मंत्र तंत्र साधना रहस्य mantra tantra yantra rahsya ph.8528057364
मंत्र तंत्र साधना रहस्य mantra tantra yantra rahsya ph.8528057364
मंत्र तंत्र साधना रहस्य mantra tantra yantra rahsya ph.8528057364 साधना की उपयोगिता अब हमारे मस्तिष्क में ये प्रश्न उठता है कि साधना की क्या उपयोगिताएं है? इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए साधना की अवधारणा पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान समय में सर्व अशान्ति विध्यमान है। यह जगत् माया का क्रीडास्थल है।
जहाँ मनुष्य आँख मिचौली खेल रहा है। उसकी आंखों पर अन्धकार अर्थात् अज्ञानता की पट्टी बंधी हुई है। वह सारे संसार में विचरण करता है शान्ति व सुख की तलाश में दर-बदर की ठोकरें खाता है, मगर उसे कहीं शान्ति नहीं मिलती वह जितना सोचता है। उसके अनुसार कार्य करता है।
दुखों की जंजीरों में बंधता चला जाता है। उसे स्वतन्त्रता, संतोष कहीं नहीं मिलता। वस्तुतः वह अपनी इच्छाओं का गुलाम बना हुआ है। वह एक मृग की तरह इस मायावी संसार में अपनी प्यास बुझाने के लिए घूमता रहता है और जब वह थक हारकर बैठ जाता है तो उसे अपने भीतर की आवाज सुनाई देती है। हृदय गूंजने लगता है।
शास्त्र बताते हैं कि भगवान ही एकमात्र विशुद्ध आनन्द हैं। वास्तविक ज्ञान है,परम सत्य है, और सर्व प्रेम का स्रोत हैं, और जब वह इस बारे में सोचता है तो उसके आँखों पर बंधी अज्ञानता की पट्टी खुल जाती है. उसके जीवन में सत्य उतर जाता है। हृदय के अन्तर तल में भगवान के आनन्द की तरंगें उठने लगती हैं।
भगवान के चरणों का स्मरण साधना की पहली सीढ़ी है। दुनिया के पाखण्ड धोखे देने वाले हैं, परन्तु भगवान की प्राप्ति सच्ची महान प्राप्ति है। आज की दुनिया वैज्ञानिक युग में निवास करती हैं। प्रत्येक मनुष्य स्वार्थी होने के साथ इस जगमगाहट के पीछे डूबता जा रहा है।
जो लोग इस अड़चन में नहीं पड़ते वहीं साधक बने हुए हैं और भगवान की प्राप्ति में लगे हैं. लेकिन जो लोग संसार की इस विपत्ति से परेशान रहते हैं वह ईश्वरीय खोज में लग जाते हैं भगवान को प्राप्त करना उनका परम लक्ष्य बन जाता है और सुख, शान्ति, संतोष प्राप्ति की पहली क्रिया साधना है।
इस कारण इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ गई हैं। वास्तविक सुख क्या है? इसका एकमात्र उत्तर हैं-परमात्मा, संसार की समस्त इच्छाओं के शान्त हो जाने पर एक अनंत सुख की अनुभूति होती है उसे परमात्मा कहते हैं अतः परमात्मा को प्राप्त करना ही मनुष्य का एकमात्र उद्देश्य रहता है और इसी परमात्मा की प्राप्ति के लिए वह साधना करता है।
वर्तमान युग के विद्वान अपने आपको ज्ञाता कहते हैं और दैविक ज्ञान को मन्दबुद्धि का परिचायक बताते हैं, लेकिन वास्तव में वे अज्ञानी हैं।
क्योंकि सबसे बड़ी पराक्रम शक्ति वही ईश्वर है, क्योंकि ईश्वर के ही करुणा के कारण उन्हें 64 हजार योनियों में सबसे श्रेष्ठ मनुष्य योनि में जन्म मिला। ज्ञान साधना का विरोध ती नहीं है।
वह तो उसमें रहने वाले अज्ञान – मात्र का विरोधी है। अज्ञानता का नाश करके साधनाओं के स्वरूप की रक्षा करने में ज्ञान का महत्व है। यह कोई अनुभवी महापुरुष ही जान सकता है।
ज्ञान सम्पन्न पुरुष कभी साधना का विरोध नहीं करते, जैसे दूसरे साधकों द्वारा प्रयत्नपूर्वक साधनाएं होती है ठीक उसी प्रकार ज्ञानी के शरीर के भीतर साधना होती रहती है। साधना में प्रवृत्ति ही दुख की आत्यान्तिक निवृत्ति और परमानन्द प्राप्ति के लक्ष्य को बताती हैं। लक्ष्य की सिद्धि की उपयोगिता ही साधना की अन्तिम कड़ी है। अतः साधना मनुष्य जीवन का एक है।
श्रद्धा, विश्वास धारणा
किसी भी साधन को प्रारम्भ करने से पूर्व साधक को उसके प्रति पूर्ण श्रद्धावान्, विश्वासी अर्थात् प्रास्थावान् एवं धैर्यवान् होना आवश्यक है । जो साधक साधन के प्रति श्रद्धा अथवा अनास्था रखते हैं, उन्हें सिद्धि प्राप्त नहीं होती । अतः साधक को चाहिए कि यदि किसी साधन के विषय में उसके मन में तनिक भी सन्देह हो तो उसे करना कदापि प्रारम्भ न करे ।
इसी प्रकार साधना काल में साधक का धैर्यवान् होना परम आवश्यक है । जो साधक साधन में आने वाली कठिनाइयों के कारण अपना धैर्यं तथा साहस छोड़ बैठते हैं, उन्हें भी सिद्धि प्राप्त नहीं होती ।
अनेक बार ऐसा भी सुना और देखा गया है कि साधना काल मेंने वाली कठिनाइयों से विचलित हो जाने के कारण साधक को शारीरिक अथवा अन्य प्रकार की हानियाँ उठानी पड़ी हैं ।
अतः जब साधक में कठिनाइयों से लोहा लेने का साहस न हो, तब तक उसे किसी भी साधन में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए ( तान्त्रिक साधनों का मार्ग खतरों से भरा हुआ बताया गया है। इसमें तनिक सी भी असावधानी, प्रमाद, भूल अथवा साहसहीनता साधक के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकती है।
chandi sadhana rahasya चंडी साधना रहस्य ph.85280 57364 gurumantrasadhna.com में आप सबका स्वागत है मैंने अभी तक बहुत सारी साधना के ऊपर चर्चा की है आज एक ऐसी साधना के ऊपर चर्चा करने वाला हूं जिस साधना का आपने कभी जिक्र सुना नहीं होगा वह साधना है चंडी की साधना जो चंडी है उसमें और देवी दुर्गा में फर्क है बहुत बड़ा फर्क है तो अब फर्क क्या है वह मैं आपको यहां नहीं बताऊंगा
आप मेरे को कमेंट बॉक्स में बताओगे ठीक है मैं यह जानना चाहता हूं कि आप लोगों की नॉलेज क्या है ठीक है यह अब अपने विषय की ओर आता हूं जो यह साधना है सबसे शक्तिशाली साधना है चंडी की साधना को देवताओं ने भी करा और दैत्यों ने भी करा दोनों ही इसके उपासक रहे हैं बड़े लेवल के उपासक रहे जो व्यक्ति चंडी की साधना को कर लेता है
उसको जिंदगी में कुछ और करने की जरूरत ही नहीं पड़ती सबसे खतरनाक और प्रभावशाली साधना में से एक है यह साधना फुल सात्विक साधना है इसके लिए गुरु का निर्देश और गुरु की कृपा होना आपके ऊपर अनिवार्य है उसके बगैर तो य साधना की ही नहीं जा सकती है
अगर आपने यह साधना कर ली उसके बाद जिंदगी में कुछ और करने की जरूरत ही नहीं ऐसी साधना है जो आपको शक्तिशाली बना देगी शक्ति संपन्न बना देगी जो चाहोगे वैसा ही होगा आपके जितना गुण ज्ञानी कोई नहीं होगा दुनिया में आपके जितना शक्तिशाली कोई नहीं होगा आपके जितना बुद्धिमान कोई नहीं होगा सारा कुछ आपको प्राप्त हो जाएगा आप शक्ति संपन्न हो जाओगे
दुनिया में आप के समक्ष कोई टिक नहीं पाएगा शक्ति संपन्न हो जाओगे बुद्धि की ओर से भी एक शक्तिशाली व्यक्ति के पास तीन चीजें होती है और फिर आप उस बंदे के हाथ में उ बुद्धि होती है फिर ऐश्वर्य सुख समृद्धि होती है दो चीजें होती हैं तीसरी चीज होती है शक्ति होती है
समर्थ्य होता है तो ये तीन चीजों से ही एक शक्तिशाली आदमी बनता है जिसके पास तीन चीजें हैं वो शक्तिशाली है जिसके पास बुद्धि नहीं है तो दो चीजें हैं तो उस चीज का गलत इस्तेमाल करेगा फिर उसका विनाश निश्चित है अपना विनाश तो करेगा और लोगों का भी विनाश करेगा इसीलिए बुद्धि भी होना बहुत जरूरी है बुद्धि नहीं है तो शक्ति का कैसे इस्तेमाल करना है
यह नहीं पता चलेगा बुद्धि नहीं है तो लक्ष्मी को भी आप डब दो लक्ष्मी को ऐश्वर्य को आप खत्म कर दोगे रावण के पास भी वही था ना ज्ञान भी था शक्ति भी थी और ऐश्वर्य भी था भाई सोने की लंका थी ऐश्वर्य की क्या कमी थी एक चीज की कमी थी जो थी बुद्धि नहीं थी तो इसीलिए क्या है कि सारा कुछ नष्ट हो गया कुछ नहीं बचा कुछ भी नहीं बचा भाई तो बुद्धि होना बहुत जरूरी है नहीं तो आप अपना पूरा साम्राज्य खत्म कर दोगे तो ये चंडी साधना की बात हो रही थी तो
