शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – निश्चित ही शत्रु पराजित होगा ph. 85280-57364
शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – निश्चित ही शत्रु पराजित होगा
शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – निश्चित ही शत्रु पराजित होगाshatru nashak totke lal kitab नमस्कार मित्रों गुरु मंत्र साधना के माध्यम से लाला किताब के टोटके लेकर आता हूं ,आज का यह टोटका है शत्रु नाशक टोटका है क्योंकि शत्रु चाहे जितना शक्तिशाली हो इस टोटके के सामने टिक नहीं सकता। आपके जीवन में शत्रु आपको परेशान करने की कोशिश शत्रु आपको चाय रहा है, कि आप परेशान हो जाएगा जीवन में बड़ा ही बाधा डाल रहा है ,आपके विकास को रोकना चाहता है।
शत्रु नाशक टोटके लाल किताब
शत्रु नाश के लिए उपाय
शत्रु नाशक उपाय
आप उसके सामान बलवान नहीं है ,तब भी डरने की जरूरत नहीं है। यह छोटे छोटे टोटके बड़े से बड़े शत्रु का शमन कर सकते हैं। शत्रु बाधा से पीड़ित है जीवन में शत्रुओं ने आपको नाच नचा के रखा है। कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा है तो एक रास्ता मैं देता हूं। जीवन में शत्रु बाधा से जीवन की परेशानी दूर हो जाए शत्रु आपके भिड़ गया है। और आप शत्रु के संकट है आपका एक लक्ष्य रह गया है। आप चिंता मत करें इस टोटके से पराजित हो सकता है पर करना क्या है।
कुछ टोटके मैं आपको देता हूं और यह टोटके कम से कम जरूर करे। और चारों टोटके बेहद असरदार है बड़े से बड़े शत्रु का शमन करने में सक्षम है करना क्या है।
1 शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – शत्रु नाश के लिए उपाय
shatru nashak totke lal kitab पहले टोटका रविवार के दिन से दिन ये टोटका करना है। रविवार के दिन चमेली के पेड़ से चमेली का जो फूल होता है। उसे फूल की जड़ अर्थात पेड़ की जड़ आप ले आए और एक तांबे की तबीयत या चांदी की ताबीज में ,उसे जड़ को डालकर के रश्मि रंग का धागा लेकर के रविवार के दिन ही पूजा पाठ करके धूप दिखा करके ,उसे चमेली की जड़ को अपने धरण करले चमत्कार देखेंगे की शत्रु अपने आप को किसी और शत्रु से भीड़ जाएगा। आपका कार्य कोई और उसके ऊपर निश्चित रूप से करेगा वह निश्चित रूप से इस चमेली की जड़ में इतनी ताकत है शत्रु का शमन हो सकता है।
2 शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – शत्रु नाश के लिए उपाय
shatru nashak totke lal kitab दूसरा प्रयोग सिद्धिमांज की डोरी कमर में रविवार के दिन आप धारण करें रविवार को सुबह सूर्योदय से लेकर शाम सूर्यास्त मूंज की डोरी अपने कमर में चुपके से बांधे और उसे शत्रु का नाम सारे दिन में कम से कम 11 21 51 बार ले तो निश्चित रूप से देख लीजिएगा। उसे वह शत्रु इस मांज की डोर में बंद जाएगा और आपके ऊपर प्रहार नहीं कर पाएगा आपके जीवन से खत्म हो जाएगा पराजित हो जाएगा।
3 शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – शत्रु नाश के लिए उपाय
shatru nashak totke lal kitab नंबर तीन लाल कनेर यह जॉइन 90 दिन का सिद्धांत है। अर्थात 90 दिन का या 91 दिन भी कर सकते हैं। इसमें करना क्या है लाल कनेर के पुष्प आप 11 पुष्प 21 पुष्प लेकर के आए 21 51 लेकिन ध्यान रहे। आप के पीछे राजतंत्र का राज मंत्री क्यों न पीछा लगा हो आपके पीछे जो है बहुत महत्वपूर्ण सिद्धांत है विघ्न विनायक भगवान गणपति आपके जीवन से शत्रु को हटा देंगे करना क्या है।
लाल कनेर के पुष्प हो सके तो वन डे दिन 1 दिन 21 दिन 90 दिन भी एक सिद्धांत बना ले ओम गणेशया नमः लगातार लाल कनेर पुष्प चढ़ाए और निवेदन करें कि प्रभु यह लाल कनेर मैं आपको इसलिए अर्पण कर रहा हूं। कि मेरे जीवन में जो यह प्रबल शत्रु लगा हुआ है। इससे मुझे मुक्ति दिलाए तू क्यों कि जब जीवन में विघ्न होता है तो शत्रुघ्न करता है जब जीवन में विघ्न रहेगा ही नहीं तो शत्रु आपके जीवन से हट जाएगा गणपति आपके जीवन से शत्रु हटा देंगे।
4 शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – शत्रु नाश के लिए उपाय
shatru nashak totke lal kitab एक रामबाण उपचार देता हूं नंबर 4 माता धूमावती शत्रु नाशनी होती शनिवार के दिन माता की आराधना करें लेकिन इसमें विशेष क्या है। किसी योग्य गुरु की देख रेख में करे क्योंकि धूमावती माता आपके शत्रु के को स्तंभ कर देती है आपका पीछा तो धूमावती साधना शनिवार के दिन करे और गुरु आज्ञा से शत्रु का शमन निश्चित होगा।
5 शत्रु नाशक टोटके लाल किताब – शत्रु नाश के लिए उपाय
shatru nashak totke lal kitab पांचवा सिद्धांत है शनिवार के दिन से शुरू करें 43 डेज जिसमें एक सिक्का ले जिसके बीच में छेद हो गंदे नाले में अपने शत्रु का नाम लेकर के 40 43 डेज आप उसे सिक्के को फेंकने का प्रयास करें ४३ दिन के बाद शत्रु आपके चरण गिर जाएगा। इसको आप देख लीजिएगा पंच महायोग आपके जीवन में शत्रुघ्न योग बना देंगे।
आपके जीवन से शत्रु को निश्चित रूप से निकाल के दर फेंकने में समर्थ है। आप अगर शत्रु बाधा से योग सिद्धांतों को करके देखिए विश्वास मानिए गए ,कि आपके जीवन में शत्रु रहेंगे ही नहीं जिनके जीवन में शत्रु नहीं होंगे। उनके जीवन में विकास होगा क्योंकि झगड़ा झांझर मुकदमा यह मनुष्य को पीछे ले जाते हैं ,तो इसे आप पीछा छुड़ाकर के अपने जीवन में हर प्रकार की खुशियां लाने का प्रभाव करें। बहुत बहुत धन्यवाद
फोटो से शत्रु नाश होगा निश्चित enemy destroyed by photo ph. 85280 57364
फोटो से शत्रु नाश होगा निश्चित enemy destroyed by photo
फोटो से शत्रु नाश होगा निश्चित इस मंत्र से शत्रु का नाश पक्का होगा और वो पागल हो जाएगा फिर आपको कभी परेशान नहीं करेगा यह प्रयोग प्राचीन है
