Category: स्वास्थ्य

  • ok वूडू क्या है वूडू का रहस्य What is Voodoo. The secret of Voodoo ph. +91 85280 57364

    वूडू क्या है वूडू का रहस्य What is Voodoo. The secret of Voodoo ph. +91 85280 57364 

     

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    Voodoo doll वूडू क्या है वूडू का रहस्य What is Voodoo. The secret of Voodoo वूडू एक काले  जादू की एक क्रिया है।  जिसे से आप किसी को भी हानि पहुंचा सकते है, यह प्राचीन विद्या में से एक है।  Voodoo origins  इस का निर्माण अफ्रीका से हुआ था ,वही से ही इसका नाम वूडू पड़ा। वूडू  एक डोल  होती है उस डोल  के माध्यम से किसी को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है। पहले इसका इस्तमाल लोगो की भलाई के लिए  किया जाता था रोगो को ख़तम करने के लिए  और शरीरक  और मानसिक उपचार के लिए  किया जाता था। इस के बारे में आगे बात करेंगे। 

    दोस्तों हम जब कभी भी वूडू के बारे में सुनते हैं। तो हमारे दिमाग में सबसे पहले किसी अफ्रीकन ओरिजिन के इंसान का ख्याल आता है। जो कुछ मिस्टीरियस डॉल्स के अंदर  सुई चुबाता  हुए रियल लाइफ में किसी इंसान को हानि पहुंचा रहा होता है। 

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    कई बार हम वूडू को ब्लैक मैजिक Voodoo magic या फिर डेविल वरशिप से एसोसिएट करते हैं, और हमारा यह तक मानना होता है, कि जो लोग भी प्रक्रिया को सीख ले वह किसी भी इंसान की एक कठपुतली बनाकर उन्हें अपने वश में कर सकते हैं। 

    तो आखिर इनमें से कितनी बातें सच है।  हम क्यों इन बातों को मानते हैं और असल में वोडू क्या है इन्हीं कुछ तथ्यों पर हम आज की बातें करेंगे। हर चीज का जहाँ  फायदा है वही नुकसान भी जब किसी चीज लोगो के भले के लिए  बनाया दुरपयोग  भी होने लगता है।

     हर वास्तु का डार्क साइड भी होता है जैसे वूडू का प्रयोग लोगो की भलाई के लिए  किया जाता था लोगों  की बीमारी को ठीक किया जा सकता था पर कुछ लोगो ने इस ऊर्जा का प्रयोग गलत कामो तो

    इंसान ने अभी तक इसके केवल कुछ ही आश्चर्य से पर्दा उठाया उन्हें में से एक आश्चर्य यह भी है कि कोई इंसान अपनी पॉजिटिव एनर्जी किसी दूसरे इंसान तक भेज सकता है और जैसा वह अभी खुद के लिए महसूस कर रहा है बिल्कुल वैसा ही वह किसी दूसरे को भी महसूस कर सकता है 

    इस काम को पहले दुनिया के वे लोग करते थे जो अपनी एनर्जी को किसी दूसरे इंसान तक भेजने में कामयाब हो गए थे और ऐसा ही काम किसी दूसरी आत्माओं का आह्वान करके उनसे करवाते थे और इसी काम को करने के लिए इस वूडू डॉल का इजाद किया गया था 

    वूडू डाल के प्रयोग को भारत में ज्यादातर काले जादू के नाम से जाना जाता है लेकिन कुछ अफ्रीकी देशों में इसको लोग अपने धर्म की तरह ही मानते हैं वे इस मॉडल को एक्टिव करने के लिए आत्माओं का आह्वान करते हैं और उनकी सहायता से बहुत से लोगों के ऐसा अध्याय रोग आदि का उपचार करते हैं

     यह वूडू डाल कई तरीके से प्रयोग में लाई जाती है मैं आपको इसके केवल सही प्रयोग बताना चाहूंगा क्योंकि किसी को इसका बड़ा प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए यह आपको इस लेख  को लास्ट तक पढ़े खुद ही समझ आ जाएगा

    Voodoo doll  वूडू का इस्तमाल 

     जैसे कोई इंसान पुराने समय में बीमार हो जाता था तो उसको अपनी पॉजिटिव एनर्जी का प्रयोग करने वाले लोग इस वूडू डाल के माध्यम से हजारों मील की दूरी से भी बड़ी आसानी से सही कर सकते थे और वह ऐसा कैसे पहले एक डॉल की तरह ही कपड़े की गुड़िया बनाते थे 

    Voodoo ritual 

    जिसमें उसे बीमार व्यक्ति के बाल नाखून आदि का प्रयोग भी करते थे और फिर जिस इंसान का इलाज करना चाहते थे उसे इंसान की एनर्जी आत्मा का आवाज उसे गुड़िया में करते थे और  

    फिर अपनी पॉजिटिव एनर्जी का प्रयोग करके इस गुड़िया को बहुत से सजेशंन  देते थे या पीन  आदि चबाकर  इस काम को पूरा किया जाता था और अपनी पावर का प्रयोग करके उसे गुड़िया पर ऐसे ही काम करते थे जैसे मैं खुद बीमार इंसान उनके सामने हो और ऐसा करने से एक चमत्कार होता था कि यह प्रयोग तो इस गुड़िया के साथ किया जाता था

     मगर हजारों मील की दूरी पर बैठा इंसान अपनी बीमारी से सही हो जाता था और बीमारी सही करने के साथ ही साथ बहुत से पॉजिटिव प्रयोग इस गुड डॉल की सहायता से किए जाते थे और ऐसा ही प्रयोग किया जाता था आत्माओं का आह्वान करके जिन आत्माओं को आह्वान के द्वारा बुलाया जाता था 

    उनसे प्रार्थना की जाती थी कि वह उसे इंसान को रोग से मुक्ति दे दे या कोई दूसरे अधूरे कामों को पूरा कर दे और फिर अगर आप में ऐसा करने को राजी होती थी तो कोई इंसान हजारों मील की दूरी से ही सही कर दिया जाता था लेकिन यहां पर यह सारे प्रयोग पॉजिटिव भी होते थे जिसका मकसद किसी को फायदा पहुंचाना ही होता था

    लेकिन अब यहीं से शुरू होता है दूसरा गेम जब कुछ चालक लोगों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने इसी तरकीब का प्रयोग अपने दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने के लिए करना शुरू किया और जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि उनके दुश्मनों को कुछ होता इससे पहले ही इस तरह के प्रयोग करने वाले ही लोग परेशान होने लगे क्योंकि उनको पता भी नहीं था कि कुछ चीज केवल पॉजिटिव रूप में ही प्रयोग करने के लिए प्रकृति उन खास लोगों को बताती है