उसमें आपको सारा कुछ प्राप्त हो जाएगा ए टू जेड जो चाहोगे बुद्धि चाहोगे बुद्धि मिल जाएगी तीन चीज प्राप्त होगी कोई आपके सामने टिक नहीं पाएगा चंडी के दूसरे नंबर पर क्या है कि ये अब लोग बहुत सारे लोग बोलेंगे कि ये सात्विक साधना है तामसिक यह फुल सात्विक साधना रहेगी इसमें लहसुन प्याज नहीं खाना है खुद ही खाना बनाना है खुद ही खाना है
तो यह चीजें भी है उसके बाद जब चंडी प्रचंड हो जाती है कहने का मतलब जब आप इस साधना को करोगे तो इतना ज्यादा क्रोध आएगा तो आप किसी की भी हत्या कर सकते हो इस लेवल तक उसको बोला जाता है चंडी प्रचंड हो गई है क्रोध बहुत आएगा उस चंडी को शांत कैसे करना है वह आपको गुरु ही बता सकता है जो
आपके अंदर चंडी तत्व है को शांत कैसे करना कौन बताएगा गुरु बताएगा तो गुरु ही बताएगा आपको इसको कैसे शांत करना है किस टाइम पर क्या करना चाहिए एक व्यक्ति जब इस साधना को कर रहा था उससे एक हो गई गलती भाई जब ये साधना की जाती तो आगे तलवार रखी जाती है तलवार ही चंडी का रूप माना गया है
अब बहुतों को यह पता ही नहीं होगा तलवार रखी जाती है और उसके सामने उसकी पूजा की जाती है चौकी पर रख के और उसके आगे प्रतिमा रहती है अब कुछ लोगों को यह बात भी हजम नहीं होगी कि यह तो नहीं बात हो गई
पर आप लोगों ने किसी उच्च लेवल के साधक की शरण में नहीं रहे ना इसीलिए आपको पता नहीं है इन चीजों का जो गलत कमेंट भी कर रहे हैं तो उनको भी क्या पता है विचारों का जितनी बुद्धि है उतना इस्तेमाल करेंगे ना अगर बड़े लेवल के साधकों के बीच में उठना बैठना होगा तो वैसी ही बुद्धि हो जाएगी तो नहीं पता है भाई तो मैं क्या करूं अगर आपको नहीं पता है
तो तो फिर मैं अपनी बात पर आता हूं तो आगे तलवार रखी जाती है तो बंदा वो साधना कर रहा था उससे कोई गलती हुई तलवार हवा में घूमने लगी अब उसको पता चल गया कि मेरा अंत है फिर उसके गुरु भी सम्रत थे तो उन्होंने बोल दिया फटाफट अपना ब्रह्म कवज का पाठ शुरू करते फटाफट अगर बचना है तो शुरू कर दिया और धीरे धीरे धीरे धीरे तलवार शांत हो गई और वहीं पर स्थापित हो गई ऐसा भी होता है
तो साधना उच्च लेवल की साधना है तो ये सब कुछ हो सकता है तो इस साधना के लिए आपके पास परफेक्ट गुरु होना बहुत जरूरी है बिना गुरु के तो बहुत ज्यादा खतरनाक हो जाएगा आपके लिए साधना करना दूसरे तरीके से आपके अंदर सात्विकता होनी चाहिए सात्विकता ऐसी चाहिए विचारों की सात्विकता चाहिए शारीरिक रूप में सात्विकता चाहिए यह चीजें चाहिए तो ये चीजें होनी चाहिए
आपके अंदर तभी आप इस चीज को कर पाओगे या चंडी प्रचंड होती है तो उसको शांत कैसे करना यह भी आना चाहिए यह गुरु बताएगा आपको जिस दिन य 40 दिन की साधना होती है 40 में दिन आगे चंडी प्रत्यक्ष हो जाती है प्रत्यक्ष हो जाती है तो कुछ कमी बचती ही नहीं है बहुत कुछ प्राप्त हो जाता है साधक को बहुत कुछ पर उससे पहले भी परीक्षा होती है
जब बंद आंखों में आप साधना करते हो तो आपको ऐसा लगता है कि बड़े-बड़े गोड़े व जंगल का माहौल पूरा जंगलों में के अंदर माहौल होता है युद्ध का माहौल होता है पूरा घड़ों की आवाज हाथियों की आवाज जैसे देवी का युद्ध नहीं हुआ था
उस टाइम महिषासुर के साथ तो कैसे कैसे जानवरों की आवाज आती थी बहुत ज्यादा जैसे घोड़े दौड़ रहे हो युद्ध का मैदान हो तो उस तरीके से आपको पूरा आभास होता है बंद आंखों में आपको यह लगता है कि मैं किसी जंग के मैदान में इसको पढ़ रहा हूं पर आपको घबराना नहीं है पढ़ते जाना है पढ़ते जाओगे
तभी कामयाब होगे डर के आगे ही जीत है अक्षय कुमार का डायलॉग है ना कि डर के आगे जीत है ये साधनाए ऐसी नहीं होती खतरों का खिलाड़ी बनना पड़ता है हर चीज में खतरा है अब लोग खतरे को देख के तो डर जाते हैं पर प्राप्ति भी देखो क्या हो रही है प्राप्त क्या हो रहा है प्राप्ति के बारे में कुछ सोचता ही नहीं डर लगता है
सबका भाई डर भी जरूरी है पर जब डरो ग तो फिर करोगे कैसे अगर ऐसे ही डरते रहोगे जिंदगी खराब हो जाएगी सामान निकल जाएगा फिर करोगे कब फिर अब आप यह सोच लिया करो कि अपनी समस्याओं के बारे में सोच लिया करो जब आपको डर लगता है क्या वह डर जो है आपकी समस्या से ज्यादा खतरनाक है आपको जवाब मिल ही जाएगा कि आपको कैसी समस्याए रोज फेस करनी पड़ती है कितना ज्यादा आपको रोज बेजत होना पड़ता है
कैसी जिंदगी है अब क्या अच्छी जिंदगी है आज भी अच्छी जिंदगी नहीं है अब अच्छी जिंदगी करने के लिए तो कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा ना कुछ ना कुछ करना पड़ेगा तो परीक्षा तो देनी पड़ेगी ना अब कोई बंदा कहे कि बिना परीक्षा के ही मेरे को आईपीएस ऑफिसर बना दो वैसा कि संभव है कि बिना परीक्षा के ही बिना किसी मेहनत के आप आईपीएस ऑफिसर बन जाओ हर चीज में मेहनत है ना हर जीज में परीक्षा है ना प्राप्ति भी देखो ना फर क्या हो रही है
एक आईपीएस ऑफीसर को क्या प्राप्त होता है यह देखो ना आप प्राप्ति को तो आप बोलही जाते हो बस खतरों को आप याद रखते हो अब कुछ लोग बोलेंगे कि अब मैं तो खतरा उठाने के लिए तैयार हूं पर क्या मेरे परिवार भी को खतरा होगा आपके परिवार को खतरा क्यों होगा गलती आप करो
तो आप आपके परिवार को सजा थोड़ी मिलेगी सजा तो आपको मिलेगी इस चीज में परिवार को कोई खतरा नहीं होगा ठीक है आपको भी कोई खतरा नहीं होगा वैसे तो अगर आप गलती नहीं करते हो बहुत ध्यान से चीजों को करते हो तो क्या खतरा है भाई अगर आप जानबूझ के कोई बड़ी गलती कर रहे हो
तो फिर तो खतरा तो हो ग क्योंकि यह चीजें कभी क्षमा नहीं करती है ठीक है देवी का क्रोध का स्वभाव है देती है तो बहुत कुछ देती है जब लेती है तो बहुत कुछ ले लेती है ठीक है लेने से मतलब यही है कि थोड़ा मानसिक रूप में परेशान हो जाओगे आपको दंडित करेगी लेती तो कुछ नहीं है ये आपको दंडित जरूर करेगी
अगर आप गलती करते हो तो अगर आप गलती नहीं करते हो तो फिर किस चीज किस लिए आप डरते हो अगर आपके अंदर सच्चाई है तो फिर तो आपको डरना नहीं चाहिए ठीक है डरता वही है जो गलत होता है ठीक है सच्चाई के साथ करोगे फिर तो कोई दिक्कत नहीं आप लोगों से बात करके ना मेरे को बहुत अच्छा लगता है जो आप लोगों के साथ मैं ज्ञान शेयर करता हूं ना अपना तो मेरे ही ज्ञान की वृद्धि हो रही है मेरे को ऐसा लगता है
तो बातें करनी मेरे को अच्छी लगती है पर समा हो गया है कुछ लोगों की शिकायत यह होती है भाई क्या आप बहुत लंबा वीडियो बना देते हो हमें परेशानी होती है अगर दो घंटे की किसी को मूवी देखनी हो तो फिर कोई परेशानी नहीं है दो घंटे ऐसे बर्बाद कर देते मूवी में ठीक है वहां पर कोई परेशानी नहीं हो रही है य वीडियो देखने में परेशानी हो रही है
वहां पर तो आपको कुछ सीखने को मिलता नहीं यहां पर तो मैं आपको फ्री में कितना कुछ सिखा रहा हूं आपको पता ही नहीं है यह ज्ञान ऐसे नहीं मिलाए बड़े-बड़े साधकों के बीच में रह कीय बातें पता चलती है ठीक है ये चीजें ऐसे फालतू नहीं है
इसीलिए तो आप परेशान हो क्योंकि आपने तो इन चीजों को छोड़ दिया है अच्छा एक बात आप नोट करना जिस आदमी ने ऋषि मुनियों की परंपरा को छोड़ा है घर में तो वह लोग कितने परेशान है आपको पता चल जाएगा ठीक है बहुत ज्यादा परेशानी आती है
आज उनको पता नहीं लगेगा आने वाले टाइम में जरूर पता लगेगा तो ऋषि परंपरा थी जिस तरीके का खाना था जिस तरीके के नियम थे आज उन सब नियमों को अंग्रेज लोग मानते हैं पहले योगा मेडिटेशन को कोई नहीं जानता था आज इंटरनेशनल लेवल पर योगा मेडिटेशन को जाना जाता है योगा किया जाता है
पहले किसी को पता नहीं था कुंडलिनी क्या चीज होती है अब बड़े-बड़े वैज्ञानिक मान चुके हैं कि इस भौतिक शरीर के अलावा अंदर भी कुछ बहुत कुछ छिपाए जो किसी को पता नहीं है ठीक है तो हर चीज को अंग्रेज लोग मान रहे हैं पर हम लोग मूर्ख हैं उनके पीछे भागे जा रहे हैं
अब संस्कृत को हमने छोड़ा अब नासा में संस्कृत पढ़ाई जाती है अमेरिका में पढ़ाई जाने लगी है नासा में कोडिंग के रूप में संस्कृत का यूज हो रहा है कोडिंग के रूप में कोड लिखे जाते हैं