श्मशान में जाकर किसी शनिवार की रात्रि को कोई जलती हुई चिता देखकर समस्त वस्त्र उतार कर उसके समक्ष बैठ जाएं और इस मन्त्र का जप करें। सूर्योदय से पहले उस चिता को प्रणाम करें और उसका कोयला तथा राख लेकर आ जाएं। अपने शत्रु के पाँव तले की धूल लेकर उसमें राख मिलाकर पीली मिट्टी की शत्रु की प्रतिमा बनाएं। इसको कोयले के ढेर पर रखकर श्मशान वाला कोयला इसके हृदय पर रख दें और पुनः कोयलों से ढक कर उसे सुलगा दें; साथ-ही-साथ ऊपर बताए गये मन्त्र का जप करते रहें। जैसे-जैसे प्रतिमा ताप पायेगी, वैसे-वैसे शत्रु ताप से पीड़ित होकर तड़पेगा। जैसे ही पूर्ण ताप पाकर प्रतिमा चटकेगी, शत्रु भी मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा |पर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। खैर या आक की लकड़ी जलाकर इस वस्त्रको आग में तपायें। कपड़ा जलने न पाये। शत्रु पागल हो जायेगा। अच्छा करने के लिए गधे के मूत्र से उस कपड़े को धोकर सुखा दें।
अप्सरा साधना के नुकसान Disadvantages of Apsara Sadhana ph. 85280-57364
अप्सरा साधना के नुकसान Disadvantages of Apsara Sadhana
अप्सरा साधना के नुकसान Disadvantages of Apsara Sadhana अगर किसी साधना के फायदे होते हैं, तो उसके कुछ नुकसान भी होते हैं। जिन्हें हम आपको बताने जा रहे हैं।
साधकजनों किसी भी अप्सरा साधना को करने से पहले, एक गुरु के मार्गदर्शन का बहुत महत्व होता है।
किसी भी अप्सरा साधना को गुरु के मार्गदर्शन के बिना न करें, अन्यथा आपको क्षति हो सकती है।
जब आप अप्सरा साधना करना शुरू करते हैं, तो एक बात का ध्यान रखें कि आपकी साधना बीच में नहीं रुकनी चाहिए और आपकी साधना टूटनी नहीं चाहिए।
सबसे पहले, किसी भी गुरु के मार्गदर्शन में, आप साधना शुरू कर रहे हैं, तो उस साधना के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें, क्योंकि आपको अधूरी जानकारी के साथ साधना करनी नहीं चाहिए।
अगर आपकी साधना बीच में रुक जाती है या आप किसी कारणवश साधना बंद कर देते हैं, तो आपका मानसिक संतुलन खराब हो सकता है और आप पागल भी हो सकते हैं।
शादीशुदा को इस अप्सरा साधना को बिल्कुल नहीं करना चाहिए। जो लोग अविवाहित हैं, वे इसे एक बार आजमा सकते हैं।
जब आप अप्सरा साधना करते हैं, तो आपको उसे देवी या माँ के रूप में पूजन करना चाहिए, उसे पत्नी या गर्लफ्रेंड के रूप में पूजन नहीं करना चाहिए।
जब आपके सामने कोई अप्सरा आती है, तो आप उसे देखकर बहुत मोहित हो जाते हैं, लेकिन उस समय आपको खुद को नियंत्रित करना होता है।
जब आप अप्सरा की सफलता प्राप्त कर लेते हैं, तो वह आपको संभोग के लिए काम उत्तेजित करेगी, लेकिन आपको इसे करना नहीं है।
अगर आपने अप्सरा को पत्नी या गर्लफ्रेंड के रूप में प्राप्त किया है, तो आप अपने जीवन के बाकी समय के लिए शादी नहीं कर सकते। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपका जीवन भी खतरे में पड़ सकता है।
अपसरा को प्रमाणित करने के बाद, जो भी वादा आपने उससे किया है, आप उसे किसी से नहीं साझा करेंगे।
जैसे आप लोग पूरी शुद्ध मानसिकता के साथ तपस्या या देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, उसी तरह आपको अप्सरा की पूजा भी करनी चाहिए।
जब आप अपसरा साधना करते हैं, तो उस समय आपको पैरों के चलने की आवाज़ या किसी के शरीर को स्पर्श करने की आवाज़ महसूस हो सकती है।
आपको साधना को बीच में नहीं बंद करना चाहिए, अन्यथा इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं।
जिन लोगों का हृदय कमजोर हो, उन्हें इस साधना को बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग साधना के दौरान की अनुभव से डर सकते हैं, आपको हृदयघात भी हो सकता है, जिसके कारण आपका जीवन भी जा सकता है।
अगर आप अप्सरा को दिए गए वादे को तोड़ते हैं, तो उसी समय वह आपको छोड़कर अपने लोक में वापस जा सकती है।
शत्रु नाशक हनुमान मंत्र – गुप्त शत्रु की उल्टी गिनती शुरू shatru nashak hanuman mantra ph. 85280-57364
शत्रु नाशक हनुमान मंत्र – गुप्त शत्रु की उल्टी गिनती शुरू shatru nashak hanuman mantra
शत्रु नाशक हनुमान मंत्र विधि
सर्वप्रथम किसी शुभ मंगलवार के दिन नहा-धोकर एकांत व पवित्र स्थान में हनुमानजी का चित्र (या मूर्ति) रखें और उनकी पूजा करें। तत्पश्चात् इस मन्त्र का एक माला जप करें। यह क्रम दैनिक पूजा के रूप में पूरे इक्कीस दिनों तक चलना चाहिए। इस अवधि में साधक पूर्ण संयम, पवित्रता, ब्रह्मचर्य और निष्ठापूर्वक रहे। उसे हर तरह से स्वयं को सात्विक विचारों में लीन और हनुमंत चिंतन में मग्न रखना चाहिए।
पूजा में प्रतिदिन सात लड्डू और सात पान बीड़े नैवेद्य रूप में अर्पित करने चाहिए। इस प्रकार इक्कीस दिनों तक (यदि हो सके तो इकतालीस दिनों तक) प्रतिदिन नियम-निष्ठा के साथ एक माला (एक सौ आठ दानों की) जप करते रहें । अवधि पूरी हो जाने पर यही मन्त्र पढ़कर इक्कीस बार आहुति देते हुए हवन करें।
इस प्रकार यह मन्त्र सिद्ध हो जाएगा। मन्त्र सिद्ध हो जाने पर यदि कभी आवश्यकता पड़े तो शत्रु के दमन हेतु इसका प्रयोग किया जा सकता है। प्रयोग का नियम यह है कि कहीं एकांत में भूमि पर एक मानवाकृति बनाएं। उसे शत्रु का चित्र मानकर, उसे बंधन में करने के लिए मोम की चार कीलें बनाकर चित्र के चारो ओर जमा दें।
ध्यान रहे, चित्र बनाने से लेकर अंत तक साधक मन ही मन उपर्युक्त मन्त्र को जपता रहे। चित्र बन जाने और उस पर मोम की कीलें लगा देने के बाद हनुमानजी की पूजा करें और नैवेद्य में खीर अर्पित करें। इसके पश्चात् चित्र की छाती पर शत्रु का नाम लिखें और मन्त्रोच्चारण करते हुए उसके सिर पर जूते या चप्पल से दो बार प्रहार करें। इस प्रयोग से शत्रु का दमन हो जाएगा।
शत्रु नाशक हनुमान मंत्र – गुप्त शत्रु की उल्टी गिनती शुरू
गुप्त शत्रु की पहचान कैसे करें: सुरक्षित रहने के लिए अच्छे तरीके How to Spot a Secret Enemy: Ways to Stay Safe ph. 85280-57364
गुप्त शत्रु की पहचान कैसे करें: सुरक्षित रहने के लिए अच्छे तरीके How to Spot a Secret Enemy: Ways to Stay Safe
परिचय आजकल की तेजी से बदलती दुनिया में, हमारी गोपनीयता और सुरक्षा का महत्वपूर्ण रोल होता है। गुप्त शत्रु से बचने के लिए, हमें उनकी पहचान करने के तरीकों को समझना महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि आप गुप्त शत्रु की पहचान कैसे कर सकते हैं और अपनी सुरक्षा को कैसे बढ़ा सकते हैं।
गुप्त शत्रु कौन हो सकते हैं?
