चतम मंत्र ,जो मैं आज आपको बताने वाला हूं। भगवान गणेश का को सबको पता ही है कि भगवान गणेश जो है वह भगवान भोलेनाथ के पुत्र हैं। उनके बेटे हैं माता पार्वती के अपटन से पैदा हुए और प्रथम में पूज्य देव है सबसे पहले सबसे प्रथम जो है।
वह भगवान गणेश की पूजा होती है। उसके बाद किसी और देवता की पूजा की जाती है। कोई भी साधना के समय हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान गणेश के वह समस्त विघ्नो को हमारे हर सकें और हमारी जो साधना हमारी जो सेवा है हमारे जो शुभ कार्य है। वह पूर्ण हो भगवान गणेश की जो हम साधना करते हैं तो माता लक्ष्मी का आशीर्वाद माता लक्ष्मी का आगमन पूजा करते हैं।
तो उसे घर में माता लक्ष्मी के साथ महालक्ष्मी भी विराजमान रहती हैं। और साथ ही जो रिद्धि सिद्धि हैं जो कि भगवान गणेश की पत्नियों हैं, भगवान गणेश की आज्ञा के बिना उसे घर में प्रवेश नहीं करती। जिस घर में भगवान गणेश का नाम ले जाता जो साधक जो सेवक जो पूजा पाठ है साधना करते हैं ,भगवान रिद्धि सिद्धि स्वयं स्थापित हो जाती है और साधक की हर इच्छा पुरी होती है ।
समस्त सिद्धियां प्रदान होती है और बुद्धि के देवता कहे जाने वाले भगवान गणेश बल बुद्धि को अगर पितरों को प्रसन्न करना हो तो सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गणेश पाठ किया जाता है। और सूर्य को अर्घ दिया जाता है। जिससे कि भगवान गणेश की चालीसा और सूर्य को अर्घ देने से हमारे पितर हैं वह प्रसन्न होते हैं।
जितने भी हमारे पितर दोष हैं, वह सभी पितर दोष जो है वह समाप्त होते हैं। भगवान गणेश के बारे में जितनी महिमा का गुणगान किया जाए उतना कम है। जिन्हें बेसन के लड्डू प्रिय हैं तो आज मैं आपको भगवान गणेश की साधना के बारे में बताने जा रहा हूं कि किस तरीके से आप भगवान गणेश की साधना करके आप हर एक इच्छा जीवन पूरी कर सकते हो सुख में जीवन व्यतीत कर सकते हो साथ साथ में अपने घर में दुकान में नौकरी में साथ साथ में आपके घर में जो बिगड़े हुए काम है, वह आपके बन सकते हैं।
इच्छा पूर्ति गणेश मंत्र – गणेश जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र
इच्छा पूर्ति गणेश मंत्र – गणेश जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र यह शाबर मंत्र हर अच्छा को करेगा पूरी ph
इच्छा पूर्ति गणेश मंत्र – गणेश जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र साधना विधि
गणपति मन्त्र सामग्री – जलपात्र, लाल पुष्प, गणपति की मूर्ति या चित्र, सुगन्धित अगरबत्ती, शुद्ध घृत का दीपक । माला – मूंगे की या लाल रक्त चन्दन की माला । समय- दिन का कोई भी समय | आसन – लाल रंग का सूती या ऊनी आसन दिशा- पूर्व । साधक पूर्व की तरह मुंह करके बैठे। जपसंख्या – सवा लाख । अवधि- पाँच, ग्यारह या इक्कीस दिन । गणेश के 12 नामो का जप करें
साधक किसी भी बुधवार से यह साधना प्रारम्भ कर सकता है। यह प्रयोग जीवन में कल्याण-कामना के लिए किया जाता है। घर में विवाह कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न हो जाये, घर में सुख-शान्ति बनी रहे या किसी कार्य में विघ्न न आवे, इसके लिए यह प्रयोग किया जाता है।
बुधवार के दिन प्रातः स्नान कर सामने गणपति की मूर्ति या चित्र स्थापित कर उसका सामान्य पूजन करें और इसके बाद मन्त्र का जप प्रारम्भ कर दें। जितने दिन में यह साधना सम्पन्न करनी हो, उसी अनुपात में नित्य- मन्त्र जप सम्पन्न करें।
साधना समाप्त होने पर किसी ब्राह्मण-पुत्र या कुंवारी कन्या को भोजन कराकर उसे दक्षिणा, वस्त्र आदि भेंटस्वरूप प्रदान करें और गणपति का विग्रह या मूर्ति अपने पूजा-स्थान में या घर में स्थापित कर दें। ऐसा करने पर निकट भविष्य में होने वाला कोई विघ्न उपस्थित नहीं होता ।
riddhi siddhi shabar mantra रिद्धि सिद्धि शाबर मंत्र साधना भगवन गणपति की प्राचीन साधना ph.85280 57364
riddhi siddhi shabar mantra रिद्धि सिद्धि शाबर मंत्र साधना भगवन गणपति की प्राचीन साधना ऋद्धि सिद्धि ये दो बहने हैं। ये जहां भी जाती हैं, एक साथ जाती हैं।भोज-भंडारा सबको खिलाने से पहले, पांच बूंदी के लड्डू निकालकर, उन परकामिया सिंदूर लगाएं। श्री गणपति का पूजन करें। एक कलश में एक लड्डू रखकर कुएं पर जाकर जल भरें और मंत्र पढ़कर चारों लड्डू कुएं में छोड़ दें। फिर ‘कलश स्थापन’ कर, उपर्युक्त मंत्र को एक हजार बार जपकर ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं, तो भंडार में अन्न न घटे।
नीम करोली बाबा और रामदास कथा Neem Karoli Baba and Ramdas Katha
नीम करोली बाबा और रामदास कथा Neem Karoli Baba and Ramdas Katha मैं शायद, मेरा ख्याल है मैं बस उस व्यक्ति का एक वीडियो देख रहा था जिन्हें अमेरिका में आज रामदास के नाम से जाना जाता है वो अपने आप में 70 के दशक में एक कारनामा बन गए धे। वो 70 का दशक था, 60 या 70 मझे लगता है 60 के दशक में तो वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के उन प्रोफेसरों में से एक थे जो एल एस डी पर बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रहे थे।
यहाँ तक की वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एल एस डी बना भी रहे थे। उनका सोचना था कि यही निर्वाण का रास्ता है। ये तब की बात है जब कैलिफ़ोर्निया बड़े जोर शोर से प्रचार कर रहा था भारत में इसमें 12 साल लगते हैं। यहाँ ये तुरंत होता है। रामदास भारत भी आए।
और अपनी एल एस डी का कोटा लेकर आये। वो अब धुरंदर हो चुके हैं। वो 2- 3 एल एस डी निगल जाते हैं एक ही दिन में। तो वो नीम करोली बाबा के पास आए जो एक दिव्यदर्शी हैं और अपार सिद्धियों वाले एक तांत्रिक हैं।
और मैं चाहता हूँ आप अच्छे से समझ लें कि एक तांत्रिक कौन होता है। वो आदमी जिसके पास सिद्धियाँ होती हैं वो एक तांत्रिक होता है। जिसके पास कोई सिद्धि नहीं होती जिसके पास बस किताबी ज्ञान है वो तांत्रिक नहीं है ना ही वो किसी भी तरह से एक गुरु है।
न ही वो किसी भी तरह से एक गुरु बनने योग्य है। तो नीम करोली बाबा एक तांत्रिक हैं। वो भारी भरकम आदमी हैं। वो उपासक हैं हनुमान के। वो नीम करोली बाबा के पास आए और बोले मेरे पास थोडा सा स्वर्ग का असली माल है।
आप इसको लीजिये और वो सब कुछ जो जानने लायक है खुल जाएगा। आपको इसके बारे में कुछ पता है? नीम करोली बाबा बोले क्या है वो दिखाओ मुझे। तो उसने उन्हें इतनी सी दे दीं। वो बोले तुम्हारे पास कितनी हैं दिखाओ मुझे।
उसके पास इतनी थीं जो कि कई दिनों या महीनों तक रामदास के लिए चल जातीं। वो बोले लाओ ये मुझे दो। तो उसने उन्हें पूरी मुट्ठी भर के सारी एल एस डी दे दीं उन्होंने सारी मू में डाल लीं और निगल गए। और बस वहीं बैठे रहे और जो कर रहे थे करते रहे।
रामदास वहां बैठे-बैठे ये उम्मीद कर रहे थे कि इस आदमी में विस्फोट होने वाला है और ये मरने वाले हैं। पर बन्दे में एल एस डी का एक लक्षण तक दिखाई नहीं दिया। वो बस अपना काम करते रहे बस रामदास को ये दिखाने के लिए कि तुम अपना जीवन इन बकवास चीज़ों में बर्बाद कर रहे हो।
ये फालतू चीज़ें तुम्हें कहीं पार लेकर जाने वाला। तो रामदास के लिए उनके प्रेम के कारण या रामदास की खुद की अपनी लगन और ग्रहण करने की इच्छा के कारण निश्चित ही एक आयाम उनमें उतर गया। क्योंकि रामदास अपनी ख़ुद की क्षमताओं के कारण रामदास नहीं बने।