यह विज्ञान है तो यह कोई फालतू की बातें नहीं है यह ज्ञान है ज्ञान आपको ऋषि मुनियों का ज्ञान आप इसको आप सेप्ट ऐसे नहीं करोगे जिन अंग्रेजों के पीछे आप लगे पड़े हो तो वह इस चीज को मानेंगे तब उनको देख के आप उस चीज को मानोगे अब यह सिस्टम है तो आज तो वीडियो थोड़ा लंबा हो गया बस आज के लिए बस इतना ही जय श्री महाकाल
क्या हम मृतात्माओं से बातें कर सकते हैं ? | मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका how to talk to a dead person
Remove term: आत्मा से बात करने वाली मशीन आत्मा से बात करने वाली मशीनRemove term: सपने में मृत दादी से बात करना सपने में मृत दादी से बात करनाRemove term: मरे हुए इंसान से बात करना sapne me मरे हुए इंसान से बात करना sapne meRemove term: क्या आत्मा से बात कर सकते हैं क्या आत्मा से बात कर सकते हैंRemove term: मरे हुए इंसान को देखना मरे हुए इंसान को देखनाRemove term: मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका
आत्मा से बात करने वाली मशीन
सपने में मृत दादी से बात करना
मरे हुए इंसान से बात करना sapne me
क्या आत्मा से बात कर सकते हैं
मरे हुए इंसान को देखना
मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका
क्या हम मृतात्माओं से बातें कर सकते हैं ? | मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका how to talk to a dead person हमारे-आपके चारों ओर एक ऐसी भी दुनिया है जो दिखाई नहीं देती लेकिन उतनी ही वास्तविक है जितनी कि यह धरती। इस अदृश्य दुनिया के अनदेखे प्राणी बराबर इस प्रयत्न में रहते हैं कि वे आपके माध्यम से अपनी बातें कह सकें और अपनी इच्छाएं पूरी कर सकें।
तो आइए, इस रोचक लेख में इस अनदेखे प्राणियों के बारे में जाने-समझें… प्रेतात्माओं के अस्तित्व और स्वरूप को समझने से पूर्व सृष्टि की संरचना समझ लेनी आवश्यक है। हमारी धारणा यह है कि जो इन्द्रियों की पकड़ में है, वही वास्तविक है।
वास्तविकता तो यह है कि जो हमें दिखाई देता है, या जो हमें सुनाई पड़ता है, वह तो इस सृष्टि का लाखवां हिस्सा ही हो सकता है। इसके परे भी सृष्टि है, जो इन चर्मचक्षुओं से न तो दिखाई देती है और न मानव कर्ण उनकी ध्वनियों को सुन सकते हैं। पाश्चात्य विद्वान् ब्लास्की, मैडम जोन, कर्नल आंत और भारतीय मनीषी स्वामी विवेकानन्द, योगीराज सच्चिदानन्द आदि ने यह स्वीकार किया है कि इस सृष्टि से परे भी विशाल सृष्टि है और कई लोक हैं।
इन लोकों को भारतीय दर्शन मूलांक, भूलोक, भुवलोक आदि के नाम से पुकारता है। इन साधकों ने इन लोकों को देखा है, समझा है और अपने ग्रन्थों में इनका विस्तार वर्णन किया है। मिस्टर डब्ल्यू वीटर की ‘अदर साइड ऑफ़ डेथ’, श्रीमती एनी बेसेन्ट की ‘लाइफ आफ्टर डेथ’ आदि ग्रन्थ इसके उदाहरण हैं।
1 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका – स्थूल से भी परे सूक्ष्मतर
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वास्तविकता यह है कि हम जो कुछ भी देखते है, सुनते हैं या स्पर्श करते हैं, वही राय कुछ नहीं है। यह तो केवल स्थूल है। इस स्थूल शरीर के परे भी अन्य सात प्रकार के शरीर हैं, जो क्रमशः सूक्ष्मतर होते जाते हैं। इन शरीरों को इच्छा-शरीर, भावना-शरीर, या सूक्ष्म शरीर के नामों से पुकारा गया है।
इसी पृष्ठभूमि में हम मृत्यु को समझें। ज्यों ही हमारा भौतिक शरीर समाप्त होता है, इसका विखण्डन हो जाता है। ऐसा होते ही इच्छा-शरीर स्वतः ही सक्रिय हो जाता है और अपनी ही गति से कार्य करने लग जाता है। इस इच्छा शरीर की भी एक सीमा है, एक निश्चित जीवन है।
इसके बाद इस इच्छा शरीर का भी विखण्डन हो जाता है और इससे भी सूक्ष्म शरीर क्रियाशील हो जाता है। इस प्रकार से यह निश्चित है कि जो मृत्यु होती है, वह केवल इस शरीर के बाह्यकार की होती है । इसके मूलाधार आत्मा की मृत्यु नहीं होती।
आत्मा इससे सूक्ष्म शरीर में जाकर क्रियाशील हो जाती है। सूक्ष्म शरीर भौतिक उसमें भी इच्छाएं, शरीर का सूक्ष्म रूप है। अतः आकांक्षाएं, भावनाएं बराबर सूक्ष्म शरीर इन इच्छाओं- आकांक्षाओं की पूर्ति में बराबर संलग्न रहता है। जीवित रहती हैं।
इतना होते हुए भी वह सूक्ष्म शरीर अक्षम है। मानव शरीर इच्छाओं की पूर्ति का प्रयत्न कर सकता है, परन्तु सूक्ष्म शरीर में यह क्षमता नहीं है। सूक्ष्म शरीरों में स्थित आत्माएं व्यग्र रहती हैं, इच्छाओं की पूर्ति के लिये । वे आत्माएं इसी संसार के आस-पास भटकती रहती हैं और इस प्रयत्न में रहती हैं कि जैसे भी हो, कोई मानव शरीर मिल जाए, जिसके माध्यम से वे अपनी इच्छाएं पूर्ण कर सकें।
जिस व्यक्ति में जितनी ज्यादा संवेदनशीलता होती है, वह व्यक्ति उतना ही अच्छा माध्यम बनता है। कई बार माध्यमों के बगैर ही इन सूक्ष्म शरीरों की वाणी को समझा जा सकता है। योगीजन ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए मन की एकाग्रता जरूरी है, जो ध्यान, योगासन, आदि के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
इसलिये योगी सीधे ही माध्यम बन जाते हैं। सूक्ष्म शरीर कुछ समय के लिए उनके शरीर को अधिकृत कर लेता है। यह बात भी निश्चित है कि यह सूक्ष्म शरीर एक प्रकार से इच्छा- शरीर है। यह क्षण भर में दूर की घटनायें देख-सुन सकता है। अतः योगी जब भविष्यवाणी करते हैं तब सूक्ष्म शरीरों की इन आत्माओं के माध्यम से ही करते है ।
इन आत्माओं को कोलाहल या तीव्र प्रकाश सह्या नहीं होता । अतः ये मद्धिम रोशनी तथा बिल्कुल शान्त वातावरण में ही आती है और पूछने पर बात कहती हैं तथा अपने अनुभव सुनाती हैं।
इन आत्माओं से सम्पर्क स्थापित करने के लिए कई साधन है, जिनमें प्लेंचित प्रयोग, तिपाई प्रयोग,उंझा बोर्ड प्रयोग, स्वतः लेखन प्रयोग, माध्यम प्रयोग आदि प्रचलित है।
2 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका – प्लेंचित
आत्मायों से सम्पर्क स्थापित करने के लिए प्लॅचित का प्रयोग काफी समय से किया जाता रहा है। प्लेंचित लकड़ी का सपाट तख्ता होता है, जो चौकोर या पान की शक्ल का होता है।
इसमें नीचे की तली में दो बालबियरिंग लगा दिए जाते हैं, जिसके छर्रे ऊपर की ओर रहते हैं। इससे चारों तरफ घूमने में आसानी रहती है। नीचे नोक वाले भाग में एक सुराख़ होता है जिसमें पेंसिल खोंस दी जाती है। इस प्रकार बालबियरिंग और पेंसिल का छिला हुआ सिरा एक सीधी स्थिति में आ जाते है । शान्त वातावरण में विशेषकर रात्रि में एक कमरे में चार-पांच व्यक्ति मद्धिम रोशनी में बैठ जाते हैं।
प्रयोग से पूर्व यदि कमरे को धोकर साफ कर लिया जाए और प्रयोग के समय कोई सुगन्धित अगरबत्ती लगाई जाए, तो अच्छा रहता है। चार- पांच व्यक्तियों में यदि एक-दो औरतें हों तो उचित रहा है। औरतें अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील होती है, और आत्माओं के लिए अच्छा माध्यम बन सकती हैं । जब यह प्रयोग प्रारम्भ करना हो तब तीन या पांच व्यक्ति उस प्लेंचित पर अपनी एक-एक उंगली हल्के से रख दें और फिर अपने मन में किसी मृतात्मा का आह्वान करें।
यह कोई आवश्यक नहीं है कि जिस मृतात्मा का आह्वान करें वह वहां आ ही जाए क्योंकि कई बार जिस मृतात्मा का हम आह्वान करते हैं, वह सुक्ष्म शरीर से भी कोई और किसी अन्य ऊँचे लोक में चली गई होती है। ऐसी स्थिति में उसका आना सम्भव नहीं होता ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में एक-एक मृतात्मा का आह्वान करता है। उनमें से कोई एक मृतात्मा अवश्य ही कुछ मिनटों के अन्दर आ जाती है। इसका प्रमाण यह है कि जब मृतात्मा आती है, तब वह पेंसिल स्वतः ही घूमने लगती है। इसकी जांच के लिए आप धीरे से प्रश्न कीजिए कि क्या आप आ गए हैं ?