व्यक्तिगत दुश्मन
अक्सर हमारे जीवन में व्यक्तिगत विवादों या किसी व्यक्ति से संघर्ष की वजह से गुप्त शत्रु बन सकते हैं। ये लोग आपके खिलाफ चुगली करते हैं और आपकी परेशानियों का उपयोग करके आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
व्यापारिक दुश्मन
व्यापार में कई बार आपकी सफलता की वजह से आपके व्यापारिक संघर्ष करने वाले लोग भी गुप्त शत्रु बन सकते हैं। वे आपके व्यवसाय को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं।
गुप्त शत्रु की पहचान कैसे करें?
अनोखे बर्तनों की सतर्कता अगर आपके आसपास कुछ अनोखे बर्तन या उपकरण दिखाई देते हैं जिन्हें आपने खरीदा ही नहीं है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि कोई आपके बारे में जानकारी चुरा रहा है।
अचानक बदलते व्यवहार
आपके आसपास के लोगों का व्यवहार अचानक से बदल जाता है और वे आपके प्रति सावधानियां दिखाने लगते हैं, तो यह एक संकेत हो सकता है कि कोई आपके खिलाफ कुछ कर रहा है।
सुरक्षा के उपाय
सतर्कता बनाए रखें अपने आसपास के लोगों के साथ सतर्क रहें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सावधानीपूर्वक सुरक्षित रखें।
ऑनलाइन सुरक्षा का ध्यान रखें अपने ऑनलाइन खातों की सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड और दो-प्रमाणितीकरण का उपयोग करें।
निष्कर्ष गुप्त शत्रु की पहचान करना आपकी सुरक्षा की प्राथमिकता होनी चाहिए। सतर्क रहें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए उपरोक्त उपायों का पालन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) मुझे अपनी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करनी चाहिए?
आपको अपने आसपास के लोगों के साथ सतर्क रहकर और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखकर सुरक्षा की दिशा में कदम उठाना चाहिए। ऑनलाइन सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?
आप ऑनलाइन सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड उपयोग करके, दो-प्रमाणितीकरण का उपयोग करके, और अद्यतन और सुरक्षित रहने वाले सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके कदम उठा सकते हैं। गुप्त शत्रु से बचने के लिए कौन-कौन से तरीके अधिक प्रभावी हो सकते हैं?
गुप्त शत्रु से बचने के लिए सतर्क रहना, अनोखे बर्तनों की सतर्कता बनाए रखना, और अचानक बदलते व्यवहार पर ध्यान देना अधिक प्रभावी तरीके हो सकते हैं। क्या ऑनलाइन गोपनीयता सुरक्षित होती है?
जी हां, ऑनलाइन गोपनीयता को सुरक्षित बनाने के लिए आपको मजबूत पासवर्ड और सुरक्षित सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना चाहिए। क्या गुप्त शत्रु की पहचान करना वास्तव में महत्वपूर्ण है?