    जो दूसरों का भला करना चाहते हैं लेकिन बुरे लोग जब इस चीज को बाहरी तौर पर देखकर उसका गलत प्रयोग करना चाहते हैं तो वह खुद के बनाए जाल में ही फंस जाते हैं और ऐसा कैसे होता है चलिए इसको भी थोड़ा सा समझ ही लेते हैं मान लीजिए आप बहुत से लोगों का फायदा करना चाहते हो या आप बहुत से लोगों को खुशी देना चाहते हो या बहुत से लोगों की बात छोड़िए आप किसी एक कई भला करना चाहते हो तो आपके पास इस लेवल की ताकत आएगी

    जिस लेवल की हेल्प आप लोगों की करना चाहते हो और वैसे भी यह बात केवल चाहने पर से पूरी नहीं होती है इसके लिए बहुत से फैक्टर जिम्मेवार होता है इसलिए जब कोई इंसान ऐसा कुछ अच्छा काम करना चाहता है तो ऐसा करने से पहले ऐसे इंसान को इतनी पॉजिटिव एनर्जी घेर लेती है कि वह आपसे उन सब लोगों का फायदा करवा सके

    जिनको आप फायदा पहुंचाना चाहते हो आप इसको पूरा डाल के कॉन्सेप्ट में आत्माएं भी कह सकते हैं जो किसी का भला करना चाहती है इसलिए जो लोग ब्यूरोडोल का प्रयोग लोगों की भलाई करने में लगते थे या लगते हैं 

    वह अपने आप में पॉजिटिव एनर्जी का भंडार होते हैं उनके पास ऐसी आत्माओं की पावर होती है जो सबका अच्छा करना चाहती है और अब बात करें किसी इंसान को किसी विद्या से नुकसान पहुंचाने की तो जो लोग इसी वूडू  डॉल का प्रयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए करते थे 

    उनको यह प्रयोग करने से पहले इतनी नेगेटिव एनर्जी का है या बुरी आत्माएं गिर लेती थी कि वह खुद ही हजारों मुसीबत में फंस जाते थे क्योंकि बुरी आत्माएं कुछ नहीं देखी है वह कभी-कभी तो आह्वान करने वाले को ही मजा चक्का देती है 

    इसलिए जैसे आप किसी का भला करना चाहते हो तो तब भी आपको बहुत सी पॉजिटिव एनर्जी चाहिए होती है जो दूसरों को फायदा पहुंचाने के साथ ही साथ आपको भी फायदा पहुंचती है और ऐसे ही जो लोग दूसरों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं  Voodoo movies

    उनको भी इतनी नेगेटिव एनर्जी चाहिए होती कि वहदूसरों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही साथ अपने आप को भी बहुत सा नुकसान पहुंचा लेते हैं इसलिए बिना किसी चीज को पूरी तरह से समझे इंसान को लालच में ऐसे काम नहीं करना चाहिए और जादू टोना जैसे तो बिल्कुल भी नहीं जो किसी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से किया जाए  Voodoo app movies

    तो आज आपने भी इस वूडू  डाल के रहस्य को बिना ज्यादा डिटेल में जाए सारी काम की बातें सीख ली है जैसे कि कुछ चीज आप केवल पॉजिटिव तौर पर ही प्रयोग कर सकते हैं वह भी तभी जब आप उसके अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव के बारे में पूरी डिटेल से जानते हो तो आज इस लेख  में इतना ही और हम आपसे जल्दी मिलते हैं एक सबसे यूनिक इनफॉरमेशन से भरी वीडियो के साथ तब तक अपना ख्याल रखिए मुस्कुराते रहिए धन्यवाद  Voodoo wikipedia

  • ok कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

     

    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini कर्ण पिशाचिनी एक पिशाच वर्ग की शक्ति है जो कान  में भूत भविष्य वर्तमान बताती है।  भौतिक आकांक्षाओं से पीड़ित लोग कर्ण पिशाचिनी की साधना  करने को लालायित रहते हैं ।

    यह सिद्ध होने पर भूतकाल और वर्तमान काल की बातें बतला देती है, असाधारण परिस्थितियों में भविष्यत् को बत- लाने की क्षमता भी आती है किन्तु इसके लिए अधिक श्रम और साहस की आवश्यकता रहती है।

    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

    वर्तमान में चाहे विश्व के किसी भी हिस्से की जात पूछी जाय यह सही उत्तर दे देती है, एक हद तक यह व्यक्ति के अन्तः स्तल के विचारो को भी जान सकती है। किन्तु किसी के विचारों की बदले की शक्ति इसमे नही है ।

    पिशाचि शब्द सुनते ही रोंगटे खड़े होने लगते हैं ऐसा लगता है कि  कोई मांसाहारी भूत प्रेत जैसी ही कोई शक्ति होगी पिसाची शक्ति शक्ति के ह्रदय चक्र शरीर में विद्यमान है इन्हीं शब्द चक्र में एक हृदय चक्र है स्वामिनी अधिकांश रोग हमारे शरीर में जितने वह सब हमें पिशाचिनी शक्ति की वजह से ही लगते हैं। 

    पिशाचि शब्द की आधार की परिभाषा आती है समझ सकते हैं कि किसी एक विषय अथवा वस्तु में हृदय का लगातार लगे रहना किसी एक विषय को जब हम इतना अधिक पसंद करने लग जाए कि अपना तन मन धन यहां तक की अपना आत्मा को शांत करने के लिए तैयार हो जाए तो। हमारा मन धन के लिए कभी वैभव के लिए और भी न जाने कितने विषय वस्तुओं के लिए हम प्रयासरत रहते हैं और हमारा हृदय इस दुनिया से हटना ही नहीं चाहता  इस सुभाव को  पिसाच सुभाव कहा जाता है। 

     Karna Pishachini  पिशाची देवी का सवरूप 

    लेकिन बावजूद इसके देवी पिसाची बहुत ही सुंदर है कमल के आसान  पर बैठी हाथ  में दिव्या पुष्प पकडे हुए और एक हाथ में एक अग्नि से जलता हुआ एक कटोरा पकड़े  हुए बैठे हुए है। दिव्या पिशाची देवी की आराधना का और  कुलांतक पीठ से निकलता है। मानसिक और बौद्धिक रोग है और मनोज जनित जितने भी रोग  हैं। नष्ट करने में देवी पिशाची  के मंत्र सर्वश्रेष्ठ है उनका ध्यान स्तुति बहुत लाभदायक है। 

     

    लोगों को चमत्कृत करने के लिए, अपना प्रभाव जमाने के लिए और इन प्रदर्शनों के फलस्वरूप धन अर्जन के लिए कर्ण पिशाचिनी के प्रति लोग अधिक आकृष्ट होते हैं । इसके संबंध में कुछ भी लिखने से पहले एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं ज्ञान मार्ग में प्रवृत्त हो चुका हूँ, ये आनन्दमार्गी चुटकुले हैं, इनके प्रति मुझे कोई भी दिलचस्पी नही चमत्कार जैसी चीज मेरे मे नही है और जब नही है तो दिखावा कैसे करू ?