तब मृतात्मा पेंसिल की नोंक से ‘हाँ’ या ‘येस’ शब्द लिखेगी। ऐसी स्थिति में आपको यह आभास हो जायगा कि मृतात्मा आपके पास मौजूद है। इसके बाद जब आप उसका नाम पूछेंगे तब आप देखेंगे कि आपके हाथों की उंगलियों के स्पर्श से ही वह पेंसिल घूम रही है और अपना नाम लिख रही है।
जब प्लेंचिट या पेंसिल रुक जाए तब आप कागज पर उसका नाम आसानी से पढ़ सकते हैं। इस बात का ध्यान रहे कि मृतात्मा अत्यन्त ही भावुक और संवेदनशील होती है, इसलिये उसे छोटी सी अवज्ञा या अपमान से क्रोध आ जाना स्वाभाविक है |
इसलिये अत्यन्त विश्वासपूर्वक और श्रद्धापूर्वक नम्रता के साथ प्रश्न करना चाहिए। इस प्रयोग में मृतात्मा का पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है।
कई बार ऐसा भी अनुभव में आया है कि ज्यों ही हम यह प्रयोग प्रारम्भ करते हैं, त्यों ही स्वतः ही कागज पर उल्टी-सीधी लकीरें बन जाती है या पेंसिल थरथराती है, परन्तु वह लिखती कुछ भी नहीं है। ऐसी स्थिति में यह समझ लेना चाहिए कि मृतात्मा पढ़ी-लिखी नहीं है। जब यह ज्ञात हो जाए तब उसे नम्रता पूर्वक विदा करके किसी अन्य मृतात्मा का आह्वान करना चाहिए।
3 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका- तिपाई
इंग्लैण्ड आदि देशों में टेबल का या तीन पैरों बाली तिपाई का ही प्रयोग किया जाता हैं । इसमें तिपाई के दो पैरों के नीचे कागज को मोड़ कर रख दिया जाता है तथा तीसरे के पैर के नीचे कोई चीज न रहने से वह सामान्यतया कुछ ऊँचा उठ जाता है। यदि तिपाई के उस कोने को हल्के से कम्पन के साथ दबाया जाए तो नंगे फर्श पर उस टेबल के पैर से खट-खट की ध्वनि निकलती है। शान्त वातावरण में ३ से ५ व्यक्ति टेबल के इर्द- गिर्द बैठ जाते हैं।
जब मृतात्मा का आह्वान किया जाता है तब स्वतः ही यह टेबल पैर से खट की ध्वनि करता है। इससे यह ज्ञात हो जाता है कि उस कमरे में मृतात्मा का आह्वान हो चुका है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि उन तीन या पांच व्यक्तियों के हाथों का हल्का सा स्पर्श टेबल पर बना रहे । इसके बाद थोड़े से उच्च स्वर में मृतात्मा को समझा दिया जाता है कि यदि प्रश्न का उत्तर हाँ में देना हो तो एक बार खट की ध्वनि की जानी चाहिए और यदि नहीं में उत्तर देना हो तो दो बार ध्वनि होनी चाहिए।
अब आप अपने प्रश्न कर सकते हैं। प्रश्नों का क्रम स्पष्ट और सही तरीके से होना चाहिए। उदाहरण के लिए- १. क्या आप आ गए हैं ? खट | इ२. क्या आप हमारे प्रश्नों के उत्तर देना चाहेंगे ? – खट । ३. क्या राजेन्द्र इस समय दिल्ली में है ?- खट-खट । ४. क्या वह इस शहर में ही है? खट |
4 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका- उंझा
इस प्रयोग में एक बोर्ड का उपयोग होता है, जो कि अण्डाकार लकड़ी का तख्ता होता है और इसके नीचे एक लकड़ी से तख्ते पर घिर्निया बंधी हुई होती है जिससे कि यह हल्के से स्पर्श से ही बाएं या दाएं घूम सकती है।कोई मानव शरीर मिल जाए, जिसके माध्यम से वे अपनी इच्छाएं पूर्ण कर सकें।
इसके सामने एक नोकदार चिन्ह होता है तथा सामने एक तख्ती लगी रहती है जिस पर ‘ए’ से लेकर ‘जेड’ तक अक्षर समान दूरी पर लिखे होते हैं तथा १ से ९ तक के तथा शुन्य के अंक भी लिखे होते हैं | जब प्रयोग करना हो, तब एक साफ धुले हुए कमरे में एक या तीन या पांच व्यक्ति बैठ जायें और कमरे का दरवाजा थोड़ा-सा खुला रखें। इसके बाद किसी मृतात्मा का आह्वान करें जो कि सामान्यतः अंग्रेजी पढ़ा-लिखा हो। (ऊंझा बोर्ड पर अंग्रेजी के ही अक्षर लिखे होते हैं। यदि उस बोर्ड पर हिन्दी के अक्षर लिखे हों तो हिन्दी पढ़े-लिखे किसी मुतात्मा का आह्वान भी किया जा सकता है ।)
इसके बाद प्रयोग करने वाला उंझा बोर्ड के सामने बैठ जाए और अपना दाहिना हाथ धीरे से उंझा बोर्ड पर रख दे। इस बात का ध्यान रखे कि हाथ अत्यन्त हलके रूप में बोर्ड को स्पर्श करता हो। इसके बाद किसी मृतात्मा का आह्वान करे और उससे प्रश्न करे।
प्रश्न करने के बाद आप अनुभव करेंगे कि वह बोर्ड स्वतः ही चलने लग गया है, और बोर्ड के सामने की सूई एक-एक अक्षर पर टिककर दाएं- बाएं घूमकर अगले अक्षर पर टिक जाती है और इस प्रकार आपके पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे देती है। कई बार प्रश्नों के उत्तर देने के बाद मृतात्मा उत्तर देना बन्द कर देती है।
इससे यह समझ लेना चाहिए कि या तो मृतात्मा इस प्रश्न का उत्तर देना नहीं चाहती या वह थक गई है। ऐसी स्थिति में उससे यह प्रश्न पूछ लेना चाहिए कि क्या आप थक गए हैं? उत्तर हां में मिलने पर उस मृतात्मा को विदा कर देना चाहिए और किसी अन्य मृतात्मा का अह्वान किया जाना चाहिए।
5 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका स्वतः लेखन
इस पद्धति का पाश्चात्य देशों विशेष रूप से इंगलैण्ड में बहुत अधिक प्रयोग होता है। इस सम्बन्ध में यूरोप के प्रसिद्ध विद्वान मिस्टर होम के प्रयोग विश्वविख्यात हैं। इस प्रयोग में किसी ऐसे माध्यम की आवश्यकता होती है जो शान्त, सरल और निष्कपट हो |
यदि वह बालक हो तो उत्तम होगा। उनके मन में इस विद्या से संबन्धित किसी प्रकार की उपेक्षा या घृणा के भाव न हों। उसके हाथ में एक पेंसिल और खाली कागज दे दिया जाता है। उसके बाद किसी मृतात्मा का आह्वान किया जाता है और यह प्रार्थना की जाती है कि वह बालक के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर दे । आह्वान करने के कुछ समय बाद वह बालक अर्धचेतन सा लगने लगेगा। ऐसा अनुभव होगा कि उस बालक को नींद सी आ रही है।
वह लगभग तन्द्रावस्था में दिखाई देगा। जब ऐसी स्थिति आ जाए तब यह समझ लेना चाहिए कि उस बालक के शरीर में मृतात्मा का आह्वान हो चुका है। इसके बाद आप उससे प्रश्न कीजिए और वह आपके प्रश्नों के उत्तर उस कागज पर बराबर देता रहेगा।
इससे कई हत्याकाण्डों के गुप्त रहस्य, षड़यंत्र और भविष्य में होने वाली अनेक अद्भुत बातें स्पष्ट हुई हैं। श्रीमती अरुणा कुमारी भारत में विख्यात महिला है। उनके पति श्री नरपतसिह का कुछ समय पहले निधन हो गया था तब से वह पूर्णतः साधु जीवन व्यतीत करती है।