रामदास अपनी साधना से रामदास नहीं बने। रामदास रामदास बन पाए सिर्फ़ इसलिए कि उन्होंने अपने जीवन में एक समझदारी का काम किया कि वो नीम करोली बाबा जैसे व्यक्ति के साथ बैठे और उनके एक ख़ास पहलू को आत्मसात किया। और नीम करोली बाबा कई खिड़कियां खोलना चाहते थे। तो उन्होंने एक खिड़की बनाकर उन्हें अमेरिका भेज दिया।
शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना – शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna ph.85280 57364
शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना – शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna
शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना – शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna शत्रु शमन जीवन में शत्रु तंग न करे, अब चाहे वह शरीरी हो या अशरीरी अर्थात अगर कोई पीड़ा देता है, तो वह शांत हो जाए, इसके लिए शाबर मंत्रों के क्षेत्र में एक विलक्षण प्रयोग है, जिसको संपन्न करते-करते शत्रु अपनी शत्रुता को भूल स्वयं ही संमुख उपस्थित होता है।
इस प्रयोग को संपन्न करने के इच्छुक साधक या साधिका को चाहिए कि वह एक नीबू प्राप्त कर प्रयोग के दिन अपने सामने रखे तथा काली धोती पहनकर उत्तर दिशा की ओर मुख कर तेल का एक बड़ा-सा मिट्टी का दीपक जलाकर निम्न मंत्र का 1008 जप करे।
यह रात्रिकालीन साधना है तथा इसमें किसी विशेष विधि-विधान की _आवश्यकता नहीं है। यह केवल तीन दिवसीय साधना है। मंत्र इस प्रकार ।
श्री कृष्ण साधना प्रत्यक्ष दर्शन साधना shree krishna sadhna ph.8528057364
श्री कृष्ण साधना प्रत्यक्ष दर्शन साधना shree krishna sadhna ph.8528057364
श्री कृष्ण साधना प्रत्यक्ष दर्शन साधना shree krishna sadhna ph.8528057364 श्रीकृष्ण साधना की जितने भी कृष्ण भक्त हैं या भगवान विष्णु के भक्त हैं अपने जीवन को कृष्ण में करते हुए मुक्ति को प्राप्त हो जाए उनके लिए साधना बहुत ही उपयोगी है पूछते हैं कि हम भगवान कृष्ण में बहुत श्रद्धा रखते हैं कुछ लोग हैं जो कहते हैं हम भगवान विष्णु में बहुत श्रद्धा रखते हैं दोनों एक ही है रखते हैं और एकादशी का व्रत भी रखते हैं तो ऐसी कोई साधना बताइए जिससे कि हम कर रहे हैं उससे कुछ अच्छा हमें अनुभव हो साथ में तपस्या करें
यह तपस्या के जैसे ही काम करेगा भगवान श्री कृष्ण की जोड़ी साधना है जिसमें 11 दिन यह साधना है जिसमें जैसा कि आप पूरे श्रद्धा भाव से नवरात्रि में जैसे आपने पूजन किया होगा वैसे ही 11 दिन की साधना है जिसमें 11 दिन तक आप भगवान कृष्ण के मंत्र का जप करेंगे और 11 दिन के बाद जो 11 दिन पूर्णाहुति होगी उसके बाद आपको यह योग्यता प्राप्त हो जाएगी कि आप इनके मंत्र को अगर जब करेंगे
आगे यह मंत्र जप के प्रभाव नजर आएंगे आपको यानी कि अनुभव होना शुरू हो जाएंगे कृष्ण जी साधना में यह लेना कि प्रभु मैं आपकी साधना तो शुरू कर रहा हूं लेकिन दर्शन आप तभी देना चाहे आप सपने में दर्शन आप तभी देना जब आप मुझे अपने लोक में ले जाने के लिए राजी हो मृत्यु के बाद आप मुझे मुक्ति देने के लिए राजी हो तभी आप मुझे दर्शन देना स्वीकार कर लेंगे
आपकी इस प्रार्थना को जैसे 11 दिन की आपने साधना करी तो हो सकता है बहुत से लोगों को 11 दिन में ही प्रभु के दर्शन हो स्वप्न में हो या फिर ऐसा हो सकता है कि 11 दिन की साधना के बाद भी जब प्रतिदिन एक माला पांच माला उस मंत्र के जिससे आप साधना करेंगे उसको चालू रखेंगे
तो कुछ समय के बाद आपको भगवान के दर्शन हो यह दर्शन होते ही हैं लेकिन क्योंकि आप पहले ही अपनी मनोकामना बता देंगे कि प्रभु दर्शन तब देना जब आपको मुक्ति स्वीकार हो क्या आप मुझे मुक्ति देने के लिए तैयार हैं आप मुझे स्वीकार करते हैं अपने लोक में लेकर जाएंगे आप मुझे नरक यात्रा नहीं देखने देंगे जब आपको यह मेरी मनोकामना स्वीकार हो पूरी कर सकते हैं
यह वर मुझे दे सके तभी आप मुझे दर्शन देना चाहे आप जैसा देना चाहे सपने में देना चाहे साक्षात देना चाहे जहां जिस रूप में आप दर्शन देना चाहे आप मुझे दर्शन देना जब आपको यह मेरी जो मनोकामना है यह स्वीकार हो
आप मुझे मुक्ति प्रदान करेंगे और अपने लोक में लेकर जाएंगे साधना करें जो लोग हैं जो कृष्ण भगवान को मानते हैं जो वृंदा वृंदावन जगन्नाथ पुरी और द्वारकाधीश जो कृष्ण भगवान के स्थानों पर जाते हैं और चाहते हैं कि उन्हें मुक्ति प्राप्त हो तो बस यूं ही उनका नाम लेने की वजह आप यह साधना करें
उसके बाद आप कोई अनुमति प्राप्त हो जाएगी कि आप जिस मंत्र से साधना करेंगे पूरे जीवन आप उसको कभी भी कहीं भी घूमते फिरते बिना नागे
अब जब करते हैं तो उसकी गिनती होगी वह आपके भाग्य से जुड़ता जाएगा और आपकी जीवात्मा शक्तिशाली होती जाएगी
उसका फायदा है साधना का बिना साधना के सिर्फ जप करने से कुछ नहीं होता ना कोई फल मिलता है ना कुछ बस श्रद्धा से आप जब तेरे पवित्रता बनी रहेगी मन को शांति मिलेगी
लेकिन उसकी गिनती नहीं होती है गिनती तब होती है जब आप किसी भी मंत्र को सही नियम के अनुसार साधना के रूप में करें तो आप इस साधना को किसी भी एकादशी से शुरू करें 11 दिन के लिए 11 दिन आप जप करें हो सके
तो प्रतिदिन जप के बाद हवन करें जप संख्या जो रहेगी वह पांच माला कम से कम 11 माला 21 माला आप अपनी स्वेच्छा से चुन सकते हैं कि आप कितनी जब करना चाहते हैं जरूरी नहीं है कि इसमें कौन माला की जाए आप अपनी स्वेच्छा से कर सकते हैं उसके बाद हम रात्रि बजे से आपने 8:09 बजे जब शुरू किया और 10:00 बजे तक 11:30 बजे तक 10:30 बजे तक हो गया आधे घंटे में उसके बाद आप छोटा सा हवन कर सकते हैं
जिसमें हूं कि आप इसी जो मंत्र के अब जब करेंगे उसी करनी होगी जो कि मात्र एक माला क्या होती रहेगी एक माला की बस आप हवन कर देना इसमें ज्यादा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जब आप हमेशा करते रहेंगे भोजन करा सकते हैं बहुत अच्छी बात है या फिर किसी मंदिर में भी सीधे आप दान दे सकते हैं
ऐसा करने के बाद आप दिन रात घूमते फिरते चलते-फिरते कभी भी भगवान कृष्ण का जिसमें मंत्र से आप साधना करते हैं उसे कर सकते हैं और आपको उसे नसीब शांति मिलेगी बल्कि आपको मुक्ति भी प्राप्त हो सकती है
इस साधना को करने से यह जो मंत्र है जब उसका आपकी जब की अनुमति मिल जाएगी और पूरे जीवन आप इसको जपते रहेंगे तो आपकी मुक्ति जो है वह निश्चित है
आपको भगवान विष्णु के लोक में स्थान अवश्य मिलेगा क्योंकि भगवान कृष्ण का क्या स्थान है विष्णु लोग क्योंकि भगवान विष्णु के अवतार हैं तो भगवान विष्णु ने जहां भगवान कृष्ण आपको लेकर जाएंगे वही आपकी स्थिति होगी जिन्हें जिन्होंने अभी यह बताया कि उन्हें भगवान के दर्शन वह तो हम नहीं बताएंगे
लेकिन हाथ दर्शन हुए बहुत सारे साधकों को स्वप्न में दर्शन भी दर्शन ही होते हैं उसे आप भ्रांति ना समझना स्वप्न में दर्शन होना भी बड़ी बात होती है क्योंकि यूं ही आप जीते रही आपको कभी दर्शन नहीं होंगे लेकिन साधना के समय किसी विशेष क्रिया के समय अगर आपको दर्शन होते हैं तो
वह दर्शन ही होते हैं जो शक्ति अपनी इच्छा से देती है तो बहुत सारी लोगों ने बताया कि उन्हें साक्षात दर्शन हुए सपने में प्रभु के बहुत भाग्यशाली हैं लेकिन ऐसा किया जाए कि ऐसी मनोकामना के साथ करें कि हमें मुक्ति देने के लिए राजी हो प्रभु तभी आप हमें दर्शन देना तो ऐसी मनोकामना के साथ संकल्प लेकर