जी हां, गुप्त शत्रु की पहचान करना आपकी सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप खुद को उनके हाथों सुरक्षित रख सकते हैं।
mahakal shatru nashak mantra महाकाल शत्रु नाशक मंत्र इस साधना से आप शत्रु के नाश होगा और शत्रु पागल हो जाएगा ph.8528057364
गाय के गोबर का चौका ( लीपकर ) देकर दक्षिण की तरफ मुख करके बैठें। ‘कालरात्रि’ में यह साधना करना उत्तम है। पूजन में लाल कनेर का फूल, सिन्दूर, नींबू, लौंग और लड्डू आदि रखें। चार मुख का दिया, फूलों की माला भी रखें। १०८ बार मन्त्र का जप करें और इतनी ही बार चीनी और घी मिलाकर हवन करें।
हवन की समाप्ति पर यदि भैरव जी प्रकट हों, तो उन्हें फूलों की माला अर्पित करें, लड्डू का भोग दें और प्रणाम कर उनसे कार्य सिद्ध करने की प्रार्थना करें। १. मन्त्र सिद्ध हो जाने पर एक नींबू पर शत्रु का नाम सिन्दूर से लिखें। २१ बार मन्त्र का जप कर उस नींबू में २ सुइयाँ चुभो दें और एक मिट्टी की छोटी-सी हण्डी में उसे रखकर श्मशान में गाड़ दें।
जब तक यह गड़ा रहेगा, शत्रु को भयानक पीड़ा होगी। २. शत्रु के पहनने का कोई कपड़ा प्राप्त कर उस पर श्मशान के कोयले से शत्रु का चित्र बनायें। चित्र में प्राण-प्रतिष्ठा करें और शत्रु का नाम लिखें। फिर इस कपड़े पर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें।
खैर या आक की लकड़ी जलाकर इस वस्त्र को आग में तपायें। कपड़ा जलने न पाये। शत्रु पागल हो जायेगा। अच्छा करने के लिए गधे के मूत्र से उस कपड़े को धोकर सुखा दें
shatru maran mantra शत्रु नाश के लिए मंत्र तीव्र मारण प्रयोग ph. 85280 57364
shatru maran mantra शत्रु नाश के लिए मंत्र तीव्र मारण प्रयोग
इस मन्त्र-जप का अनुष्ठान रात्रिकाल में किया जाता है। इसके लिए कनेर के १००८ फूलों एवं सरसो के तेल की जरूरत प्रत्येक दिन पड़ती है। इन दोनों सामग्रियों की व्यवस्था पहले ही कर ली जाती है। इस मन्त्र का कुल १०,००० जप करने के पश्चात् मन्त्र सिद्ध हो जाता है। इसका प्रत्येक अर्द्धरात्रि के समय से २००८ बार जप किया जाता है।
इसकी शुरुआत किसी भी दिन की रात्रिकाल को की जा सकती है। शुरू किये गये दिन से ११ दिनों तक लगातार रात्रि के समय जप करना आवश्यक होता है । मन्त्र जप किसी निर्जन स्थान अथवा श्मशान में किया जाता है।
सूखी लकड़ी को सुलगाकर आग बना लेना चाहिए और उसके बाद मन्त्र जप शुरू कर देना चाहिए। प्रत्येक मन्त्र जप से पूर्व कनेर का फूल लेकर तेल में डुबोना चाहिए और उसके बाद मन्त्र पढ़कर उक्त फूल को आग में डाल देना चाहिए।
ऐसा प्रत्येक दिन १००८ बार करना चाहिए। अमुकस्य की जगह दुश्मन का नाम लेते रहना चाहिए। इस मन्त्र की सिद्धि के पश्चात् शत्रु की मौत सुनिश्चित है। यह प्रयोग निन्दनीय तथा वर्जित है ।
कर्ण पिशाचिनी साधना के छुपे रहस्य उजागर करेंगे इस पोस्ट में Deep secrets of Karna Pishachini Sadhana ph. 85280-57364
कर्ण पिशाचिनी कौन है कर्ण पिशाचिनी विद्या क्या है
कर्ण पिशाचिनी साधना के छुपे रहस्य उजागर करेंगे इस पोस्ट में Deep secrets of Karna Pishachini Sadhana कर्ण पिशाचिनी भौतिक आकांक्षाओं से पीड़ित लोग कर्ण पिशाचिनी की आराधना करने को लालायित रहते हैं ।
यह सिद्ध होने पर भूतकाल और वर्तमान काल की बातें बतला देती है, असाधारण परिस्थितियों में भविष्यत् को बत- लाने की क्षमता भी आती है किन्तु इसके लिए अधिक श्रम और साहस की आवश्यकता रहती है।
निम्न विषयो पर चर्चा होगी
कर्ण पिशाचिनी कौन है
कर्ण पिशाचिनी विद्या क्या है
कर्ण पिशाचिनी क्या क्या कर सकती है
कर्ण पिशाचिनी कितने दिन में सिद्ध हो जाती है
वर्तमान में चाहे विश्व के किसी भी हिस्से की जात पूछी जाय यह सही उत्तर दे देती है, एक हद तक यह व्यक्ति के अन्तः स्तल के विचारो को भी जान सकती है। किन्तु किसी के विचारों की बदले की शक्ति इसमे नही है ।
लोगों को चमत्कृत करने के लिए, अपना प्रभाव जमाने के लिए और इन प्रदर्शनों के फलस्वरूप धन अर्जन के लिए कर्ण पिशाचिनी के प्रति लोग अधिक आकृष्ट होते हैं । इसके संबंध में कुछ भी लिखने से पहले एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं ज्ञान मार्ग में प्रवृत्त हो चुका हूँ, ये आनन्दमार्गी चुटकुले हैं, इनके प्रति मुझे कोई भी दिलचस्पी नही चमत्कार जैसी चीज मेरे मे नही है और जब नही है तो दिखावा कैसे करू ?
सच यह है कि अर्थ और सुविधाओं के मामले मे आवश्यकता तक सोचता हूं मुझे किसी भी प्रकार की कोई सिद्धि नही मिली फिर भी भारतीय मन्त्रो की शक्ति का परिचय मुझे है । ज्ञान मार्ग जिस विराट् शून्य में रमना चाहता है उसमे प्रदर्शनीय, सिद्धि या चमत्कार नाम को कोई चीज होती ही नहीं। गोपीनाथ कविराज नौर. योगीराज अरविन्द के पास लोगों ने कौन – सा चमत्कार देखा ।
किन्तु तो उनको मिला उसके लिए कौन लालायत नहीं है ? ज्ञान मार्ग का यह भाव है। कामनाओं से प्रेरित होकर जो प्रयोग किये जाते हैं वे ऐसे ही ४८ रहते हैं जैसे किसी को एक शहर से दूसरे शहर जाना होता है ।
ऐसे लोग एक सीमित दिशा और दृश्य का अनुभव प्राप्त करते है किन्तु जिनको केवल चलना है उनके अनुभव मे सारे नगर वन, पहाड़, मैदान आ जाते हैं । ज्ञानमार्ग मे इन सारी सिद्धियो का रहस्य खुल जाता है या यों कहे कि पोल खुल जाती है और अभिरुचि समाप्त हो जाती है।