स्वतः लेखन प्रयोग का यह महिला एक जीता जागता उदाहरण है। इस महिला के माध्यम से उसके पति ने ८०० पृष्ठ लिखे थे, जिसमें इस बात का वर्णन था कि उसकी हत्या किन परिस्थितियों में हुई। इसी सूचना के आधार पर हत्यारे पकड़े जा सके थे। यह बात ध्यान देने योग्य है कि ये पृष्ठ अंग्रेजी भाषा में लिखे गए थे और स्वयं माध्यम ( अरुणा कुमारी) को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है।
गत वर्ष मेरे एक परिचित व्यक्ति ने मुझ से इस प्रकार का प्रयोग सीख कर अपने घर में एक व्यक्ति के माध्यम से मृतात्मा का आह्वान किया । जो व्यक्ति माध्यम बना था उसकी उम्र लगभग २२ वर्ष की थी परन्तु वह माध्यम सरल, निष्कपट और भोला-भाला था। व्यक्ति ने आह्वान तो किसी अन्य मृतात्मा का किया था, परन्तु उससे पूर्व ही किसी दुष्ट मृतात्मा ने उस युवक के शरीर में प्रवेश कर लिया और प्रयोग कर्त्ता के प्रश्नों के उत्तर देने शुरू कर दिए।
जब प्रश्नोत्तर समाप्त हो गए और प्रयोगकर्त्ता ने उसे जाने के लिए कहा तब मृतात्मा ने जाने से इंकार कर दिया और कहा कि मैं इस घर को बरबाद करके ही जाऊंगा परन्तु मेरी इच्छा पूरी कर दी जाय तो मैं तुरन्त चला जाऊंगा | प्रयोगकर्त्ता ने जब उसकी इच्छा पूछी, तो माध्यम द्वारा उत्तर दिया कि मैं तुम्हारी पुत्री के साथ सम्भोग करने की इच्छा रखता हूं। उसकी वह मांग नितान्त अनुचित थी । जब प्रयोगकर्ता ने यह बात मानने से इन्कार कर दिया, तब उसने देखा की कुछ समय बाद ही माध्यम की आँखें पथरा गई हैं। और उसके मुह से सफेद-सफेद झाग निकल रहा है।
ऐसा लग रहा था जैसे उस माध्यम का गाला दबाया जा रहा हो। यही नहीं, कुछ समय बाद प्रयोगकर्त्ता के घर के पर्दों में आग लग गई और दूसरे दिन तो घर में बहुत अधिक उपद्रव हुआ। मृतात्मा की एक मांग थी कि यदि मेरी इच्छा पूरी नहीं की गई तो मैं तुम्हारे घर के सभी सदस्यों की हत्या कर दूंगा और इसके लिए मैं केवल तीन दिन का समय देता हूँ ।
प्रयोगकर्त्ता घबरा गए और उन्होंने तुरन्त मुझे टेलीफोन किया। दूसरे ही दिन मैंने वहां जाकर उस मृतात्मा से बात की और समझा-बुझा कर उसे जाने के लिये कहा परन्तु उसने जाने से मना कर दिया। तब कुछ विशेष मन्त्रों के प्रयोग से उस मृतात्मा को हटाना पड़ा। जब ऐसी विकट परिस्थिति उत्पन्न हो जाए तब क्रोध या जिद्द न करके नम्रतापूर्वक उस मृतात्मा को प्रस्थान करने के लिए कहना चाहिए।
6 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका – माध्यम प्रयोग
इस प्रयोग को कहीं पर भी किसी भी समय किया जा सकता है। भारत में अधिकतर यही प्रयोग किया जाता है। इसमें किसी साफ, चिकनी सतह पर चाक से या किसी रंग से एक सफेद घेरा बना लेना चाहिए और उस घेरे के चारों तरफ अक्षर लिख लेना चाहिए तथा १ से ९ तक के अंक भी इसी घेरे के बाहर क्रम से लिख लेने चाहिए। जब प्रयोग करना हो तो एक साफ कटोरी घेरे के बीच में उल्टी रख देनी चाहिए । रखने के पूर्व एक माचिस की तीली जलाकर उसे कटोरी में घुमा कर वह कटोरी शुद्ध कर लेनी चाहिए तथा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कमरे का वातावरण पूर्णतया शान्त हो ।
बहुत ही हल्की रोशनी हो तथा कमरे में कोई सुगन्धित अगरबत्ती लगी हुई हो। इस प्रयोग में तीन व्यक्ति भाग ले सकते हैं। तीनों व्यक्तियों को चाहिए कि वे अपनी तर्जनी उंगली का हल्का सा स्पर्म उस कटोरी पर रखें और किसी ऐसी प्रेतात्मा का आह्वान करें जो सामान्य पढ़ी-लिखी हो ।
जब वह मृतात्मा आ जाएगी तब उस कटोरी में स्वतः कम्पन प्रारम्भ हो जायेगा और वह बिना दबाव दिए ही अपने स्थान से अक्षरों तथा अंकों के बीच घूमने लग जाएगी या सरकने लग जाएगी। अब ऐसी स्थिति का जाए तब हमें प्रश्न करने चाहिए। इसी प्रकार के एक प्रयोग में मैंने एक मृतात्मा का आह्वान किया और उससे निम्न प्रकार से प्रश्नोत्तर हुए
: १- इस घर में चोरी कब हुई ?
उत्तर मिला — परसों।
२- क्या सोने का जेवर इस घर से बाहर ले जाया गया है ?
उत्तर मिला — नहीं।
३- क्या चोर इस घर का है, या बाहर का ?
उत्तर — घर का ही। मिला
४- चोर कौन है ?
उत्तर मिला — राकेश |
५- राकेश तो गृह स्वामी का पुत्र है ?
उत्तर मिला – – हाँ ।
६- क्या उसने चोरी की है ?
उत्तर मिला — हाँ ।
७- उसने सोने का गहना कहाँ रखा है ?
उत्तर मिला — छत पर कबाड़खाने में ।
जब ऊपर जाकर कबाड़खाना खोला गया, तो कोने में एक डिब्बे में छिपाया हुआ सोने का आभूषण मिल गया। इस प्रकार मृतात्मा के माध्यम से खोए हुए व्यक्ति, चोरी की हुई वस्तु, परीक्षा का परिणाम आदि कई प्रश्नों के उत्तर ज्ञात कर सकते हैं। वास्तविकता यह है कि हम में और प्रेतात्मा में कोई अन्तर नहीं है।
हमारे पास भौतिक शरीर है, जबकि उनके पास सूक्ष्म शरीर है। सूक्ष्म शरीर के माध्यम से ये बहुत शीघ्र अत्यन्त दूर जा सकते हैं और सम्बन्धित सूचना एकत्र करके हमारे प्रश्नों के जवाब दे सकते हैं। हम इस भौतिक शरीर से ऐसा नहीं कर पाते।
नमक से शत्रु का नाश | शत्रु का नाश करने वाला मंत्र मंत्र namak se shatru ka nash ph.85280 57364
नमक से शत्रु का नाश |शत्रु का नाश करने वाला मंत्र namak se shatru ka nash ph.85280 57364
नमक से शत्रु का नाश |शत्रु का नाश करने वाला मंत्र namak se shatru ka nash ph.85280 57364 नमक से शत्रु का नाश करना तांत्रिक के लिए कोई नया काम नहीं है। तंत्र में ऐसी अनेक शक्तियां होती हैं जिनकी मदद से शत्रु का नाश किया जा सकता है। अगर कोई तांत्रिक या अघोरी नमक पर जादू टोना कर दे, तो नमक से शत्रु का नाश करना आसान हो जाता है।
एक तांत्रिक जानता है कि नमक को कैसे ऐसी काली शक्तियों से बांधा जाए, जिससे नमक से शत्रु का नाश संभव हो। आज आप ऐसे ही तांत्रिक उपाय पढ़ेंगे, जिनका उपयोग करके आप अपने शत्रु को हरा सकते हैं और उसे मृत्यु की गहरी निद्रा में सुला सकते हैं। प्रिय पाठकों, चलिए जानते हैं कि नमक से शत्रु का नाश कैसे करना है।
नमक से शत्रु का नाश करना उतना ही कठिन है जितना की किसी मृत व्यक्ति को फिर से जीवित करना. यदि कोई साधक अपने शत्रु का नाश करना चाहता है तो वह तंत्र के मार्ग पर चलकर कुछ ऐसी विधियां अपना सकता है जिनके माध्यम से शत्रु का नाश किया जा सकता है. नमक से शत्रु का नाश करने का टोटका करके साधक अपने शत्रु से अपना प्रतिशोध पूरा कर सकता है और यदि शत्रु को इस भूलोक से मुक्त करना चाहते है तो भी आप टोटका कर सकते है.