आपको करते हैं 11 दिन की तो उसके बाद से आपके जीवन में आना शुरू हो जाएगी एक बात ध्यान रखना पत्नी का दुख बच्चों का दुख परिवार का दुख यह सब भूल जाना जब साधना करते हैं एक बात निश्चित समझकर ही करना चाहिए क्या आप के ऊपर जिम्मेदारी जरूर होती है इन लोगों को सुखी रखने की पहुंचाने की लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अपने जीवन को समापत ही करलो
भगवान कृष्ण का साथ होता है तो धीरे-धीरे होने लगती है एक बात ध्यान रखना कि जो होता है अच्छे के लिए होता है यह निश्चित है सोचना चाहिए यह ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि जो कुछ हो गया है यह तो वह गलत हो रहा है जो कि हम तो आध्यात्मिक हैं हम तो पूजन पाठ करते फिर भी गलत हो रहा है जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है
हर इच्छा सही होता है हां लेकिन अध्यात्म का रास्ता चुनना हमारे ऊपर है कि हर इच्छा के बावजूद भी हमारे जीवन में उन्नति होती जाए इसके लिए क्या करना है अध्यात्म से जुड़ना जरूरी है जो भी ऐसा करेंगे
उनको आगे भविष्य की चिंता नहीं करना चाहिए प्रभु के ऊपर छोड़ देना चाहिए प्रभु अपने आप आपके जीवन में सब कुछ अच्छा ही करेंगे जिससे आपका भी भला हो और आपके परिवार का भी भला हो जो भी है
साधना करना चाहते हैं 11 दिन की साधना कर सकते हैं कर सकते हैं कर सकते हैं जो भी माल आपके पास है और उसमें यंत्र की जरूरत नहीं है जब भी कर सकते हैं उसकी भी गिनती होती है जो भी जितने भी भक्त हैं उनके लिए
Goga jaharveer sadhna प्राचीन नाथपंथ की गोगा जाहरवीर साधना ph. 8528057364
Goga jaharveer sadhna प्राचीन नाथपंथ की गोगा जाहरवीर साधना ph. 8528057364
Goga jaharveer sadhna प्राचीन नाथपंथ की गोगा जाहरवीर साधना ph. 8528057364 ओम नमः शिवाय दोस्तों शिव परिवार में आपका हर भाइयों गोगा जाहरवीर साधना Goga jaharveer sadhna बहुत सारे हमारे भाई बहन गोगा जाहरवीर साधना Goga jaharveer sadhna के बारे में पूछ रहे थे कि गोगा जाहरवीर की साधना बताइए गोगा जाहरवीर की साधना Goga jaharveer sadhna बताइए गोगा जाहरवीर का जन्म स्थान गोगामेडी में है राजस्थान में है
बहुत बड़ा मेला जो है वह लगता है वहीं की समाधि है हिंदू लोग गोगा जाहर वीर और मुस्लिम लोगों का पीर के नाम से पूजते हैं भादो नवमी को इनका जन्म हुआ था इसी महीने में भादो का जो यह समय चल रहा है जैसे सावन खत्म होकर भादो शुरू होता है
तो गोगा जाहरवीर की सेवा शुरू हो जाती है गोगा जाहरवीर के दरबार में लोग हाजिरी देना शुरू कर देते हैं और गोगा जाहरवीर बहुत बड़े पीर और इनके साथ पीर पैगंबर साथ-साथ में बहुत सारे देवी देवताओं के साथ चलते हैं
जैसे कि मैंने आपको बताया गोगा जाहरवीर पदम नाग अवतार है गुरु गोरखनाथ के चेले हैं गुरु गोरखनाथ के चेले बनने का सफर और तमाम शक्तियों को प्राप्त करना जैसे 56 कलवे चौसठ योगिनी उन्होंने प्राप्त करते हो तंत्र मंत्र की जो शिक्षा प्राप्त करी थी शुरू हुआ था
जब माता बाछल नेम को देश निकाला दिया था उन्होंने अर्जुन सर्जन क्योंकि इनकी मौसी के लड़के थे उनको उनका शीश काट दिया था को देश निकाला कर दिया था तो राज्य से निकाल दिया था माता बाछल ने गोगा जी गुरु गोरखनाथ की शरण में गए
वहां पर इन्होंने गुरु धारण की और तमाम शिक्षा प्राप्त की 64 जोगनी है वह माता काली से गुरु गोरखनाथ के द्वारा बताए रास्ते से शिक्षा प्राप्त की और पूर्ण संत की शिक्षा प्राप्त की थी गोगा जी महाराज ने गोगा जी महाराज पहले से पीछे भाइयों ने
जब जब इनकी मां के पेट में थे तो जब लोगों ने बोलना शुरू किया इनकी मां को के पति तपस्या के लिए गए हैं और गर्भ में किसका बच्चा है तो उन्होंने पहली बार जो है मां के गर्भ से बोलकर अपनी मां की लाज बचाई थी
गोगा जाहरवीर को सभी लोग पूजते हैं हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी लोग और सारे धर्म को एक करने का प्रतीक माना जाता है गोगा जाहरवीर के साथ ख्वाजा पीर माता काली माता मदानन माता मसानी खेड़ा महाराज भैरव बाबा हनुमान जी बहुत सारे देव जो हैं
वह गोगा जाहरवीर के साथ चलते हैं गोगा जाहरवीर के साथ चलते है आपको बताइए नीला घोड़ा और नरसिंह पांडे जो किं के वजीर थे नरसिंह पांडे आगे और पीछे भज्जू कोतवाल जो है वह सदैव रहते हैं
Goga jaharveer sadhna गोगा जाहरवीर साधना विधि
Goga jaharveer sadhna गोगा जाहरवीर साधना विधि
Goga jaharveer sadhnaइनके साथ इस साधना में ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है और अब बता दो मैं आपको की साधना कैसे करनी है साधना है इस साधना की शुरुआत आप गोगा नवमी के दिन जो यह किसी भी शुल्क पक्ष भारतीय किसी और वीरवार से आप इस साधना को शुरू कर सकते हैं
जो अगर शुक्ल पक्ष की व्यवस्था करोगे तो कैसे में बहुत बढ़िया दिन है और अगर गोगा नवमी के दिन करोगे तो इससे बड़ा दिन कोई हो ही नहीं सकता भाई इनकी जो साधना है उनकी साधना गोगामे डी घर में गोगा मेडी पर या फिर लोग घर में भी को मेड़ी बनाकर जिस तरीके से लोग शिवलिंग स्थापित कर लेते हैं और देवताओं की मूर्ति स्थापित कर लेते हैं अपने घर में आंगन में उसी तरीके से गोगा जाहरवीर की मूर्ती को स्थापित कर लेते मंत्र द्वारा और उनकी पूजा करते हैं और वहां पर इनकी साधना कर सकते हैं
या फिर एकांत कमरे में बिछड़कर छिड़ककर खुशबूदार बनाकर उस कमरे में आप इस साधना को शुरू कर सकते हैं। अकेले ऊपर शाहदरा में नीले कपड़े ऑफिस सफेद कपड़े ऑफिस पीले कपड़ों का इस्तेमाल होता है यानी कि जो आप साधना काल में बैठोगे तो आपके पास नीले सफेद या पीले कपड़े पहने होना चाहिए
हम करते हैं शुरुआत साधना की पहली दिन जब साधना की शुरुआत करेंगे यह साधना शाम को आपको करनी होती है 7:00 के बाद आपको इस साधना को करना है कोशिश आपको जब करनी है जो इस साधना को जब सब सो जाएं बाद रूम में 10 बजे 12:00 से पहले कोई साधना को करना है पहले दिन वीरवार के दिन पहले दिन आप करेंगे तो सुबह उठकर नहा कर पथवारी माता पर जाना है और मंदिर जाकर दो लोग और एक बतासा माता पथवारी को भोग लगाना
घर आ जाएंगे घर आने के बाद गोगा जाहरवीर कि जो है साफ सफाई करके इतर छिड़के गोगा जाहरवीर की तस्वीर या फिर कोई मूर्ती जो कपड़ा है वह चौकी पर बिठाकर गोगा वीर की जो तस्वीर आपको उस पर रखनी है और घी का दीपक जाहरवीर मंत्र से नाम का जलाना है इतर छिड़कना है अगरबत्ती आपको जलानी है बात बता रहा हूं कि अगर कपड़ा नीला हो तो और अच्छी बात है बैठकर आपको गोगाजी का ध्यान करना है और हाथ में जल लेकर प्रण करना कि गोगा जाहरवीर हे बाबासाधना में सफलता दे हाथ में गंगाजल आप ले सकते हैं । गोगा जाहरवीर बाबा 41 दिन की साधना करने जा रहा हूं साधना में मुझे सफल करो ज्ञान में प्रदान करो जैसे ही सेवा करो सेवा स्वीकार करो तो पहले दिन आपको यह पढ़ लेगा और उस पानी को धरती पर छोड़ देना
shabar mantra rahsya जीवन में सफलता हेतु शाबर मंत्र रहस्य ph.85280 57364
shabar mantra rahsya जीवन में सफलता हेतु शाबर मंत्र रहस्य जीवन में सफलता हेतु शाबर मंत्र Shabar Mantra साधनाएं यह सर्वथा सत्य है, कठिन कार्य और सूखी रोटी लोग विवशता में ही स्वीकार करते हैं। व्यक्ति सहजता चाहता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सहजता की स्थिति को ही खोजता रहता है।
shabar mantra rahsya जीवन में सफलता हेतु शाबर मंत्र रहस्य ph.85280 57364
शाबर मंत्र shabar mantra क्या है?