    सच यह है कि अर्थ और सुविधाओं के मामले मे आवश्यकता तक सोचता हूं मुझे किसी भी प्रकार की कोई सिद्धि नही मिली फिर भी भारतीय मन्त्रो की शक्ति का परिचय मुझे है । ज्ञान मार्ग जिस विराट् शून्य में रमना चाहता है उसमे प्रदर्शनीय, सिद्धि या चमत्कार नाम को कोई चीज होती ही नहीं। गोपीनाथ कविराज नौर. योगीराज अरविन्द के पास लोगों ने कौन – सा चमत्कार देखा ।

    किन्तु तो उनको मिला उसके लिए कौन लालायत नहीं है ? ज्ञान मार्ग का यह भाव है। कामनाओं से प्रेरित होकर जो प्रयोग किये जाते हैं वे ऐसे ही ४८ रहते हैं जैसे किसी को एक शहर से दूसरे शहर जाना होता है ।

    ऐसे लोग एक सीमित दिशा और दृश्य का अनुभव प्राप्त करते है किन्तु जिनको केवल चलना है उनके अनुभव मे सारे नगर वन, पहाड़, मैदान आ जाते हैं । ज्ञानमार्ग मे इन सारी सिद्धियो का रहस्य खुल जाता है या यों कहे कि पोल खुल जाती है और अभिरुचि समाप्त हो जाती है। एक बार एक सज्जन आये और मुझसे उलझ पड़े, बार-बार कहने लगे तुम ऐसी पुस्तकें क्यो लिखते हो ?

    एक मोह उपजा देते हो, मन मे वैचारिक विप भर देते हो मेरा उत्तर था आप क्यों पढ़ते हो ? अपवाद स्वरूप ही ऐसे लोगों से साबका पड़ा और मेरे मन में यह आया कि चलो, इस विषय पर कुछ भी नही कहेंगे किन्तु इसके साथ ही उन पत्रों का क्या करूं जिन्होंने मेरी पूर्ण लिखित पोस्ट  में दिये गये प्रयोग किये और सफल हुए, जिन लोगो ने विश्वास पूर्वक उन प्रयोगो के बारे मे पूछा जो लेख  इस विशाल वर्ग की आस्था ने मुझे चुप नही रहने दिया और मैंने फिर कलम  उठा ली यही सोचकर कि यदि वर्ष भर मे पांच व्यक्ति भी इन प्रयोगों मे लाभ उठाते हैं

    तो यह पुण्य का ही काम है। जो लोग सफल नहीं हो रहे वे भी कम-से-कम भगवान का स्मरण कर रहे हैं, अपने पाप धो रहे हैं कोई दुष्कर्म नही कर रहे, न मैं कोई घटिया उपन्यास लिखकर लोगों की वासना उभार रहा हूं । हरेक व्यक्ति का अपना मिशन होता है।

    आस्तिकता का प्रसार और भारतीय संस्कृति एवं विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि जागृत करना मेरा जीवन का लक्ष्य है । धर्म नेता नही होना चाहता, न अपने नाम से कोई . सम्प्रदाय चलाना चाहता हूं, मुझे मेरे देश वासियों से स्नेह है और जीवन भारत के प्रति आस्था जगाना मेरा नशा है। यह व्यवसाय नहीं शोक है ।

    वे हजारों लोग मेरे इस कथन के साक्षी हैं जिनके विस्तृत पत्रो के उत्तर मैंने एक पूरे लेख के आकार में निःशुल्क दिये हैं अब भी दे रहा हूं, भले ही इससे मेरे निजी जीवन मे गतिरोध उत्पन्न हो जाता हो । उन अनजान लोगों के दुःख में भागीदार होने में मुझे बढ़ा सन्तोष मिलता है । आध्यात्मिक साधना करने से उनका आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है ।

     

    जिन रहस्यों को प्रकट करने में कोई बाधा नहीं थी उनको स्पष्ट करने में मैंने कोई संकोच नही किया किन्तु जिनको सार्वजनिक रूप से घोषित करने के हित की अपेक्षा अहित हो सकता था उनका उल्लेख या संकेत मैंने नही किया है ।

    प्रश्न उठता है क्या ये प्रयोग मैंने किये हैं?

    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

    में एक ही उत्तर देता हूं- नही क्या ये अनुष्ठान सच हैं- इस प्रश्न के उत्तर में मैं कहूंगा- मैंने जीवन पग-पग पर इनकी शक्ति को देखा है, इनको झूठ या अविश्वसनीय मानने का अपराध मैं नहीं कर सकता ।

    आदमी का जीवन बहुत छोटा होता है और वह सारे अनुष्ठान कर ले यह संभव ही नहीं फिर भी अनेकों प्रयोग मैंने किये हैं अथवा कराये हैं । कर्ण पिशाचिनी के संबंध में सूक्ष्म और रहस्य को बातें प्राप्त करने के लिये मुझे बहुत कुछ करना पड़ा है। जिन लोगो को यह प्रयोग सिद्ध है वे कुछ भी बतलाने के लिए तैय्यार नही और मैं स्वयं करूं – यह पसन्द नही ।

    इसलिए उन लोगों से रहस्य उगलवाने के लिए इस साधना के गूढ रहस्यो पर इस तरह विवेचन करने लगता जिससे वे समझें कि यह भी पूरा जानता है और फिर मेरे कहे में संशोधन कराने जैसी ही स्थिति रहने देता। इस तरह से इस प्रयोग के जटिल रहस्यो का स्पष्टीकरण मेरे सन्तोष तक प्राप्त करने के बाद ही लिखने का साहस कर रहा हूं ।

    जाने क्यों पाठकों का इस प्रयोग के प्रति इतना रुझान है और इन लोगों का इतना दबाव रहा है कि मुझे इस प्रयोग के बारे में बहुत कुछ जानना पड़ा और उसको प्रामाणिक स्तर पर पेश करने के लिए सभी पक्षों पर विचार करना पड़ा। कर्ण पिशाचिनी के अनेक मंत्र हैं

    और उनकी साधना विधि में भी थोड़ा बहुत अन्तर है इस मन्त्र को सतर तरह से लिखने को विधि मैंने देखी है उसी तरह कर्ण पिशाचिनी में भी चालीस से अधिक मंत्र हैं । कौन-सा मंत्र किसके अनुकूल पड़ेगा इसका निर्णय कुलाकुल चक्र और मित्रार चक्र को देखकर कर लेना चाहिए ये चक्र ‘ मंत्र विज्ञान’ में दिये गये हैं । 