बहुत से लोगों को यह धरना है कि नमक से शत्रु का नाश नहीं किया जा सकता है और यदि टोटका या उपाय किया जाए तो शत्रु के बजाय हमें ही नुकसान होने लगता है। ऐसे साधकों को हम यह कहना चाहेंगे कि आप शत्रु को तब तक कोई हानि न पहुंचाएं जब तक कि शत्रु आपको क्षति न करें। तंत्र अपनी रक्षा के लिए किया जाता है, न कि किसी को पीड़ा पहुंचाने के लिए।
तंत्र के अनुसार, साधक जटिल कार्य को सरलता से कर सकता है। यदि आप अपने शत्रु पक्ष के पीड़ित हैं, तो हम आपको अनेक चमत्कारी विधियाँ बताएँगे जिनकी सहायता से आप अपने शत्रु का सर्वनाश कर सकते हैं। उन विधियों में से एक है नमक से शत्रु का नाश करना। यदि आप नमक पर मंत्रों का जाप करके अपने शत्रु के घर में रख दें, तो शत्रु का नाश हो सकता है, लेकिन मंत्रों की विधि अत्यधिक जटिल होती है।
जैसा कि आप जानते हैं, नमक खाने में कड़वा और तीखा लगता है, उसी तरह यदि आप अपने शत्रु को नमक पर टोटका करके खिला देंगे या उसके घर में छिपा देंगे, तो आपके शत्रु का जीवन भी नमक की भांति कठोर और कड़वा बन जाएगा। नमक से शत्रु का नाश करना आसान नहीं है क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में समय की कमी होती है और टोटके और उपाय में समय लगाना अनिवार्य होता है।
सेंधा नमक से शत्रु का नाश करना एक प्राचीन का उपयोग है। इसके अलावा, काली बिल्ली के कपाल, मल, मूत्र, नख और बाल, चंदन का टीका, गोबर के उपले, गाय का घी, केवड़ा और पुष्प भी शत्रु का नाश करने में मदद कर सकते हैं।
शत्रु का नाश करने के लिए बिल्ली के कपाल और नमक का उपयोग करना बहुत सरल है। जो व्यक्ति अपने शत्रु का नाश करना चाहता है, उसे शनिवार के दिन उपरोक्त सभी सामग्री को एकत्रित करके किन्नरों के अंतिम संस्कार के स्थान पर जाना चाहिए। वहां बैठकर, अपने सामने काली बिल्ली के कपाल को रखें और उसे सेंधा नमक से भर दें। इसके बाद, गाय के सूखे उपले पर चंदन से अपने शत्रु का नाम लिखें और गाय का घी डालकर कपाल के पास रखें और उसे जला दें। इन सभी कार्यों के बाद, काली बिल्ली के नख पर केवड़े का इत्र लगाएं और अपने दाहिने हाथ में लेकर इस शक्तिशाली मंत्र का 1100 बार जाप करें
मंत्र जाप के बाद, साधक को बिल्ली के नख को कपाल में रखने के बजाय उसे नमक के अंदर गाड़ देना चाहिए। उसके बाद, साधक को उन्नीस पुष्प दाहिने हाथ में लेकर जलते उपले के ऊपर चढ़ाना चाहिए। इसके बाद, साधक को बिल्ली के मल में बिल्ली का मूत्र मिलाकर घोल बनाना चाहिए। उस घोल से साधक को कपाल के चारों तरफ सुरक्षा घेरा बनाना चाहिए और अपने मन में शत्रु का स्मरण करना चाहिए। नमक से शत्रु का नाश करने की विधि को आगे बढ़ाते हुए, साधक को कपाल में भरे नमक को बाहर निकालना चाहिए और इस नमक को अपने शत्रु के घर के बाहर रखना चाहिए। नमक में रखा बिल्ली का नख को साधक को बाहर निकाल
munja sadhna- प्राचीन चमत्कारी सात्विक सौम्य मुंजा साधना ph.85280 57364
munja sadhna- प्राचीन चमत्कारी सात्विक सौम्य मुंजा साधना ph.85280 57364 नमस्कार प्रिय मित्रों, गुरु मंत्र साधना में आप सबका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। आप अपने इस प्यारी gurumantrasadhna.comआलौकिक साधनाओं में। दोस्तों आपने देश में भूतों से ज्यादा, प्रेतों से ज्यादा, पिशाचिनी से ज्यादा एक साधना युगों से बहुतायत में रही है, बहुत ज्यादा होती आ रही है वह किस की साधना है वह मुंजा साधना, मुंजा साधना महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा होती है।
munja sadhna- प्राचीन चमत्कारी सात्विक सौम्य मुंजा साधना ph.85280 57364
वैसे पूरे देश में होती है लेकिन अलग अलग नामों से होती है। कहीं कुछ कहते हैं, कहीं कुछ कहते हैं, कहीं कुछ कहता है। महाराष्ट्र में पूजा करते हैं तो पूरे देश में साधना होती है। अलग अलग नामों से होती है और बहुत होती है। क्यों होती है ? इसलिए वो तो होती है। एक तो यह साधना सरल है, आसानी से हो जाती है। दूसरी साधना में क्या साइडइफेक्ट बहुत कम है।
तीसरी, इस साधना में जो काम मुंजा कर सकता है वो काम एक प्रेत नहीं कर सकता, पिशाच नहीं कर सकता, पिशाचनी नहीं कर सकते। एक बार को प्रेत, प्रेत, पिशाच, पिशाच, भूत, भूतनी इनको मंदिर में जाते हुए देर लगेगी।
लेकिन मुंजा जब मंदिर में चला जाता है, किसी का घर कीलन किया उसमें कोई शक्ति नहीं जा सकती जिसमें मुंजा जा सकता है। जो काम कोई नहीं कर सकता वह काम मुंजा कर सकता है।
इसलिए मुंजा की साधना बहुत फेमस साधन है। मैंने अपने उस यूटूब चैनल में मुंजा के बारे में काफी विस्तार से बताया। आज मुंजा को मन्त्रों से कैसे सिद्ध करते हैं, इसके बारे में बताता है।
यह पीपल मुंजा की साधना मुंजा के साधना कई प्रकार की होती है और कई प्रकार के मेरे पास मुंजा साधना के मंत्र हैं। कई प्रकार की सिद्धियां अलग अलग प्रकार के मुंजा जैसे देव मुंजा होता है, पिंपल मुंजा होता है, शमशान मुंजा, मसान, मुंजा होता है, पिशाच मुंजा होता है। सब के सब के अलग अलग रूप होते हैं। अलग अलग साधनाओं के प्रकार होते हैं तो कैसे कैसे की जाती है। सबका अलग ढंग होता है।
आज मैं पिम्पल मुंजा की साधना बताता हूं जिसमें पिंपल, मुंजा, मृत देवता टाइप पर जो मुंजा होता है वह पकड़ में आ जाता है। मुंजा साधना का मुझे अच्छा एक्सपीरियंस। 28 दिन तक मुंजा का साथ रहा हूं।
छत्तीसगढ़ रायगढ़ में है, रायगढ़ में काम पड़ गया था। वहां कुछ काम करने के लिए मैं एक महीना करीब रुका था। एक फ्लैट में उस फ्लैट में 28 28 दिन उस फ्लैट में रहने का काम पड़ा। उसमें 16 से ज्यादा मुंजा लड़के लड़कियां थी।
उनमें एक सरदार थी, जिसका नाम था गीता। वो छोटी सी थी खेल रही थी। बिल्डिंग पर कुछ इंटों से कुछ बनाया हुआ था। वह टूट गया और वह गिर गया तो काफी मलबा उसके ऊपर गिरा तो वह मर गई और उसी जगह स्थान पर मुंजा के रूप में वहां रहती है तो 28 दिन तक उनके साथ रहना पड़ा तो मंजू को अच्छी तरह से जानकारी मुझे हो गई।
बंगाल का जादू | कामरु देश का जादू कैसे सीखें – विस्तार सहित ph. 85280 57364
बंगाल का जादू |कामरु देश का जादू कैसे सीखें – विस्तार सहित ph. 85280 57364
बंगाल का जादू |कामरु देश का जादू कैसे सीखें – विस्तार सहित ph. 85280 57364 गुरु मन्त्र साधना में आपका हार्दिक स्वागत है। आज मैं बंगाल के जादू के बारे में जानकारी प्रदान करूंगा। बंगाल का जादू के बारे में मैं बहुत समय से सोच रहा था। कि इस के बारे में साधक साधक भाईओं को जानकारी प्रदान करूं पर मैं अपने काम काज के चलते इस विषय जानकारी नहीं दे नहीं पाया।
बंगाल का का जा जादू क्या होता है इस के बारे में विस्तार सहित जानकारी प्रदान करुगा। आप इस पोस्ट को पूरा पढ़े तब आप इस के रहस्य जान सकते सकते है। हमारी website पर तंत्र से जुड़ी जानकारीया प्राप्त होती है आप हमारी website से जुड़े तंत्र और धारमिक जानकारीया प्रपात करने के लिए और के लोगों साथ भी शेयर करो।
बंगाल का जादू |कामरु देश का जादू कैसे सीखें – विस्तार सहित ph. 85280 57364
बंगाल के जादू का इतिहास और परिचय– बंगाल के जादू बहुत लोगो के बीच में मशहूर है। प्रचीन काल से बंगाल जादू देना और तंत्र मंत्र के लिए जाना जाता रहा है।
यहां पर प्राचीन काल से ही मायावी विधा का गढ़ माना जाता है। बंगाल का जादू इतना ज जयादा प्रभावशाली माना जाता है के किसी भी बसी आदमी को जानवर बनाकर कर उनसे काम लिया जाता था।
इस तरह की विघा पाई जाती थी। कुछ लोगो का मानता है आज 1 आज भी बंगाल के कुछ गाँव के अंदर ऐसे लोग है। जो आज भी किसी भी आदमी को जानवर बना सकते है।
सवामी राम क एक पुस्तक है हिमालय के संतो के संग निवास में बंगाल के जादू को चमत्कार को देखा है। इसका इव्हासिक तथ्य और भी मिलता है। कि सिख के पहले गुरु नानक देव जी जब बंगाल गए थे।
उनको साथ उनका एक शिषय भाई मरदाना जी को एक बंगाली औरत ने भेड़ बना दिया था इसका कप्पा मैं आपको कथा नहीं बताउगा दो ‘इंटरनेंट पर यूट्यूब में देख सकते है। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि वास्तव में ऐसी विद्या माजूद थी जिस से किसी को भी जानवर बनाया जा सकता है।
इसके इलावा बंगाल को आदमी को जानवर, तो सकता कई शाबर मंत्रो में बंगाल के जादू का जिकर का कमरुदेश के नाम से मिलता है। बंगाल कमरुदेश के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग कमरुदेश को आसाम बंगाल जादू देश देश को अलग मानते है। नाथ पंथ का प्रचार और प्रसार बंगाल से हुआ है। यह है। यह भी बताया जाता है नाथ योगीओं ने ही बंगाल लोगों को यह बंगाल के सिखाया था।
कई जगह शाबर मंत्रो में कामरूदेश के साथ नाथ योगी ईसमाईल योगी और कामरू देश की जादूगरनी लोना चमारन का जिक्र मिलता मिलता है। मायावी विद्या देवता भगवान शिव को माना जाता है।
मायावी विदया के देवता भगवान शिव है उनसे यह मायावी विद्या भगवान शिव से रावन को मिली और उसके बाद यह नाथ योगीयों को प्रापत हुई नाथ योगीयों में गुरु गरोखनाथ जो से यह विघा सभी नाथ योगी तक को प्राप्त हुई
उसके इस्मायल योगी और लोना चमारी कामरुदेश यानी बंगाल से थी। यह बंगाल के जादू के नाम से जाना जाता है। यह है बंगाल के जादू कर इतहास आज के समय में बंगाल का जादू संभव है। इस विषय पर बात है करेंगे।
बंगाल के कुछ ऐसे स्थान है माना जाता यह माना जाता है आज भी बंगाल का जादू होता है। ‘इस के पीछे का सच इस पोस्ट में जानकारी प्रदान करुगा। मायोंग बंगाल के जादू का प्रसिद्ध स्थान माना गया है।
कुछ लोग बोलते है आज भी वहां जदूगर माजूद है। किसी को भी जानवर बना माना आज के समय पर बड़े बड़े जादूगर माजूद है । यह सच नहीं है यह पहले समय में ऐसा होता था पर अब नही हैं।
कुछ लोग “इस चक्र जाते है ऐसे कुछ नही है। उनका बड़ा नुकसान हो जाता है ठगी का शिकार हो ‘जाते है। कहीं पर भी बंगाल में ऐसा कुछ नहीं है बंगाल का जाद ख़तम चुका है। कुछ ऐसे हैं स्थान वह पर अभी भी बंगाल जादू होता है। मैं उसकी जानकारी यहां पर नहीं दे सकता है। वहाँ पर भीड हो जाएगी गुप्त स्थान इसके लिए सम्पर्क करना होगा।
बंगाल का जादू कैसे सीखे ?