शाबर मंत्र एक प्रकार का तंत्र है जो हिंदू तंत्र शास्त्र का हिस्सा है। इसे मुख्य रूप से तंत्रिक क्रियाओं और मंत्रों का संग्रह माना जाता है जो शक्तिशाली और सिद्ध करने वाले माने जाते हैं। शाबर मंत्रों के अंतर्गत, विभिन्न देवी-देवताओं, ग्रहों, नवग्रहों, नग-नागिनों आदि को शाबर मंत्र की शक्ति के द्वारा प्रसन्न करने की सिद्धि बताई जाती है। यह मंत्रों का विशेष उपयोग और विभिन्न क्रियाओं को संपन्न करने के लिए जाप, ध्यान और आसन की विधियों पर आधारित होता है। शाबर मंत्रों का अध्ययन और उपयोग धार्मिक और तांत्रिक प्रयोगों में व्यापक रूप से किया जाता है।
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शाबर मंत्र shabar mantra का इतिहास
शाबर मंत्र shabar mantra की प्राचीनता शाबर मंत्र का इतहास महाभारत के काल का है महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक युद्ध है यह कौरव व पांडवों के बीच में हुआ था। युद्ध से पहले अर्जुन को दिव्यास्त्र प्राप्त करने थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अर्जुन को भगवान शिव से अस्त्र प्राप्त करने के लिए पहले परीक्षा देनी पड़ी फिर उसके समय ही शाबर मंतर को रचना हुई थी
यह संभव है कि भिन्न-भिन्न सामाजिक स्थितियों के साथ-साथ सहजता की स्थितियों को परिभाषित करने में अंतर हो, किंतु वस्तु स्थिति तो सहजता को प्राप्त करने की ही होती है।
यहां तक मानव प्रायः जो जाने अनजाने में अपराध कर बैठता है, उसके मूल में जाकर अगर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए, तो वहां भी प्रायः किसी सहजता को प्राप्त करने की ही चेष्टा होती है।
सहजता को प्राप्त करना मानव का स्वाभाविक गुण है, क्योंकि सहजता के द्वारा ही ऐश्वर्य और चिंतारहित जीवन की स्थिति उत्पन्न होती है। सम्मान, सुरक्षा, निश्चिंता, किसी भी आशंका से मुक्त होना, जैसी कुछ स्थितियां आदि वास्तव में सहजता की स्थिति के ही कुछ अन्य भेद हैं।
मानव जो परिश्रम करके धनोपार्जन करता है, उसकी जड़ में केवल भरण-पोषण करना ही नहीं होता, वरन् व्यक्ति अपने भावी जीवन को सुरक्षित करने का प्रयास करता है। प्रयासरत रहना तो सूचक होता है कि मानव वास्तविक नहीं, अर्थों में कर्मयोगी है।
शाबर मंत्रो Shabar Mantra का संसार अभी तक अप्रकट और गुप्त है। शाबर मंत्र Shabar Mantra केवल ऐसे मंत्र नहीं हैं, जो कि कुछ सामान्य समस्याओं के निदान के लिए गोरखनाथ द्वारा रचे गए थे, अपितु शाबर मंत्र Shabar Mantra तो उचित साधना सामग्री की सहायता से एक पूरी साधनात्मक पद्धति है।
शाबर मंत्र shabar mantra की परिभाषा
इस शाबर मंत्र Shabar Mantra पद्धति की विशेषता यह है कि यह पूर्ण रूप से प्रकृति से जुड़ी है। बिल्ली की नाल, सियारसिंगी,हत्थाजोड़ी, बघनरवा ऐसी ही पशु जगत से प्राप्त शाबर तंत्र की साधना सामग्रियां हैं।
आज शाबर मंत्र Shabar Mantra को एक सनसनीखेज और गोपनीय मंत्र के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और अधिकांश साधक उसे किसी सरल साधना की ‘भांति अंगीकार करते हैं। इसमें उन पुस्तकों का भी कम योगदान नहीं है, जो आज शाबर मंत्रो Shabar Mantra को एक शीघ्र बिकाऊ माल की भांति लेकर बाजार में आ गईं और व्यवसायी लेखकों में चटखारे के साथ प्रस्तुत करने में होड़ लग रही है।
शाबर मंत्र Shabar Mantra इतने घटिया नहीं हैं। हालांकि शाबर तंत्र में कुछ व्यसनों के सेवन की स्वीकृति है, किंतु वह भी किसी योग्य गुरु के निर्देशन में । शाबर मंत्र Shabar Mantra तो इतना गहरा तंत्र है कि अगर उचित मार्गदर्शन मिल जाए तो कुछ हल्के व्यसनों के साथ शाबर मंत्रो Shabar Mantra से समाधि की अवस्था भी प्राप्त की जा सकती है।
हालांकि शाबर मंत्र Shabar Mantraों से आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त करने की धारणा किसी भी सामान्य साधक को असंभव लगेगी, किंतु अगर तात्विक दृष्टि से ध्यान दें तो शाबर मंत्र Shabar Mantra ध्वनि के माध्यम से की गई एक अलौकिक क्रिया ही होती है।
जिस प्रकार उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगें, हालांकि दृष्टिगोचर नहीं होती, किंतु तीक्ष्ण प्रभाव डालने में समर्थ होती हैं, ठीक वही क्रिया शाबर मंत्रो Shabar Mantra के सृजन में भी होती है। फिर उसमें इस बात का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है कि विभिन्न ध्वनियों के संयोजन से कौन-सा मंत्र बन रहा है।
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आज का युग व्यस्तता और भौतिकवाद का युग है और जितनी अधिक दौड़ व्यक्ति को शरीर से नहीं करनी पड़ती, उससे अधिक दौड़ मानसिक रूप से करनी पड़ती है। शीघ्र आवागमन के लिए व्यक्ति के पास वाहन तो उपलब्ध हो गया है, शीघ्र वार्तालाप के लिए दूरभाष उपकरण भी आ गए हैं, किंतु इसके उपरांत भी क्या व्यस्तता में कोई कमी आई है ?
ऐसी स्थिति में ऐसे साधक से यह कहना कि वह प्रतिदिन निर्जन स्थान में छह घंटे का समय साधना में दे तो उचित नहीं होगा। शाबर मंत्र Shabar Mantra सिद्धि इसी दिशा में एक सहायक विद्या है, जिसे साधक कहीं भी, कभी भी सरलतापूर्वक कर सकता है और उसे जब भी समय मिले, जितना भी अवकाश हो, अगर शाबर मंत्र Shabar Mantra का उच्चारण कर लेता है तो उसे दिन-प्रतिदिन के कार्यों में एक विचित्र-सी सरलता अनुभव होने लग जाती है और साथ ही समाज के तनाव से मुक्ति मिलने लग जाती है ।
शाबर मंत्र Shabar Mantraों के माध्यम से समस्त साधनाएं, इष्ट साधनाएं संपन्न की जा सकती हैं। ध्यान की गहराइयों में उतरने के लिए एवं ध्यानातीत अवस्था तक • जाने के लिए भी शाबर मंत्र Shabar Mantraों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है।
जिन साधकों के पास साधना हेतु उनके दैनिक जीवन क्रम में कुछ समय रहता है, वे अगर शाबर मंत्रो Shabar Mantra का प्रतिदिन जप करें तो उन्हें विशेष सहायता प्राप्त होने लग जाती है और चित्त निर्मलता की ओर बढ़ने लगता है।
शाबर मंत्र Shabar Mantra साधना के लिए गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद के पश्चात दूसरी आवश्यकता गुरु की है। गुरु केवल एक शब्द नहीं… एक अक्षर नहीं….एक संपूर्णता है, जीवन का रस है, माधुर्य है, जीवन को ऊपर उठाने की क्रिया है, विष को अमृत बना देने का रहस्य है।
गुरु प्राप्ति के पश्चात शाबर मंत्रो Shabar Mantra में सबसे उल्लेखनीय बात है, इसमें न तो दिशा का बंधन है, न विशेष वस्त्रों का। न आसन का, न धूप-दीप का, न पुष्प का और न किसी निर्धारित संख्या में मंत्र जप करने का। शाबर की अनूठी भेंट यह है कि शाबर मंत्र Shabar Mantra सिद्धि जिसकी प्राप्ति, जिसकी उपस्थिति ही स्वयं में कभी-कभी अनेक गुत्थियों का समाधान बन जाती है। यह मेरा परामर्श है, आप इसे नसीहत भी कह सकते हैं।
इस संदर्भ में एक दृष्टांत प्रस्तुत है। एक शिकारी ने एक दिन बाज पकड़ा। बाज ने शिकारी से कहा- “मैं तुम्हें दो बातों का परामर्श देता हूं, ध्यान देकर सुनो-पहली सीख यह है कि बातों पर बिना सोचे समझे विश्वास नहीं करना चाहिए और दूसरी यह है कि जो वस्तु हाथ से चली जाए, उसके लिए शोक नहीं करना चाहिए।”
कुछ समय शांत रहने के पश्चात बाज ने शिकारी के प्रति आत्मीय भाव दर्शाकर कहा—“मेरे पेट में अनमोल हीरा है, अगर तुम मुझे मुक्त कर दोगे, तो मैं तुम्हारा अहसान मानकर हीरा उगलकर तुम्हें इनाम दे दूंगा।” शिकारी हीरा पाने के लोभ में उसकी बात को भूल गया और उस पर विश्वास कर उसे छोड़ दिया।
बाज उड़कर एक ऊंचे खंडहर की चोटी पर जा बैठा और शिकारी से बोला- “अरे मूर्ख! मेरी सीख को इतनी शीघ्र भूल गए, मैंने क्या कहा था कि शीघ्रता में बिना सोचे समझे किसी की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।”
बाज की बात सुनकर शिकारी सिर पीट-पीटकर रोने लगा। उसे रोते देखकर बाज ने पुनः कहा और लो तुम तो मेरी दूसरी बात को भी भूल गए और वह उड़कर दूसरी दिशा की ओर चला गया। आप ऐसा न करें, आप मेरे परामर्श को सदैव स्मरण रखें और उन पर चलें।
शाबर मंत्र Shabar Mantra की विशेषता यह है, न कोई लंबा-चौड़ा विधि-विधान, न कोई किलष्ट मंत्रोच्चारण, न व्यर्थ का आडंबर… क्योंकि शाबर साधनाएं रची ही गई हैं, गृहस्थ साधकों के जीवन की व्यस्तताओं को ध्यान में रखकर पूर्ण प्रामाणिकता के साथ।
क्या शाबर मंत्र Shabar Mantra हानिकारक है?
गुरु के बिना करना शाबर मंत्र Shabar Mantra करना हानिकारक है
कलयुग में श्रेष्ठ मंत्र कौन सा है?
कलयुग में शाबर मंत्र Shabar Mantra सब से श्रेष्ठ मंत्र होते है यह अन्य मंत्रो से जायदा जल्दी सिद्ध होते है
शाबर मंत्रो Shabar Mantra की रचना किसने की ?
इस की रचना भगवान शिव से नाथ पंथ को प्रपात होई इस का विस्तार गुरू गोरखनाथ ने किया शाबर मंत्रो Shabar Mantrao का संसार अभी तक अप्रकट और गुप्त है। शाबर मंत्र Shabar Mantra केवल ऐसे मंत्र नहीं हैं, जो कि कुछ सामान्य समस्याओं के निदान के लिए गोरखनाथ द्वारा रचे गए थे, अपितु शाबर मंत्र Shabar Mantra तो उचित साधना सामग्री की सहायता से एक पूरी साधनात्मक पद्धति है।
Pratyangira Devi प्रत्यंगिरा देवी साधना रहस्य ph.85280 57364
Pratyangira Devi प्रत्यंगिरा देवी साधना रहस्य ph.85280 57364 प्रणाम! तो नमः शिवाय! सृष्टि बहुत विशाल है और इस विशाल सृष्टि में, यहाँ बहुत सारे ‘रूप’ हैं और देवी योगमाया के बहुत सारे ‘स्वरूप’ हैं यानी यहां रूपों की प्रकृति के रूप में व्याख्या की गई है, कि महान ऋषियों और सिद्धों के लिए भी इस की महिमा का गुणगान करना लगभग असंभव है। देवी की महिमा के बारे में बताते हुए देवी-ऋषि मार्कण्डेय के विभिन्न रूपों का वर्णन ऐसा किया है।
मार्कण्डेय पुराण में, हमें देवी के विभिन्न ‘स्वरूपों’ के नाम प्राप्त होते हैं, उसकी महिमा और उसके बारे में विभिन्न जानकारी। और सिद्धों ने देवी के विभिन्न रूपों और ‘स्वरूपों’ के विषय पर बहुत विस्तार से समझाया है और बहुत अलग परंपराओं में उनकी पूजा प्रक्रिया के विषय पर, और विधियों के साथ, स्पष्टता के साथ, उन्हें साधको के सामने प्रस्तुत किया और उन्हें गुरुकुल परंपराओं में आगे बढ़ाया।आज मैं खुद ऐसी ही एक देवी के बारे में बात करूंगा, जिनका नाम प्रत्यांगिराPratyangira है।
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प्रत्यांगिरा Pratyangira क्या है ?