एक बार एक सज्जन आये और मुझसे उलझ पड़े, बार-बार कहने लगे तुम ऐसी पुस्तकें क्यो लिखते हो ? एक मोह उपजा देते हो, मन मे वैचारिक विप भर देते हो मेरा उत्तर था आप क्यों पढ़ते हो ? अपवाद स्वरूप ही ऐसे लोगों से साबका पड़ा और मेरे मन में यह आया कि चलो, इस विषय पर कुछ भी नही कहेंगे किन्तु इसके साथ ही उन पत्रों का क्या करूं जिन्होंने मेरी पूर्ण लिखित लेख में दिये गये प्रयोग किये और सफल हुए,
जिन लोगो ने विश्वास पूर्वक उन प्रयोगो के बारे मे पूछा जो अपने वेबसाइट लेख इस विशाल वर्ग की आस्था ने मुझे चुप नही रहने दिया और मैंने फिर कतम उठा ली यही सोचकर कि यदि वर्ष भर मे पांच व्यक्ति भी इन प्रयोगों मे लाभ उठाते हैं तो यह पुण्य का ही काम है। जो लोग सफल नहीं हो रहे वे भी कम-से-कम भगवान का स्मरण कर रहे हैं, अपने पाप धो रहे हैं कोई दुष्कर्म नही कर रहे, न मैं कोई घटिया उपन्यास लिखकर लोगों की वासना उभार रहा हूं ।
हरेक व्यक्ति का अपना मिशन होता है। आस्तिकता का प्रसार और भारतीय संस्कृति एवं विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि जागृत करना मेरा जीवन का लक्ष्य है । धर्मनेता नही होना चाहता, न अपने नाम से कोई . सम्प्रदाय चलाना चाहता हूं, मुझे मेरे देश वासियों से स्नेह है और जीवन भारत के प्रति आस्था जगाना मेरा नशा है। यह व्यवसाय नहीं शोक है ।
वे हजारों लोग मेरे इस कथन के साक्षी हैं जिनके विस्तृत पत्रो के उत्तर मैंने एक पूरे लेख के आकार में निःशुल्क दिये हैं अब भी दे रहा हूं, भले ही इससे मेरे निजी जीवन मे गतिरोध उत्पन्न हो जाता हो । उन अनजान लोगों के दुःख में भागीदार होने में मुझे बढ़ा सन्तोष मिलता है । आध्यात्मिक साधना करने से उनका आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है ।
४ε प्रस्तुत पुस्तक उन अनेक प्रश्नों का उत्तर है जो कृपालु पाठको ने किये हैं और उसके लिए है जो प्रश्न नही कर सके । जिन रहस्यों को प्रकट करने में कोई बाधा नहीं थी उनको स्पष्ट करने में मैंने कोई संकोच नही किया किन्तु जिनको सार्वजनिक रूप से घोषित करने के हित की अपेक्षा अहित हो सकता था उनका उल्लेख या संकेत मैंने नही किया है ।
प्रश्न उठता है क्या ये प्रयोग मैंने किये हैं? में एक ही उत्तर देता हूं- नही क्या ये अनुष्ठान सच हैं- इस प्रश्न के उत्तर में मैं कहूंगा- मैंने जीवन पग-पग पर इनकी शक्ति को देखा है, इनको झूठ या अविश्वसनीय मानने का अपराध मैं नहीं कर सकता । – आदमी का जीवन बहुत छोटा होता है और वह सारे अनुष्ठान कर ले यह संभव ही नहीं फिर भी अनेकों प्रयोग मैंने किये हैं अथवा कराये हैं ।
कर्ण पिशाचिनी के संबंध में सूक्ष्म और रहस्य को बातें प्राप्त करने के लिये मुझे बहुत कुछ करना पड़ा है। जिन लोगो को यह प्रयोग सिद्ध है वे कुछ भी बतलाने के लिए तैय्यार नही और मैं स्वयं करूं – यह पसन्द नही । इसलिए उन लोगों से रहस्य उगलवाने के लिए इस साधना के गूढ रहस्यो पर इस तरह विवेचन करने लगता जिससे वे समझें कि यह भी पूरा जानता है और फिर मेरे कहे में संशोधन कराने जैसी ही स्थिति रहने देता।
इस तरह से इस प्रयोग के जटिल रहस्यो का स्पष्टीकरण मेरे सन्तोष तक प्राप्त करने के बाद ही लिखने का साहस कर रहा हूं । जाने क्यों पाठकों का इस प्रयोग के प्रति इतना रुझान है और इन लोगों का इतना दबाव रहा है कि मुझे इस प्रयोग के बारे में बहुत कुछ जानना पड़ा और उसको प्रामाणिक स्तर पर पेश करने के लिए सभी पक्षों पर विचार करना पड़ा।
कर्ण पिशाचिनी के अनेक मंत्र हैं और उनकी साधना विधि में भी थोड़ा बहुत अन्तर है इस मन्त्र को सतर तरह से लिखने को विधि मैंने देखी है उसी तरह कर्ण पिशाचिनी में भी चालीस से अधिक मंत्र हैं । कौन-सा मंत्र किसके अनुकूल पड़ेगा इसका निर्णय कुलाकुल चक्र और मित्रार चक्र को देखकर कर लेना चाहिए ये चक्र ‘ मंत्र विज्ञान’ में दिये गये हैं ।
एक स्थान पर ग्रहण के दिन खाट में बैठकर बहुत कम मात्रा मे जप करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध होने की बात मैंने लिखी थी। यह मेरा इस प्रयोग मे ग्रहणकाल की स्वत: निर्णय नही था शास्त्रोक्त बात थी। पवित्र अतः मंत्र साधन के उपयुक्त समझ कर खाट को श्मशान पीठ के रूप माना गया है किन्तु इतनी कम मात्रा मे जप करने पर सिद्धि उनको ही मिलती है जिन्होने इस संबंध में कुछ किया है।
जिसने पहले कुछ भी नही किया या जो इससे विपरीत गुण वाले प्रयोग कर चुके हैं उनको इतनी संख्या मे जप करने से सफलता नही मिल सकती । जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका स्वरूप और स्वभाव है । स्वा- भाविक है इस प्रकार के प्रयोग करने के लिए अतिरिक्त साहस की आव- श्यकता होगी इसलिए साहसी और वीर व्यक्ति इस संबंध मे सोचें ।
कई लोगों ने शंका की थी कि व्यक्ति की मृत्यु के समय ऐसी साधनायें कष्ट कर रहती हैं, ऐसी बात नही है । पिशाचवर्गी होने के कारण इनमे क्रूरता तो रहती ही है, दूसरी बात यह भी है कि इनके अति संपर्क से व्यक्ति के स्वभाव में पैशाचिकता प्रकट होने लगती है।
हालांकि मंत्र के कारण वचन बद्ध होकर ये हमारे काम तक सीमित रहते हैं फिर भी इनके कागुण लुप्त नही होते और हम उनसे प्रभावित होते ही हैं। पिशाचिनी होने के कारण इसकी साधना घर मे नही करनी चाहिए ।
श्मशान एकान्त वन प्रान्त और शिव मंदिर इस साधना क्रे उपयुक्त स्वल हैं। घर करने से सफलता देर मे मिलती है और घर का वातावरण दूषित होता है । सिद्ध होने के बाद तो यह नियंत्रित हो जाती है इसलिए दूषित नही कर पाती किन्तु सिद्ध होने से पहले स्वतंत्र रहती है ।