बंगाल का जादू आपको अच्छे गुरु की तलाश करें बंगाल जादू सीखने के गुरु की तलाश बंगाल का जादू हो बंगाल के जादू का माहिर हो । बंगाल जादू को सीखने के लिए मयोग जाना होगा वहाँ पर एक लाइब्रेरी है। लाइब्रेरी बहुत सारी प्राचीन बंगाल के जादू की किताबे पढ़कर आप सीख सकते है। पर वो किताबें बंगाली भाषा के अंदर है आपको बंगाली आनी जरूरी है। बंगाल का जादू सीखने के लिए हम से संपर्क कर सकते है ph. 85280 57364
शरीर में जिन्न होने के लक्षण और जिन्न शरीर में क्यों आता है
शरीर में जिन्न होने के लक्षण और जिन्न शरीर में क्यों आता है
शरीर में जिन्न होने के लक्षण और जिन्न शरीर में क्यों आता है गुरु मंत्र साधना को में आप सबका स्वागत है जिन का नाम आपने अक्सर सुना होगा जिन मुस्लिम धर्म की शक्ति है जैसे हमारे पुराणों में भूत प्रेत के बारे में आता है। वैसे ही मुस्लिम धर्म में कुरान के अंदर जिन के बारे में जानकारी मिलती है।
आज मैं जिन के बारे में बात करेंगे ,जब किसी के शरीर में आता है। उसके क्या लक्षण होते है, क्यों आता है कैसे आता है और इसके क्या लक्षण होते हैं। किसी के शरीर में आता है उसको क्या परेशानी हो सकती। इन सब बातों के बारे में विस्तार सहित जानकारी परदान करूंगा। इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें तब आपको समझ में आएगा आप इससे कैसे बच सकते हैं औरों को भी बचा सकते हैं।
शरीर में जिन्न होने के लक्षण और जिन्न शरीर में क्यों आता है
शरीर में जिन्न होने के लक्षण और जिन्न शरीर में क्यों आता है
किसी के शरीर में क्यों आता है इसके बारे में जानकारी प्रदान करेंगे पहले इस की हम पसंद के बारे में जानेंगे इ.फको तेज खुशबू बहुत पसंद होती है। उसके अलावा सुंदर लड़कियां बहुत पसंद होती है, यह ज्यादातर जवान लड़कियों के शरीर में आता है। उनके साथ गलत काम करता है जब भी उनके शरीर में आता है उनके के साथ गलत काम करता है।
जिसके साथ यह गलत काम करता है उसको पता नहीं चलता है एक बेहोशी की तरह रात के समय सिस्टम हो जाता है और उसे लड़की को पता नहीं चलता है क्या हुआ था।
औरत के शरीर में जिन्न होने के लक्षण
सुबह शरीर में दर्द होता है और शरीर टूटता है। सारा दिन उन लड़कियों के शरीर में थकावट और कमजोरी महसूस होती है पता नहीं चलता क्या हो रहा है। बहुत कम मामलों में ऐसा होता है कि लड़की को पता चल जाता है उसके साथ कोई शक्ति सेक्स कर रही है।
आदमी शरीर में जिन्न होने के लक्षण
हम बात करेंगे किसी आदमी के शरीर में क्यों आता है इस विषय मैं बात करेंगे बहुत कम आदमियों के शरीर में जिन्न आता है जब कोई आदमी जिन्न साधना करता है , उसको वश में करने की कोशिश करता साधना में कोई रक्षा नहीं लगाई जाती है या कोई गलती हो जाती है। तब आप के शरीर जिन्न प्रवेश करता है। इसके क्या लक्षण होते है आप का कभी भी सिर घूमने लगता है और चक्र आते है यह कुछ समय तक होगा फिर नार्मल हो जाओगे बीच बीच में यह आपको दिक्कत हो सकती है। इस के इलावा और भी कारन हो सकते है अगर आप को परेशानी है सम्पर्क करें ph 85280 57364
agni-prakat-karne-ka-mantra अग्नि प्रकट करने का मंत्र – मंत्र जप करते होगी अग्नि प्रकट
agni-prakat-karne-ka-mantra अग्नि प्रकट करने का मंत्र – मंत्र जप करते होगी अग्नि प्रकट
agni-prakat-karne-ka-mantra अग्नि प्रकट करने का मंत्र – मंत्र जप करते होगी अग्नि प्रकट नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको अग्नि उत्पन्न करने वाले मंत्र के विषय में बताने जा रहा हूं जैसे कि हम लोग जानते हैं कि हमारे पुराने काल में अर्थात जो ऋषि मुनि तपस्या करते थे और यज्ञ करते थे तो वह भगवान अग्नि का आवाहन करने के बाद उनको प्रकट करते थे मंत्रो के द्वारा ही अपने यज्ञ की अग्नि को प्रज्वलित कर लेते थे।
आज मैं आपको एक ऐसे मंत्र के विषय में बताऊंगा प्रयोग से आप भी अग्नि को उत्पन्न कर सकते हैं और उसके द्वारा अपने कार्यों को सिद्ध कर सकते हैं दोस्तों अपने पुराने समय की किताबों में या पुरानी कथाओं में अग्नि के विषय में सुना भी होगा जाना होगा कि मंत्रो के द्वारा भी अग्नि को उत्पन्न किया जा सकता है
अर्थात आप अपने मंत्र शक्ति से भी आग को उत्पन्न कर सकते हैं दोस्तों हम भगवान सूर्य की आराधना करते हैं और उनको प्रसन्न करने के लिए नाना प्रकार के कर्म करते हैं और भगवान सूर्य भी अपने कर्मों के लिए सुबह प्रातः काल प्रकट होते हैं और इस संसार को ऊर्जा प्रदान करते हैं जिससे सभी जीवो का भरण पोषण होता है।
उसी प्रकार पुरातन समय में जब ऋषि मुनि मंतर करते थे और अग्नि को भी हम लोग देवता की संज्ञा में रखते हैं अर्थात जब हम ऋषि मुनि अग्नि देव का स्मरण करते थे तो वह प्रकट होते थे और उसे अग्नि प्रकट होकर यज्ञ कुंड को प्रज्वलित करती थी। उसके बाद देवता हवन के जरिए भोजन प्राप्त करते थे पृथ्वी हवन के जरिए भोजन प्राप्त करते थे इस समय मित्रों का प्रयोग करके आप भी अग्नि को प्रकट कर सकते हैं और अग्निदेव को प्रसन्न कर सकते हैं
दोस्तों एक विशेष बात यह है कि यदि आप इस मंत्र का संकल्प लेते हैं, कि मैं इस मंत्र का प्रयोग करूंगा तो उसके लिए एक नियम का पालन करना अति आवश्यक है। आप संकल्प लेने के बाद इस साधना को बीच में नहीं छोड़ सकते यदि आप बीच में छोड़ने का निश्चय करते हैं तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है
agni-prakat-karne-ka-mantra अग्नि प्रकट करने का मंत्र साधना विधि
आपको कि इस मंत्र का जब आपको अमावस्या की रात में बजे के बाद प्रारंभ करना है और उसके लिए आप किसी पवित्र स्थान पर बैठ जाए और अग्नि देव की एक तस्वीर या उनकी एक प्रतिमा सामने रखकर 11 लाख बार का उच्चारण करें मंत्र उच्चारण करने के बाद आपको अपने अंदर कुछ ऊर्जा प्रतीत होने लगेगी और यदि आपने अपने पूजा स्थल पर क्या साधना स्थल पर दिया प्रज्वलित किया है। तो वह उसकी लो बढ़ जाएगी और धीरे धीरे यह मंत्र आप द्वारा सिद्ध कर लिया जाएगा। पर इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप शुद्ध हो कर साधना करें। अग्नि सभी प्रकार की अशुद्धि को जलाकर भस्म कर देती है। अतः आपके मन में भी पूर्ण रूप से विश्वास होना चाहिए कि भगवान अग्नि देव हम पर प्रसन्न होंगे।
पुरुष विवाह मंत्र – पुत्र के विवाह के उपाय – शादी होगी शीघ्र विधि विधान ph. 85280-57364
पुरुष विवाह मंत्र – पुत्र के विवाह के उपाय – शादी होगी शीघ्र विधि विधान
पुरुष विवाह मंत्र – पुत्र के विवाह के उपाय – शादी होगी शीघ्र विधि विधानआज के समय में कन्याओं के माता-पिता को ही नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे, नौकरी करने वाले युवकों के माता-पिता को भी अपने पुत्रों के विवाह के मामले में परेशान होना पड़ रहा है।
बहुत से युवकों का बड़े प्रयास के उपरांत लम्बे समय तक विवाह सम्पन्न नहीं हो पाता। पढ़े-लिखे और अच्छी नौकरी अथवा व्यवसाय होने के उपरान्त भी ऐसे युवकों को 35-40 वर्ष तक भी कुंवारेपन का सामना करना पड़ता है।
युवकों के वैवाहिक विलम्ब के पीछे भी लगभग वैसे ही कारण जिम्मेदार देखे जाते हैं, जैसे कि कन्याओं के मामले में पाये जाते हैं लेकिन इनके मामले में भी यह देखा गया है कि कुछ विशिष्ट तांत्रोक्त उपायों के प्रयोगों से विवाह बाधा की समस्या दूर हो जाती है तथा शीघ्र ही घर में मांगलिक कार्य सम्पन्न होने की आशा बन जाती है ।