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प्रत्यांगिरा’ Pratyangira शब्द को समझने से पहले, आपको सबसे पहले दो शब्दों को समझना होगा- एक, ‘रुद्’ है; और दूसरा है ‘विरुद्ध’। ‘रुद्र’ का अर्थ क्या है?
कि जीवन में अगर कोई प्रवाह है … विचार करें, पानी का कुछ फव्वारा या पानी का झरना, झरना, या नदी है, जब यह तेजी से एक दिशा में जाता है, तो यह है इसका ‘रुद्रता’। और अचानक, जब कोई इसे रोकता है, और वह नदी उसी ‘वेग’ के साथ वापस बहने लगती है। इसे ‘विरुधाता’ या ‘विरुद्ध’ कहा जाता है।
एक है नदी नीचे की ओर बह रही है, और किसी ने इसे रोक दिया (यानी नदी के प्रवाह को रोक दिया,) एक बांध बनाया। इसे विरुधाता नहीं कहा जाता है। ‘विरोध होना’ का अर्थ यह है कि नदी तेजी से जाती है और प्रहार करती है, और यह उसी तेजी के साथ वापस आती है।
तो, योग माया जिन्होंने इस पूरी सृष्टि को बनाया यह सृष्टि असाधारण है, यह जंगल असाधारण है, यह पेड़, यह … हम मनुष्य, ये ‘जीव-‘जंतु , यह ‘काश’, यह ‘पांच तत्व’ यानी पांच तत्व, और कौन जानता है कि इस सृष्टि में सभी अनगिनत तत्व क्या मौजूद हैं! और उनके भीतर विभिन्न प्रकार के’ गुण हैं।
इन गुणों में एक बात है- यह वही ‘विरुध’ शक्ति ही है। वास्तव में यह ‘विरुध’ शक्ति स्वयं देवी प्रत्यांगिरा Pratyangira के नाम से जानी जाने लगी। अब, आप इसे कैसे समझेंगे? अब आप इसे देखें, उदाहरण के लिए – यह छोटा सा पेड़ मेरे करीब है, कांटों की एक झाड़ी, आप देख रहे हैं, यह शीर्ष तक सूख गया है, आप देखते हैं।
और यह इस धरती से कितना ‘विरुध’ जा सकता है [यानी इस संदर्भ में, पेड़ पृथ्वी से कितना लंबा हो सकता है]। जब यह छोटा था, तो यह धीरे-धीरे बड़ा हुआ और ऊपर पहुंच गया। लेकिन ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, इसकी एक सीमा होती है।
इस धरती पर कोई भी पेड़, कितना भी लंबा होगा, उस पेड़ के टूटने की बहुत संभावना बढ़ जाएगी; और वह पेड़ आसानी से टूट जाएगा क्योंकि तेज हवाएं इसे तोड़ देंगी। अर्थ, इस सृष्टि का एक ‘नियम’ अर्थात नियम या नियम है कि जब भी तुम इन ‘नीति’ अर्थात् नीति और ‘नियम’ के बीच में आओगे, तो यह सृष्टि तुम्हें तोड़ देगी।
वैसे भी, यह एक और रहस्यमय तत्व है। मैं आपको इसके अलावा एक और बात बताना चाहता हूं कि, ‘विरोधी कर्म ‘ या ‘विरोधी होना’ सृष्टि के प्रत्येक ‘का’ [अर्थात कण] में मौजूद है।
उदाहरण के लिए, यह कांटेदार पेड़, अगर मैं यहां से आगे बढ़ता हूं, तो देखो [ईशापुत्र को देखो], मेरे चेहरे के करीब, यह कांटे आ गए हैं। अब, यह कांटा मेरे विरुद्ध कार्य करेगा।
यह मुझे ‘उपदेश’ यानी निर्देश या प्रवचन या मेरी त्वचा देगा या यह मुझे तुरंत सावधान करेगा, ‘सावधान, अगर तुम आगे बढ़ोगे तो मेरे ये नुकीले कांटे तुम्हारे शरीर के भीतर होंगे’ मतलब, ये ‘कांटाक’ यानी पेड़ों या पौधों के नुकीले हिस्से, ये कांटे यहां मेरे रास्ते को के खिलाफ हैं। वे किस के खिलाफ हैं? वे मेरी ‘गति’ यानी गति या गति के खिलाफ हैं।
लेकिन हमने प्रत्यांगिरा Pratyangira शक्ति को इससे क्यों जोड़ा? उदाहरण के लिए, देखिए मैंने कांटे का एक छोटा सा टुकड़ा तोड़ दिया है, यह छोटा सा कांटा । अब देखिए, यह छोटा सा कांटा मेरे लिए हथियार का काम कर सकता है।
मान लीजिए कि मैं इस कांटे को छुपाकर अपने पास रख लेता हूं और कोई छोटा जानवर या इंसान जो अचानक मेरे साथ दुर्व्यवहार करने आता है, और मैं इस पर कांटे लगाता हूं, फिर यह ‘चला जाएगा’।
मतलब ये कांटा जो अब तक मेरे रास्ते में रोड़ा था, जब मैंने इसे बुद्धिमत्ता के साथ हटा दिया और इसका उपयोग करना शुरू किया, फिर यह मेरी शक्ति बन गया। तो, इस नियम को सिखाने के लिए, या जब महादेव ने देवी को इस नियम के बारे में बताना चाहा, उस ‘विरुध’ शक्ति को देवी के भीतर से प्रकट होना था। आप पूछेंगे- कैसे? मैं आपको यह बताऊंगा।
प्रत्यांगिरा Pratyangira देवी कथा महादेव और पार्वती
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सिद्धों की कहानी के अनुसार, कैलाश के महान शिखर पर, गुरु के रूप में मौजूद हैं महादेव वह स्वयं ईश्वर है, लेकिन गुरु का रूप धारण करने के बाद, वह अपने प्रेमी या पत्नी [जो उपस्थित है] को विद्यार्थी के रूप में ‘उपदेश’ अर्थात प्रवचन दे रहा है, एक छात्र होने के नाते। इसलिए देवी नीचे बैठी है और महादेव ऊपर विराजमान हैं।
वरोध हर जगह मौजूद हैं; शिवगण जैसा कि कुछ ही दूरी पर मौजूद है। और फिर देवी के सवालों का जवाब देते हुए, महादेव देवी के अपने रूप योगमाया पर बहुत विस्तार से बोल रहे हैं। , ‘हे देवी, तामसिक शक्तियों में, ठीक वैसे ही जैसे धूमावती है जो अपने ही शिव का ‘भक्षण’ करती है, और उसे ‘धूम्र’ यानी धुआं के रूप में प्रकट करती है,
वह वह असाधारण शक्ति है। कौन है ‘क्रूर’ यानी क्रूरऔर किसी भी प्रकार के ‘सत्ता’ यानी बल के खिलाफ खड़े होने की शक्ति और क्षमता रखता है। लेकिन धूमावती के साथ-साथ ऐसी तांत्रिक देवी भी हैं जो बहुत खतरनाक हैं, देवियां जिनका ‘ अत्यधिक ‘प्राचंद’ अर्थात तीव्र है, जिन्हें ‘कृत्य’ कहा गया है। 64 कृत्य हैं।
ये ‘कृत्य’ मृत्यु की देवी हैं- वे ‘मारन की देवियां’ हैं। अगर ‘कृत्य’ किसी पेड़ को छूता भी है … ‘कृत्य’… एक तरह से, आप इसे ‘कुछ नष्ट हो रहा है’ कह सकते हैं … यदि यह ‘जड़ी’ [यानी शाखा] वर्तमान में ठीक है, तो यह सुंदर है एक समय में यह [पेड़] भी था, लेकिन एक ‘कृत्य’ ने इसे छुआ, इसलिए यह सूख गया।
अब, इसमें जीवन छिपने की संभावना है। जब ‘कृत्य ‘ इसे छोड़ देगा, तो फिर से पत्ते उस पर आ जाएंगे। तो, मतलब … कि ‘कृत्य’ ऐसा ‘काल’ है यानी समय, यह ऐसा ‘संक्रोमन’ [यानी संक्रमण] या [यह] ऐसी बीमारी है; या फिर यह ऐसी स्थिति है जब ‘जीवनी’ शक्ति [यानी जीवन शक्ति] नष्ट होने लगती है।
तब देवी ने कहा, ‘क्या इससे बढ़कर कोई शक्ति है?’ तब महादेव कहते हैं, ‘हां। हे देवी, आपके भीतर ही छिपा है, ऐसा ही एक ‘स्वरूप’ है जो ‘विरोधी’ शक्ति से इतना भरा हुआ है कि अपने ‘विरोधी’ के सामने किसी के लिए भी टिक पाना या टिक पाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। तब देवी ने कहा, ‘मैं अपना यह स्वरूप देखना चाहती हूं।
तब भगवान देवी को अपनी आँखें बंद करने के लिए कहता है, और उसके मंत्र दीक्षा को पूरा करते हुए, वह उसे यंत्र पर अपने भीतर ध्यान करने के लिए कहता है; और अपने भीतर के मंत्र का ध्यान करते हुए, वह [यानी महादेव] देवी को योग की गहरी अवस्था में जाने के लिए ‘उपदेश’ देते हैं।
इसलिए जैसा कि महादेव कहते हैं, देवी स्वयं ऐसा करती चली जाती हैं। और फिर देवी की आंखें क्रोध से भरने लगती हैं। यह तामस तत्व के साथ छायांकित हो जाता है। और धीरे-धीरे देवी की आंखें ‘ज्वालामुखी ‘ यानी ज्वालामुखी की तरह बहुत गर्म हो जाती हैं। और वह आँखें खोलटी है। और उसकी लाल आंखों से, एक दिव्य शक्ति उभरती है जो सीधे ब्रह्मांड में जाती है और एक देवी का रूप धारण करती है।
यह देवी हर तत्व को रोक देती है वह ‘वायु’ को रोकती है, वह ‘अग्नि’ को रोकती है, वह ‘पृथ्वी’ को रोकती है। वह ‘आकाश’ तत्व को रोकती है। पांचतत्व की ‘गति’ [यानी गति या गति] को रोककर, वह उन्हें ‘प्रलय’ यानी विघटन या विनाश के मुंह में डालने की कोशिश करती है। फिर महादेव कहते हैं, ‘देवी, रुक जाओ!