    एक स्थान पर ग्रहण के दिन खाट में बैठकर बहुत कम मात्रा मे जप करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध होने की बात मैंने लिखी थी। यह मेरा इस प्रयोग मे ग्रहणकाल की स्वत: निर्णय नही था शास्त्रोक्त बात थी। पवित्र अतः मंत्र साधन के उपयुक्त समझ कर खाट को श्मशान पीठ के रूप माना गया है किन्तु इतनी कम मात्रा मे जप करने पर सिद्धि उनको ही मिलती है जिन्होने इस संबंध में कुछ किया है।

    जिसने पहले कुछ भी नही किया या जो इससे विपरीत गुण वाले प्रयोग कर चुके हैं उनको इतनी संख्या मे जप करने से सफलता नही मिल सकती । जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका स्वरूप और स्वभाव है । स्वा- भाविक है इस प्रकार के प्रयोग करने के लिए अतिरिक्त साहस की आव- श्यकता होगी इसलिए साहसी और वीर व्यक्ति इस संबंध मे सोचें ।

    . कई लोगों ने शंका की थी कि व्यक्ति की मृत्यु के समय ऐसी साधनायें कष्ट कर रहती हैं, ऐसी बात नही है । पिशाचवर्गी होने के कारण इनमे क्रूरता तो रहती ही है, दूसरी बात यह भी है कि इनके अति संपर्क से व्यक्ति के स्वभाव में पैशाचिकता प्रकट होने लगती है।

    हालांकि मंत्र के कारण वचन बद्ध होकर ये हमारे काम तक सीमित रहते हैं फिर भी इनके कागुण लुप्त नही होते और हम उनसे प्रभावित होते ही हैं।

    कर्ण पिशाचिनी साधना Karna Pishachini कहाँ  करनी चाहिए ?

    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

    पिशाचिनी होने के कारण इसकी साधना घर मे नही करनी चाहिए । श्मशान एकान्त वन प्रान्त और शिव मंदिर इस साधना क्रे उपयुक्त स्वल हैं। घर करने से सफलता देर मे मिलती है और घर का वातावरण दूषित होता है । सिद्ध होने के बाद तो यह नियंत्रित हो जाती है इसलिए दूषित नही कर पाती किन्तु सिद्ध होने से पहले स्वतंत्र रहती है ।

    कर्ण पिशाचिनी Karna Pishachini साधना को किस रूप में करें  

    इस तीन रूपों में माना जा सकता है मां, बहन और पत्नी मां और बहन के रूप में मानने पर इसमें इतनी शक्ति नही आती पत्नी के रूप मे मानने पर इसकी सामथ्यं पूर्ण रूप से प्रकट होती है । किन्तु अपने स्वभाव के अनुसार यह पत्नी सुख में बाधा पहुंचाती है।

    हां, व्यभिचारी बनाकर वैयमिक सुख में कमी नही आने देती पर पत्नी के नाम से जो व्यक्ति हमारे घर में है उसे कष्ट देती है। आवेश या दिखने जैसे कष्ट नही बल्कि उसके स्वास्थ्य मे ह्रासमोर चिन्तायें उत्पन्न करती है। मां और बहन रूप में मानने पर इनके सुखो मे बाधा पहुंचाती है ।

    कर्ण पिशाचिनी कितने दिन में सिद्ध हो जाती है ?

    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
    कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

    बहुत काम समय में सिद्ध हो जाती है  इसकी बहुत सारी  विधि है वाम मार्ग दिक्षण  मार्ग किश मार्ग से कर रहे हो यह डिपेंड करता है कुछ २१ , ११ , ४१ ,  दिन की होती है अघोर मार्ग में यह साधना जल्दी सिद्ध हो सकती है 

    कर्ण पिशाचिनी क्या क्या कर सकती है

     आज के समय में हर व्यक्ति करना चाहता है क्योंकि एकमात्र यह ऐसी सिद्धि है पिशाचिनी की जो अपने जातक को बहुत सारी शक्तियां प्रदान करती है ऐसी शक्तियां प्रदान करती है जिससे कि व्यक्ति कहीं से भी धन को अर्जित  करने लगता है किसी भी व्यक्ति का जटिल से जटिल अगर कार्य कहीं रुक गया है या कोई कार्य फस गया है तो इस कार्य को आसानी से करने के लिए भी कर्ण पिशाचिनी कार्य करती है दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि किन लोगों  को इस साधना को पूरा करना चाहिए

     

  • ok माँ तारा कैंसर से मुक्ति साधना maa tara cancer mukti sadhna ph.85280 57364

    माँ तारा कैंसर से मुक्ति साधना maa tara cancer mukti sadhna ph.85280 57364

     

    माँ तारा कैंसर से मुक्ति साधना maa tara cancer mukti sadhna स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें प्राचीन काल से ही मानव के साथ जुड़ी हुई हैं। प्रत्येक काल में उपलब्ध साधनों के द्वारा ही इनका उपचार किया जाता रहा है।

    पहले वर्तमान समय के अनुसार रोगी को रोगमुक्त करने के लिये पर्याप्त सुविधायें नहीं थी। इसलिये तब रोगों को मंत्रजाप एवं विभिन्न अनुष्ठानों के माध्यम से दूर किया जाता था । आश्चर्य की तो यह है कि मंत्रजाप आदि से रोगी रोगों से मुक्त होकर स्वस्थ हो जाते थे, मंत्रजाप द्वारा रोगों से मुक्त होने की यह एक ऐसी विधा है जो हर काल और समय में प्रभावी रही है।

    आज भी मंत्रजाप द्वारा सामान्य एवं जटिल रोगों से मुक्त होना सम्भव है। कैंसर तक के रोगी मंत्रजाप से स्वस्थ होते देखे गये हैं । इसमें आवश्यकता केवल इस बात की है कि अनुष्ठान एवं मंत्रजाप विद्वान आचार्य के दिशा-निर्देश में हो। मैं यहां कैंसर से मुक्ति के बारे में एक प्रयोग लिख रहा हूं।

    इस अनुष्ठान के द्वारा कैंसर का रोगी ठीक हो जाता है। माँ तारा का यह अनुष्ठान भी 31 दिन का है । इस अनुष्ठान को सम्पन्न करने के लिये शुभ मुहूर्त में चांदी पर विधिवत् निर्मित तारा महाविद्या यंत्र, पंचमुखी लघु रुद्राक्ष माला, लौबान, केशर, पीली सरसों, सुपारी, लौंग, बेसन के लड्डू, ताम्र पात्र, पीले रंग के वस्त्र, पीले रंग का कम्बल आसन आदि वस्तुओं की आवश्यकता रहती है ।