पुरुष विवाह मंत्र – पुत्र के विवाह के उपाय – शादी होगी शीघ्र विधि विधान
विवाह बाधा निवारक एक ऐसा ही तांत्रोक्त प्रयोग निम्न प्रकार है- इस तांत्रोक्त अनुष्ठान को किसी भी कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से शुरू किया जा सकता है । यह अनुष्ठान भी कुल 41 दिन का है।
अनुष्ठान के सम्पन्न होते-होते लड़के के रिश्ते के बारे में रुकी हुई बात फिर से होने लग जाती है। अगर इस अनुष्ठान को किसी देवी मंदिर में बैठकर अथवा शिवालय में बैठकर सम्पन्न किया जा सके, तो इसका परिणाम शीघ्र ही मिलता है ।
इस अनुष्ठान को घर पर भी सम्पन्न किया जा सकता है । इस अनुष्ठान की सबसे मुख्य बात यह है कि मंदिर जाकर देवी प्रतिमा अथवा शिव-पार्वती को अष्टगंध युक्त टीका लगाकर उनका अक्षत, पुष्पमाला, धूप, दीप, कपूर से पूजन करें। सामर्थ्य हो तो देवी प्रतिमा को वस्त्र अर्पित करें अन्यथा उन पर चुनरी चढ़ायें |
गुड़ का नैवेद्य लगाकर किसी गाय को खिला दें। घर पर अनुष्ठान को सम्पन्न करते समय अपने पूजास्थल पर घट की स्थापना घट पर श्रीफल की स्थापना करें । श्रीफल को चुनरी चढ़ायें तथा उसके सामने घी का दीपक जलाकर मन ही मन माँ के सामने प्रार्थना करें तथा शीघ्र गृहस्थ का सुख प्रदान कराने का अनुरोध करें।
मंत्र– यह वाल्मीक रामायण का मंत्र है जो अत्यन्त अद्भुत और प्रभावशाली है।
मंत्रजाप के दौरान अखण्ड घी का दीपक जलते रहना चाहिये । मंत्रजाप स्वयं अपने मस्तक पर अष्टगंध का लेप लगाकर करना चाहिये । श्रीफल को भी प्रतिदिन अष्टगंध का लेप करना चाहिये। यह तांत्रिक अनुष्ठान 41वें दिन पूर्ण हो जाता है ।
अत: उस दिन मंत्रजाप सम्पन्न होने के पश्चात् सम्पूर्ण पूजा समाग्री को किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिये अथवा भूमि में गड्ढा खोद कर दबा देना चाहिये । अनुष्ठान उपरांत स्वयं अपने मस्तक पर अष्टगंध का टीका लगाकर रखना चाहिये ।
इसके प्रयोग से साधक में सम्मोहन शक्ति विकसित होती है तथा किसी अज्ञात शक्ति की प्रेरणा से प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, कारोबारी या व्यवसायी हो अथवा अपरिचित ग्राहक, साधक से मेल-जोल बढ़ाने का प्रयास करने लगता है ।
इस अनुष्ठान से शीघ्र ही विवाह कार्य सम्पन्न हो जाता है, साथ ही यह अनुष्ठान संतान प्राप्ति हेतु भी चमत्कारिक सिद्ध होता है ।
इस अनुष्ठान के दौरान एक विशेष बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि घट स्थापना के बाद साधक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को न तो उसका स्पर्श करना चाहिये और न ही उसे अपने स्थान से हटाना चाहिये । उसका विस्थापन अनुष्ठान समाप्ति के पश्चात् ही होना चाहिये । घट पर रजस्वला स्त्री की छाया भी नहीं पड़े, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिये।
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बंगाल का मोहिनी मंत्र-सबसे सरल और खतरनाक मोहिनी मंत्र
बंगाल का मोहिनी मंत्र-सबसे सरल और खतरनाक मोहिनी मंत्र जय श्री महाकाल दोस्तों स्वागत है आपका वेबसाइट में स्वागत है। आशा आप सभी सही होंगे स्वस्थ होंगे बंगाल का मोहिनी मंत्र देने जा रहे हैं, दोस्तों बहुत ही दुर्लभ मंत्र है। यह आज तक वेबसाइट पर किसी भी चैनल पर यह मंत्र नहीं बताया होगा न ही मिलेगा आज के बाद दोस्तों अगर किसी कॉपी करके डाल दिया जाए तो कह नहीं सकते।
आज की तारीख से पहले किसी भी वेबसाइट पर यह मंत्र नहीं मिलेगा बहुत ही दोस्तों अचूक भाव है मंत्र प्रभाव करता है। सामने वाले के ऊपर हे माता बंगालन का मंत्र है कोई भी स्त्री या पुरुष प्रेमी प्रेमिका पति पत्नी से इस्तमाल कर सकता है। लेकिन किसी भी गलत प्रयोजन से बिल्कुल भी ना करें दोस्तों कोई भी लड़की हो या लड़का हो जिसके ऊपर यह प्रयोग किया गया.
मंत्रो में जैसे जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं शाबर मंत्र है। दोस्तों आपके पास या फिर जब तक आपको देखे ना उसको चैन नहीं मिलेगा। आपके पास आया ना मिले ना वह व्यक्ति दोस्तों बीमार होने लग जाएगा जब तक मिलेगा नहीं फिर आपकी आवाज ना सुन ले उसे चैन नहीं मिलेगा ,चाहे वह कहीं पर भी क्यों ना हो कितनी ही दूरी क्यों ना हो आपस में कैसा ही मतभेद क्यों नहीं सब खत्म हो जाएगा। इस मंत्र का प्रभाव दोस्तों इस तरह से काम करता है बोल रहे हैं जब आप मंत्र पढ़ेंगे आप खुद देख सकते हैं शब्दों को मंत्र में देख सकते है।
बंगाल का मोहिनी मंत्र साधना विधि
बंगाल का मोहिनी मंत्र साधना बहुत आसान और सरल विधि है दोस्तों इसकी अपने करना क्या है। दोस्तों किसी भी शनिवार से या फिर अमावस्या पूर्णिमा इन 3 दिनों में किसी भी दिन से आप शुरू कर सकते हैं। इस प्रयोग को जैसा कि आपको बताया बगालन का मंत्र है बंगालन मंत्र उठाकर बंगाल वाली कालका। उसे देवी का मंत्र माता रानी का आदिशक्ति का दोस्तों आपका मुंह उत्तर पूर्व दक्षिण तीनों में से किसी भी एक दिशा में रख सकते हैं करना क्या है।
सबसे पहले काला कपड़ा बिछाए उसके ऊपर माता रानी का चित्र स्थापित करें नागौर और उसकी माता रानी को चुनरी नारियल की भेंट चढ़ाए उसके बाद दोस्तों माता रानी को तिलक करें और एक लाल फूल की गुलाब की माला ले सकते हैं। माल माता रानी को छोड़ा है नॉर्मल गुलाब के फूल चावल चढ़ाए कुमकुम हल्दी से माता रानी को चढ़कर पूजा करें। माता रानी का कुमकुम से तिलक करें। अपने आप को तिलक करें कोई भी आसान ले सकते हैं।
दोस्तों हर किसी को अलग अलग समय होता है। लेकिन जितने भी रात्रि के प्रयोग होते हैं उनकी ऊर्जा बहुत ही तेज और भयंकर होती है। और जिस समय रात से 12:00 बज रहे हैं। 11:00 बजे 12:00 बजे उस टाइम लेटा होगा आदमी जिसके ऊपर हमने यह प्रयोग करना है। अगर वह सो रहा है दोस्तों उसके ऊपर और भी दुगनी तेजी से जो भी ऊर्जा होगी मंत्र की प्रभाव करती है। रात्रि को 10 से 12 बजे के बीच में स्त्रियों को करें या फिर सुबह सुबह 4:00 से 6:00 बजे करो
सबसे पहले दोस्तों गुरु मंत्र और गणेश मंत्र यह हर पोस्ट में कहा जाता है। और गुरु धारण करना बहुत जरूरी दोस्तों जीवन में गुरु मंत्र के बाद दोस्तों गणेश मंत्र उसके बाद भोलेनाथ का ओम नमः शिवाय का एक माला का मंत्र जाप करें मूल मंत्र दिया गया।
दोस्तों इसका 51 बार जाप करना है अपने सिर्फ 51 बार मोहिनी मंत्र जाप करने के लिए बोला लेकिन लोग कमेंट आया व्हाट्सएप पर पोस्ट के नीचे भी गुरुजी क्या हम ज्यादा मंत्र जाप नहीं कर सकते हैं
तो देखिए भोजन सिर्फ इंसान को उतना करना चाहिए जो हजम हो सके मंत्रो में ऊर्जा होती तरंगे होती है। हर किसी को अपना अपना प्रभाव होता है तेजी से और कम गति से चलने का और इतना बताया गया। दोस्तों उतना ही करें फेर बदल ना करें उसमें मूल मंत्र का जाप करना है जो कि आपको पोस्ट में लिखित रूप में भी मिलेगा।
इस मंत्र का दोस्तों अपने जाप करना है जब जाप हो जाए अगर लड़की करें जैसा यह हमने मंत्र बोलकर बताया है। सेम यह लड़कों के लिए मंत्र अगर किसी लड़की या कोई पति कर रहा है। अमुकी की जगह पर उसका नाम ले फिर अपना और अगर कोई लड़की है कर रही है।
तो पहले अपने बॉयफ्रेंड का या औरत कर रही है तो पहले अपने पति का नाम उसके बाद अपना इस तरीके से इसको इस्तेमाल करना है। याद रखेगा दोस्तों जब आपका यह मंत्र कंप्लीट हो जाए एक गाय का गोबर के उपले पर बाद में उसका देसी घी डाले कर दो लौंग और दो छोटी इलायची मंत्र के अंत में स्वाहा बोलते हुए हवन करें।