सृष्टि को अपनी गति से आगे बढ़ने दो। फिर महादेव के आदेश पर उस देवी ने फिर से… ‘विरुध’ शक्ति से भरी हुई, वह ‘क्रूर’ देवी, माँ पार्वती की आँखों में फिर से वापस आ जाता है, फिर से आँखों में अवशोषित हो जाता है।
तब महादेव पूछते हैं, ‘अरे देवी, क्या अब आपको इस ‘विरुध’ शक्ति के बारे में पता चला? तब देवी कहती हैं, ‘हां, अब मुझे अपने भीतर छिपी इस ‘विरुद्ध’ शक्ति का पता चल गया है। इस प्रकार देवी की उत्पत्ति हुई।
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प्रत्यांगिरा Pratyangira देवी एक पुराणिक कथा 2
लेकिन इसके बाद मैं भी आपके सामने एक पुराणिक कहानी रखना चाहता हूं।यह है, एक नरसिंह अवतार (यानी भगवान विष्णु का एक अवतार) था … इसलिए, वह बहुत क्रोध से भर गया, भगवान नारायण, कि वह सोचने लगा, ‘मैं इस धरती पर कितनी बार अवतार लेने जा रहा हूँ?
और इस धरती पर किसके साथ लड़ो ? क्योंकि यह अवतार बहुत असाधारण है… ईश्वर को कितनी बार इंसान के रूप में अवतार लेना पड़ता है, इतनी ही बार अनंत संभावनाएं होती हैं … वह कितने लोगों से लड़ेगा? वह कितने पापियों से लड़ेगा? हर बार पृथ्वी को सुधारने या बेहतर होने के लिए बनाया जाता है। हर बार ब्रह्मांड के कोनों को बेहतर बनाया जाता है या स्थितियों में सुधार किया जाता है। फिर पापियों की संख्या बढ़ जाती है।
यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। इसलिए, उन्होंने सोचा ‘इस बार, यह सीमा तक पहुंच गया है। यही कारण है कि इस बार, इस धरती पर, हिरण्यकश्यपु के वध के साथ-साथ इस धरती पर अब इस प्रकार के कितने ‘ तत्व’ विद्यमान हैं, मैं उन सभी को एक समय में ही नष्ट कर दूंगा, ताकि कहानी स्वयं समाप्त हो जाए। लेकिन, इस सृष्टि को बनाए रखने के लिए, सभी की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए- आप। तुम में से, ऐसे कई लोग हैं जो मुझे प्यार करते हैं। इसी कारण से, मैं भी, जब भी मुझे समय मिलता है, मैं आपके सामने कुछ या अन्य शब्द लेकर आता हूं; अपनी साधनाओं को भी छोड़कर मैं आपके सामने आता हूं।
और, मैं अपनी कुछ बातें और विचार आपके सामने रखता हूं। और, यह आवश्यक नहीं है कि आप मेरी सभी बातों से सहमत हों। मैंने कभी यह कोशिश नहीं की, कि आपको मेरे साथ सहमत होने की आवश्यकता है। फिर सोचिए, ऐसे भी हैं इतने सारे लोग जो मेरी हर बात सुनता है, तुम्हारी तरह ‘ध्यान’ के साथ, प्यार के साथ, और उन्हें अपने दिलों में प्रवेश करते है ।
और कुछ लोगों को यह बिल्कुल पसंद नहीं है। उन्हें लगता है कि मैं इतनी बेकार की बातें बोल रहा हूं, कि मैं इतनी बकवास बोल रहा हूं, क्योंकि उनका दिमाग, उनका ‘नाड़ी टंटू’ जाती हैं।
लेकिन मैंने कभी नहीं सोचाता कि ऐसे बेकार लोग मर जाए । मैं कहता हूं, ‘उनका जीवन भी खुशियों से भर जाए। ऐसे दिन भी आएं कि मैं जो भी कहूं, वे भी समझ पाएंगे’ क्योंकि सिद्धों के जीने का यही तरीका है।
यही कारण है कि इस धरती पर, तामस ‘तत्व’ रखने की भी आवश्यकता कम है। यही कारण है कि सिद्ध कभी भी उस तामस के खिलाफ नहीं गया। लेकिन भगवान नारायण इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने कहा, ‘अब, मैं ऐसे किसी तामसिक व्यक्ति को नहीं छोड़ूंगा।
फिर, जब हिरण्यकश्यपु मारा गया, तो नरसिंह अवतार के साथ, उन्होंने सभी तामसिक तत्वों का ‘प्रतिरोध’ करना शुरू कर दिया। और ऐसा होने के कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ने लगा। और जब ऐसी स्थिति आई, तब देवताओं ने महादेव को पुकारा।
और फिर महादेव अपना रूप बदलकर विष्णु भागवान को रोकने चला गया। फिर जब भगवान विष्णु ने यह देखा, कि, ‘मैं शिव के सामने टिक नहीं पाऊंगा’, फिर उन्होंने खुद को तामसिक रूप में बदल दिया। उसने स्वयं को तामसिक बना लिया।
और उस रूप में अब आप इसे बहुत अच्छी तरह से कहते हैं – इसे ‘गंडबेरूड’ कहा जाता है। नारायण ने गंडबेरूड रूप धारण किया और भागवान शिव ने शरभ का रूप धारण किया अब, उन्होंने एक-दूसरे से लड़ना शुरू कर दिया – यह गंडबेरूड और शरभ।
अगर ‘हरि’ और ‘हर’, तो दोनों लड़ते हैं, तो क्या उनमें से कोई नहीं जीतेगा क्योंकि वे दोनों ही एक माया ही हैं। लेकिन फिर भी अपने-अपने रूपों को मानकर दोनों के बीच एक युद्ध होने लगता है।
और यही कारण है कि जब युगों तक उनका युद्ध चलता रहा, तो अंत में, कैलाश की सबसे ऊंची चोटी पर जाकर देवताओं ने मां योगमाया से प्रार्थना की, ‘देवी, अब आपको ही कुछ करना होगा’। तब देवी फिर से ध्यान में चली गईं, और उनकी आंखों से उसी ‘विरोधी’ शक्ति को बाहर लाया, जो ‘विरोधी’ शक्ति से परिपूर्ण थी, जिसे ‘विरुध चित भी कहा जाता है, जो आपके और मेरे भीतर भी छिपा हुआ है।
और फिर, वह देवी इस आकाश मंडल से गुजरते हुए भगवान विष्णु और शिव की ओर जाता है। जहां वे दोनों युगों के लिए लड़ रहे थे, शरभ का रूप धारण कर रहे थे और गेंदबारुंड का रूप धारणकर रहे थे। तो, देवी उनके बीच में जाती है और उन दोनों को अपने हाथों से पकड़ लेती है, और उन्हें पकड़ता रहता है।
और वह उन दोनों से कहती है, ‘आप दोनों के भीतर जो भी शक्ति और क्षमताएं हैं; अपनी ताकत का उपयोग करें; यदि आप अपनी ताकत के बारे में थोड़ा सा भी गर्व और अहंकार रखते हैं, तो इसे परीक्षण के लिए रखें।
लेकिन, दोनों ‘स्वरूप’ देवी के सामने खड़े नहीं हो पा रहे हैं, ठहर नहीं पा रहे हैं। अंत में, शरभ और गेंदबारुंड , दोनों देवी के सामने सिर झुकाते हैं, क्षमा मांगते हैं। और फिर दोनों अपने ‘वास्तुविक’ रूपों में लौट आते हैं। और देवी भी अपने ‘वताविक’ रूप में लौट आती हैं।
महर्षि मार्कण्डेय काप्रत्यांगिरा Pratyangira के वर्णन
महर्षि मार्कण्डेय इस ‘स्वरूप’ का वर्णन करते हैं; लेकिन इस ‘स्वरूप’ के ‘दर्शन’ को सबसे पहले प्राप्त करने के लिए या इसे प्रकट करने के लिए, दो ऋषि- महर्षि प्रत्यंगिर और महर्षि अंगिरस, ये दोनों ऋषि हिमालय की ओर, कैलाश शिखर की ओर जाते हैं, और कैलाश पहुंचने से पहले, हिमालयी ‘ यानी हिमालय पर्वतमाला में , वे बैठते हैं और घोर तपस्या करते हैं। और
आगम और निगमों को प्राप्त करते हुए, वे धीरे-धीरे तमस की एक अजीब स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां उनके भीतर एक ‘विरोधी भाव’ बनने लगती है। और फिर, वे इस ‘विरोधी’ शक्ति को समझने लगते हैं।
प्रत्यांगिरा Pratyangira देवी के नाम का रहस्य
और फिर देवी से प्रार्थना करते हुए, उन्होंने देवी को उसी रूप में प्रकट किया, जो देवी का रूप था ‘परम विरोधी’ ‘विरोधी स्वरूप’। तब प्रसन्न होकर देवी ने कहा, ‘तुम दोनों ने मेरी विद्या प्राप्त कर ली है; आप दोनों ने मेरी कलाएं प्राप्त की हैं।
यही कारण है मैं आपके दोनों नाम स्वीकार करता हूं। यही कारण है कि अब मेरा नाम, [महर्षि] प्रत्यंगीर और [महर्षि] ‘अंगिरस’ के कारण ‘प्रत्यांगिरा’ बन जाएगा।
उस समय से, देवी, ‘विरोधीनी देवी’ को ‘प्रत्यांगिरा’ Pratyangira के नाम से जाना जाने लगा। कितने तंत्र, मंत्र, कृत्य, विद्याएं, सृष्टि तत्व मौजूद हैं, उन सबके खिलाफ जाने की क्षमता, उनके खिलाफ विपक्ष में खड़े होने के लिए सभी इस देवी के भीतर मौजूद हैं। हालांकि वर्तमान समय में लोग कहते हैं कि यह देवी केवल क्षत्रियों यानी योद्धा जाति से संबंधित है, यह सब झूठ है।