    माँ तारा कैंसर से मुक्ति साधना   विधि  maa tara cancer mukti sadhna

    (तारा महाविद्या यंत्र  के लिए  फ़ोन करे 85280 57364 । ) यह अनुष्ठान शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू किया जाना उचित होता है लेकिन अगर रोगी की हालत अधिक खराब हो तो इसे किसी भी मंगलवार के दिन से भी प्रारम्भ किया जा सकता है। अनुष्ठान के लिये प्रातःकाल का समय उपयुक्त रहता है । इस अनुष्ठान को सम्पन्न कराने के लिये किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण की मदद भी ली जा सकती है। ब्राह्मण को यह अनुष्ठान प्रात: 4 बजे के आसपास ही करना चाहिये।

    अनुष्ठान को प्रारम्भ करने के लिये सबसे पहले आसन बिछाकर पश्चिम की तरफ मुंह करके बैठ जायें। अगर रोगी अनुष्ठान के दौरान उसी साधना कक्ष उपस्थित रहे तो अनुष्ठान का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। अनुष्ठान कक्ष में रोगी की उपस्थिति अच्छी रहती है। अगर रोगी स्नान करने में सक्षम है तो स्नान करके अनुष्ठान कक्ष में बैठ सकता है। अक्षमता की स्थिति में हाथ, पांव तथा मुंहा का स्पंज स्नान किया जा सकता है।

    यह इसलिये आवश्यक समझा जाता है कि अनुष्ठान में उच्चारित मंत्रों को रोगी सुन सके। अगर रोगी की अनुपस्थिति में अनुष्ठान किया जा रहा हो तो अनुष्ठान में उच्चारित मंत्रों को टेप कर लें। बाद में रोगी टेप चलाकर मंत्रोच्चारण को सुन सकता है। पर तारा महाविद्या यंत्र अनुष्ठान की शुरूआत लकड़ी की चौकी पर केसरी रंग का वस्त्र बिछाकर की जाती है। उस चौकी पर एक चांदी की प्लेट रखकर, उसमें केसर से त्रिकोण बनाकर उसमें तारा यंत्र को पंचामृत से स्नान करवाकर विधिवत् स्थापित किया जाता है।

    इसके उपरान्त पीली सरसों की एक ढेरी बनाकर उसके ऊपर एक तांबे का पात्र रखा जाता है। उसमें थोड़ी सी पीली सरसों, पांच सुपारी, पांच लौंग, पांच बेसन के लड्डू, सप्तरंगी के थोड़े से पुष्प और तीन सप्तमुखी रुद्राक्ष रखे जाते हैं । इन तीनों रुद्राक्षों को अनुष्ठान शुरू करने से पहले रोगी के शरीर पर धारण कराया जाता है और अनुष्ठान समाप्त होने पर रोगी के शरीर से उतारकर तामपात्र में रख दिया जाता है।

    पीली सरसों, सुपारी, लौंग, लड्डू, सप्तरंगी पुष्प आदि को भी रोगी के हाथों से स्पर्श करवाया जाता है। ताम्रपात्र की स्थापना के बाद उसके सामने गाय के घी का एक दीपक प्रज्ज्वलित कर रख दें। साथ ही शुद्ध लौबान का चूर्ण बनाकर उसी घी में मिला दें। शुद्ध लौबान के प्रयोग से शीघ्र ही साधना कक्ष सुगन्धित होने लग जाता है।

    यदि रोगी साधना कक्ष में उपस्थित नहीं रह सकता तो उसके कक्ष में भी मंत्र पाठ सुनाने के दौरान इसी तरह का दीपक जलाकर रखने की व्यवस्था करनी पड़ती है । दीप और पात्र स्थापना के बाद यंत्र को 21 बार माँ के तांत्रोक्त मंत्र के साथ केसर तिलक अर्पित करना चाहिये और साथ ही बार – बार माँ का आह्वान करते रहना चाहिये।

    माँ के आह्वान के बाद शुद्ध आचरण एवं पूर्ण भक्तिभाव युक्त होकर माँ के सामने अनुष्ठान के संकल्प को दोहराना चाहिये। फिर माँ की आज्ञा शिरोधार्य करके रुद्राक्ष माला से 21 मालाएं अग्रांकित मंत्र की जपनी चाहिये। मंत्र जाप पूर्ण हो जाने के उपरान्त 21 बार माँ के तांत्रोक्त स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिये ।

    स्तोत्र पाठ के बाद भी एक माला मंत्र जाप और करना चाहिये । मंत्रजाप और स्तोत्र पाठ पूर्णत: समर्पित भाव एवं श्रद्धा के साथ करना चाहिये । इस दौरान मंत्रजाप करने वाले ब्राह्मण की पूर्ण एकाग्रता अपने इष्ट पर बनी रहनी चाहिये। दीपक अखण्ड रूप से निरन्तर जलते रहना चाहिये ।

    साधना कक्ष में किसी अन्य के आने पर पूर्णत: पाबन्दी रहनी चाहिये । यद्यपि इसमें रोगी को सुनाने के लिये मंत्रजाप और स्तोत्र पाठ को टेपरिकोर्डर में टेप करने के लिये एक व्यक्ति उपस्थित रह सकता है। इस प्रकार जब प्रथम दिन का मंत्रजाप और स्तोत्र पाठ पूर्ण हो जाये तो माँ के सामने एक बार पुनः अपने संकल्प को दोहराना चाहिये । माँ का आह्वान करते हुये उन्हें वापि अपने लोक को लौट जाने की प्रार्थना करें।

    इसके उपरांत अपने आसन से उठना चाहिये। उठने के पश्चात् आसन को भी एक ओर उठा कर रख कर साधना कक्ष को बंद कर देना चाहिये। वैसे विधान तो यह है कि रात्री के समय भी माँ का आह्वान के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके और आसन पर पुनः बैठकर एक माला मंत्रजाप एवं एक स्तोत्र पाठ पूरा करना चाहिये। पूरे अनुष्ठान के दौरान मंत्रजाप करने वाले ब्राह्मण को शुद्ध आचरण बनाये रखना चाहिये ।

    अनुष्ठान का यह क्रम पूरे 31 दिन तक इसी प्रकार से बनाये रखें। इस दौरान प्रत्येक दिन प्रातःकाल यंत्र का पंचामृत से स्नान, केसर तिलक और दीप समर्पण, माँ का आह्वान एवं संकल्प क्रम को दोहरा कर मंत्रजाप व स्तोत्र पाठ करते रहना चाहिये। उसी प्रकार दिन के कार्यक्रम को विश्राम देना चाहिये।

    इस दौरान प्रत्येक सातवें दिन ताम्रपात्र में भरी सामग्री को किसी केसरी वस्त्र में बांधकर सात ताजे बेसन लड्डू के साथ किसी भिखारी को दे दें अथवा वस्त्र एवं बेसन के लड्डू भिखारी को देकर शेष सामग्री को किसी बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें ।