इस तीन रूपों में माना जा सकता है मां, बहन और पत्नी मां और बहन के रूप में मानने पर इसमें इतनी शक्ति नही आती पत्नी के रूप मे मानने पर इसकी सामथ्यं पूर्ण रूप से प्रकट होती है । किन्तु अपने स्वभाव के अनुसार यह पत्नी सुख में बाधा पहुंचाती है।
हां, व्यभिचारी बनाकर वैयमिक सुख में कमी नही आने देती पर पत्नी के नाम से जो व्यक्ति हमारे घर में है उसे कष्ट देती है। आवेश या दिखने जैसे कष्ट नही बल्कि उसके स्वास्थ्य मे ह्रासमोर चिन्तायें उत्पन्न करती है। मां और बहन रूप में मानने पर इनके सुखो मे बाधा पहुंचाती है ।
कर्ण पिशाचिनी क्या क्या कर सकती है
कर्ण पिशाचिनी भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी दे सकती है।
कर्ण पिशाचिनी आपके आदेश अनुसार आपके के अन्य कार्य भी कर सकती है।
कर्ण पिशाचिनी आपके आदेश के अनुसार शत्रु का नाश भी कर सकती है।
कर्ण पिशाचिनी लाटरी सटे का नंबर दे सकती है।
कर्ण पिशाचिनी खजाने का रहस्य बता सकती है।
शेयर मार्किट में शेयर की जानकारी दे सकती।
किसी रोग को ख़तम कर सकती है और रोग को ख़तम करने की दवा बता सकती है
कर्ण पिशाचिनी सिद्धि कैसे प्राप्त करें
कर्ण पिशाचिनी सिद्धि प्रपात करने के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है जो आप को इस साधना की जानकारी प्रदान करता है। गुरु के बिना यह साधना में भारी नुकसान हो सकता है बिना गुरु के न करे। इस साधना से पहले किसी रक्षा मंत्र को सिद्ध करे।
कर्ण पिशाचिनी कितने दिन में सिद्ध हो जाती है
कर्ण पिशाचिनी को सिद्ध करने की अलग अलग विधि विधान है कोई विधान २१ है कोई ११ और कोई ४० दिन का है। यह डिपेंड करता आप कोन सा विधि विधान कर रहे हो
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भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना bhairav pratyaksh darshan sadhana
भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना bhairav pratyaksh darshan sadhana भैरव साधना भैरव तंत्र के प्रमुख देवता हैं ये शिव के स्वरूप हैं तथा अमित शक्ति के भण्डार भी हैं। काल भैरव, बाल भैरव (वटुक भैरव) श्मशान भैरव, स्वर्ण भैरव आदि अनेक रूप हैं इनके । सात्विक, राजस और तामस रूप मे इनकी विभिन्न प्रयोजनों से इनकी साधना की जाती है।
भैरव प्रत्यक्ष दर्शन साधना
भैरव को बुलाने का मंत्र
bhairav pratyaksh darshan sadhana
प्राचीन भैरव मंत्र
भैरव साधना के लाभ
कलियुग सर्वाधिक प्रतिष्ठित देव हैं तथा शंकर के अंश होने के कारण शीघ्र प्रसन्न होने वाले भी हैं। माना भैरव शान्त स्वरूप भी हैं, किन्तु उनकी स्वाभाविक रूप राशि भी इतनी उम्र रहती है कि सामान्य साहस जवाब दे जाता है।
सिंह कितना भी सोम्य हो, विकराल सर्प कुछ भी न कहे किन्तु उनका सौन्दर्य इतना उत्कट होता है कि भय जनक बन जाता है और जब तक उससे निकटस्थता न हो भय बना ही रहता है।
मेरा अपना विचार है कि ” धनदा रति प्रिया यक्षिणी” या ‘कर्ण “पिशाचिनी’ जैसे प्रयोगों को अपेक्षा भैरव का प्रयोग किया जाए तो वह अधिक अच्छा रहता है । यक्षिणी या पिशाचिनी के प्रयोग आखिर अपने गुण और प्रभाव से प्रभावित करते हो हैं ।
कर्णं पिशाचिनी वालों को मैंने देखा है, उनका बुढ़ापा पहलवान के बुढ़ापे जितना कष्ट कर हो जाता है। वे अपनी व्यथा को खुद ही भोगते रहते हैं । वैसे भी कर्ण पिशाचिनी से भूत और वर्तमान की बता कर लोगो को चमत्कृत करने और पैसा पैदा करने के सिवा कुछ नहीं किया जाता।
यह दूसरी बात है कि कोई अत्यन्त समझदार व्यक्ति उसका दूसरा हितकर और स्थायी प्रयोग कर ले।’ भैरव की साधना घर मे नहीं करनी चाहिए। यद्यपि घर में साधना करने में कोई तात्त्विक बाधा नहीं है । एकान्त कमरे में की जा सकती है।
फिर भी एतियात के तौर पर किसी एकान्त स्थान में करना उचित रहता है। वाकला भैरव का प्रिय भोजन है बाक्ला उबले हुए चोले को कहते हैं । अगर उनका रूप अधिक भयावह लगे तो उनको नैवेद्य माल्य अर्पित करके ।
‘शान्ताकारं भुजगशयनं … इस मंत्र से प्रार्थना कर ले । मन में यह विश्वास रखे कि भगवान भैरव भक्त रक्षक हैं, वे सदा अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। तंत्र में ऐसे प्रयोग हैं जो बड़े सरल हैं और जिनसे अनेक कष्ट सिद्ध किए जा सकते हैं ।
bhairav sadhana vidhi भैरव साधना विधि
– गाय के गोबर से तिकोना चौका (लीप कर) देकर दक्षिण के तरफ मुख करके बैठे । काल रात्रि (वर्ष में तीन काल रात्रियों मानी जाती हैं जिन में शिव रात्रि, प्रमुख है) मे अथवा जिस दिन सूर्य ग्रहण हो उस रात्रि में यह प्रयोग करना चाहिए। एक ही आसन पर अविचल उक्त मंत्र का एक हजार जप करे।
पूजा सामग्री में लाल कनेर के फूल, सिन्दूर, लड्डू और लोंग का जोड़ा रखे। चार मुख का दीपक (बड़े दीपक में चारों ओर जलती हुई चार बत्तियों वाला दीपक) जलाये । दीपक में तिल्ली ( या सरसों) का तेल जलाया जाय। फूलों का गजरा पास मे रखे ।
एक हजार जप करने के बाद तिल और चीनी व घी मिलाकर इसी मंत्र से एक सौ आहुति देकर हवन करे । हवन करते समय या समाप्ति पर भैरव प्रकट हों तो निर्भीक भाव से फूलों की माला उनके गले में पहना दें नैवेद्य अर्पित कर दे । साष्टांग उनको प्रसन्न करे फिर जो कुछ भी उससे मांगे वही मिलेगा ।
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini कर्ण पिशाचिनी एक पिशाच वर्ग की शक्ति है जो कान में भूत भविष्य वर्तमान बताती है। भौतिक आकांक्षाओं से पीड़ित लोग कर्ण पिशाचिनी की साधना करने को लालायित रहते हैं ।