सिद्धों ने इस देवी की साधना-पूजा के बारे में विस्तार से बताया है। और आप पहले से ही जानते हैं कि जाति, या रीति-रिवाज, ऊपरी, निचले, अछूत … सिद्धों में यह सब मौजूद नहीं है।
सिद्धों की परंपरा में यह सब नाटक कहीं भी मौजूद नहीं है। इसलिए, देवी एक असाधारण शक्ति से भरी हुई है। देवी के कई रूप हैं। देवी का एक रूप है जिसे हम ‘महाप्रतियांगिर’ कहते हैं। एक है ‘प्रत्यांगिरा Pratyangira और दूसरा है ‘विपरित प्रत्यांगिरा Pratyangira। और दूसरा है ‘क्रूर प्रत्यांगिरा’।
तो, इस तरह देवी के कई भेद हैं। ‘विपरित प्रत्यांगिरा’ Pratyangiraका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति स्वयं प्रत्यांगिरा शक्ति का उपयोग मुझ पर कर रहा है, तब मैं प्रत्यांगिरा Pratyangira देवी के विपरित स्वरूप का उपयोग करके उसी प्रत्यांगीरा शक्ति को वापस भेज सकता हूं।
विचार करें, कि कोई मुझ पर ‘कृत्य’ का उपयोग करता है, इसके बाद मैंने उनके खिलाफ ‘क्रूर प्रत्यांगीरा’ का इस्तेमाल किया। इस प्रकार शास्त्रों में वर्णन मिलता है, लेकिन, यह एक ऐसी विद्या है जिसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी व्यापक शोध की आवश्यकता है।
यदि आप हम मनुष्यों को देखें, और हमारे ‘चित यानी मन को देखें, फिर हमारे मन में भी ‘विरोधी’ करना छिपा हुआ है। हम कई कारणों से एक व्यक्ति के खिलाफ जाते हैं। … ‘द्वेष ‘ के कारणों के लिए, ‘इरशा-दवेश’ के कारणों के लिए ।
हम किसी की ‘ख्याति’ यानी ख्याति या प्रसिद्धि, या किसी की ‘सौंदर्य’ [यानी सुंदरता], या किसी के ‘ यानी महानता या परिपक्वता को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं, तो हम ऐसा करते हैं। अगर हम अपना ‘बाहूबल’ दिखाना चाहते हैं तो भी हम ऐसा करते हैं।
अगर हम अपना ‘अहमकार’ दिखाना चाहते हैं तो भी हम ऐसा करते हैं। किसी भी तरह से जब हम खुद को पेश करना शुरू करते हैं, तो हम किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ ‘विरुद्ध’ खड़े हो जाते हैं।
और कई बार आपको पता भी नहीं चलता, ऐसे व्यक्ति जिससे आपका कोई लेना-देना नहीं है, उस व्यक्ति के खिलाफ भी आपके मन में आप उस व्यक्ति के खिलाफ खड़े हो जाते हैं!
तो यह तामसिक चेतना ‘विरोध’ करने के लिए यानी किसी चीज़ किसी के खिलाफ या विरोध में जाने के लिए जो हमारे भीतर है, हमारे भीतर एक गुण, हमारे भीतर तमस, इसकी उत्पत्ति तामसिक शक्ति-प्रत्यंगिरा pratyangira pratyangira की यह छोटी सी ‘सबूत ‘ ही है।
लेकिन यह आपके लिए हानिकारक है; और हमारे लिए भी। इसी से ‘पाप’ पैदा होता है। यह मैंने आपको शुरुआत में इस ‘कांटे’ के माध्यम से समझाया था
यह कांटा मेरे रास्ते में बाधा डालता है लेकिन जब मैंने यहां से एक कांटा तोड़ दिया, तो यह मेरे लिए एक हथियार बन गया। आपके भीतर भी आपके मस्तिष्क में, आपके शरीर में, आपके ‘नाड़ी तंत्र’ में, आपके पूरे शरीर में, ‘विरोधी’ करने की ताकत है।
लेकिन बिना किसी कारण के किसी के खिलाफ ‘विरोध’ करना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना, आत्म-नियंत्रण खोना, ‘आपा’ खोना -यह मूर्खता है। लेकिन अगर कोई अन्याय करता है, तो कोई अत्याचार करता है, और आप चुप रहते हैं, इसके कारण तुम दागी हो जाते हो, तुम्हारे भीतर का सत्त्व गुण नष्ट हो जाता है, पापी बनने लगते हो।
यही कारण है कि आपको निश्चित रूप से अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कोई भी हो, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तो, यह वही शक्ति जो आपको लड़ने की इतनी क्षमता देती है, और आपको ऐसी बुद्धि देती है जहां आपको लड़ना पड़ता है, और आपको किस विधि से लड़ना है, क्योंकि हम इस ब्रह्मांड की तुलना में बहुत छोटे हैं। हम 4-5 फीट इंसान हैं। दस फीट, चौदह फीट-आप इससे लंबा नहीं हो सकते, है ना? ब्रह्मांड इतना बड़ा है।
आजकल आप 6 फीट से ज्यादा लंबे नहीं होते हैं। दुनिया के सबसे लंबे व्यक्ति की ऊंचाई 7 से 8 फीट के बीच होगी, यहां तक कि वह इससे लंबा नहीं हो सकता है। वैसे भी तुम्हारे भीतर एक असाधारण क्षमता है, जिसे ‘प्रत्यांगिरा’ Pratyangira कहा जाता है। योगी भी योगिक विधियों से प्रत्यांगिरा साधना करते हैं, और तांत्रिक तंत्राचार्य अपनी ‘अवारण पूजा’ के माध्यम से साधना करते हैं।
लेकिन यह प्रत्यांगिरा Pratyangira साधना ऐसी है कि इसे ‘महाकवाच’ कहा जा सकता है क्योंकि इसकी उपस्थिति में कुछ भी नहीं टिकेगा। मैंने बहुत से लोगों को देखा है… शनिचर, जिसका अर्थ है शनि महाराज की स्तुति गाओ। वे कहते हैं कि शनि सर्वश्रेष्ठ हैं, वह एक सर्वोच्च न्याय प्रदाता हैं। शनि जैसे देवता, और महाविद्याओं में, मेरी ‘आराध्या’ और जिनसे मैं बहुत प्यार करता हूं, मां धूमावती उनकी तरह शक्ति भी जो [ नहीं रह पाएगी, वह प्रत्यांगिरा Pratyangira है।
और जहां, 64 कृत्य भी नाचते रहेंगे और कुछ नहीं कर पाएंगे , वह प्रत्यांगिरा Pratyangira है। इस वजह से प्रत्यंगिरा pratyangira महाविद्या होने के साथ-साथ उपमहाविद्या भी मानी जाती है। और परमाविद्या में, परमविद्या के अनुसार उनका महान तामसिक रूप माना जाता है।
तो, यही कारण है कि यह आवश्यक है कि आप इसे समझने की कोशिश करें कि यह देवियों की सिर्फ कहानी है। जो मैंने आपको बताया था; या फिर आपके मस्तिष्क से या इस सृष्टि की रचना से, या हमारे जीवन से जुड़ा कोई और रहस्यमय तत्व जुड़ा हुआ है, या इसका भी कोई और अर्थ है?
आइए इन सब बातों को जानें और जानें कि प्रत्यांगिरा Pratyangira कौन है [या क्या]। प्रत्यांगिरा Pratyangira साधना आपको उच्च स्तर और क्षमताओं का सर्वोच्च मस्तिष्क प्रदान कर सकती है। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। मैं इसे केवल यह कहकर छोड़ दूंगा कि तुम्हारे भीतर भी तमस तत्व है; लेकिन इसे कांटे के रूप में हटाया जा सकता है और किसी के लाभ के लिए उपयोग किया जा सकता है।
और सिद्धों ने केवल यही किया, और अपनी उन्नति और सिद्धत्व की प्राप्ति के लिए प्रत्यांगिरा Pratyangira जैसी शक्ति का उपयोग किया। और यह कैसे संभव होगा? अब आपको यही जानना है। इसलिए, आप प्रत्यांगिरा Pratyangira को जानने का प्रयास करें।
मैं जल्द ही लौटूंगा नई जानकारी के साथ। तब तक, कृपया मेरे प्यार को स्वीकार करें। अपनी खोज जारी रखें। खोज करते रहो। सीखते रहो और अपने जीवन को आनंद से, ज्ञान से भरते रहो। तो नमः शिवाय! आदेश! प्रणाम! नमस्कार
प्रत्यंगिरा देवी कौन है
प्रत्यंगिरा देवी जगदंबा पार्वती की विरोधनी शक्ति है। प्रत्यांगिरा’ Pratyangira शब्द को समझने से पहले, आपको सबसे पहले दो शब्दों को समझना होगा- एक, ‘रुद्’ है; और दूसरा है ‘विरुद्ध’। ‘रुद्र’ का अर्थ क्या है कि जीवन में अगर कोई प्रवाह है … विचार करें, पानी का कुछ फव्वारा या पानी का झरना, झरना, या नदी है, जब यह तेजी से एक दिशा में जाता है, तो यह है इसका ‘रुद्रता’। और अचानक, जब कोई इसे रोकता है, और वह नदी उसी ‘वेग’ के साथ वापस बहने लगती है। इसे ‘विरुधाता’ या ‘विरुद्ध’ कहा जाता है।
प्रत्यंगिरा साधना क्या है?