    ताम्रपात्र को पुनः पहले की तरह ही उन्हीं सामग्रियों से भरकर यंत्र की बगल में स्थापित कर दें । 31वें दिन अनुष्ठान के पूर्ण होने की प्रक्रिया में मंत्रजाप और स्तोत्र पाठ पूर्ण करके और माँ के आह्वान के उपरान्त

    परिवार एवं आस पड़ोस में माँ के प्रसाद के रूप में बेसन के लड्डू वितरण करवा देने चाहिये । पूजा सामग्री को पूर्णवत् किसी भिखारी अथवा बहते जल में पात्र एवं दीपक सहित ही प्रवाहित करवा देना चाहिये । माँ के यंत्र को अपने पूजास्थान पर स्थापित कर दें तथा रुद्राक्ष की माला को रोगी के गले में धारण करवा दें।

    अनुष्ठान सम्पन्न होने पर ब्राह्मण देवता को भोजन करायें और दान-दक्षिणा देकर उन्हें प्रसन्नतापूर्वक विदाई दें। अनेक अवसरों पर इस अनुष्ठान के दौरान ही रोगी को लाभ मिलने लगता है। इस रोग के कारण रोगी के जो कष्ट निरन्तर बढ़ रहे होते हैं, उनका बढ़ता रुक जाता है और इसके बाद धीरे-धीरे रोगी स्वयं को पहले से अच्छा महसूस करने लगता है।

    कुछ रोगियों को अनुष्ठान के 21वें दिन से लाभ मिलता देखा गया है। इसके बाद लाभ मिलने की कुछ धीमी होती है किन्तु रोगी का रोग धीरे-धीरे ही दूर होने लगता है।

    इसमें सबसे बड़ी बात यह देखने में आती है कि जो दवायें अपना प्रभाव नहीं दे पा रही थी, अब उनका असर भी रोगी पर दिखाई देने लगता है। इसमें एक केस ऐसा देखने में आया जहां कैंसर के एक रोगी के बचने की आशा लगभग समाप्त हो गई थी। डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था।

    फिर एक परिचित द्वारा इस अनुष्ठान के बारे में जानकारी मिली। एक विद्वान आचार्य की देख-रेख में इस अनुष्ठान को करवाने का मन बना लिया। परिवार वालों ने यह अनुष्ठान केवल इसलिये करवाया कि चलो, अन्तिम प्रयास है, करके देख लेते हैं। बाद में इसी अनुष्ठान के कारण से रोगी के प्राणों की रक्षा हुई थी ।

    विद्वान आचार्यों का मत है कि एक बार के अनुष्ठान से अगर लाभ का अंशमात्र भी दिखाई दे, तो आशा छोड़नी नहीं चाहिये। एक अनुष्ठान के बाद दूसरा अनुष्ठान भी करवाने का प्रयास करना चाहिये । यदि कोई साधक किसी गंभीर रोग से ग्रस्त है तो उसे उपरोक्त अनुसार अनुष्ठान सम्पन्न करना चाहिये ।

    मेरा विश्वास है कि उसे अवश्य ही स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी ।

     

     

     किसी भी प्रकार के तांत्रिक अनुष्ठानों की शुरूआत करने से पहले इस संबंध में विद्वान आचार्य से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिये। किसी अनुष्ठान के लिये मंत्र का चुनाव अथवा स्तोत्र आदि का पाठन पुस्तकीय आधार पर स्वयं शुरू कर लेना खतरनाक सिद्ध हो सकता है । अत: इन्हें किसी आचार्य अथवा गुरु के माध्यम से ही ग्रहण करना चाहिये

     

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  • ok तंत्र साधना सिद्ध होने के लक्षण Tantra siddh hone lakshan ph. 85280 57364

    तंत्र Tantra साधना सिद्ध होने के लक्षण Tantra siddh hone lakshan
    तंत्र Tantra साधना सिद्ध होने के लक्षण Tantra siddh hone lakshan

    तंत्र Tantra साधना सिद्ध होने के लक्षण Tantra siddh hone lakshan guru mantra  sadhna में स्वागत है आज फिर मैं एक विशिष्ट प्रश्न का उत्तर देने जा रहा हूं। जो दर्शकों ने मुझसे कई बार पूछा है। तंत्र Tantra साधना में एक बहुत ही रोचक प्रश्न है इस प्रश्न को लेकर साधकों और जातकों में जिज्ञासा बनी रहती है। सवाल यह है कि तंत्र Tantra सिद्धि क्या है कैसे पता करें कि सिद्धि प्राप्त हो गई है सिद्धि का सीधा सा मतलब है काम पूरा हो गया है । अब एक साधक कैसे जान सकता है कि वह जो साधना कर रहा है वह सिद्धि की ओर जा रहा है या नहीं या उसे सिद्धि मिल गई है  । मैंने पिछले वेदों में बताया है कि जब भी आप तंत्र Tantra साधना करते हैं सिद्ध गुरु के संरक्षण और मार्गदर्शन में ऐसा करें उसके बताए मार्ग पर चलें तंत्र Tantra सिद्धि मार्ग की ओर बढ़ने से पहले गुरु दीक्षा लेना बहुत आवश्यक है ।

    पहले गुरु से दीक्षा लें, उसके बाद ही आगे बढ़ते हैं तंत्र Tantra साधना में आप अपने गुरु द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर साधना कर रहे हैं। आपके गुरु आपको सलाह देते रहते हैं जो भी संदेह आते रहते हैं, आप उससे पूछते रहते हैं जो भी बाधाएं आती रहती हैं, आप उसे बताते रहें क्योंकि उसके पास अनुभव है, उसके पास ज्ञान है। आपके सवालों का जवाब देते समय वह आपके मन की दुविधाओं को दूर करते हुए आपका मार्गदर्शन करते रहते हैं। अब प्रश्न यह है कि आपको कैसा लगेगा कि आपने सिद्धि प्राप्त कर ली है?

    mantra siddh hone ke lakshan

    मैं इसे एक छोटे से उदाहरण में देता हूं मैं अपने जीवन के अनुभवों से बता रहा हूं। साधना में तीन चीजें जरूरी हैं पहली बात जब आप साधना कर रहे हों आप जिस भी मार्ग से इसे कर रहे हैं, किसी भी मंत्र के साथ यदि आपके गुरु ने आपको मंत्र दिया है गुरु आपके साथ है तो यह निश्चित है कि आप उस मार्ग में सफल होंगे साधना करते समय या साधना पूरी होने के बाद कुछ शक्ति का अनुभव करना सामान्य है उदाहरण के लिए आपने काली साधना शुरू की है गुरु ने जो कुछ भी कहा, आपको समय, स्थान और मंत्र जाप के बारे में विस्तार से बताया।