यह सिद्ध होने पर भूतकाल और वर्तमान काल की बातें बतला देती है, असाधारण परिस्थितियों में भविष्यत् को बत- लाने की क्षमता भी आती है किन्तु इसके लिए अधिक श्रम और साहस की आवश्यकता रहती है।
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
वर्तमान में चाहे विश्व के किसी भी हिस्से की जात पूछी जाय यह सही उत्तर दे देती है, एक हद तक यह व्यक्ति के अन्तः स्तल के विचारो को भी जान सकती है। किन्तु किसी के विचारों की बदले की शक्ति इसमे नही है ।
पिशाचि शब्द सुनते ही रोंगटे खड़े होने लगते हैं ऐसा लगता है कि कोई मांसाहारी भूत प्रेत जैसी ही कोई शक्ति होगी पिसाची शक्ति शक्ति के ह्रदय चक्र शरीर में विद्यमान है इन्हीं शब्द चक्र में एक हृदय चक्र है स्वामिनी अधिकांश रोग हमारे शरीर में जितने वह सब हमें पिशाचिनी शक्ति की वजह से ही लगते हैं।
पिशाचि शब्द की आधार की परिभाषा आती है समझ सकते हैं कि किसी एक विषय अथवा वस्तु में हृदय का लगातार लगे रहना किसी एक विषय को जब हम इतना अधिक पसंद करने लग जाए कि अपना तन मन धन यहां तक की अपना आत्मा को शांत करने के लिए तैयार हो जाए तो। हमारा मन धन के लिए कभी वैभव के लिए और भी न जाने कितने विषय वस्तुओं के लिए हम प्रयासरत रहते हैं और हमारा हृदय इस दुनिया से हटना ही नहीं चाहता इस सुभाव को पिसाच सुभाव कहा जाता है।
Karna Pishachini पिशाची देवी का सवरूप
लेकिन बावजूद इसके देवी पिसाची बहुत ही सुंदर है कमल के आसान पर बैठी हाथ में दिव्या पुष्प पकडे हुए और एक हाथ में एक अग्नि से जलता हुआ एक कटोरा पकड़े हुए बैठे हुए है। दिव्या पिशाची देवी की आराधना का और कुलांतक पीठ से निकलता है। मानसिक और बौद्धिक रोग है और मनोज जनित जितने भी रोग हैं। नष्ट करने में देवी पिशाची के मंत्र सर्वश्रेष्ठ है उनका ध्यान स्तुति बहुत लाभदायक है।
लोगों को चमत्कृत करने के लिए, अपना प्रभाव जमाने के लिए और इन प्रदर्शनों के फलस्वरूप धन अर्जन के लिए कर्ण पिशाचिनी के प्रति लोग अधिक आकृष्ट होते हैं । इसके संबंध में कुछ भी लिखने से पहले एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं ज्ञान मार्ग में प्रवृत्त हो चुका हूँ, ये आनन्दमार्गी चुटकुले हैं, इनके प्रति मुझे कोई भी दिलचस्पी नही चमत्कार जैसी चीज मेरे मे नही है और जब नही है तो दिखावा कैसे करू ?
सच यह है कि अर्थ और सुविधाओं के मामले मे आवश्यकता तक सोचता हूं मुझे किसी भी प्रकार की कोई सिद्धि नही मिली फिर भी भारतीय मन्त्रो की शक्ति का परिचय मुझे है । ज्ञान मार्ग जिस विराट् शून्य में रमना चाहता है उसमे प्रदर्शनीय, सिद्धि या चमत्कार नाम को कोई चीज होती ही नहीं। गोपीनाथ कविराज नौर. योगीराज अरविन्द के पास लोगों ने कौन – सा चमत्कार देखा ।
किन्तु तो उनको मिला उसके लिए कौन लालायत नहीं है ? ज्ञान मार्ग का यह भाव है। कामनाओं से प्रेरित होकर जो प्रयोग किये जाते हैं वे ऐसे ही ४८ रहते हैं जैसे किसी को एक शहर से दूसरे शहर जाना होता है ।
ऐसे लोग एक सीमित दिशा और दृश्य का अनुभव प्राप्त करते है किन्तु जिनको केवल चलना है उनके अनुभव मे सारे नगर वन, पहाड़, मैदान आ जाते हैं । ज्ञानमार्ग मे इन सारी सिद्धियो का रहस्य खुल जाता है या यों कहे कि पोल खुल जाती है और अभिरुचि समाप्त हो जाती है। एक बार एक सज्जन आये और मुझसे उलझ पड़े, बार-बार कहने लगे तुम ऐसी पुस्तकें क्यो लिखते हो ?
एक मोह उपजा देते हो, मन मे वैचारिक विप भर देते हो मेरा उत्तर था आप क्यों पढ़ते हो ? अपवाद स्वरूप ही ऐसे लोगों से साबका पड़ा और मेरे मन में यह आया कि चलो, इस विषय पर कुछ भी नही कहेंगे किन्तु इसके साथ ही उन पत्रों का क्या करूं जिन्होंने मेरी पूर्ण लिखित पोस्ट में दिये गये प्रयोग किये और सफल हुए, जिन लोगो ने विश्वास पूर्वक उन प्रयोगो के बारे मे पूछा जो लेख इस विशाल वर्ग की आस्था ने मुझे चुप नही रहने दिया और मैंने फिर कलम उठा ली यही सोचकर कि यदि वर्ष भर मे पांच व्यक्ति भी इन प्रयोगों मे लाभ उठाते हैं
तो यह पुण्य का ही काम है। जो लोग सफल नहीं हो रहे वे भी कम-से-कम भगवान का स्मरण कर रहे हैं, अपने पाप धो रहे हैं कोई दुष्कर्म नही कर रहे, न मैं कोई घटिया उपन्यास लिखकर लोगों की वासना उभार रहा हूं । हरेक व्यक्ति का अपना मिशन होता है।
आस्तिकता का प्रसार और भारतीय संस्कृति एवं विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि जागृत करना मेरा जीवन का लक्ष्य है । धर्म नेता नही होना चाहता, न अपने नाम से कोई . सम्प्रदाय चलाना चाहता हूं, मुझे मेरे देश वासियों से स्नेह है और जीवन भारत के प्रति आस्था जगाना मेरा नशा है। यह व्यवसाय नहीं शोक है ।
वे हजारों लोग मेरे इस कथन के साक्षी हैं जिनके विस्तृत पत्रो के उत्तर मैंने एक पूरे लेख के आकार में निःशुल्क दिये हैं अब भी दे रहा हूं, भले ही इससे मेरे निजी जीवन मे गतिरोध उत्पन्न हो जाता हो । उन अनजान लोगों के दुःख में भागीदार होने में मुझे बढ़ा सन्तोष मिलता है । आध्यात्मिक साधना करने से उनका आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है ।
जिन रहस्यों को प्रकट करने में कोई बाधा नहीं थी उनको स्पष्ट करने में मैंने कोई संकोच नही किया किन्तु जिनको सार्वजनिक रूप से घोषित करने के हित की अपेक्षा अहित हो सकता था उनका उल्लेख या संकेत मैंने नही किया है ।
प्रश्न उठता है क्या ये प्रयोग मैंने किये हैं?