प्रत्यंगिरा साधना एक तांत्रिको की पसदीदा साधना है इस साधना तांत्रिको को सुरक्षा और तंत्र कार्य को वापस पलटने की साधना कैसे भी तांत्रिक की शक्ति को पलट सकते है।
प्रत्यंगिरा देवी की पूजा कौन कर सकता है?
प्रत्यंगिरा देवी की पूजा कोई भी कर सकता है।
प्रत्यंगिरा देवी की पूजा किस दिन करनी है?
प्रत्यंगिरा देवी की पूजा किसी भी दिन से कर सकते है
क्या हम प्रत्यंगिरा देवी मंत्र का जाप घर पर कर सकते हैं?
हां क्या हम प्रत्यंगिरा देवी मंत्र का जाप घर पर कर सकते
कैसे जाने की किसी ने काला जादू कर दिया है kaise jaane ke kisi ne kala jaadu kar diya hai
कैसे जाने की किसी ने काला जादू कर दिया है kaise jaane ke kisi ne kala jaadu kar diya hai
कैसे जाने की किसी ने काला जादू कर दिया है kaise jaane ke kisi ne kala jaadu kar diya haiकैसे जाने की किसी ने काला जादू कर दिया है, किसी ने कुछ किया है ?कैसे पता करें अगर किसी ने कुछ किया है तो क्या है उस जादू का ? कलयुग के इस जमाने में लोग काफी स्वार्थी हो गए हैं और लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए किसी भी हद तक चले जा रहे हैं।
पहले के समय में लोग एक दूसरे की आवश्यकता पड़ने पर सहायता करते थे,परंतु वर्तमान के समय में लोग सहायता करना तो दूर बल्कि एक दूसरे को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं।
हमारे आस पास ऐसे कई व्यक्ति होते हैं जिन्हें हम पसंद नहीं करते हैं या फिर वह हमें पसंद नहीं करते हैं । कई बार तो यह पसंद नापसंद सिर्फ आपसी मन मुटाव तक सीमित होती है परंतु अब लोग काफी ऐडवान्स हो गए हैं । साथ ही चालक हो गए हैं ।
इसलिए वह किसी से भी सामने से लड़ने की जगह पर उसके खिलाफ़ पीठ पीछे साजिश करते हैं और किसी भी प्रकार से उसे नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं। परन्तु जब साजिशें करने के बावजूद भी सामने वाले व्यक्ति का कुछ भी नुकसान नहीं होता है
तो अंत में व्यक्ति थक हार कर तंत्र मंत्र की शरण में जाता है और फिरसामने वाले व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए उसके ऊपर किसी भी प्रकार का काला जादू या फिर तांत्रिक क्रिया करवा देता है ।
जो सामान्य लोग होते हैं, उन्हें तो यह पता भी नहीं चलता है की उनके ऊपर उनके किसी दुश्मन ने काला जादू करवा दिया है क्योंकि उनके पास ऐसा कोई तरीका उन्हें मालूम नहीं होता है, जिसका इस्तेमाल करके वह यह जान सकें किउनके ऊपर काला जादू हुआ है या नहीं।
और इस पोस्ट में हम आपको यह बताने वाले हैं की किसी ने कुछ किया है यान नहीं । कैसे जाने चलिए जानते हैं कि किसीने कुछ किया है या नहीं कैसे पता करें। अगर आप यह जानना चाहते है की किसीने आपके ऊपर कुछ किया है तो इसके लिए नीचे हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिसे करके आप आसानी से इसके बारे में पता लगा सकते है की किसी ने आपके ऊपर काला जादू किया है या नहीं।
किसी ने जादू टोना कर दिया उसके यह लक्षण है
किसी ने जादू टोना कर दिया उसके यह लक्षण है
नंबर एक लक्षण – व्यक्ति की सांसें तेज हो जाना
तांत्रिक प्रयोग किए गए व्यक्ति की सांसें तेज हो जाना। अगर किसी व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक क्रिया या फिर काले जादू का इस्तेमाल किया गया होता है तो उस व्यक्ति की सांसे लेने की गति तेज हो जाती है । आपने ऐसा अक्सर फिल्मों में देखा होगा परंतु वास्तव में भी ऐसा होता है । यह भी प्रेत बाधा या तांत्रिक प्रयोग का एक प्रमुख संकेत माना जाता है ।
नंबर दोलक्षण – व्यक्ति को डरावने सपने आना
तांत्रिक प्रयोग किए गए व्यक्ति को डरावने सपने आना आपकी जानकारी के लिए बतादें की रात के समय में काली शक्तियां बहुत ही ज्यादा ऐक्टिव हो जाती है और यही वजह है कि तांत्रिक लोग तथा अघोरीबाबा रात के समय में ही तांत्रिक क्रिया करते हैं
तभी यह अपने लक्ष्य पर हावी होने की कोशिश करती हैं। ऐसी अवस्था में जीस किसी भी व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक प्रयोग किया गया होता है। उसे रात को सोते समय डरावने सपने आते हैं। या फिर अगर वह सोया हुआ होता है तो वह अचानक से चीखकर जाग जाता है। हालांकि कभी कभी अगर उसे डरावने सपने आते हैं तो इसे तंत्र मंत्र का हिस्सा नहीं माना जाना चाहिए।
नम्बर तीन – पीड़ित को होने वाली शारीरिक और मानसिक हानि
पीड़ित को होने वाली शारीरिक और मानसिक हानि ऐसा कहा जाता है की जब किसी व्यक्ति के ऊपर काले जादू का इस्तेमाल किया गया होता है या उस पर तांत्रिक विधि की गई होती है तो उसे शारीरिक और मानसिक नुकसान होने लगते हैं ।
अचानक से ही उसके विचार यहाँ वहाँ भटकने लगते हैं या फिर उसेहमेशा अपनी बॉडी में कमजोरी महसूस होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस इंसान की जीवनी शक्ति मंत्र या फिर तंत्र प्रयोग के द्वारा कमजोर होने लगती है।
जिसके कारण उसे शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इस प्रकार व्यक्ति को कमजोरी महसूस होने लगती है।
आप तरह से जान सकते है जादू टोना किया कराया है या नहीं ?
प्रयोग नंबर 1- एक पानी के गिलास से जाने
व्यक्ति आसानी से यह जान सकता है की उसके ऊपर काले जादू का इस्तेमाल किया गया है या नहीं या फिर उसके ऊपर तांत्रिक विद्या का प्रयोग किया गया है या नहीं। इसके लिए उसे करना यह है की रात को जब वह सोने जाएं तो उसे एक गिलास में पानी भरकर उसे अपने बेड के नीचे रख देना है।
साथ ही मन में यह संकल्प लेना है की अगर हमारे ऊपर किसी भी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी का इस्तेमाल किया गया है तो वह सारी नेगेटिव एन र्जी पानीके अंदर समाहित हो जाए। इसके बाद आपको सुबह उठकर उस गिलासके पानी को चेक करना है अगर उसमें ज्यादा ही बासीपन नजर आता है या फिर उसका कलर हल्का सा भी पीला नजर आताहै तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि किसी ने आपके ऊपर कुछ तांत्रिक विद्या करवाई है?
प्रयोग नंबर 2 – नींबू का भी इस्तेमाल करके
दोस्तों नींबू का भी इस्तेमाल करके यह पता लगाया जा सकता है की तंत्र मंत्र हुआ है या नहीं। फल और सब्जियां नेगेटिव एनर्जी से बहुत ही ज्यादा प्रभावित होती है। अगर आप यह जानना चाहते है की किसी ने आपके ऊपर कुछ किया है या नहीं तो इसका पता लगाने के लिए आपको रात को सोते समय एक नींबू को अपने तकिये के नीचे रख देना है और आपको अपने मन में यह सोचना है की अगर आपके आस पास किसी भी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी है।
तो वह इस नीम्बू में समाहित हो जाए। इसके बाद आपको सुबह उठकर नींबू को देखना है। अगर आपके ऊपर कालाजादू कियागया होगा तो नींबू बहुत ज्यादा मुरझा जाएगा और उसका रंग भी काला पड़ जाएगा।
प्रयोग नंबर 3 – दीपक का इस्तेमाल करके पता करें
दीपक का इस्तेमाल करके पता करें दोस्तों इस विधि का इस्तेमाल करके आपअपने घर पर काला जादू हुआ है या नहीं या फिर अपने खुद के ऊपर काला जादू हुआ है या नहीं इसके बारे में पता कर सकते हैं।
इसके लिए आपको करना यह है की आपको एक छोटे से मिट्टी के दिवाली में सरसों का तेल डालना है। इसके बादआपको उसके अंदर दो लौंग और कपूर पाउडर डालना है। उसके बाद आपकोदीपक डालकर दीपक को जला देना है।इसके बाद आपको कुछ ऐसा प्रबंध करना है की दीपक को ज्यादा हवा ना लगे।
उसके बादआपको वहाँ से चले जाना है और फिर सुबह उठकर आपको देखना है अगर दीपक आपको बुझा हुआ दिखाई देता है तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि किसी नेआपका बुरा करने के लिए आपके घर के ऊपर या फिर आपके ऊपर काले जादू का इस्तेमाल किया है या फिर तांत्रिक विद्या का इस्तेमाल किया है।
प्रयोग नंबर 4 नमक के पानीसे पता करें
दोस्तों एक छोटे से उपाय नमक के पानीसे पता करें। काला जादू अपने ऊपर अथवा अपने घर के ऊपर काले जादू का इस्तेमाल किया गया है या नहीं इसका पता लगाने के लिए आपको किसी भी रात को बजे के आसपास एक गिलास पानी लेना है और आपको उसके अंदर सादा नमक डालना है और फिर आपको चम्मच की सहायता से नमक को पानी में अच्छी तरह से मिक्स कर देना है।
इसके बाद आपको इसनमक वाले पानी को ले जाकरअपने घर के किसी भी कोने में रख देना है। अगर सुबह होने के बाद यह पानी काले पानी के रूप में चेंज हो जाए तो समझ लीजिए किआपके घर के ऊपर या फिर आपके ऊपर तांत्रिक विद्या अथवा काले जादू का इस्तेमाल किया गया है।