    और आप उसके द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार सब कुछ कर रहे हैं फिर भी बाधाएं आती हैं साधना साधक के मार्ग में हमेशा आती है बाधा आपको इसे स्वीकार करना चाहिए यही कारण है कि मैंने पिछले वीडियो में भी कहा है कि साधना एक बहुत कठिन रास्ता है गुरु के मार्गदर्शन से उनकी कृपा से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं अगर आप इस पर विश्वास करते हैं, तो आपको बहुत शक्ति मिलने वाली है आप कोई सामान्य काम नहीं कर रहे हैं।

    आपको एक बड़ी शक्ति मिलने जा रही है इसे प्राप्त करने के लिए, आपके पास इसे संजोने की शक्ति भी होनी चाहिए। प्लेटफॉर्म जितना मजबूत होगा, उस पर उतनी ही बड़ी चीज खड़ी हो पाएगी इनमें से कुछ मैंने पहले भी कहा है। साधक बनने के लिए कुछ जरूरी बातों का पालन करना चाहिए आत्म-शक्ति होनी चाहिए, मनोबल होना चाहिए। निडरता होनी चाहिए इसके अलावा, ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता होनी चाहिए इतना सब होने के बाद भी जब गुरु आपको दीक्षा देते हैं और तुम साधना में उतर जाते हो।

    आपके रास्ते में कई तरह की बाधाएं आती रहती हैं। ये बाधाएं कभी-कभी मानसिक हो सकती हैं कभी-कभी शारीरिक कभी-कभी सामाजिक इन बाधाओं को बाधा नहीं मानना चाहिए क्योंकि यह भी साधना का एक हिस्सा है इन सभी बाधाओं को दूर कर सिद्धि की ओर पहुंचेंगे इन सब से बाहर आकर आप सफल होंगे और आपको उस शक्ति का अहसास होगा।

    आपके गुरु को इसके बारे में पता चल जाएगा लेकिन साधना करते समय और साधना पूरी होने के बाद आपको अलग-अलग तरह की भावनाएं भी महसूस होंगी: 48.734,11:47.295 आप में क्या बदलाव आए हैं जब आप गुरु के मार्गदर्शन में साधना कर रहे हों और मान लीजिए कि आपके गुरु ने साधना पूरी करने के लिए कुछ समय दिया है जैसे एक महीना, दो महीने या पंद्रह दिन, कोई भी समय सीमा अब आपने साधना की है लेकिन आपने उस समय में कुछ भी अनुभव नहीं किया है। तब भी आपके गुरु आपका मार्गदर्शन करेंगे। उपलब्धि की तीन बुनियादी बातें हैं। जब आप सिद्धि प्राप्त करते हैं, तो आपके द्वारा शक्ति का अनुभव किया जाता है लेकिन इससे पहले सपने में कई चीजें दिखाई देती हैं। आप जो भी शक्ति सिद्धि कर रहे हैं वह आपके सपनों में सबसे ज्यादा दिखाई देती है।

    जब आप अपने गुरु को अपने सपनों का वर्णन करते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि उनका क्या मतलब है कभी-कभी ऐसा होता है कि आप जिस शक्ति की पूजा कर रहे हैं वह आपके सपने में प्रकट होती है। पहला रूप सपने में ही दिखाई देने वाला कहा जाता है, कभी-कभी साधक इस बात को समझ नहीं पाता है जब आप अपने गुरु को अपने सपने का वर्णन करेंगे, तो वह आपका मार्गदर्शन करेंगे साधक शुरुआत में उनके सपनों को समझ नहीं पाएंगे। इसलिए उसे अपने गुरु की सलाह लेनी पड़ती है। दूसरी बात है शक्ति को छाया रूप में देखना।

    आप अपनी आँखें बंद कर लेंगे और आपको लगेगा कि मैंने अभी यहां कुछ देखा है लेकिन आप विश्वास नहीं कर सकते कि मैंने यहां कुछ देखा या नहीं। आप खुद पर विश्वास नहीं कर पाएंगे कि मैंने कुछ देखा या नहीं आप भी अपने गुरु को इस बात का वर्णन करें, कुछ ऐसा दिखाई दिया यह सब एक पल के लिए होता है आप थोड़ी देर के लिए छाया देखते हैं, कुछ महसूस करते हैं, यह सब बहुत कम क्षण के लिए होता है इसलिए हमने शक्ति को अपने सपनों में देखने या छाया रूप में देखने के बारे में चर्चा की है।

    छाया के मामले में, आप इसे बहुत कम समय के लिए देखते हैं। यह लंबे समय तक नहीं होता है बहुत लंबे समय तक तंत्र Tantra साधना करने वालों के साथ भी ऐसा नहीं होता है। तो कृपया सिद्धि की ओर बढ़ते समय किसी भी प्रकार की छाया देखने पर डरें नहीं जब आप अपने गुरु को देखी गई छाया के प्रकार का वर्णन करेंगे वह आपको बहुत अच्छी तरह से समझाएंगे।

    आपका विवरण उसे बताएगा कि आप उपलब्धि की ओर बढ़ रहे हैं या नहीं आपके शारीरिक और मानसिक जीवन पर प्रभाव के अनुसार गुरु आपको अपनी उपलब्धि का स्तर बताएंगे तीसरा प्रभाव है, आपने न तो सपना देखा और न ही छाया देखी, आपको इसका एहसास हुआ लोग भ्रमित हैं, कभी-कभी ऐसा लगता है कि जब मैं पूजा कर रहा था कोई मेरे सामने आकर बैठ गया, कोई मेरे बगल में आकर बैठ गया, तुम देख नहीं रहे हो, तुम्हें परछाई भी नहीं दिखती लेकिन महसूस होती है। यह आपके मूड में, आपके शरीर में महसूस किया जा रहा है लेकिन आप इसकी छाया नहीं देख पा रहे हैं कभी-कभी आपको एक अजीब गंध मिलती है

    यह सुगंध हर समय नहीं आती है कई साधकों ने मुझे बताया कि गुरुजी, साधना के दौरान मुझे विशेष फूल की सुगंध मिलती है तो वे इसे सुगंध के रूप में महसूस करते हैं मैं यह सब तंत्र Tantra साधना में अपने वर्षों के अनुभव के अनुसार कह रहा हूं। मेरा विश्वास करो, मेरे कई शिष्य और जो साधना के मार्ग पर चल रहे हैं, जब उन्होंने कहा, मैंने उनका मार्गदर्शन किया।