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
में एक ही उत्तर देता हूं- नही क्या ये अनुष्ठान सच हैं- इस प्रश्न के उत्तर में मैं कहूंगा- मैंने जीवन पग-पग पर इनकी शक्ति को देखा है, इनको झूठ या अविश्वसनीय मानने का अपराध मैं नहीं कर सकता ।
आदमी का जीवन बहुत छोटा होता है और वह सारे अनुष्ठान कर ले यह संभव ही नहीं फिर भी अनेकों प्रयोग मैंने किये हैं अथवा कराये हैं । कर्ण पिशाचिनी के संबंध में सूक्ष्म और रहस्य को बातें प्राप्त करने के लिये मुझे बहुत कुछ करना पड़ा है। जिन लोगो को यह प्रयोग सिद्ध है वे कुछ भी बतलाने के लिए तैय्यार नही और मैं स्वयं करूं – यह पसन्द नही ।
इसलिए उन लोगों से रहस्य उगलवाने के लिए इस साधना के गूढ रहस्यो पर इस तरह विवेचन करने लगता जिससे वे समझें कि यह भी पूरा जानता है और फिर मेरे कहे में संशोधन कराने जैसी ही स्थिति रहने देता। इस तरह से इस प्रयोग के जटिल रहस्यो का स्पष्टीकरण मेरे सन्तोष तक प्राप्त करने के बाद ही लिखने का साहस कर रहा हूं ।
जाने क्यों पाठकों का इस प्रयोग के प्रति इतना रुझान है और इन लोगों का इतना दबाव रहा है कि मुझे इस प्रयोग के बारे में बहुत कुछ जानना पड़ा और उसको प्रामाणिक स्तर पर पेश करने के लिए सभी पक्षों पर विचार करना पड़ा। कर्ण पिशाचिनी के अनेक मंत्र हैं
और उनकी साधना विधि में भी थोड़ा बहुत अन्तर है इस मन्त्र को सतर तरह से लिखने को विधि मैंने देखी है उसी तरह कर्ण पिशाचिनी में भी चालीस से अधिक मंत्र हैं । कौन-सा मंत्र किसके अनुकूल पड़ेगा इसका निर्णय कुलाकुल चक्र और मित्रार चक्र को देखकर कर लेना चाहिए ये चक्र ‘ मंत्र विज्ञान’ में दिये गये हैं ।
एक स्थान पर ग्रहण के दिन खाट में बैठकर बहुत कम मात्रा मे जप करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध होने की बात मैंने लिखी थी। यह मेरा इस प्रयोग मे ग्रहणकाल की स्वत: निर्णय नही था शास्त्रोक्त बात थी। पवित्र अतः मंत्र साधन के उपयुक्त समझ कर खाट को श्मशान पीठ के रूप माना गया है किन्तु इतनी कम मात्रा मे जप करने पर सिद्धि उनको ही मिलती है जिन्होने इस संबंध में कुछ किया है।
जिसने पहले कुछ भी नही किया या जो इससे विपरीत गुण वाले प्रयोग कर चुके हैं उनको इतनी संख्या मे जप करने से सफलता नही मिल सकती । जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका स्वरूप और स्वभाव है । स्वा- भाविक है इस प्रकार के प्रयोग करने के लिए अतिरिक्त साहस की आव- श्यकता होगी इसलिए साहसी और वीर व्यक्ति इस संबंध मे सोचें ।
. कई लोगों ने शंका की थी कि व्यक्ति की मृत्यु के समय ऐसी साधनायें कष्ट कर रहती हैं, ऐसी बात नही है । पिशाचवर्गी होने के कारण इनमे क्रूरता तो रहती ही है, दूसरी बात यह भी है कि इनके अति संपर्क से व्यक्ति के स्वभाव में पैशाचिकता प्रकट होने लगती है।
हालांकि मंत्र के कारण वचन बद्ध होकर ये हमारे काम तक सीमित रहते हैं फिर भी इनके कागुण लुप्त नही होते और हम उनसे प्रभावित होते ही हैं।
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
पिशाचिनी होने के कारण इसकी साधना घर मे नही करनी चाहिए । श्मशान एकान्त वन प्रान्त और शिव मंदिर इस साधना क्रे उपयुक्त स्वल हैं। घर करने से सफलता देर मे मिलती है और घर का वातावरण दूषित होता है । सिद्ध होने के बाद तो यह नियंत्रित हो जाती है इसलिए दूषित नही कर पाती किन्तु सिद्ध होने से पहले स्वतंत्र रहती है ।
कर्ण पिशाचिनी Karna Pishachini साधना को किस रूप में करें
इस तीन रूपों में माना जा सकता है मां, बहन और पत्नी मां और बहन के रूप में मानने पर इसमें इतनी शक्ति नही आती पत्नी के रूप मे मानने पर इसकी सामथ्यं पूर्ण रूप से प्रकट होती है । किन्तु अपने स्वभाव के अनुसार यह पत्नी सुख में बाधा पहुंचाती है।
हां, व्यभिचारी बनाकर वैयमिक सुख में कमी नही आने देती पर पत्नी के नाम से जो व्यक्ति हमारे घर में है उसे कष्ट देती है। आवेश या दिखने जैसे कष्ट नही बल्कि उसके स्वास्थ्य मे ह्रासमोर चिन्तायें उत्पन्न करती है। मां और बहन रूप में मानने पर इनके सुखो मे बाधा पहुंचाती है ।
कर्ण पिशाचिनी कितने दिन में सिद्ध हो जाती है ?
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
बहुत काम समय में सिद्ध हो जाती है इसकी बहुत सारी विधि है वाम मार्ग दिक्षण मार्ग किश मार्ग से कर रहे हो यह डिपेंड करता है कुछ २१ , ११ , ४१ , दिन की होती है अघोर मार्ग में यह साधना जल्दी सिद्ध हो सकती है
कर्ण पिशाचिनी क्या क्या कर सकती है
आज के समय में हर व्यक्ति करना चाहता है क्योंकि एकमात्र यह ऐसी सिद्धि है पिशाचिनी की जो अपने जातक को बहुत सारी शक्तियां प्रदान करती है ऐसी शक्तियां प्रदान करती है जिससे कि व्यक्ति कहीं से भी धन को अर्जित करने लगता है किसी भी व्यक्ति का जटिल से जटिल अगर कार्य कहीं रुक गया है या कोई कार्य फस गया है तो इस कार्य को आसानी से करने के लिए भी कर्ण पिशाचिनी कार्य करती है दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि किन लोगों को इस साधना को पूरा करना चाहिए