    इन बातों को समझने के लिए गुरु की जरूरत होती है आप साधना करते रहें साधना करते समय आप अपने सपनों में शक्ति को महसूस कर सकते हैं, या छाया रूप में या सिर्फ एक भावना में और ये तीन चीजें, कभी-कभी यह एक बात हो सकती है, कभी-कभी यह तीनों चीजें हो सकती हैं

    इन सब में धैर्य और साहस के साथ आगे बढ़ते रहें, अपने गुरु का मार्गदर्शन लेते रहें यह निश्चित है कि आप उपलब्धि की ओर बढ़ते रहेंगे कई लोग इसे गलत अर्थों में भी लेते हैं। बहुत से लोग गलत समझ के साथ मेरे पास आए हैं, यह ऐसा कुछ भी नहीं है, यह परम शक्ति है, जो लोग इसमें डूब जाते हैं, वे इसका अनुभव कर सकते हैं।

    हर कोई इसे पहली जगह में नहीं समझ सकता है, यही कारण है कि सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है जो डरता है उसे बहुत बुरा अनुभव हो सकता है जिसे समझाना मुश्किल है इसलिए मैं दोहराता रहता हूं कि तंत्र Tantra सिद्धि की दिशा में हर कदम पर मार्गदर्शन लेना बहुत जरूरी है। और इसलिए मैं कहता हूं कि तंत्र Tantra साधना सबके लिए नहीं है। मैंने अपने पिछले वीडियो में भी समझाया है कि तंत्र Tantra साधना खतरनाक क्यों है मैंने विवरण में लिंक भी दिया है। यदि आप गुरु के मार्गदर्शन में आगे बढ़ते हैं हर चीज को सकारात्मक तरीके से लेने पर आपको सिद्धि अवश्य मिलती है।

    जब आप इन बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ते हैं और आप प्राप्त करेंगे तो आप उपलब्धि का अनुभव करेंगे आप खुद समझ जाएंगे कि अब मैंने कुछ हासिल कर लिया है। मैंने साधना में सिद्धि प्राप्त की है और आपके गुरु भी आपको यह समझाएंगे। तंत्र Tantra साधना में शक्ति प्राप्त करना कठिन है लेकिन असंभव नहीं, यह संभव है लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है, और जब सिद्धि प्राप्त हो जाती है, तो शक्तियां धीरे-धीरे साधकों के साथ जुड़ जाती हैं कहा जाता है कि एक बार एयरोड्रम मजबूत एयरोड्रम बन जाता है, तो उस पर सबसे बड़ा हवाई जहाज भी उतर सकता है।

    इसी तरह जब आप एक साधना में सफल हो जाते हैं तो उसके बाद आप कई शक्तियों को प्राप्त कर सकते हैं अगले वीडियो में, मैं आपको इन शक्तियों के बारे में अधिक बताऊंगा। अंत में, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि घर पर समाज में बुजुर्गों की सेवा करें और उनका आशीर्वाद लें। यह आपको अनंत परिणाम देता है अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो तो कृपया इसे लाइक करें, guru mantra sadhna websie को सब्सक्राइब करें post को अपने दोस्तों और सहकर्मियों के बीच जितना हो सके फैलाएं, ताकि हर कोई इससे लाभान्वित हो सके

     

  • ok Guru Purnima गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती है

    Guru Purnima गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती है

     

    gurumantrasadhna.com me swagat hai  आज गुरु पूर्णिमा के बारे में  जानकारी प्रदान करेंगे क्यों  मनाया जाता है और क्या कारण है गुरु पूर्णिमा पर दोस्तों जैसा नाम से ही स्पष्ट है कि गुरु पूर्णिमा  पूर्णिमा शब्द किसी भी कार्य की पूर्णता को प्रदर्शित करता है

    a man with long hair and a beard

    मतलब जिसमें कुछ भी अधूरा ना हो जिसमें पूरी तरह से सभी गुणों का और भाव का ज्ञान का समावेश हो और संस्कृत में 1 श्लोक है ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः साधारण भाषा में अर्थ है गुरु को ब्रह्मा विष्णु और महेश का साक्षात रूप माना गया है

    और अपने समक्ष ना होश परब्रह्मा को पूर्ण आदर के साथ नमन करता हूं विभिन्न तेरा देश है अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए अलग-अलग त्यौहार पर बता दो कि गुरु पूर्णिमा जो है वह महाभारत के रचयिता कृष्णदेव पाए व्यास का जन्मदिन भी है व्यास के बहुत बड़े विद्वान थे

    जिन्होंने चारों वेदों की रचना की इनका एक नाम वेदव्यास भी है और इनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है भारतीय संस्कृति में मैं भगवान तुल्य माना गया है नहीं गुरु कोई भगवान का दूसरा रूप माना गया है

    गुरु ही आपके जीवन से अंधकार जानता हूं मिटाते हैं और मैं आपको इस लायक बनाते हैं कि आप अपने जीवन को सही तरह से सही दिशा में और सही अर्थों के साथ पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाई जाती है मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह कर मनाया जाता है

    इस दिन सभी अपने गुरु के प्रति विशेष रूप से आदर और सम्मान प्रकट करते हैं वर्ष 2019 में गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई होगी और अगले वर्ष 2020 में गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई की होगी व्यास को समस्त मानव जाति का गुरु माना गया है और महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 इशापुर में हुआ था सम्मान में ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत शुभ होता है इसलिए इस दिन अपने गुरु के प्रति आदर भाव विशेष कट कर सकते हैं आप हालांकि गुरु के प्रति आदर भाव हमें हमेशा रखना चाहिए

    यह किसी भी विशेष दिन का वाद्य नहीं है परंतु इस दिन चंद्रमा पूर्ण होते हैं और इस दिन का अपना एक विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन गुरु के लिए समर्पित है तो इस दिन हमें विशेष रूप से अपने गुरुजनों के प्रति आदर सम्मान व्यक्त करके उनका आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए ब्रह्मा का रूप माना गया है और गुरु ही हमारे सच्चे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं और हमें अनमोल ज्ञान देकर जीवन को सही दिशा भी दिखाते हैं भगवान शिव को गुरु माना गया है

    क्योंकि परशुराम हो शनि देव भगवान शिव के हिस्से हैं और भगवान शिव के द्वारा ही हमारी इस धरती पर धर्म का प्रचार और प्रसार इसलिए शिव को आदि गुरु भी कहा जाता है और शिव को आधी दें और आधी ना भी कहा जाता है

    दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आप सभी को गुरु पूर्णिमा का क्या मतलब है क्या महत्व है इसके बारे में जानकारी अवश्य हो गई होगी आप सभी को गुरु पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं ईश्वर आपका जीवन सच्चे ज्ञान और खुशियों से हमेशा भरा रखें जल्दी ही मिलते हैं एक और नए वीडियो में तब तक के लिए नमस्कार